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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार… मैं रोमा फिर से एक कहानी ले कर आई हूँ। यह कोई कहानी नहीं है.. बल्कि एक सच्ची घटना है। मैं आशा करती हूँ कि आपको पसंद आएगी। घटना मेरे पापा-मम्मी की है कि कैसे मैंने उन्हें चुदाई करते हुए देखा, उनकी ये चुदाई एक दमदार चुदाई थी।
मेरे घर में हम तीन लोग ही रहते हैं.. मैं और पापा-मम्मी.. मेरी मम्मी का नाम सविता है.. उनकी उम्र 40 साल है, वो दिखने में बहुत ही सुन्दर हैं। मेरी मम्मी सविता गोरी हैं उनका फिगर का नाप 36-34-40 का है, मम्मी के ब्लाउज से उनके चूचे बाहर ही दिखते रहते हैं। मेरे पापा की उम्र 46 के लगभग होगी।
एक दिन मेरी तबियत ठीक नहीं थी.. तो मैं कॉलेज गई, उस दिन पापा के ऑफिस की भी छुट्टी थी, हम सब घर पर ही थे। हम सभी ने दोपहर का खाना खाया, मम्मी ने मुझे दवा दी और मैं अपने कमरे में चली गई। मैं अपने कमरे में लेटी.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, काफी देर में ऐसे ही लेटी रही।
थोड़ी देर बाद मुझे मम्मी आवाज़ आई- आआह्ह्ह.. आआअह्ह… ह्हह.. उउइईई.. आआअह्हह.. दर्द हो रहा है.. थोड़ा धीरे करो.. रोमा घर पर ही है.. उसने सुन लिया तो गज़ब हो जाएगा.. मम्मी की ये आवाजें सुन कर मैं हैरान हो गई कि मम्मी ऐसा क्यों कह रही हैं?
मैंने सोचा कि देखूँ तो सही.. मम्मी को किस बात का दर्द हो रहा है। मैं अपने कमरे से निकल कर बाहर आई और पापा-मम्मी के कमरे तरफ गई.. तो मम्मी की आवाजें और तेज हो गईं- आआआह्ह ह्ह्ह.. उउउउ.. ईईई.. मैं उनके कमरे के दरवाजे पर कान लगा कर सुनने लगी। मम्मी की आवाजें बहुत सेक्सी लग रही थीं कि तभी पापा की भी आवाज आई- ले मेरी रंडी.. और जोर जोर से ले.. मेरा लण्ड अपनी चूत में ले साली.. बहुत दिनों के बाद आज तुझे दिन में चोद रहा हूँ.. वरना दिन में चोदने का कभी मौका ही नहीं मिलता.. आह्ह.. ले और जोर से ले.. और जोर से ले..
अब मुझे पता चल गया कि पापा-मम्मी की चुदाई कर रहे हैं, मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, मेरे हाथ-पैर ठन्डे हो गए.. मेरा मन उनकी चुदाई देखने का करने लगा.. पर मैं सोचने लगी कि देखूँ तो आखिर कैसे.. क्यूँ कि उनके कमरे का दरवाजा भी लॉक था। मैंने बहुत कोशिश की.. पर कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या करूँ।
उधर कमरे से पापा-मम्मी की आवाजें लगातर आ रही थीं.. जो अब मुझे गरम कर रही थीं। मैंने अपना एक हाथ अपनी पैन्टी के अन्दर डाल लिया और चूत को सहलाने लगी और दूसरे हाथ से अपने चूचों को दबाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उस दिन के बाद मुझे जब भी मौका मिलता.. मैं पापा-मम्मी की चुदाई की आवाजें सुनने उनके कमरे के पास आ जाती.. पर कभी देखने का मौका नहीं मिला। मैंने बहुत कोशिश की.. पर उनकी चुदाई देखने का कहीं कोई रास्ता नहीं मिला।
अभी कुछ दिन पहले पापा को ट्रेनिंग के लिए जाना था, उनकी ट्रेनिंग 20 दिन की थी। पापा तो चले गए और मेरी मम्मी अकेली रह गईं.. दिन बीतते गए.. जिस दिन पापा वापस आने वाले थे उस दिन पापा का फ़ोन आया, फ़ोन मैंने ही उठाया.. तो पापा ने कहा- मैं आज आ रहा हूँ। रात 8 बजे तक आ जाऊँगा.. अपनी मम्मी को बता देना। मैंने कहा- हाँ ठीक है.. पापा मैं मम्मी को बता दूँगी।
शाम के समय मैंने अचानक मम्मी का मोबाइल लिया और उसे देखने लगी.. तो उसमें मुझे पापा के कुछ मैसेज दिखाई दिए.. जिसमें पापा ने लिखा था कि बहुत दिन हो गए हैं तेरी चूत नहीं मिली है। आज रात में अपनी चुदाई की पूरी तैयारी करके रखना.. आज मैं तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा।
पापा का ये मैसेज जब मैंने मम्मी के मोबाइल में पढ़ा.. तो मैंने ठान ली कि आज कुछ भी हो जाए.. मैं पापा-मम्मी की यह चुदाई देख कर ही रहूँगी। फिर मैं पापा-मम्मी के कमरे में गई और कमरे को अच्छी तरह से देखने लगी कि आखिर कोई तो जगह होगी.. जहाँ से मैं उनकी चुदाई देख सकूं.. मैं कमरे को अच्छे से देख रही थी.. तभी मुझे कमरे के ऊपरी हिस्से में रोशनदान दिखाई दिया.. तो मैंने सोचा क्यूँ न इस रोशनदान से ही कुछ जुगाड़ जमाया जाए।
तब मैं घर के बाहर गई और देखा कि ये रोशनदान बाहर के किस हिस्से में है.. तो वो रोशनदान हमारे गैराज में खुलता था। मैं गैराज में गई और उस रोशनदान के पास एक सीढ़ी लगाई। मैंने ऊपर चढ़ कर देखा.. तो मैंने देखा कि ये तो एकदम मस्त जगह है.. उस रोशनदान से मम्मी-पापा का पूरा कमरे साफ-साफ दिखाई दे रहा था।मैंने ये तय कर लिया कि आज कुछ भी हो जाए.. मैं इस रोशनदान से मम्मी-पापा की चुदाई देख कर ही रहूँगी। मैंने चुदाई देखने की पूरी तैयारी कर ली थी।
रात को पापा करीब 8:30 बजे आए। उसके बाद हमने खाना खाया और मैं मम्मी को यह बोल कर अपने कमरे में चली गई कि आज मुझे बहुत नींद आ रही है। तब करीब 10 बज चुके थे, पापा टीवी देख रहे थे और मम्मी रसोई में थीं.. मैं अपने कमरे में सोने का नाटक कर रही थी। करीब 11:30 बजे मेरे कमरे का दवाजा हल्का सा खुला। वो मम्मी थीं.. शायद वो ये देखने आई थीं कि मैं सोई या नहीं.. मैं आँख बंद कर के चुपचाप लेटी हुई थी। आज मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, मुझे तो चुदाई का सीधा नजारा देखना था।
तब मम्मी ने वापस मेरे कमरे का दरवाजा बंद किया और चली गईं। मैं उठ कर जल्दी से दरवाजे के पास गई और वहीं खड़ी हो गई।
मम्मी ने पापा को आवाज दी- आ जाओ.. रोमा भी सो गई है.. उधर से पापा की आवाज आई- आया मेरी रानी।
उनकी मादक आवाजें सुनने के 2 मिनट बाद मैं अपने कमरे से बाहर निकली तो देखा कि घर की सारी लाइटें बंद थीं, सिर्फ पापा-मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी, मैंने बिना कोई आवाज किए घर का मुख्य दरवाजा खोल कर बाहर निकल कर गैराज में आ गई, फिर सीढ़ी पर चढ़ गई और रोशनदान से अन्दर का नजारा देखने लगी।
अन्दर देखते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। अन्दर मम्मी पापा के बराबर ही लेटी हुई थीं.. वो बिल्कुल नंगी थीं, उनके कपड़े पास में ही पापा के बिस्तर पर पड़े थे और पापा उनके होंठों को चूस रहे थे, वे मम्मी के चूचों को भी साथ-साथ में दबा रहे थे और कह रहे थे- आज बहुत ठण्ड लग रही है.. अब तो तुम्हारे शरीर की गर्मी ही कुछ कर सकती है।
उनकी इस बात पर मम्मी ने कहा- हमारी शादी को 26 साल हो गए हैं पर तुम्हारी भूख नहीं मिटी।
दोनों एक-दूसरे को रगड़ते हुए चूम रहे थे। शरीर के टकराव से दोनों की चुदाई की वासना जाग चुकी थी और दोनों पूरी मस्ती के मूड में थे। वो दोनों इस बात से अनजान थे कि मैं उन्हें चुदाई करते हुए देख रही हूँ। यह नजारा मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहा था.. क्यूँ कि कमरे की लाइट भी जल रही थी।
पापा जब मम्मी के चूचों को दबा रहे थे तो उन्हें देख कर मेरे शरीर में भी कुछ-कुछ होने लगा। पापा अब एक हाथ से मम्मी के चूचों को दबा रहे थे और दूसरे हाथ को मम्मी की पीठ और कंधे पर फेर रहे थे। कुछ देर बाद पापा बिस्तर से उठे और अपनी बनियान और अंडरवियर उतार दी। अब उनका लण्ड जो कि बिलकुल तन कर खड़ा था.. मुझे साफ़ दिख रहा था। मैं पापा का लण्ड देख कर हैरान रह गई उनका लण्ड पूरे जोश में था।
अब पापा धीरे से बिस्तर पर आए और उन्होंने अपना लण्ड मम्मी के हाथों में दे दिया। पापा का लम्बा और मोटा लण्ड को मम्मी ने अपने हाथ में ले लिया और मम्मी ने पापा के लण्ड के ऊपरी हिस्से को अपने मुँह में डाल लिया और प्रेम से चूसने लगीं।
अभी मम्मी पापा का लण्ड चूस ही रही थीं कि तभी पापा ने अपने एक हाथ को मम्मी की चूत पर रख दिया और उनकी चूत को मसलने लगे। अब शायद मम्मी बहुत गर्म हो गई थीं तो उन्होंने पापा से कहा- जानू.. अब बस करो.. और चोद दो मुझे.. जिस पर पापा ने कहा- नहीं.. मेरी रानी ऐसे मज़ा नहीं आएगा..
दोस्तो, मैं सोचने लगी थी कि पापा किस तरह के मजा लेने की बात मम्मी से कह रहे थे। मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी शायद आपको भी मेरे मम्मी पापा की चुदाई का सीधा प्रसारण पढ़ने की व्याकुलता होगी..
मैं आपको इस असली चुदाई का पूरा कथानक अगले भाग में लिखूँगी। तब तक आप मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए.. अगले अंक में आपसे फिर मुलाक़ात होगी.. [email protected] कहानी का अगला भाग : पापा मम्मी की चूत चुदाई देखने का मजा-2
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