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अन्तर्वासना के प्यारे पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं संगम 39 वर्ष का जौनपुर उत्तर प्रदेश से हूँ। मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ प्रायः पढ़ता रहता हूँ। आरम्भ में मैं बहुत साधारण सोच का इंसान था.. पर अब तो इतना अधिक कामुक सोच का हो गया हूँ कि बस या सफर में मेरे पास अगर गल्ती से कोई लड़की या औरत बैठ जाती है.. तो वह पछताती है कि मैं गलत जगह पर बैठ गई हूँ। अब पाठकों को अपनी कहानी पर लाता हूँ।
मैं एक सम्भ्रांत शिक्षक हूँ.. यह कहानी मेरी एक ट्यूशन शिष्या के साथ मेरी कामक्रीड़ा की कहानी है। अगर लिखने में कोई त्रुटि हो.. तो उस पर ध्यान न दीजिएगा।
मेरी वो शिष्या जिसका नाम रीता है, बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। मैं उसे उसके उससे छोटे भाई बहनों के साथ ट्यूशन पढ़ाता था। सब कुछ सामान्य रहा.. लेकिन उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थीं.. तो मुझे लगा कि वह सेक्स की प्यासी है। ऐसा मुझे इसलिए लगा क्योंकि अधिकतर चूचियों का बड़ा होना इस बात को दर्शाता है कि चूचियों को खुद ही मसला गया गया है.. जिसका एकमात्र कारण चुदास का बढ़ जाना ही होता है।
एक दिन उसके भाई बहनों की किसी कारणवश अनुपस्थिति में मैं अकेल उसको ही पढ़ा रहा था। पहले कुछ समय तक सब कुछ सामान्य रहा.. पर उस दिन चूंकि रीता मेरे ठीक सामने बैठी थी.. तो अचानक गलती से मेरा पैर उसके पैरों से छू गया तो उसने अपना पैर हटा लिया। लेकिन उसके कोमल पैरों के स्पर्श से मेरी अन्तर्वासना जागृत हो चुकी थी.. तो मैं जानबूझ कर कई बार नीचे से उसके पैरों से अपना पैर छू देता।
ऐसा कई बार करने पर शायद उसे अच्छा लगने लगा.. तो उसने अपना पैर हटाना बन्द कर दिया। अब तक अंधेरा हो चुका था और टेबल पर लाईट जला होने से नीचे अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.. तो मैं अपने पैरों से उसके पैरों को प्रत्यक्ष रूप से सहलाने लगा।
जब उसकी कोई भी आपत्ति नहीं हुई.. तो ऐसे ही कुछ देर करने के बाद मैंने अपने पैरों को उसकी जांघ पर दोनों पैरों के बीच रख दिया और पैर की उंगलियों से हल्के-हल्के सहलाने लगा.. इससे रीता पूरी तरह गर्म हो गई और कुर्सी पर आगे की ओर सरक आई।
अब मैंने अपने पैर के अंगूठे को उसकी चूत तक पहुँचा दिया और अंगूठे से ही उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। अब उसकी आवाज भी भारी होने लगी और उसने अपनी कमर को लोच देते हुए चूत को खुद ही उठा कर मेरे अंगूठे पर रगड़ना शुरू कर दिया। अब मैं भी थोड़ा और दबाव देकर अपने पैर के अंगूठे से ही उसकी चूत को रगड़ने लगा।
इसी प्रकार कुछ देर करने के बाद उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और तब उसने पीछे सरक कर धीरे से मेरा पैर सरका दिया और मैंने इशारा समझ कर अपना पैर वापस खींच लिया।
तब तक मेरे जाने का समय हो गया, मैं वहाँ से अपने घर चला आया।
अगले दिन से यह क्रिया 2 या 3 दिनों तक जारी रही। अब रीता की चूत चोदने का समय आ चुका था। इस काम को अंजाम देने में मुझे कोई दिक्कत नहीं आने वाली थी.. क्योंकि मुख्य कार्य तो चूत और चुदने वाली को राजी करना ही था.. जोकि मैं कर चुका था।
मैंने उसे अपनी कामकला से परिचित कराते हुए एक दिवस अपने घर पर बुला लिया। फिर एक लड़की को किस तरह से संतुष्ट किया जा सकता है.. वो तो आप सभी जानते ही हैं।
सम्भोग की कई कहानियाँ आपको अन्तर्वासना पर पढ़ने को मिल जाएंगी। जिसमें अन्तर्वासना के गुरू घण्टाल नामक कैटेगरी पर क्लिक करते ही आपको मेरे जैसे कई पात्र कामरस से भिगोने को तैयार मिल जाएँगे..
कृपया कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दीजिएगा। [email protected]
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