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हॉट अंटी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि आंटी को मुझसे चुदाई का चस्का लग गया था. वो सेक्स करने के लिए मौक़ा खोजती रही थी. मैं भी खूब मजा कर रहा था.
हॉट अंटी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग नंगी आंटी को चुदाई का भरपूर मजा दिया में आपने पढ़ा कि
आँटी 69 की पोजीशन में आ गई और मेरे लण्ड को चूसने लगी.
मैंने भी अपना पूरा मुंह खोल कर पूरी सपाट गोरी फूली हुई चूत को अपने मुंह में भरने की कोशिश की.
अचानक मैंने आँटी की चूत के क्लीटोरियस को अपने होंठों में दबाया और चूसने लगा.
आँटी एकदम लण्ड छोड़कर चूत को मेरे मुंह पर रखकर बैठ गई और चूत को मेरे मुंह पर रगड़ते हुए एक बार खलास हो गई. मेरे मुंह में नमकीन पानी सा आ गया.
आँटी मेरी साइड में लेट गई.
अब आगे हॉट अंटी सेक्स स्टोरी:
आँटी अपने एक हाथ से मेरे मोटे लण्ड को सहलाती रही. करीब 10 मिनट के बाद आँटी बोली- अब मेरे ऊपर चढ़ जाओ!
मैं आँटी के ऊपर चढ़ गया. आँटी ने लण्ड को हाथ से पकड़ कर चूत पर रखा और बोली- करो.
मैंने आँटी की टांगों को चौड़ा करके थोड़ा मोड़ा और लण्ड को अंदर डाल दिया. आँटी बोली- अब लाइट बंद कर दो और खिड़की का पर्दा हटा दो.
मैंने पास लगे स्विच से लाइट ऑफ़ कर दी. कमरे में खिड़की से बाहर की स्ट्रीट लाइट से थोड़ी रोशनी आने लगी जिससे हम एक दूसरे को साफ़ देख पा रहे थे.
आँटी बोली- अब बिल्कुल धीरे धीरे अपने इस मोटे और लंबे लण्ड से मुझे चोदो.
मैं आँटी के ऊपर लेट गया और धीरे धीरे अपने चूतड़ उठा कर लण्ड अंदर बाहर करने लगा.
लण्ड जैसे ही चूत की गर्म दीवारों को फैलाते हुए अंदर जाता तो सारे शरीर में गनगनाहट सी होती थी. जैसे ही लण्ड अंतिम छोर तक जाता तो चूत और लण्ड के झांटों वाली जगह आपस में चिपक जाती थी जो अति आनंद देता था.
आँटी मजे से मेरे होंठ और गालों को चूसती और काटती रही. मैं और आँटी धीरे धीरे प्यार की बातें करते रहे.
मैंने आँटी से पूछा- आँटी आपको सेक्स करने का कौन सा तरीका अच्छा लगता है? आँटी बोली- कई बार तो दिल करता है कोई मुझे ऐसे ही प्यार से चोदता रहे जैसे तुम अब चोद रहे हो.
फिर वो बोली- और कई बार दिल करता है कोई मेरे मन पसंद का आदमी मेरे घर पर आये और मुझे जबरदस्ती पकड़ कर नीचे गिरा कर जोर जोर से जबरदस्ती चोद दे, चाहे मेरा रे/प ही कर दे, परन्तु मेरी आग को शांत कर दे.
आँटी कहने लगी- एक बार पूरा लण्ड अन्दर डालकर रुक जाना. मैं लण्ड को चूत में पूरा अंदर ठोक कर रुक गया.
अंदर से आँटी ने अपनी चूत को इस तरह से भींचा कि मुझे लण्ड पर बहुत कसाव महसूस हुआ जिससे बहुत ही मजा आया.
आँटी ने ऐसे ही दो तीन बार किया तो मैं बोला- आँटी, आपको तो कमाल का तरीका पता है, कभी बसन्त अंकल का भी ऐसे ही दबाया था क्या? आँटी बोली- एक बार किया था, परन्तु इतना छोटा था कि भींचने से बाहर ही निकल गया.
मैंने आँटी से पूछा- अच्छा यह बताओ आपको वीर्य चूत में डलवाना पसंद है या बाहर? आँटी- चूत में गर्म गर्म पिचकारी अच्छी लगती है.
अब आँटी पूछने लगी- राज, तुम्हें क्या पसंद है, अपना तो बताओ? मैंने आँटी से कहा- मुझे आप जैसी गुदाज शरीर वाली मस्त हसीना की मस्त फूली हुई चूत को तरह तरह से चोदना पसंद है, मैं चाहता हूँ कि हर वक्त मेरा लौड़ा उस चूत में चलता रहे.
अचानक आँटी बोली- एक बार उतरो. मैं हट गया.
आँटी बेड पर पेट के बल उल्टी हो कर लेट गई और बोली- पीछे से डालो.
मैंने समझा कि आँटी गांड मरवाना चाहती है. मैंने आँटी की चूत में दो उँगलियाँ डालकर ऊँगली चिकनी की और उनकी गाँड के छेद पर लण्ड टिका दिया.
जितनी देर में आँटी समझ पाती मैंने पीछे वाले छेद में लण्ड ठोक दिया. आँटी एकदम चिहुंक पड़ी और बोली- ये कहाँ डाल दिया? मैंने कहा- आपने ही तो कहा था पीछे डालो. आँटी बोली- बुद्धू, निकालो दर्द हो रहा है, पीछे से चूत में डालो और मेरी चूचियों को पकड़कर मसलो.
मैंने लण्ड निकाला और आँटी के चूतड़ों को थोड़ा फैला कर नीचे से चूत में लण्ड डाल दिया. आँटी ने अपनी कोहनियों को थोड़ा मोड़ा और छाती को थोड़ा बेड से ऊपर उठा लिया. मैंने पीछे से लण्ड ठोके ठोके आँटी के हाथों के नीचे से उनके दोनों चूचों को पकड़ लिया और उनका मर्दन करते हुए चोदने लगा.
आँटी की गर्दन पर मैंने जैसे ही अपने होंठ रखे, आँटी मजे से चिल्लाने लगी.
मैंने इसी पोजीशन में आँटी की खूब चुदाई की. आँटी तरह तरह की आवाजें निकालने लगी … हाय राजा … जोर से करो … मेरी जान निकाल दो … हाय मेरे छोटे बालम … अब … तक … कहाँ थे … चोदो … दिल लगाकर चोदो … पूरा मजा लो.
मैं आँटी की चूत में पीछे से लण्ड चला रहा था. हर धक्के पर उनके चूतड़ भी मेरी ठोक से इकट्ठे हो जाते थे.
आँटी की टाँगें बेड पर पूरी चौड़ी हुई हुई थी. आँटी एकदम बोली- राजा, मेरे नीचे आओ.
मैं नीचे लेट गया और आँटी मेरे ऊपर चढ़ गई. उन्होंने एकदम लण्ड को अपनी चूत में घुसेड़ा और मेरे ऊपर जम्प करने लगी.
आँटी धीरे धीरे उग्र होती जा रही थी. मैंने अपने दोनों हाथों से आँटी के मम्मे पकड़ लिए और उनको मसल मसल कर गुलाबी से नीले बना दिए.
आँटी बहुत देर तक ऊपर उछल कर शांत हो गई और नीचे उतरकर मेरे साथ लेट गई.
कुछ देर तक हम इसी तरह प्यार से एक दूसरे के उपर उतरते चढ़ते रहे और सेक्स का आनन्द लेते रहे.
मैंने आँटी से कहा- आँटी, अँधेरे में मुझे आपका सेक्सी शरीर दिखाई नहीं दे रहा है, लाइट जला लें? आँटी कहने लगी- जलाओ, मैंने भी तुम्हारे लण्ड को देखना है.
मैंने खिड़की का पर्दा लगाया और लाइट जला दी. आँटी बाथरूम चली गई.
वे बाहर आई तो मैंने उनको बाँहों में भर लिया. मैंने आँटी को बेड के किनारे पर घोड़ी बनाया जिससे उनकी पकौड़ा सी चूत बाहर निकल आई. मैंने चूत में लण्ड ठोका और पेलना शुरू किया.
मैं आँटी की चौड़ी चिकनी गांड और कमर पर हाथ चलाता रहा. हर धक्के के जवाब में आँटी अपने चूतड़ों को मेरी जांघों में मारती रही.
आँटी बोली- राजा, बस ऐसे ही मजा लेंगे, जोर जोर से करो. मैंने रफ़्तार बढ़ा दी. कमरे में तूफ़ान आ गया.
आँटी को मैंने कन्धों से पकड़ा और लण्ड को पूरा अंदर तक ठोकने लगा. आँटी अपना सिर इधर उधर मारती रही. वे बोली- राज, मेरा होने वाला है तुम भी अपना कर लो, इकट्ठे डिस्चार्ज होंगे.
15-20 शॉट के बाद मैंने आँटी की चूत को वीर्य की पिचकारियों से भरना चालू कर दिया. उसी वक्त आँटी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया.
मैंने अपना सारा वीर्य आँटी की चूत में डाला और लण्ड चूत से बाहर निकाला. लण्ड चूत के रस और वीर्य से पूरा लिबड़ गया था.
मैंने लण्ड को आँटी के सामने कर दिया. आँटी मुस्कराई और घोड़ी बने बने लण्ड को चाट कर साफ करने लगी. मेरा गर्म वीर्य आँटी के दोनों पटों से नीचे फिसल कर आने लगा था.
हम दोनों बाथरूम गए और अपने अंगों को धो कर वापिस आकर बेड पर लेट गए.
मैंने आँटी से पूछा- आँटी आप सन्तुष्ट हैं? आँटी ने मुझे चेहरे से पकड़ कर एक गाल पर जोरदार किस किया और बोली- यह रही रसीद!
रात का एक बज गया था. हम एक दूसरे से लिपट कर कुछ देर के लिए शांत हो गए. आँटी मेरे ऊपर टेढ़ी लेटी थी. उन्होंने अपना मुंह और छाती तो मेरी छाती पर रखी थी और बाकी शरीर बेड पर था.
मैंने आँटी के चेहरे को देखा तो उस पर मेरे काटने और चूसने के हल्के निशान बन गए थे. लेकिन उनकी चूचियों का तो बुरा हाल था. जगह जगह नीले और लाल निशान थे.
मैंने जब आँटी से पूछा- यदि ये निशान बसन्त अंकल ने देख लिये तो? आँटी कहने लगी- तुम चिंता मत करो, ये सब मुझ पर छोड़ दो. और हाँ, आगे से गालों पर ज्यादा निशान नहीं डालने हैं, दूसरे लोग भी तो देखते हैं.
मतलब आँटी बसन्त अंकल की तरफ से निश्चिन्त थी.
हम कुछ देर इधर उधर की बातें करते रहे और एक दूसरे के शरीर और अंगों पर हाथ फिराते रहे. आँटी ने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख लिया. उनकी नर्म उँगलियों के जादू से लण्ड में फिर अकड़न पैदा हो गई.
आँटी बोली- आपके लण्ड महाराज तो फिर तैयार हो गए हैं. मैंने पूछा- आपकी चूत रानी भी तैयार हो तो … हो जाए एक और चुदाई का दौर? आँटी कहने लगी- नहीं, बस अब सो जाते हैं.
मैं अपना हाथ आँटी के शरीर पर चलाता रहा.
आँटी ने धीरे से पूछा- कौन से आसन में चुदाई करनी है? मैंने कहा- अब मैं आपकी टाँगें अपने कन्धों पर रखता हूँ.
मैंने चूत के अन्दर उंगली डाली तो चूत गीली थी. मैंने आँटी की चूचियों को अपने मुँह में लिया और उन्हें चूसने, काटने लगा साथ ही उनके चूत के क्लीटोरियस पर ऊँगली अंगूठा चलाने लगा.
आँटी तैयार हो गई.
मैंने आँटी के घुटनों को मोड़ कर चूत के छेद पर लण्ड लगाया. आँटी बोली- राज, मैं तो अब रज गई हूँ और चूत भी दुखने लगी है, तुम अपना कर लो.
मैंने आँटी के अन्दर तक लण्ड पहुँचाया तो आँटी ने आँखें बंद कर ली. आँटी बोली- पता नहीं क्या है तुम्हारे लण्ड में, चूत पर लगते ही दिल मचलने लग जाता है.
मैंने धकाधक लण्ड से चूत पर हमला कर दिया. आँटी आहें भरने लगी.
मैंने आँटी की चूचियों को फिर मसलना शुरू कर दिया. आँटी हर धक्के पर साथ देने लगी.
10-12 मिनट की घोर चुदाई के बाद हम दोनों ही एक साथ फिर झड़ गए. मैं लण्ड अंदर किये किये आँटी के ऊपर पसर गया.
आँटी बोली- बस राज, आज तो तुमने मुझे ऐसा चोद दिया है कि दिल करता है अब दो दिन तक चैन से सोती रहूँगी. मैंने कहा- मेरे लण्ड को तो साफ़ करो.
आँटी नीचे झुकी और मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चाटने लगी. पूरे लण्ड को आँटी ने अपनी जीभ और होंठों से साफ़ कर दिया. लण्ड भी बिल्कुल बैठ गया था.
वे बोली- यह तो बैठा हुआ भी कितना बड़ा लग रहा है. मैंने कहा- आपकी चूत भी तो चुदने के बाद कितनी हसीन लग रही है. आँटी की चूत कुछ ज्यादा ही फूली हुई लग रही थी, शायद कुछ सूज गई थी.
वे कहने लगी- राज, सच बताओ क्या तुमने रश्मि की ली है? मैं चुप रहा.
आँटी- बताओ, कितनी बार चोद चुके हो?
मैं कुछ देर चुप रहा और फिर बोला- पता नहीं कितनी बार, पिछले चार महीने से लगभग हर रोज चोदता था. आँटी- बताओ, क्या क्या कैसे कैसे हुआ?
मैं- आँटी, लंबी कहानी है, फिर किसी दिन आराम से सुनाऊंगा. आँटी- मुझे पूरी कहानी सुननी है.
मैंने कहा- आँटी, वह तो लम्बी कहानी है फिर कभी बता दूँगा, अभी तो आप मजे लो. आँटी- ठीक है, लेकिन मैंने सुननी जरूर है, तुम टालो मत. मैंने कहा- ठीक है मैं किसी दिन आपको डिटेल में सुना दूँगा.
सुबह के तीन बज गए थे. लेटे लेटे मुझे नींद आ गई.
जब मेरी आँख खुली तो मैं बेड पर अकेला नंगा पड़ा था और मेरे ऊपर एक चादर ढकी थी.
बाहर देखा तो न वहां बच्चे थे, न ही आँटी! पता नहीं वे कब गईं.
पूरे दो दिन तक मैंने आँटी से मुलाक़ात नहीं की.
तीसरे दिन इतवार को लगभग चार बजे जब अंकल अपने बिज़नेस का हिसाब किताब देख रहे थे तो आँटी ऊपर आई.
आते ही मैंने उन्हें बाहों में जकड़ लिया. मैंने पूछा- आप उस रात को कब गईं? आँटी बोली- मैं तो उसी वक्त बच्चों को ले कर चली गई थी क्योंकि हो सकता था कि मेरी आँख न खुलती और तुम्हारे अंकल अंदर ही बंद रह जाते?
मैंने आँटी को पकड़ लिया. आँटी बोली- मुझे नीचे काम है, फिर आऊँगी.
मैंने दरवाज़ा बंद किया और आँटी को बेड पर गिरा कर जबरदस्ती उनकी साड़ी उठा कर पलट दी. आँटी ने नीचे पैंटी पहन रखी थी. आँटी मुझे रोकती रही, मैंने अपना लोअर नीचे करके पैंटी की साइड से ही चूत में लण्ड फंसा दिया. वे एकदम तड़प उठी.
आँटी ‘छोड़ो छोड़ो’ करती रही और मैं जोर जोर से लण्ड पेलता रहा.
पैंटी बार बार लण्ड पर रगड़ खा रही थी. मैंने पैंटी को नीचे से पकड़ा और एक झटके में नीचे से फाड़ कर चूत को आजाद कर दिया.
आँटी मुझे धक्के देती रही परन्तु मैं पूरे जोश में आँटी की चूत में लण्ड पेलता रहा. 15-20 शॉट के बाद मैंने आँटी की चूत में लण्ड की पिचकारियों से वीर्य भर दिया.
इस सारे काम में केवल 5 मिनट ही लगे.
मैं उठ गया, आँटी बेड पर पसरी रही. उनकी चूत से वीर्य टप .. टप .. निकल रहा था.
आँटी बोली- ये क्या था, तुमने तो मेरा रे/प कर दिया. मैंने कहा- आपको पसंद आया या नहीं? आँटी बोली-पसंद तो बहुत आया, परंतु तुमने तो मेरी नई पैंटी ही फाड़ दी.
मैंने कहा- अब नीचे जाओ और बसन्त अंकल को साड़ी उठा कर दिखाओ कि मैं चूत और कच्छी दोनों फड़वा कर आई हूँ. आँटी बोली- कच्छी तो अब तुम ही अपनी पसंद की लाना क्योंकि तुम्हारे अंकल को इन बातों में कोई इंटरेस्ट नहीं है.
वे जाने लगी तो मैंने पूछा- आँटी दुबारा लाइट कब जायेगी और रात को कब आओगी? आँटी बोली- थोड़ा दिमाग लगाओगे तो कभी भी लाइट जा सकती है. क्योंकि मेन स्विच नीचे सीढ़ियों में घुसते ही लगा है.
मैं बात को समझा नहीं! तो वे बोली- बुद्धू, रात 10.00 बजे के बाद मेन स्विच कभी भी दो बार ऑफ कर दोगे तो मैं तुम्हारे अंकल को नीचे बंद करके तुम्हारे पास आ जाऊँगी.
मैं ख़ुशी से झूम उठा और आँटी मेरी तरफ मुस्करा कर नीचे चली गई.
इस तरीके से रात को जब हमारा प्रोग्राम होता और बसन्त अंकल सोने लगते तो अक्सर दो तीन बार लाइट जाने लगी थी.
दो बार के बाद तो आँटी ने बसन्त अंकल को कहा कि बार बार लाइट जाने लगी है अब हम यह कमरा खाली करवा लेते हैं, मैं बच्चों के साथ ऊपर ही सो जाया करुँगी.
बसन्त अंकल बोले- अरे, भई, कमरा खाली करवाने की क्या जरूरत है? बेकार में किराये का नुक्सान होगा, राज तो अपना बच्चा है, तुम ऊपर ही सो जाया करो और मैं भी यहाँ डिस्टर्ब नहीं हूँगा.
मेरी और आँटी की लाटरी निकल आई. अगले दिन आँटी ने बच्चों के लिए ऊपर एक फोल्डिंग पलंग रखवा दिया.
शाम होते ही आँटी बच्चों को लेकर ऊपर आ जाती और हम दोनों जी भर कर चुदाई का मजा लेते.
कुछ दिन बाद बसंत अंकल बड़े शहर से दुकान का सामान लेने चले गए.
उस रात आँटी ने डिनर के बाद मुझे नीचे ही सुला लिया और हम सारी रात चुदाई करते रहे.
तो दोस्तो! ये था मेरा कोटा की चुदाई और पढ़ाई का किस्सा.
सरिता आँटी ने मेरी चाची रश्मि की चुदाई की कहानी एक दिन पूरा रस लेकर सुनी, मेरा वायदा है अगली बार आपको भी सुनाऊँगा.
यह हॉट अंटी सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे कमेंट बॉक्स के द्वारा जानकारी दें.
इमेल नहीं दिया जा रहा है.
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