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अब तक आने पढ़ा.. अब उनके परिवार में उनकी माँ.. दो भाई उनकी पत्नियां और बड़े भाई की एक लड़की और एक लड़का था। चाय पीने के बाद हम उनके खेत पर टाइमपास के लिए चले गए। शाम 7 बजे हम वापिस आए। रात को डिनर किया और सब सोने लिए चले गए। मैं भाभी और उनकी माँ एक ही कमरे में थे। बिस्तर पर दीवार के कोने वाली तरफ उनकी माँ और भाभी मेरी चारपाई की ओर सोने लगीं। अब आगे..
मैं उनके पेट पर हाथ रख कर सो गया। सुबह उन्होंने मुझे चुम्बन किया.. उठाया.. और कहने लगीं जाओ फ्रेश हो जाओ।
मैं फ्रेश हो कर नहा कर आया.. हमने फिर नाश्ता किया। हम 11 बजे के करीब वहाँ से निकल गए। रास्ते में मैंने उन्हें कहा- आपकी शादी तो भाई से हुई है.. और आप प्यार मुझसे करती हो? वो बोली- घर जाकर बताऊँगी ओके बाबू..
हम घर पहुँच गए। घर पर माँ बोलीं- मैं और तेरे पापा 2-3 दिन के लिए तेरी नानी के यहाँ जा रहे हैं और 1-2 दिन में तेरा भाई भी आ जाएगा, अपनी भाभी का ख्याल रखना।
मैंने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और खुश होने लगा। मम्मी-पापा के जाने के बाद भाभी लंच बनाने लगीं.. मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया। भाभी- ओये पागल.. पहले खाना बनाने दे रात को जितना मर्जी प्यार कर लेना। मैं- नहीं.. मुझे तो अभी करना है। मैंने उनके गाल पर चुम्बन कर दिया।
भाभी- बड़े शरारती हो तुम.. अब छोड़ो मुझे.. मैं- ओके.. मैं उन्हें छोड़ कर उनके बराबर में खड़ा हो गया।
मैं- अब ये तो बताओ कि मुझसे प्यार कैसे हो गया? भाभी- बताती हूँ.. पहले खाना खा ले.. ओके..
हमने साथ बैठ कर खाना खाया और मैंने फिर उनसे पूछ लिया। भाभी- ओके.. बताती हूँ.. पर तू किसी को नहीं बताएगा.. ठीक है.. मैं- ओके..
भाभी- तो सुनो तुम्हारा भाई किसी काम का नहीं है। वो शुगर का भी मरीज है। उसने अभी तक मुझे एक बार भी नहीं छुआ.. सेक्स तो बहुत दूर है। मैं- तो फिर मैं ही क्यों? भाभी- जब मैं अपने मायके गई थी तो तुम्हारी माँ ने मुझसे उदास रहने का कारण पूछा था.. तो मैंने सब कुछ बता दिया और उन्होंने ही मुझे तुमसे सब करने को बोला। मैं- मतलब माँ को सब पता है। भाभी- हाँ मेरे लाड़ले.. माँ को सब पता है.. चल अब टीवी देखते हैं। मैं और भाभी टीवी देखने लगे।
मैं- अनु बेबी.. एक चुम्बन कर लूँ? भाभी- कर लो.. बस एक ही.. बाकी सब रात को.. मैंने तेरे लिए एक सरप्राइज भी रखा है। मैं- क्या है.. बताओ ना? भाभी- रात को.. ओके.. उन्होंने मेरे माथे को चूमा और चली गईं।
मैं बेसब्रों की तरह रात का इतंजार करने लगा।
रात 8 बजे
भाभी- सुखम बाबू.. चलो खाना खा लो.. मैं- आया बेबी.. हमने साथ में बैठ कर खाना खाया और फिर भाभी रसोई में बर्तन धोने चली गईं।
रात को जब मैं टीवी देख कर कमरे में गया.. तो हैरान रह गया, भाभी सज-धज कर बैठी थीं। मैंने कमरे का गेट बंद किया, बिस्तर पर जाकर भाभी के पास बैठ गया.. और उनका घूंघट उठाने लगा। भाभी- ओये पगले.. पहले मेरा गिफ्ट तो दे।
मैं सोचने लगा.. फिर मैंने अपने गले की सोने की चेन उतार कर उनके गले में डाल दी। फिर उनका घूँघट उठाया और उन्हें गौर से देखने लगा, फिर मैंने उनके माथे को चूमा और उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और चुम्बन करने लगा।
भाभी भी मुझे बाँहों में जकड़ने लगीं.. और मुझे चूमने लगीं। मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और लोअर निकाल कर भाभी के ऊपर टूट पड़ा, मैंने अधीरता से उन्हें कपड़े उतारने को कहा। भाभी ने कहा- मुझे शर्म आ रही है.. तू ही उतार दे।
फिर मैंने उनका कुरता उतारा और सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया, मैं उन्हें फिर चुम्बन करने लगा, वो सिसकारियाँ लेने लगीं और मुझे भी मजा आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
ब्रा में तो वो किसी परी से कम नहीं लग रही थीं.. मैं उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। उनकी आवाज मुझे बहुत ही नशा दे रही थी। जब मैंने उनकी सलवार को नीचे की.. तो देखा उन्होंने सफेद पैंटी पहनी हुई थी। मुझे तो वो बहुत ही अच्छी लग रही थीं मैंने उनकी सलवार पूरी उतार दी और उनकी फुद्दी पर हाथ फेरने लगा.. साथ ही उनको चूमने लगा।
मैंने प्यार से उनकी ब्रा का हुक खोला और ब्रा हटते ही उनके गोरे-गोरे स्तन मेरे सामने थे.. मैं पागलों की तरह उनको चूसने लगा। भाभी मेरे सिर को अपने हाथों से दबाने लगीं और मैं पूरे जोश से चूसने लगा।
मैंने अपना अडंरवियर नीचे किया और भाभी को भी पूरा नंगा कर दिया और उनको चुम्बन करने लगा। वो भी मुझे चुम्बन करने लगी थीं..।
मैं उनकी फुद्दी को सहलाने लगा और उस पर चुम्बन करने लगा। उनकी फुद्दी पर छोटे-छोटे नाम मात्र के बाल थे। वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं.. और बोलीं- अब बस करो.. मुझसे रहा नहीं जा रहा। मैंने उन्हें सीधा किया और लण्ड को फुद्दी पर रख कर दबा कर धक्का मारा.. पर लण्ड फिसल गया और अन्दर नहीं गया।
फिर भाभी ने मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ कर फुद्दी के सुराख पर रखा और हल्का सा धक्का देने को बोला। मैंने जोर से धक्का दिया और मेरा आधा लौड़ा उनकी चूत में अन्दर चला गया।
भाभी दर्द से चिल्लाने लगीं- बाहर निकाल इसे.. उई.. बहुत दर्द हो रहा..।
फिर मैं उनको चूमने लगा और धीरे-धीरे धक्के देने लगा। कुछ देर बाद वो शांत हुईं और मुझे नीचे कुछ गीला सा महसूस हुआ। मैं देखना चाहता था कि क्या है.. पर भाभी ने मुझे जकड़ रखा था।
बस मैं भाभी को चोदता रहा, भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उनकी साँसें तेज होने लगीं, मैं भी जोर से चोदने लगा। कुछ देर मैं मेरा होने वाला था.. तो मैंने भाभी से पूछा.. तो उन्होंने अन्दर छोड़ने की बोला। मैं उन्हें तेजी से धक्के मारना लगा और वो भी मेरा साथ देने लगीं, बस कुछ ही धक्कों में हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।
जब थोड़ा होश आया तो मैंने देखा कि मेरे लण्ड पर.. भाभी की फुद्दी पर.. और बिस्तर की चादर पर खून के धब्बे थे.. मैं समझ गया कि भाभी ने भी मेरी तरह पहली बार सेक्स किया है। तभी भाभी हाँफ कर बोलीं- कैसा लगा मेरा सरप्राइज? मैं भी हंसने लगा और उन्हें चुम्बन करने लगा।
वो बोलीं- बस अब और नहीं.. पहली बार करने के कारण मुझे थोड़ी सी जलन हो रही है। फिर मैं उनकी बाँहों में ही सो गया।
सुबह उन्होंने एक लिपकिस किया.. और मुझे उठाया, मैं उठा और उन्हें चुम्बन करने लगा। एक-दो चुम्बन करने के बाद वो पीछे को हटीं और मुझसे कहने लगीं- जनाब टाइम तो देखो..!!
मैंने टाइम देखा तो 9 से ऊपर था। अब उन्होंने मुझे फ्रेश होकर नाश्ता करने को बोला। मैंने नाशता किया और उन्होंने मुझे दवाई लाने को कहा क्योंकि उनकी फुद्दी में अभी भी जलन हो रही थी।
इतने में माँ का फोन आया और भाभी ने माँ को अपनी समस्या बताई। फिर माँ मुझसे बात करने लगी- शर्म नहीं आती तुझे.. ये क्या कर दिया तूने? मैं- सॉरी मम्मी.. माँ- सॉरी के बच्चे.. अपनी ‘बीवी’ को दवाई तो दिलवा दे.. अब या वो काम मुझे करना पड़ेगा.. मैं- मम्मी मैं अभी दवाई लाकर अनु को देता हूँ.. माँ- जल्दी कर.. जलन से.. उसकी जान निकल रही है और तू अभी घर पर ही बैठा है।
माँ ने फोन काट दिया। मैंने डॉक्टर से दवाई लाकर अनु को दी तकरीबन आधे घन्टे बाद वो आराम महसूस करने लगीं।
फिर मैंने हल्के से उन्हें चूमा और उठा कर कमरे में ले गया और उनको रेस्ट करने को बोला.. फिर अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैंने देखा.. तो माँ थीं.. मैं हैरान हो गया, मैंने माँ से पूछा- आप यहाँ? माँ- हाँ.. अनु कहाँ पर है? मैं- मेरे कमरे में..
माँ मेरे आगे और मैं उनके पीछे.. मैं- मम्मी.. पापा कहाँ है? माँ- तेरे भाई की तबीयत खराब है.. वो उसे लेकर आते ही होंगे..
माँ और मैं कमरे में पहुँच गए, हमें देख कर अनु भी बैठ गई। माँ- अब कैसी तबीयत है? अनु- ठीक हूँ.. पर आप तो 2-3 दिन बाद आने वाले थे? माँ- बाद में बताती हूँ.. तू बता कोई और तकलीफ तो नहीं है तुझे? अनु- नहीं.. अब मैं ठीक हूँ..
माँ अनु के सिर पर हाथ फेरने लगीं और मुझे उनका ख्याल रखने को बोला। आधे घन्टे बाद पापा और भाई भी आ गए, उनकी हालत बहुत खराब थी, हम उन्हें अस्पताल ले गए.. उनकी शुगर 500+ हो चुकी थी। तीन दिन बाद उन्होंने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया सारा परिवार दु:खी था।
कुछ समय तक हम बहुत ही दु:खी रहने लगे। एक महीने बाद अनु के भाई उसे लेने आए तो माँ ने उन्हें कहा- अनु इसी घर की बहू रहेगी और उसकी शादी सुखम (मेरे साथ) से होगी।
मेरे चेहरे पर थोड़ी मुस्कान लौटी.. अनु तो शर्म के मारे लाल हो रही थी। इस दु:खद घटना के 6 महीने बाद मेरी और अनु की शादी बड़ी धूमधाम से की गई। अब हम बहुत खुश हैं.. अनु माँ बनने वाली है.. और मैं पापा.. सारा परिवार बहुत खुश है।
मुझे विश्वास है कि आपको मेरी ओर मेरी अनु की लव स्टोरी जरूर पसन्द आई होगी। [email protected]
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