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दोस्तो, मैं आज फिर से मेरी अगला अनुभव लेकर हाजिर हूँ.. मैंने अपने जीवन में मेरी भांजी जैसी जानदार माल अब तक किसी को नहीं माना और वो समझदार भी बहुत थी।
मैंने उसकी चूत का बाजा बजा दिया था.. फिर भी उसने कभी शिकायत नहीं की, वो अब सिर्फ़ मेरी जुगाड़ बन चुकी थी। मैं अक्सर उससे मिलने के लिए जाता था।
एक दिन अपने गाँव में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम था और मैं बहन के यहाँ आया था। मैं सोच रहा था कि अगर भांजी पुष्पा को मेरे साथ बहन ने भेज दिया तो मेरी तो जन्नत की सैर हो जाएगी। मैंने पुष्पा से पूछा- मेरे गाँव चलेगी? उसने ‘हाँ’ कहा और मैंने अपनी बहन से पूछा- क्या मैं पुष्पा को कार्यक्रम के लिए अपने साथ गाँव ले जाऊँ? तो बहन ने भी हामी भर दी, जीजा से भी बहन ने पूछ लिया।
अब मैं बहुत खुश हुआ और हम दोनों एक-दूसरे को देखकर भी खुश हुए। मेरा जानदार मासूम सा माल चुदने के लिए चलने की तैयारी करने लगा।
पुष्पा ने पीले रंग की कुर्ती तथा सफेद सलवार पहन ली और अपने अनार जैसी चूचियों को ढकने के लिए पीला दुपट्टा डाल लिया। वो बहुत सुंदर.. किसी परी की तरह तैयार हुई थी.. उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था, वो भी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी।
हम दोनों मेरी लूना मोपेड पर बैठकर गाँव की ओर चल दिए। पुष्पा पीछे आराम से बैठी थी.. बहुत दूर जाने के बाद मैंने पुष्पा को बताया- तू लूना चला पाएगी? उसने कहा- ज्यादा तो नहीं.. पर थोड़ी चला सकती हूँ..
मैंने उसको मोपेड चलाने के लिए कहा तो भांजी आगे बैठ कर मोपेड चलने लगी। मैं उसके पीछे बैठ गया। मैं उससे बहुत सट गया था। उसके बड़े-बड़े चूतड़ों से अपना लौड़ा लगाकर बैठ गया। उसके शरीर से मदहोश करने वाली महक आ रही थी।
मैंने धीरे से उसके मम्मों पर हाथ रख दिया और दबा दिए। उसकी सिसकारी निकल गई.. तब मैंने उसकी पतली कमर पर दोनों हाथ रख दिए.. और उसकी जाँघों को सहला दिया, पीछे से उसकी खुली पीठ को.. गर्दन के नीचे.. जीभ निकाल कर चाट लिया।
मैंने उसकी कुरती अलग कर के देखा.. तो पाया उसकी सफेद सलवार बहुत झीनी थी.. उससे उसकी नीचे पहनी हुई छोटी चड्डी साफ दिखाई दे रही थी। मेरा लंड खड़ा हो चुका था।
गाँव का रास्ता था.. इसीलिए आने जाने वाले कम ही थे। मेरा अपना माल मेरे पास था.. लेकिन क्या करें.. कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तब मैंने उसके कान के पास जाकर पहली बार ‘आई लव यू..’ कहा तो पीछे पलट कर उसने भी कहा- लव यू टू..
रास्ते भर मैंने भांजी को पूरा गर्म कर दिया था, मैं भी गर्म हो चुका था, हम दोनों की हालत खराब हो चुकी थी लेकिन.. कोई उपाय नहीं था। कुछ दूर चलने के बाद मैंने लूना ले ली और थोड़ी ही देर बाद हम दोनों घर पहुँच गए। उस वक्त घर पर सारे लोग थे.. इसीलिए चुदाई का कोई चान्स नहीं था।
शाम का खाना खाने के बाद घर में बहुत गप्पें हुईं। मैं अपना बिस्तर बाहर ही लगाता था, सारे लोग आँगन में ही सोते थे। थोड़ी देर बाद पुष्पा मेरे पास आकर लेट गई.. कोई दिक्कत नहीं थी.. क्योंकि वो मेरी भांजी थी।
अब मैं उसके एक बाजू में लेट गया.. पुष्पा के पैर मेरी तरफ थे तथा मैं अपने पैर पुष्पा की ओर करके लेटा हुआ था। देखने वालों को लगता कि हम आराम से सो रहे हैं। मेरे पास मेरा अधपका माल था.. हम दोनों की आँखों से नींद गायब थी। देर सिर्फ़ इतनी थी कि जल्दी से सारे लोग सो जाएँ!
मैं अपना लंड को सहलाता हुआ आँखें मूंद कर लेटा हुआ था। धीरे-धीरे थोड़ी सी शांति हुई.. सभी लोग सोते जा रहे थे। तब मैं उठा और उसकी पीठ से जाकर पीछे से चिपक गया.. मेरी भांजी पुष्पा भी जाग रही थी, वो मेरी तरफ मुँह करके आ गई, हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए मेरा नाज़ुक माल.. मेरे हाथ में आ गया। तब मैंने अपना पैर एक-दूसरे के पैरों में फंसा दिया। मेरी बहन की नाज़ुक सी कली मेरी बाँहों में थी.. मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया.. उसकी पीठ तथा उसके बड़े-बड़े चूतड़ों को दबाने लगा।
तब पुष्पा ने अपना हाथ मेरी जाँघों में लगा दिया और वो मेरी ज़िप से खेलने लगी.. मैंने झट से अपनी जिप खोल दी।
पहली बार पुष्पा ने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रखा.. मैं उसके बड़े-बड़े चूतड़ों को दबा रहा था, वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी.. तब मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा.. मैंने उसके नाड़े का एक सिरा पकड़ कर खींच दिया। उसकी सलवार ढीली हो गई.. मैंने उसकी सलवार के अन्दर हाथ डाल दिया.. और उसकी बुर को सहलाने लगा।
फिर मैंने अपनी पैन्ट निकाली और उसकी चूचियों को मस्ती से दबाने लगा। वो भी जोश में आ गई थी। उसकी चड्डी के ऊपर से मैं उसकी चूत सहलाने लगा। अब हम दोनों चुदास के कारण बेकाबू हो गए थे।
मैंने उससे कहा- चल.. अन्दर घर में चलते हैं।
उसने भी अपनी गर्दन ‘हाँ’ में हिला दी.. मैं कच्छे में ही था। वो भी अपनी सलवार सम्भाल कर मेरे पीछे आ गई। मैंने वहाँ पर रोशनी कर दी.. और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी सलवार ले कर एक तरफ फेंक दी। वो सिर्फ़ अपनी चड्डी तथा कुर्ते में मेरे सामने अपने हुस्न का जलवा बिखेर रही थी।
मैंने भी अपनी बनियान निकाल दी.. साथ ही उसकी कुरती भी उतार दी। अन्दर उसने एक स्लिप पहनी हुई थी। तब मैंने उसकी छोटी सी चड्डी पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उसे नीचे खिसका दी। अब मेरे सामने उसकी गोरी चूत थी.. जिस पर काले रेशमी से बाल थे। बउसकी मरमरी जाँघें जो भरी हुई थीं.. बिल्कुल केले के तने सी गोल थीं.. मैं उसकी जांघों को सहलाता हुआ उसे चूमने लगा।
फिर मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया.. नीचे सिर्फ़ एक चादर बिछाया हुआ था। वो इस वक्त एक बहुत ही सुंदर संगमरमर की मूरत लग रही थी। मैं भी निक्कर निकाल कर पूरा नंगा हो गया। पहली बार मैंने उसके दोनों पैर मेरे कंधे पर रखे और मेरा सुपारा उसकी गोरी चूत के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा। ‘आअहन्न..’
उसकी एक दर्द भरी चीख के साथ ही अपना पूरा लंड उसकी चूत में फंसा दिया। मेरी बहन की एकलौती बेटी को मैं इस अवस्था में इतनी ज़ोर से चोद रहा था.. कि वो तड़फ़ उठती थी। उसकी चूत के दोनों भाग चरमरा जाते थे.. मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था.. उसकी रसीली चूत पनिया गई थी, मेरी भांजी मासूम कली.. मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसे 20 मिनट तक चोदता रहा होऊँगा। अब तक वो भी खूब मजे लेकर चुदने लगी थी। मैंने उसे पलटा कर डॉगी स्टाइल में बनाया.. उसकी चूत के नमकीन रस से मेरा सुपारा फूल गया था।
जैसे वो डॉगी बनी.. मैंने उसके दोनों कूल्हे अपने हाथों से अलग किए। उसकी नाज़ुक गुलाबी गाण्ड मेरे सामने थी। मुझे लगा कि इस छेद में भी डाल के देखूँ.. सही मौका था। उसकी गाण्ड पर मैंने अंगूठा रख दिया और मेरा सुपारा उसकी नाज़ुक गाण्ड के छेद पर रख दिया।
हालांकि मैं बहुत कोशिशों के बाद भी नाकामयाब रहा.. तब मैंने मुँह से थूक निकाला और उसकी गाण्ड के छेद तथा मेरे सुपारे पर मल लिया। अब फिर से लौड़े को छेद पर टिका कर दबाव डाला.. तो अभी मेरा आधा सुपारा ही अन्दर गया होगा कि वो बहुत जोर से कराहने लगी।
तब मैंने मेरा लंड निकाल कर चूत में ही डाल दिया और उसको पूरी ताकत से ज़ोर-ज़ोर से चोदता हुआ अपने अंतिम पड़ाव पर आ गया। मेरी भांजी झड़ चुकी थी और वो मुझे बस करने की कह रही थी.. तभी मैंने अपना गाढ़ा वीर्य उसकी चूत के बाहर ही गिरा दिया।
दोस्तो, यह मेरा अपना निजी अनुभव है.. यह मेरी सच्ची कहानी है.. मुझे आपके विचार जानना है.. तो जल्दी से लिखिएगा.. मुझे इंतजार रहेगा। [email protected]
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