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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्ते.. मेरा नाम सुखमदीप सिंह है। मेरे परिवार में मेरे पापा बलदेव सिंह (52), माँ परमजीत कौर (48), भाई अमनदीप सिंह (25), बहन हरमनप्रीत (27) शादीशुदा, मेरी पत्नी(भाभी 25+) और मैं सुखमदीप सिंह (23) का हूँ। हमारे घर में सभी गोरे रंग के हैं.. एक मैं ही थोड़ा साँवला हूँ। मैं बी.टेक. का स्टूडेंट हूँ मेरा अभी 5 वां सेमस्टर चल रहा है।
हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मैं आपको बता दूँ कि हमारे गाँव में हमारी 30 एकड़ जमीन है.. जो ऐशो आराम से जीने के लिए बहुत होती है।
बात आज से डेढ़ साल पहले की है.. मेरी बहन की शादी को एक साल हो गया था और भाई की शादी को 2 महीने हुए थे। मैं अपनी भाभी को पहले दिन से ही पसंद करता था, वो बहुत सुन्दर और समझदार हैं। वो मेरे से खूब मजाक करती थीं और मैं भी उनसे मजाक करता रहता था।
पर शादी के कुछ दिन बाद ही वो उदास रहने लगी। एक दिन उनको मायके जाना था और मैं उनको छोड़ने जा रहा था क्योंकि मेरा भाई किसी काम से बाहर गया हुआ था। जाने से पहले माँ और भाभी ने कुछ बात की और फिर भाभी ने मुझे छोड़ आने को कहा.. माँ ने भी मुझे ध्यान से जाने को बोला। मैं और भाभी घर से निकल गए, तकरीबन 12 बजे हम वहाँ पहुँचे और लंच करके मैं वापिस आ गया।
अगले दिन सुबह 11 बजे भाभी का फोन आया और बड़े प्यार से ‘गुड मॉर्निंग’ कहा। भाभी- गुड मॉर्निंग जी.. मैं- सेम टू यू जी.. आज सवेरे-सवेरे कैसे याद किया जी.. भाभी- बस वैसे ही.. टाइम पास नहीं हो रहा था.. सोचा तुमसे बात कर लूँ..
मैं- ये तो अच्छा किया.. और बताओ क्या कर रही हो आप? भाभी- कुछ नहीं.. बस तुम्हारी ही याद आ रही थी। मैं- अच्छा जी.. बस रहने भी दो.. अब इतना भी क्या खास है मुझमें.. जो मेरी याद आ रही है। भाभी- तुम बहुत अच्छे हो न.. इसलिए.. मैं- रहने भी दो अब.. भाभी- मैं मजाक नहीं कर रही बाबा.. आई लाइक यू रियली… मैं- ओ.. बस करो अब..
भाभी- तुम्हें अभी भी मजाक लग रहा है.. चलो ये बताओ.. मैं तुम्हें कितनी अच्छी लगती हूँ? मैं- बहुत.. भाभी- कितनी? मैं- बहुत बहुत.. भाभी- मुझसे प्यार करते हो? मैं- उउउममम.. पता नहीं.. भाभी- तेरी बातों से लग रहा है.. मैं- क्या? भाभी- हाँ.. मैं- क्या हाँ? भाभी- हाँ और क्या? मैं- मतलब? भाभी- तुम पागल हो.. अब ये भी मुझे कहना पड़ेगा। मैं- क्या?
भाभी- पागल लड़के.. तुम भी ना.. चलो किसी को बताना मत.. मैं- ओके जी.. भाभी- ओके.. मैं- क्या? भाभी- डर लग रहा है.. ओके आई लव यू स्वीटू.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं एकदम हिल सा गया। कुछ देर बाद.. मैंने जुबान हिलाई। ‘ओके.. आप मजाक तो नहीं कर रहीं न?’ भाभी थोड़ी उदास हो कर बोलीं- तुम्हें बुरा लगा तो सॉरी.. मैंने मौके की नजाकत को सम्भालते हुए कहा- दिल छोटा न करो.. आई लव यू.. ओके लेकिन किसी को बताना मत.. भाभी- तुम भी.. मैं- ठीक है। भाभी- खाना खाया? मैं- हाँ.. अब तो फ्री हूँ..
भाभी- ओके.. अकेले-अकेले ही खा लिया.. कोई बात नहीं.. मैं नहा कर फिर बात करती हूँ.. ठीक है.. मैं- जल्दी करना.. भाभी- ओके.. बाय बाबू.. आई लव यू.. मैं- बाय.. जल्दी.. ओके.. भाभी- हाँ बाबा.. जल्दी करूँगी.. मेरे सोहणे.. मैं- ओके.. लव यू..
फोन कटने के बाद मेरी खुशी का ठिकाना ही ना रहा, मैं फिर फोन का इतंजार करने लगा, एक घन्टे बाद भाभी का फोन आया। भाभी- हैलो स्वीटू.. बेबी.. मेरा सोहना बाबू क्या कल रहा है? मैं- बस आपको याद कर रहा हूँ। भाभी- इतना भी याद मत किया कर.. मुझे.. मैं- क्यों भाभी? भाभी- आगे से मुझे भाभी मत बोलना ओके.. मैं- सॉरी अनु बेबी.. भाभी- बड़ी जल्दी लाइन पर आ गए आप तो?
फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे। लगभग 2-3 घन्टे बातें करने के बाद भाभी ने रात को बात करने को बोला। पहले तो मैं नानुकर करने लगा.. फिर मैंने उनकी बात मान ली। मैं- रात को कब बात करोगी आप? भाभी- जब टाइम मिलेगा.. ओके बाय बाबू लव यू उम्माह.. उन्होंने मुझे किस्सी दी। मैं- बाय उम्माह..
मैंने भी किस्सी का जबाव किस्सी से ही दे दिया।
फिर माँ ने मुझे आवाज दी। मैं माँ के पास नीचे गया। माँ- तेरे भाई को आने में 2-3 दिन लग जाएंगे.. तू कल शाम को अपनी भाभी के मायके जाना और एक रात वहाँ रह कर अगले दिन अनु को अपने साथ वापिस चले आना। मैं- ओके मम्मी.. मैं अन्दर ही अन्दर खुश होने लगा।
अब रात को भाभी के फोन का इतंजार करने लगा। रात 8 बजे के करीब उनका फोन आया। भाभी- डिनर कर लिया बाबू? मैं- हाँ जी.. आपने? भाभी- मैंने भी कर लिया। फिर मैंने उन्हें बताया कि मैं कल आपको लेने आ रहा हूँ, रात रह कर अगले दिन आपके साथ वापिस आ जाऊँगा। वो ये बात सुन कर खुश हो गईं।
भाभी- मम्मी आने वाली हैं अब हम सुबह बात करेंगे.. ओके ज्यादा जिद न करना अब.. ठीक है? मैं- ओके बाय लड्डू.. लव यू.. भाभी- बाय लव यू टू..
फोन कटने के बाद मैं सोने की कोशिश करने लगा.. लेकिन नींद नहीं आ रही थी। फिर न जाने मेरी कब आँख लग गई।
अगले दिन सुबह 7 बजे फोन बजने लगा.. मैंने नींद में फोन उठाया। मैं- हैलो जी.. भाभी- गुड मॉर्निंग जी.. मैं- गुड मॉर्निंग बाबू.. भाभी- अभी तक मेला शोना बाबू सो रहा है.. चलो जल्दी से नहा कर कॉलेज जाओ.. ओके.. मैं- मैं आज कॉलेज नहीं जाऊँगा। भाभी- मैंने कहा ना.. पहले कॉलेज फिर बाद में मुझे लेने आना.. ओके.. मैं फोन काट रही हूँ.. बाय उम्माह्ह.. मैं- बाय.. उम्माह..
फिर मैं नहा कर कॉलेज गया। बड़ी मुश्किल से टाइम पास किया और घर आ गया। अब मैं तैयार हो कर भाभी को लेने चला गया। तकरीबन आधे घन्टे बाद यानि 5:35 मैं वहाँ जा पहुँचा, सब मुझे देख कर बहुत खुश थे, उनके परिवार में उनके पिता का देहांत भाभी की शादी से पहले ही हो चुका था। अब उनके परिवार में उनकी माँ.. दो भाई उनकी पत्नियां और बड़े भाई की एक लड़की और एक लड़का था।
चाय पीने के बाद हम उनके खेत पर टाइमपास के लिए चले गए। शाम 7 बजे हम वापिस आए। रात को डिनर किया और सब सोने लिए चले गए।
मैं भाभी और उनकी माँ एक ही कमरे में थे। बिस्तर पर दीवार के कोने वाली तरफ उनकी माँ और भाभी मेरी चारपाई की ओर सोने लगीं।
मित्रों.. आगे क्या हुआ.. क्या भाभी से मेरी चुदाई हुई? कहानी में एक बड़ा ही दिल जीतने वाला ट्विस्ट है.. मेरे साथ बने रहिए.. मुझसे अपने कमेन्ट जरूर शेयर कीजिएगा। मुझे आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है.. [email protected]
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