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अब तक आपने पढ़ा.. उसने एक इशारा बारटेंडर को किया और बोला- इसको और पिला.. मैं आता हूँ। तो बारटेंडर बोला- ओके बॉस.. उसने उसे 1000 का नोट दिया और मुझे अपनी कार में ले गया। कार में अन्दर जाते ही कार का एसी ऑन किया.. सीट खोल कर बिल्कुल बेड बना दी और मेरे ऊपर चढ़ कर किस करने लगा। मैंने फ़ौरन सारे कपड़े उतार दिए और मैं खुद ही नंगी होकर उसके लंड को हाथ से सहलाने लगी। अब उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी और अब हम दोनों पूरे नंगे होकर एसी कार में मजे ले रहे थे। अब आगे..
जैसा कि मैंने अपनी कहानी के पिछले भाग में आप सभी को बताया था, मैं आराम से चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। उसने सीधा मेरे मोटे-मोटे चूचों पर झपट्टा मारा और उन्हें बुरी तरह दबाते हुए मुझे लिप किस करने लगा जीभ घुसा-घुसा मेरी जीभ चूसने लगा। मैंने भी जोश में अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर से चिपका लीं और गाण्ड उठा कर उसके लौड़े को महसूस करने लगी।
उसका लंड ज़्यादा लम्बा नहीं था लेकिन सख़्त ऐसा था.. जैसे लोहे की रॉड हो.. और मोटाई भी सही थी। अब उसने बिल्कुल मेरे ऊपर चढ़ कर अपना लंड मेरे मुँह पर रखा.. मैं चूसने लगी। उसका लंड सख़्त इतना अधिक था कि खाल भी नहीं हिल रही थी।
अब उसने आव देखा ना ताव.. सीधा चूत पर गया और लौड़ा चूत में एक ही धक्के में घुसा दिया। मैं एकदम ऊपर को उछल पड़ी और उसे कस कर पकड़ लिया। उसने तो मेरी धकाधक चुदाई करनी शुरू कर दी। मेरे कंठ से आह.. ही आह.. निकल रही थी.. और मैं बहुत गरम हो चुकी थी। मैं लौड़े को मस्ती से चूत के अन्दर ले रही थी और उसे किस कर रही थी।
वो मेरे मम्मों को दबाए जा रहा था। करीब 10 मिनट बाद उसने स्पीड ऐसी बढ़ाई कि मेरा पूरा शरीर हिलने लगा। कुछ ही पलों बाद मैं झड़ने वाली थी। उसने लंड को बहुत तेज़-तेज़ चूत में मारा और मेरे गाल पर एक झापड़ मारा.. कसम से मेरे तो होश उड़ गए थे, मैं सीधा लेट गई। फिर वो मेरे ऊपर आया और मुझे बुरी तरह चूमने-काटने लगा। अब चुदाई ख़तरनाक लगने लगी और उसने मुझे भी पागल कर दिया।
जोश-जोश में मैंने भी अपने नाखून उसकी कमर से रगड़े.. जिससे उसे पता नहीं.. क्या हुआ.. उसने पूरा लंड बाहर निकाला और बहुत तेजी से पूरा कूदते हुए मेरी चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया। ऐसे-ऐसे उसने कई बार किया.. जिससे मैं चिल्लाने लगी.. यहाँ तक की कार भी हिलने लगी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और गाण्ड पर तमाचे मारते-मारते लौड़ा गपागप चूत में डालते हुए मुझे हचक कर चोदता रहा। मैं तो दो बार झड़ भी चुकी थी और अब तीसरी बारी थी.. जिसमें वो भी झड़ने वाला था। फिर उसने अपनी स्पीड ऐसी बढ़ाई.. जैसे कुत्ता कुतिया को चोदता है.. या उससे भी तेज़ चोदना चालू कर दिया.. और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.. मैं भी निढाल हो गई और गाण्ड दिखाते हुए लेट गई और मुझे अब हल्की-हल्की बेहोशी सी आ रही थी। मुझे अपनी गाण्ड पर दोबारा लंड महसूस हुआ तो मैं उससे बोली- अब बस करो यार.. अब मैं लेट हो रही हूँ..
मगर उसने नहीं सुनी और सीधा लंड को चूत में घोड़ी बनाकर घुसा दिया। मेरे को कुछ अजीब सा लगा क्योंकि लंड अब भी बहुत सख़्त था और अचानक गीलापन लगा.. मगर जब लंड घुसा तो मेरी हल्की सी साँस भी अटकी। उसके लंड की लंबाई मोटाई ज़्यादा लग रही थी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा.. तो हैरान रह गई वो बारटेंडर वाला हरामी मुझे चोदने में लग गया था।
मैं बोली- वो कहाँ है? तो बोला- वो तो चोद-चाद कर चला गया। मैं बोली- प्लीज़ अभी जाने दो मुझे.. मेरी सहेली इंतज़ार कर रही होगी।
तब बारटेंडर बोला- चिंता ना कर.. तेरी सहेली तो पक्की रांड है.. अभी-अभी उसको मैंने और मेरे दोस्त ने चोदा है.. साली खूब गाण्ड उठा-उठा कर दे रही है। अब वो आदमी तेरी फ्रेण्ड को ही चोद रहा होगा। मैं बोली- अबे ये क्या कह रहे हो? तो बोला- हाँ.. अभी तू रुक.. मैं तुझे चोदूँगा.. फिर मेरा एक दोस्त भी है.. वो तेरी गाण्ड की ठुकाई करेगा..
उसका इतना कहना था कि उसका दोस्त भी आ गया और अब कार का गेट खोल कर दोनों तरफ से मेरी ठुकाई हो रही थी। इधर चूत में लंड.. उधर उसके दोस्त का मुँह में ले कर चूस रही थी। फिर बारटेंडर वाले ने कुछ देर में अपना पानी झाड़ा और मेरे मुँह में लंड घुसाकर चुसवाने लगा।
अब उसका दोस्त पीछे से मेरी चुदाई करने लगा.. उसने मेरी गाण्ड में लौड़ा घुसाकर पेलना शुरू कर दिया। चोदते-चोदते वो बोला- जानू.. तू कितने लौड़े खा चुकी है गाण्ड में.. तू तो साली रंडी लगती है।
मैं अब मजे के साथ गाण्ड को चुदवाने लगी। लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने जल्दी से अपने सलवार सूट पहने और बारटेंडर के साथ फ्रेण्ड को ढूँढने गई। बारटेंडर मुझे एक रूम में ले गया.. वहाँ वही आदमी उसे चोद ही चुका था और उसके ऊपर चढ़ा हुआ था। वो बिल्कुल नशे में धुत पड़ी थी।
हम सबने उसके जिस्म को साफ़ किया.. कपड़े पहनाए.. और फिर वहीं सोफे पर बैठाया। उसे होश में लाने के लिए खूब पानी के छींटे मारे.. चांटे भी तक मारे.. तब वो होश में आई। वो बोली- अंजलि, क्या हुआ?
मैं मन ही मन बोली- दोनों की चूत चुद गई और मेरी गाण्ड भी फट गई और साली पूछ रही है कि क्या हुआ.. खैर.. मैं बोली- चल खड़ी हो जा बेवकूफ़.. कितनी ज्यादा पी ली.. वो खड़ी हुई तो एकदम बोली- ओह्ह.. यार.. बहुत दर्द हो रहा पता नहीं क्यों..? मैं बोली- कहाँ? तो बोली- अरे अब चल भी.. यहाँ से.. रात बहुत हो गई है।
मैं मन ही मन बोली- लोहे जैसे लंड चूत में लेगी तो दर्द तो होगा ही।
खैर.. हम दोनों ने गाड़ी उठाई और वहाँ से निकल गए.. रास्ते में हमने एक दुकान पर रोकी, वहाँ हमने चाय वगैरह पी.. टॉयलेट किया और रिलैक्स हुए, एक सिगरेट पी.. फिर घर चले गए।
अब मेरी दोस्त को उस वक़्त अपना तो होश था नहीं.. तो मेरे बारे में उसे क्या पता होगा कि मैंने कैसे अपनी चूत और गाण्ड मरवाई थी।
खैर.. मुझे भी नहीं पता था कि यह नाटक कर रही है या सच में इसे अपनी चुदाई के बारे में नहीं पता था।
तो यह कहानी समाप्त होती है और मुझे आपके हॉट मेल्स का इंतज़ार रहेगा। मैं आप सभी का फिर से शुक्रिया करती हूँ कि आप सबको मेरी कहानी पसंद आ रही हैं। मुझे आप सभी के बहुत रिप्लाई और कमेंट्स आ रहे हैं.. जिनका जवाब मैं ज़्यादा से ज़्यादा देने की कोशिश करती हूँ।
आप सबको मेरी चूत खोल कर नमस्ते। [email protected]
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