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अब तक आपने पढ़ा.. मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम ले कर आईं और बोलीं- लो खा लो।
मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं। हम दोनों टीवी देखने लगे। सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ। अब आगे..
इसी तरह एक घंटा निकल गया और मेरा लंड बुरी तरह तन गया था। इसलिए मैं उठा और अपना लंड छुपाते हुआ बोला- मुझे नींद आ रही.. मैं सोने जा रहा हूँ। उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैं तेज़ी से अपने कमरे में आ गया। उनके नाम की मुठ्ठ मारी और सो गया।
मुझे एग्जाम के दिनों में सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने की आदत है.. इसलिए मैं 3:30 पर उठा और चाय बनाने के लिए रसोई में गया। बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और जब मैं चाय बना रहा था.. तभी सुमन चाची आईं और बोलीं- राजवीर थोड़ी चाय मुझे भी दे देना.. मेरा सर भारी हो रहा है.. इसलिए नींद नहीं आ रही है। मैंने कहा- ठीक है।
फिर चाय बनाने के बाद एक कप चाय उनको देने के लिए उनके कमरे में गया तो देखा कि चाची बिस्तर पर लेटी हुई हैं और दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे हैं। मैंने आवाज़ लगाई- चाची.. चाय ले लो.. वो उठ कर बैठ गईं और चाय लेकर बोलीं- राजवीर कुछ देर यहीं बैठ जाओ.. मुझे नींद नहीं आ रही है। मैंने कहा- ठीक है.. मैं यहीं अपनी किताब ले आता हूँ।
मैं किताब लेकर आ गया और वहीं चाची के बिस्तर पर पैरों की तरफ बैठ गया.. चाची चाय पीकर लेट गईं और बोलीं- हल्की ठंड है.. तुम चादर ओढ़ लो.. उनके ऐसा कहने पर मैंने चाची के पैरों की तरफ़ पैर अन्दर करके चादर ओढ़ ली। चाची आँखें बंद करके लेटी हुई थीं और उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे।
कुछ देर तक तो सब ठीक था.. पर फिर मुझे लगा कि सुमन चाची अपने पैरों से मेरे पैर को रगड़ रही हैं। मैंने सोचा कि शायद ये मेरा वहम है और मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
लेकिन कुछ देर बाद ही चाची की पैर मेरे लंड तक पहुँच गए और उसे हिलाने लगीं। मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था.. मैंने नज़र उठा कर चाची को देखा तो अदखुली आँखों से मेरी तरफ़ देख रही थीं.. आज उनकी आँखों में अजीब सी चुदास की खुमारी छाई हुई दिख रही थी। मैंने फिर से आँखें नीचे कर लीं।
अब चाची मेरे लंड को अपने पैरों से पकड़ कर मेरे लोवर के बाहर से ही ऊपर-नीचे करने लगी थीं और मुझे भी अब मज़ा आने लगा था। कुछ देर ऐसे ही होता रहा.. मैंने फिर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ आने का इशारा किया।
मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि शायद आज चाची की चूत चोदने को मिल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से उठा और उनके सिरहाने की तरफ़ जा कर बैठ गया। अब वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी थीं। फिर मैंने भी थोड़ी हिम्मत करते हुए अपने होंठ चाची के गुलाबी होंठों पर रख दिए। मेरे ऐसा करते ही चाची तेज़ी से मेरा निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैंने भी अब उनका साथ देना शुरू कर दिया और धीरे से उनके बगल में लेट गया।
हाय क्या नरम और सेक्सी होंठ थे उनके.. मन कर रहा था कि इन्हें चूसता ही रहूँ। धीरे-धीरे मैंने अपने हाथों को चाची की कसी हुए छाती पर फिराना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करने से वो और ज़्यादा गर्म होने लगीं और मेरे होंठों को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
हम दोनों ही पर अब उत्तेजना और मस्ती छाने लगी थी। हम दोनों ही एक हो जाने के लिए आपस में एक-दूसरे से चिपटने लगे थे। हमें यh भी ध्यान नहीं रहा कि पास में ही दोनों बच्चे सो रहे हैं।
अचानक उनकी बेटी को खाँसी आई और हम दोनों झटके से एक-दूसरे से अलग हुए.. पर शुक्र था कि उनकी बेटी अभी भी नींद में ही थी और उठी नहीं। दोनों बच्चों को अच्छे से सुलाने के बाद चाची बोलीं- चलो.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं। लगता था कि आज चाची भी चुदने के मूड में थीं। मैंने बोला- ठीक है।
फिर मैंने वो किया.. जिसकी उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मैंने उन्हें गोद में उठाया और मेरे ऐसा करते ही वो मुस्करा कर मेरे गले से लग गईं। इसके बाद मैंने उनके कमरे का दरवाजा हल्के से बंद किया और उन्हें अपने कमरे में ले आया।
मेरे कमरे में ज़्यादा सामान नहीं था.. सिर्फ़ एक स्टडी टेबल और एक सिंगल बिस्तर था। मैंने सुमन चाची को उसी बिस्तर पर हल्के से लिटा दिया और मैं भी उनके बगल में लेट कर उनके होंठ चूसने लगा। हम दोनों 10 मिनट से एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.. पर कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। लगता था.. चाची कई दिनों की प्यासी थीं। इसी बीच में मैंने धीरे से उनके कमीज के अन्दर हाथ डाल दिया। चाची ने आज ब्रा नहीं पहनी थी.. इसलिए सीधे ही उनकी सख्त चूचियां मेरे हाथों में आ गईं और मैं उन्हें धीरे से.. प्यार से सहलाने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे की तरफ़ मुँह करके लेटे हुए थे.. इसलिए उनकी चूचियों पर हाथ फिराने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी। चाची मेरी इस तकलीफ़ को समझ गईं और मेरे होंठ छोड़ कर बैठ गईं और बोलीं- ये कपड़े अपने मिलन में अड़चन डाल रहे हैं.. इसलिए इन्हें उतार देते हैं।
ऐसा कहते ही उन्होंने अपना सलवार सूट उतार दिया.. अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मैं तो उनको यूँ नंगा देख कर अपने होश ही खो बैठा।
क्या जिस्म पाया था उन्होंने… दोस्तों, एकदम साँचे में ढला हुआ… भरी हुई मस्त एकदम दूध जैसी सफेद चूचियाँ और उन पर छोटे गुलाबी निप्पल.. नाज़ुक पतली कमर.. गोरा चिकना पेट.. हाँ.. उस पर थोड़े निशान थे जो बच्चे पैदा होने के कारण बन गए थे।
उनके चिकने पेट पर गहरी नाभि को देख कर किसी का भी दिल मचल जाए.. भारी मस्त चूतड़ किसी भी लंड का पानी निकलवा दें। मैं उनको ऐसे देख ही रहा था कि चाची बोलीं- सिर्फ़ देखोगे ही.. या कुछ आगे भी करोगे? मैं होश में आया और बोला- चाची आप हो ही इतनी मस्त कि आपके बदन से नज़र ही नहीं हट रही है।
वो हंस दीं और बोलीं- मुझे तो नंगा देख लिया.. अब अपना ‘सामान’ भी तो दिखाओ.. एक बात और.. आज रात तुम मुझे चाची नहीं.. सिर्फ़ सुमन कहोगे.. और अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आख़िर मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।
मैंने भी उनकी आज्ञा का पालन किया और फिर अपना लोवर व टी-शर्ट उतार दी। मैंने तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था तो मुझे नंगा देख कर वो हँसते हुए बोलीं- तुम तो जवान हो गए हो.. तुम्हारा लंड भी जबरदस्त लग रहा है। तुम्हारे चाचा जी का लंड भी इतना ही लंबा है.. बस तुमसे जरा पतला है।
अब वो पूरी तरह खुल चुकी थीं और पूरी मस्ती में बातें कर रही थीं। वो बोलीं- अब तक कितनी लड़कियों को चोद चुके हो? मैंने शरमाते हुए कहा- चाची मैंने आज तक कभी किसी को नहीं चोदा.. बस कभी-कभी मुठ्ठ मार लेता हूँ। वो खुश होते हुए बोलीं- ओह.. अगर ये सच है.. तो आज इसका उद्घाटन मुझे ही करना होगा और तुम्हें सीखना भी होगा कि चोदते कैसे हैं।
हालाँकि मुझे चुदाई का ज्ञान पहले से ही है.. पर किसी को अभी तक चोदा नहीं था.. इसलिए मैंने भी अंजान बनते हुए कहा- चाची मैं तो अनाड़ी हूँ.. आज रात आप जो सिखाना चाहें.. सिखा सकती हैं। वो बोलीं- ठीक है.. पर तुम मुझे चाची कहना बंद करो और मेरा नाम लेकर बुलाओ। मैंने कहा- ठीक है.. अब नहीं कहूँगा। वो बोलीं- अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ..
उनके कहने पर मैं बिस्तर पर लेट गया। इसके बाद आगे की कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली.. धीरे से मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे मुँह में ले कर चूसने लगीं।
मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया.. और आनन्द से मेरी आँखें बंद होने लगीं। उन्हें लंड चूसते हुए अभी 7-8 मिनट ही हुए थे कि मेरे लंड से माल की कई पिचकारियाँ उनके मुँह में छूट गईं। क्या करता.. एक तो पहली बार एक औरत मेरा लंड चूस रही थी और दूसरा उनकी गुनगुनी गर्म जीभ का स्पर्श.. मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ।
उनका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया.. वो भी मज़े से मेरा सारा वीर्य पी गईं। वीर्य पीने के बाद भी वो लंड को लगातार चूस रही थीं। मेरे लंड में फिर से हल्की-हल्की गुदगुदी होने लगी। कुछ ही देर और लंड चूसने के बाद वो बोलीं- चलो अब तुम ऊपर आकर मेरी इन चूचियों को प्यार से चूसो। मुझे तो मेरी मन मांगी मुराद मिल गई.. मैं धीरे से उनके ऊपर आया और उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया। मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।
मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ? वो मेरी तरफ हैरत से देखने लगीं.. और फिर..
दोस्तो, चाची से जब मैंने उनकी चूत चाटने के लिए कहा तो उनका क्या जबाव था.. क्या वास्तव में आज मेरा सपना पूरा हो जाने वाला था..
मेरे साथ बने रहिए, कहानी जारी है। [email protected]
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