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इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे आंटी ने मुझे अपना जिस्म दिखाकर अपनी चूत चुदाई के लिए तैयार किया. फिर कैसे मैंने आंटी को चोदा.
इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग चाची की बहन की गर्म नंगी चूत
मैंने आँटी के शरीर के हर अंग की तारीफ की. उनकी खड़ी सॉलिड चुचियों की, उनके गोल गोरे चूतड़ों की, उनकी गुदाज बगलों की, उनकी नशीली आंखों की, उनकी गर्दन, उनकी गांड और चूत की तारीफ की. मैं उनके शरीर के हर अंग को बेड पर बैठ कर चूमता रहा.
अब आगे इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी:
आँटी के हाथ पांव बहुत ही सुंदर और कोमल थे. उनके पांव की पिंडलियाँ मोटी, गोरी और गुदाज़ थीं.
तब आँटी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैं आँटी के पेट के ऊपर से होता हुआ उन पर झुक गया. आँटी कहने लगी- राज आओ, अपना लण्ड मेरी सुलगती भट्टी में डाल दो और इसकी गर्मी शांत कर दो.
मैंने आँटी को सेक्स के लिए तड़पते हुए देखा. मैं थोड़ा पीछे हटा और उनकी टांगों के बीच में बैठ गया. मैंने आँटी के घुटनों को थोड़ा मोड़ दिया और कामरस से चिकनी हुई चूत के छेद के ऊपर अपने मोटे लंड का सुपारा रख कर अपनी पीठ को नीचे धकेलते हुए लंड को चूत के अंदर डालना शुरू किया.
आँटी ने अपनी आंखें बंद कर ली थी. प्यासी चूत अंदर से चिकनी होने के कारण मेरे लंड के सुपाड़े को जल्दी ही अन्दर निगल गई.
मैंने आँटी की चूत को थोड़ा हाथों से और चौड़ा किया और आँटी के पांव को फैलाते हुए चूत में एक झटका दिया जिससे आधे से भी ज्यादा लंड अंदर बैठ गया.
आँटी ने आनन्द से सीत्कार भरकर अपनी आंखें बंद कर ली और अपना नीचे वाला होंठ दाँतों से दबा लिया.
लण्ड अन्दर डालकर मैंने अपनी हरकत रोक दी तो आँटी बोली- ओह … करो … जोर जोर से करो! मैंने चुदाई शुरू की आँटी- हाँ मेरे राजा, चोदो जोर जोर से … फाड़ दो मेरी फुद्दी को! बहुत दिनों से प्यासी थी … आह … मेरे राजा … आज तो मुझे खजाना मिल गया है … करो … जोर लगाओ!
मुझे अपने लण्ड के ऊपर चूत की गर्मी का इतना अहसास हो रहा था कि लण्ड पर पूरी सेक लग रही थी.
कुछ ही झटकों के बाद आंटी ने मुझे जोर से अपनी छाती से भींच लिया और अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर के इर्द गिर्द कस लिया. आंटी खलास हो गई थी उन्होंने मुझे कुछ देर जकड़े रखने के बाद एक लंबी सांस लेते हुए अपनी टांगें मेरी कमर से खोल दी और बोली- राज! बहुत दिनों बाद, मुझे बहुत मज़ा आया और मैं जल्दी ही खल्लास हो गई.
आँटी उठकर बाथरूम चली गई.
वापिस आई तो मैं खड़ा हो गया और मैंने आँटी को खड़े-खड़े ही अपनी बांहों में ले लिया. फिर उनकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके उनकी चूत के ऊपर अपने सुलगते लंड के सुपारे को रखा और इसी पोजीशन में उनके उभरे हुए गोल और चिकने चूतड़ों को अपने हाथों से दबाता रहा.
आँटी दोबारा गर्म हो गई.
मैं बेड के साथ पड़े स्टूल पर बैठ गया और आँटी को लंड के ऊपर बैठने के लिए कहा. आँटी ने अपनी दोनों टांगें चौड़ी की और मेरी तरफ मुंह करके मेरे खड़े लंड को अपनी चूत पर सेट करके मेरी गोदी में बैठ गई और पूरा लंड अपनी चूत में गच्च से लील गई.
उनकी सुन्दर, मोटी, गोरी जांघें और पट मेरी दोनों टांगों पर टिक गए.
मैंने आंटी को उनकी गुदाज़ कमर से पकड़ लिया, आँटी ऊपर नीचे होने लगी. मैं भी उन्हें जोर जोर से ऊपर नीचे होने में अपने हाथों से जोर लगाता रहा.
दो मिनट बाद ही मेरी उत्तेजना बढ़ गई. स्टूल बेड के साथ ही था. मैंने आँटी को लण्ड डाले डाले बेड पर लिटा लिया. अब आँटी की आधी कमर बेड पर थी और चूतड़ स्टूल पर ही रहे. मैं खड़ा हो गया और मैंने आँटी की टांगों को अपने कंधे पर चढ़ा लिया.
आँटी की गोरी गाँड और फूली हुई रस से भरी चूत अब मेरे लण्ड के सामने थी.
मैंने चूत में लण्ड डाला और आँटी को चोदना शुरू किया.
अपने दोनों हाथों से मैंने आँटी की चुचियों को पकड़ा उन्हें जोर जोर से मसलते हुए धक्के लगाने शुरू किए. हर धक्के पर स्टूल और बेड चरमराते हुए आवाज करने लगे.
जैसे ही मैं लण्ड को अंदर डालने के लिए जोर की ठोक लगाता, आँटी ऊपर खिसक जाती.
मेरी जांघों की थाप आँटी के गोरे चूतड़ों पर ठप ठप बज रही थी. हम दोनों का सारा शरीर पसीना पसीना हो गया.
आँटी चुदते हुए तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी. आँटी बार बार कह रही थी … आह … करो … चोदो … हाय..रे … फाड़ दो मेरी चूत को … आह … जोर से!
चुदाई अपनी चरमसीमा पर थी. मैं आँटी को चोदने के लिए अपने चूतड़ों को जोर जोर से आगे पीछे कर के लण्ड चला रहा था. आँटी के दोनों चूचे मेरे दबाने और रगड़ने से बिल्कुल लाल हो गए थे.
कुछ ही पलों में मैं और आँटी एक साथ झड़ने लगे. मेरा गर्म लावा आँटी की चूत की गहराई में भरने लगा, हम दोनों ने अपना अपना जोर लगा कर एक दूसरे के अन्दर समा जाने की कोशिश की और कुछ ही पलों में हम दोनों शान्त हो गए.
मैंने आँटी की चुचियाँ छोड़ दीं, लण्ड को चूत से बाहर निकाला, आँटी की टांगों को धीरे धीरे चौड़ा करते हुए नीचे उतारा.
लण्ड बाहर आते ही आँटी की चूत से गर्म लावा बहते हुए उनकी गोरी गाँड के छेद से होते हुए स्टूल पर टपकने लगा.
आँटी धीरे से सरककर ऊपर बेड पर हो गई और आंखें बंद करके लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
कुछ देर बाद आँटी ने आंखें खोली और मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया. उन्होंने अपने दोनों हाथ मुझे पकड़ने के लिए ऊपर किये.
जैसे ही मैं आँटी के करीब आकर उनके ऊपर झुका, आँटी ने मेरी गर्दन पर अपने हाथ डालकर अपने ऊपर खींच लिया और मेरे गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी. आँटी पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.
वे बोली- राज! मुझे पक्का विश्वास है कि तुम इस काम में पक्के ट्रेंड हो, मुझे बताओ कौन है वो जिसने इतनी सी उम्र में तुम्हें इतना अच्छा चोदना सिखाया है? मैं चुप रहा.
आँटी- ठीक है, मत बताओ, मैं तुम्हारी चाची रश्मि से अपने आप पूछ लूँगी.
उसके बाद कुछ दिन तक तक मेरा और आंटी का मेल नहीं हुआ. आंटी के घर कुछ गेस्ट आ गए थे और मैं भी अपनी पढ़ाई में बिजी हो गया था. गेस्ट चार दिन रुक कर चले गये.
एक रोज रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, मुझे बुरी तरह से चूत की तलब लगी थी और लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था. उस रात लाइट भी बार बार आ जा रही थी.
मैं सरिता आँटी के साथ हुई चुदाई की यादों में खोया हुआ था. मैंने उस वक्त हाथ से काम चलाने की सोची.
तभी रात 11.00 बजे मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई.
मैंने दरवाजा खोला तो बाहर हाथों में एक गद्दा और दोनों बच्चों को लिए सरिता आँटी दरवाजे पर खड़ी थी. मैं अचम्भित रह गया.
मैंने आँटी से पूछा- इस वक्त यहाँ कैसे? आँटी बोली- अंदर आने दो, बताती हूँ.
वे अंन्दर आ गई और बाहर जाकर छत पर जमीन पर गद्दा बिछा कर बच्चों को सुलाने लगी. थोड़ी ही देर में बच्चे सो गए.
मैं बाहर गया और पूछा- अंकल कहाँ हैं? तो वे बोली- वे नीचे ही सो रहे हैं. तुम कमरा अंदर से बंद कर लो.
मैंने कमरा अंदर से बंद कर लिया. कुछ देर इन्तजार करने के बाद मैं फिर बाहर गया और आँटी को पूछा- आँटी क्या यहीं सोना है? आँटी बोली- अंदर चलो, वहीं आ रही हूँ।
अंदर आने के बाद आँटी बोली- बार बार लाइट आ जा रही थी, मैंने ऊपर आने की एक चाल चली. मैंने परेशान होकर तुम्हारे अंकल से कहा कि यदि ऊपर वाला कमरा किराये पर न दिया होता तो मैं बच्चों के साथ ऊपर छत पर सो जाती. तो वे बोले कि फिर क्या हुआ, राज तो अपना ही बच्चा है, जाओ और ऊपर छत पर सो जाओ. आँटी बोली- मेरा तीर सही लगा और मैं फटा फट ऊपर आ गई.
मैंने आँटी से पूछा- अंकल ऊपर आ गए तो? आँटी बोली- अरे वो क्या आएगा? साला खुद बोला कि बाहर से ताला लगा कर जाना ताकि आओ तो मेरी नींद ख़राब न हो.
मैंने आँटी को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उन्हें बेहताशा किस करने लगा. आँटी ने एक लूज़ सा पायजामा और खुला सा टॉप पहन रखा था.
मैंने आँटी को बताया कि मेरी तो रात कटनी मुश्किल हो गई थी. आँटी ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा और बोली- उस दिन तुम्हारे साथ चुदाई करने के बाद एक रात तो मैं आराम से सोई हूँ, उसके बाद तो हर रात करवटें ही बदलती रही हूँ. मुझे तो नींद ही आनी बंद हो गई है. आज बड़ी मुश्किल से लाइट का बहाना बनाया है.
आँटी को मैंने पीछे से अपने आगोश में लिया और दोनों चूचियों को हाथों से मसलने लगा. मैंने आँटी से पूछा- अंकल को शक तो नहीं होगा? आँटी कहने लगी- तुम उसकी चिंता मत करो और आज की रात को रंगीन बनाओ.
मैंने आँटी के लोअर को निकाल दिया.
आँटी अपनी सुंदर गांड मटकाती हुई केवल टॉप में ही बाथरूम चली गई.
जब आँटी आई तो मैं भी पूरा नंगा हो चुका था, मेरा लण्ड तो शाम से ही खड़ा था. आँटी भाग कर मुझसे लिपट गई.
मैंने खड़े खड़े आँटी की चूत में लण्ड सेट कर दिया. आँटी से मैंने कहा कि इतना दिल कर रहा था तो अंकल के साथ कर लेती. आँटी बोली- राज, चुदाई का मजा तभी आता है जब लण्ड औरत की पसन्द का हो.
मैंने आँटी का टॉप भी निकाल दिया. आँटी मादरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी.
मैं आँटी को ले कर बेड पर लेट गया. आँटी मेरे ऊपर लेट गई. मैं प्यार से आँटी के गुदाज़ मखमली शरीर पर हाथ फिराता रहा. आँटी भी मुझे चूमने लगी.
आँटी की नंगी चूचियाँ मेरी छाती में गड़ी हुई थीं. उनका गोरा गुदाज पेट मेरे पेट पर था और आँटी ने अपनी दोनों टांगें मेरी दोनों टांगों के बाहर से की हुई थी.
अब आँटी की चूत मेरे लण्ड पर टिकी हुई थी. मैं आँटी के चिकने चूतड़ों पर हाथ फिरा रहा था.
मैंने धीरे से अपने लण्ड को आँटी के चूतड़ों के पीछे निकाल कर गहरी खाई के बीच में लगा लिया. आँटी धीरे धीरे मुझे जगह जगह से चूम रही थी.
मैंने आँटी का एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद आँटी ने दूसरा मम्मा मेरे मुंह में दे दिया. मैं बारी बारी से उनकी चूचियों को चूसता रहा.
आँटी ने थोड़ा ऊपर उठ कर लण्ड को चूत में सेट कर लिया. लण्ड एकदम से चिकनी चूत में घप से बैठ गया.
मैंने आँटी के एक मम्मे को ज़ोर से काट लिया. आँटी के मुंह से.. सी … की आवाज निकली और उन्होंने तुरंत दूसरा भी वैसे ही करने को आगे कर दिया.
फिर तो मैंने आँटी के मम्मों को जगह जगह से चूस और काट कर लाल नीला बना दिया. आँटी ने भी बहुत जोर से मेरे होंठों को काट लिया.
मैंने आँटी का गाल बहुत जोर से चूसा और उनके नीचे वाले होंठ को बहुत देर तक चूस कर पूरा मोटा कर दिया.
आँटी धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर उठा कर लण्ड को अंदर बाहर कर रही थी. अचानक आँटी मेरे ऊपर से उतरी और 69 की पोजीशन में आ गई और मेरे लण्ड को अंदर तक मुंह में डालकर चूसने लगी.
आँटी की चूत मेरे मुंह के ऊपर टिकी थी. मैंने भी अपना पूरा मुंह खोल कर पूरी सपाट गोरी फूली हुई चूत को अपने मुंह में भरने की कोशिश की.
पूरी चूत को चूस कर मैंने चूत के एक बाहरी भगोष्ठ को चूसना शुरू किया. अचानक मैंने आँटी की चूत के क्लीटोरियस को अपने होंठों में दबाया और चूसने लगा.
आँटी एकदम लण्ड छोड़कर चूत को मेरे मुंह पर रखकर बैठ गई और चूत को मेरे मुंह पर रगड़ते हुए एक बार खलास हो गई. मेरे मुंह में नमकीन पानी सा आ गया.
आँटी मेरी साइड में लेट गई. मैंने अपनी एक टांग को आँटी की जांघों पर रखा और एक हाथ से उनके गुदाज़ शरीर को सहलाने लगा.
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इंडियन आंटी सेक्स स्टोरी का अगला भाग: कोटा में कोचिंग और चुदाई साथ साथ- 4
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