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अब तक आपने पढ़ा.. सुरभि- हाँ लेकिन जाओ पहले दरवाजा बंद करके आओ.. ताकि कोई आए तो पता चल जाएगा। मैं- ओके.. मैं आता हूँ.. मैं दरवाजा बंद करके बाहर निकला तो पीछे के दरवाजे से सोनाली अन्दर आ चुकी थी.. तो मैंने दरवाजा बंद कर दिया। सुरभि- ठीक से बंद कर दिया ना? मैं- हाँ मेरी जान.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है। सुरभि- तो करने को कौन बोल रहा है.. मेरी जान.. आ जाओ मैं भी तड़फ रही हूँ। मैं- तो आ जा.. अभी तड़फ मिटा देता हूँ। मैं दीदी से लिपट गया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और मैंने तो सीधा उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे किस करना शुरू कर दिया।
अब आगे..
कुछ देर वैसा करने के बाद मैं थोड़ा नीचे आया और उसकी गर्दन को चूमने लगा।
वो मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी और मैं उसकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही चूमने-चाटने लगा। वो मेरे लंड को दबाने लगी.. तो मैं भी उसकी चूचियों को मुँह से और चूतड़ों को हाथ से ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसकी चूचियों को टॉप से निकालने लगा.. तो उसने खुद हाथ ऊपर कर दिए तो मैंने पूरा टॉप ही बाहर निकाल दिया।
उसके दोनों ‘अनमोल रत्न’ बाहर आ गए और मेरी आँखों के सामने नग्न हो चुके थे.. तो मैं बेसब्री से उनको चूमने लगा।
अब तक वो मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी थी.. तो मैंने खुद अपना पैंट खोल दिया और लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.. जिसको पकड़ कर दीदी बोली- अरे वाह.. ये तो पहले से काफ़ी बड़ा और मोटा हो गया है.. लगता है इसका बहुत इस्तेमाल हुआ है। मैंने हँसते हुए कहा- नहीं वैसी बात नहीं है.. ये तो तुम्हारे हाथों का कमाल है। सुरभि- देख कर तो नहीं लग रहा है.. मुझे तो ऐसा लग रहा है कि इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा हुआ है। मैं- हाँ उतना तो होते ही रहता है।
सुरभि- ओके.. किसके साथ चुदाई की? मैं- है कोई.. सुरभि- कौन है.. हमें भी बताओ ज़रा? मैं- बताना क्या है.. आज मिलवा ही दूँगा.. चलना शाम को.. सुरभि- ओके..
मैं- जानेमन अगर आपके सवाल-जवाब ख़तम हो गए हों तो अब हम अपना काम करें.. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो पा रहा है। सुरभि ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- हाँ यार.. सच बोलूँ.. तो मुझे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.. जी कर रहा है खा जाऊँ इसे.. मैं- तो खा जाओ.. रोका किसने है.. लेकिन पूरा मत खाना.. नहीं तो तेरी चूत को कौन शान्त करेगा.. सुरभि- हाँ ये भी सही बोला..
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा और मसलने लगा। तभी मेरी नज़र सोनाली पर पड़ी.. तो वो इशारा कर रही थी कि ठीक से दिख नहीं रहा है। तो मैंने दीदी को गोद में उठाया और कमरे से बाहर आ गया और हॉल में बिस्तर पर लिटा दिया। पीछे से सोनाली की सहमति मिली कि हाँ.. अब सब कुछ दिख रहा है.. तो मैं फिर से अपने काम में लग गया और उसकी चूचियों को पीने लगा।
मैं चूचियों को पीते-पीते नीचे बढ़ने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा.. तो उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी।
अंततः मैं उसकी चूत के पास पहुँच गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसे चूमने लगा। कुछ देर चूमा.. कि तभी सोनाली ने इशारा किया कि दीदी को पूरा नंगा करो। तो मैंने दीदी को बिस्तर पर खड़ा किया और उसकी कैपरी को नीचे कर दिया। अब दीदी की चूतड़ कपड़ों से पूरी तरह से आज़ाद हो गए थे और मैंने देखा कि पीछे सोनाली की चुदासी सूरत देखने लायक थी। वो दीदी को पहली बार नंगा देख रही थी।
मैं दीदी के मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. बता नहीं सकता कि कितना अच्छा लग रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और चूमने लगीं.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी मैंने सोनाली को आने का इशारा कर दिया और वो पीछे आ कर खड़ी हो गई.. लेकिन दीदी को पता नहीं चला… वो तो मेरा लंड चूसने में मस्त थी।
तभी सोनाली आगे आ गई और दीदी की नज़र उस पर पड़ी तो उसे झटका लगा और वो लंड छोड़ कर सीधे एक चादर से अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगी, उसके चेहरे पर शर्मिन्दगी साफ़ झलक रही थी।
मैं उसी तरह नंगा ही खड़ा हो गया.. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. मैं बिस्तर के एक तरफ बैठ गया। अब मैंने सोनाली को अपने तरफ़ खींच लिया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके हाथ में अपना लंड दे कर उसको चुम्बन करने लगा।
सुरभि- ये क्या कर रहे हो तुम दोनों? सोनाली- वही.. जो अभी आप कर रही थीं। सुरभि- मतलब तुम दोनों भी.. मैं और सोनाली ने कामुक मुस्कान बिखरते हुए कहा- हाँ हम दोनों भी.. सोनाली- अब शर्म छोड़ दीजिए.. और चादर हटा लो! मैं- हाँ हटा दो यार.. सुरभि हँसते हुए- हटाती हूँ.. लेकिन ये कब हुआ.. कैसे हुआ?
तो मैंने और सोनाली ने मिल कर उसको सारी बातें बता दीं। सुरभि- मतलब ये तुम दोनों का प्लान था। सोनाली और मैं- हाँ.. सुरभि- तुम दोनों को देख कर मुझे लगा तो था.. सोनाली और मैं- क्या लगा था?
सुरभि- सोनाली के बदन में इतना जल्दी इतना ज्यादा परिवर्तन.. और तुम्हारे लंड को देख कर ही मैं बोली थी.. कि ये बहुत यूज होता है। सोनाली और मैं- हाहहह.. सुरभि- ख़ास कर सोनाली तो जवान हो गई है.. पूरी मेरी तरह.. मुझे लगा किसी के साथ चक्कर चल रहा है.. लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि यह तुम्हारे साथ ही खेल रही है और सुशान्त तुमने इसको भी नहीं छोड़ा.. बड़ा कमीना बहनचोद है तू..
मैं- वो तो हूँ ही.. लेकिन छोड़ने वाली क्या बात है.. घर का माल अगर घर में ही रह जाए.. तो बुरा ही क्या है.. मैं नहीं भोगता.. तो कोई और तो पक्का ले ही जाता.. तो मैं ही क्यों नहीं चोद लूँ। सुरभि & सोनाली- ओह ऊओ.. तो हम दोनों माल हैं.. मैं- अरे नहीं.. मेरा मतलब वो नहीं था.. सुरभि और सोनाली- तो क्या मतलब था? मैं- अरे कुछ नहीं छोड़ो इन बातों को.. आओ मजे करते हैं। सुरभि और सोनाली- हाँ आओ..
मैं- हम दोनों तो नंगे हैं ही.. सोनाली सिर्फ़ कपड़ों में है.. तुम भी अपने कपड़े उतारो न.. सुरभि- हाँ उतार दो और आज तक इसने हम दोनों को चोदा है.. आज हम दोनों मिल कर इसको चोदेंगे। सोनाली- हाँ ये सही रहेगा.. मैं जल्दी से कपड़े उतार देती हूँ।
सोनाली एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगी और मैं मन ही मन ये सोच कर रोमांचित हो रहा था कि आज फिर से दो चूतों को एक साथ चोदने का मौका मिलेगा। पिछली बार सोनी और मोनिका को एक साथ चोदा था। सोनी और मोनिका के बारे में जानने के लिए मेरी पिछली कहानी ‘नंगी नहाती मोनिका का बदन’ को जरूर पढ़ें। लेकिन उसके बाद फिर से किसी दो लड़कियों को एक साथ में नहीं चोदा था। अब मौका मिल गया है.. दो लड़कियों को एक साथ चोदने का..
तब तक सोनाली कपड़े उतार चुकी थी और वो इतराती हुई हमारी तरफ़ बढ़ने लगी और उसकी चूचियों को ऊपर-नीचे होते देख कर मेरा लंड.. जो पहले से ही खड़ा था.. उसको इस तरह देख कर पूरे उफान पर पहुँच गया था।
मैं उसे पकड़ने के लिए उठने ही वाला था कि तभी दीदी ने मुझे खींच लिया और मैं बैठ गया। वो मेरी एक जाँघ पर बैठ गई.. तब तक सोनाली भी मेरी दूसरी जाँघ पर बैठ गई। मेरे लंड की कुछ ऐसी हालत थी कि दो-दो चूतें मेरे दोनों बगलों में थीं.. लेकिन किस में पहले जाया जाए.. मैं यही सोच रहा था.. लेकिन मेरा हाथ कौन सा रुकने वाला था एक हाथ से दीदी की और दूसरी हाथ से सोनाली की चूचियों को दबाने लगा और दोनों मुझे लिपकिस करने लगीं।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं अलग हुआ और तो दीदी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मैं पीठ के बल लेट गया और दोनों मुझे किस करने लगीं। पूरे बदन पर कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी लंड को चुम्बन करने लगीं और सोनाली मुझे अपनी चूचियों का रस पिला रही थी।
कुछ देर बाद सोनाली भी अपनी चूत को मेरे मुँह के पास करके लंड को चाटने लगी। ऐसा लग रहा था कि एक आइसक्रीम को दोनों बहन शेयर करके चूस रही हों। दोनों मेरे लंड को चाट रही थीं और मेरा लंड गरम होता जा रहा था। तो मैं भी इधर सोनाली की चूत को चाटने लगा।
दोस्तो.. उम्मीद है कहानी में रस आ रहा होगा.. मेरी इस कहानी के बारे में मुझे अपने विचार जरूर लिखियेगा.. मुझे आप सभी के ईमेल का इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected]
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