This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हेल्लो दोस्तों आपका दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कहानी के साथ एक बार फेर हाजिर है।
ये बात पिछले 8 साल की है जब मै अपने मामा जोके खुद के स्कूल के प्रिंसिपल है, उनके स्कूल में पढ़ने के लिए अपने नौनिहाल गया हुआ था। मेरे मामा अभी तक कुंवारे थे। सो प्रिंसिपल का लाडला भांजा होने के कारण मुझे भी लेट आने या छुट्टी मारने में किसी का डर नही था।
उस वक्त आज की तरह इतनी सेक्स की जानकारी नही थी। शुद्ध भाषा में बोले तो सेक्स की क, ख से अनजान था। बस दोस्तों से सुनता था के कैसे पति पत्नी बच्चा पैदा करते है, मेरा खुद का इससे पहले का कोई अनुभव नही था।
मामा का घर स्कूल के बगल में ही था। जिसकी वजह से उनके ज्यादातर पड़ोसियों से मेरी अच्छी जान पहचान बन गयी थी।
सुबह 6 बजे जागना और स्कूल में कामवाली से साफ सफाई करवाना। बस यही मेरे मुख्य काम थे। कुछ महीने बाद हमारे स्कूल के सामने ही एक फेमली नई रहने आई थी। जिनमे 30 वर्षीय विकास भाई, 26 वर्षीय उसकी पत्नी संध्या और 5 वर्षीय बेटा राकेश को मिलाकर, 3 मेंबर रहते थे। विकास भाई की शहर की दाना मण्डी में किराना की दुकान थी। वो सुबह साढ़े 6 बजे ही घर से चले जाते थे।
बाद में उनका बेटा राकेश भी 7 बजे वैन से स्कूल चला जाता था। उन दोनों के बाद संध्या भाभी अकेली घर पे रह जाती थी। उनके जाने के बाद वो सुबह सुबह बालकॉनी में झाड़ू देने आती थी। धीरे धीरे कुछ ही दिनों में उनसे मेरी अच्छी जान पहचान हो गयी। उनको यदि बाज़ार से कोई समान मगवांना होता तो मुझसे बोल देती थी।
एक दिन मैं सुबह सुबह ऐसे ही स्कूल में सफाई करवा रहा था। तो सामने से संध्या भाभी भी बालकॉनी में झाड़ू लगाने आ गयी। मुझे देखकर उसने हल्की सी स्माइल दी और गुड़ मोरनिंग बोला। मेने भी सेम टू यु बोलकर जवाब दिया। उसने इशारे से मुझे अपने घर में आने का बोला।
मैं कामवाली बाई को 20 मिनट तक किसी काम से बाहर जाने का बोलकर उनके घर चला गया। उनके दरवाजे पे जाकर देखा दरवाजा अंदर से बन्द था। मेने डोरबेल बजाई। तो दो मिनट बाद संध्या भाभी ने ही दरवाजा खोला। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मुझे बड़े आदर भाव से अंदर आने का बोला और सोफे की तरफ इशारा करके बैठने का बोलकर दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया। वो मेरे पास ही थोड़ी दूरी पे वो बैठ गयी। मेने पूछा,” क्या बात है भाभी, इतनी सुबह बुला लिया। सब खैरियत तो है।
वो बोली, क्यों क्या बिना काम के आपको बुला नही सकती क्या ??
मै – नही भाभी मेने ऐसा भी नही बोला। बस ऐसे ही पूछ लिया।
वो – खैर, छोडो इस बात को आप बोलो चाय लोगे या ठंडा ?
मैं – चाय ले आओ भाभी, वेसे भी इतनी सुबह सुबह ठण्डा पीने का मन नही है।
वो उठकर चाय बनाने चली गई। करीब 5 मिनट बाद वो ट्रे में दो कप ले आई। भाभी एक कप मुझे पकड़ाने के लिये जैसे ही झुकी। तो भाभी के गोरे चिट्टे मम्मे देखकर मेरा लण्ड निक्कर में ही खड़ा हो गया। इस बात का शयद भाभी को भी पता चल चूका था।
वो मेरे साथ सटकर सोफे पे बैठ गयी और हंसते हुए बोली,” क्या हुआ देवर जी, कोई दिक्कत है क्या आपको?
मैं – नही भाभी कुछ नही बस ऐसे ही।
चाय पीते पीते हम बाते कर रहे थे। वो (हंसते हुए)- क्यों देवर जी, गांव में कितनी लडकिया पटा रखी है आपने ?
मैं उसके मुह से ऐसी बात सुनकर थोडा शर्मा सा गया और कहा,” नही भाभी एक भी नही है गर्लफ्रेंड तो मेरी।
वो (शरारती लहज़े में) – हो ही नही सकता देवर जी, आप इतने स्मार्ट हो, कोई लड़की न फंसी हो ये बात कुछ हज़म नही हो रही।
मैं – अब आपको कैसे यकीन दिलाऊ भाभी, मेने किसी लड़की को आज तक छूआ तक नही है।
वो – (मेरी निक्कर की तरफ इशारा करके हँसते हुए ) तभी तो मेरी हल्की सी हरक्त से आपका ये हाल हो गया।
भाभी की बात सुनकर मैं शर्म से लाल हो गया और लण्ड के उभार को हाथो से छिपाने लगा।
वो – सच सच बताओ न देवर जी, कभी किसी लड़की को प्रपोज़ या किस किया है आपने ?
मैं – नही भाभी एक बार भी नही। वैसे आप आज ऐसा क्यों पूछ रही हो ?
वो – वो आज 14 फरबरी है न वैलेंटाइन डे।
मैं – तो इसमें क्या खास है भाभी ?
वो – बुध्धू आज के दिन, लड़के लड़कियो को अपने प्यार का इज़हार करते है और अकेले में किस वगैरह भी करते है, मेने सोचा शायद आज आपने भी ऐसा कुछ सोचा हो या करने का मन बनाया हो।
मैं – नही भाभी जब कोई है ही नही, किसे इज़हार और प्यार करूँ ?
वो – आपका ये काम मैं कर सकती हूँ। परन्तु मेरी एक शर्त है।
मैं – कौनसी शर्त भाभी ???
वो – वो यह के जब तक मैं चाहूँगी, तुम्हे मुझे अकेले में मिलना होगा। मंजूर है तो हाँ बोलो वरना कोई ज़बरदस्ती नही है ओर अभी वापिस जा सकते हो।
मैं — नही भाभी आप साफ साफ बोलो मुझे क्या करना होगा ?
वो – देखो देवर जी, आपको गर्ल फ्रेंड चाहिये और मुझको ब्वायफ़्रेंड, क्यों न घर की बात घर में ही रह जाये। हम दोनों एक दूसरे की जरूरत पूरी करदे।
मैं – पर भाभी आप तो शादीशुदा है, आपको ऐसी क्या जरूरत पड गयी, ब्वायफ़्रेंड की ? भाई साब के होते हुए आपकी ज़िन्दगी में कोई लड़का आये, क्या यह बात आपको सही लगती है ।
वो (रोते हुएे) – हां बिल्कुल सही है। क्योंके मैं भी इंसान हूँ, कोई पत्थर की मूर्ति नही। मुझमें भी भावनाये समायी हुई है। मेरा भी दिल प्यार के लिए तरस्ता है। मेरा भी दिल करता है, मेरी हर रात रंगीन हो।
वो चाबी भरे खिलोने की तरह बोले ही जा रही थी।
मैं – क्या मतलब रंगीन से आपका भाभी ?
वो – मतलब के तुम्हारे भाई साब को कोई सेक्सुअली बीमारी है, पहले तो जल्दी उनका खड़ा नही होता, यदि हो भी जाये तो 2-4 मिनटो में ही रस्खलित हो जाते है और मैं प्यासी ही रह जाती हूँ। हर बार अपनी किस्मत को कोसती रहती हूँ।
मैं – पर भाभी फेर भाभी बच्चा कैसे हुआ आपका यदि सही तरीके से सम्बन्ध नही जुड़ा ।
वो – राकेश के जन्म तक ये ठीक थे, उसके बाद ही ऐसे हुए है। हमारी शादी के 3 बाद इन्हें अलग अलग ब्रांड की महंगी महंगी दवाइया खाकर सेक्स करने का बड़ा शौंक था। इनका इरादा होता था ये सेक्स के मैदान में घण्टो तक टिके रहे। पहले जब तक दवाई की इनके शरीर को आदत नही थी। बहुत खूब तरीके से मेरी प्यास बुझाते थे।
मेरी चूत 4-5 बार पानी छोड़ जाती थी पर इनका एक बार भी नही पानी निकलता था। हम बहुत खुश थे। मेने इनको बहुत समझाया के दवाई कभी कभार खाया करो, रोजाना खाने से आप इसके आदी हो जाओगे।
परन्तु इन्होंने मेरी एक भी नही मानी। आज भी जब दवाई खा लेते है। तब तो थोडा बढ़िया तरीके का सेक्स कर लेते है। जब कभी दवाई खत्म हो या दवाई होते हुए भी पहुँच से दूर हो, तब इनका पानी 2 मिनट में ही निकल जाता है।
मेने इनको कई बड़े डॉक्टर्स को भी दिखाया है। उनका कहना है के दवाई खराबी कर गयी है। जिसकी वजह से लण्ड को पर्याप्त मात्रा में खून नही मिल पा रहा मतलब के लण्ड की नाड़ी तन्त्र क्षस्तिग्रस्त हो गया है।
जब कोई विरोध करती हूँ तो मारते पीटते है। एक गुलाम की ज़िन्दगी व्यतीत कर रही हूँ। अब तुम बोलो देवर जी मुझे ब्वायफ़्रेंड बनाना चाहिए या नही ?
मैं – पहले तो भाभी आप प्लीज़ रोना बन्द कीजिये। रही बात भाई के बारे में ऐसी बीमारी की वो मुझे पता नही था। अगर मेरे लायक कोई सेवा हो बताना, आपकी जरूर बात पे गौर करूँगा।
वो – (मुझे गले लगाकर रोते हुए) – प्लीज़ देवर जी आप मान जाओ न आपका ये अहसान ज़िन्दगी भर नही भूलूंगी। मुझे भी पता है ये गलत काम कर रही हूँ। परन्तु कब तक काम अग्नि में जलती रहूगी। किसी दिन कुछ गलत न कर बैठू। मैंने इस लिए आपसे बात कर ली। फेर भी तुम्हे जैसा अच्छा लगे बतादो।
उस समय मेरी जगह आपमें से कोई भी होता ये मौका हाथ से गवांना नही चाहता। सो मेरा भी यही हाल था। एक तो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही थी। दूजा सेक्स के लिए बहुत मन मचलता था। भाभी की बात ने सारी परेशानी का एक मिनट में हल कर दिया।
मैंने हिम्मत करके भाभी के पतले गुलाबी होंठो पे अपने सूखे और प्यासे होंठ रख दिए। भाभी भी आँखे बन्द करके मेरे चुम्बन का जवाब, मेरे होंठ चूसकर देने लगी और लडखडाती आवाज़ में आई लव यु देवर जी मेरी प्यास बुझा दो न, मैं आपकी हर ख्वाहिश पूरी करदूंगी।
हमारा ये चुम्बन करीब 10 मिनट चला होगा।
मैं — मुझे तो इतना ही आता था भाभी, वो भी एक फिळम में हीरो हेरोइन को किस करते देखा था। अब आप जैसा करना चाहो कर सकते हो।
वो — चलो ठीक है, आओ हमारे बेड रूम में चलते है।
मैं उसके पीछे पीछे उनके कमरे में चला गया।
उसने अंदर जाकर अंदर से कुण्डी लगा ली और बोली,” आपको बोलकर बताउंगी तो ज्यादा टाइम लगेगा और शयद पूरी समझ भी न आये। इस लिए मैं टीवी में एक फ़िल्म लगाती हूँ। आप वैसे वैसे करते जाना, जैसे हीरो हेरोइन के साथ करेगा।
मैं – ठीक है भाभी।
वो – इस वक़्त भाभी नही डार्लिंग बोलो सन्ध्या डार्लिंग।
मैं – ओके सन्ध्या डार्लिंग जैसा आपको ठीक लगे।
भाभी ने बेड की दराज़ से एक सीडी कैसट निकाली और सीडी में डालकर प्ले करदी। ये एक ब्लू फ़िल्म थी।
वो — जब तक फिल्म की नम्बरी चल रही है। हम अपने अपने कपड़े उतार देते है।
मुझे उसकी बात ठीक लगी। दो मिनट के अंदर ही हम कपड़ो के बाहर हो गए। हम दोनों नंगे बैठकर वो ब्लू सीडी देख रहे थे। उसमे हीरो बना लड़का, हेरोइन लड़की को नंगा करके उससे अपना लण्ड चुसवा रहा होता है। मेने शरारत भरी नज़रो से भाभी को इशारा किया।
मेरा इशारा पाते ही भाभी ने अपनी कमांड सम्भाल ली और मेरा करीब 4 इंची लम्बा और 2 इंची मोटा खड़ा लण्ड देखरेख भाभी के मुह में पानी आ गया और बोली, कब से ऐसा लण्ड चखने और लेने को तरस गयी थी। आज जाकर भगवान ने मेरी इच्छा पूरी की है। जैसे ही भाभी ने मेरे लण्ड का सुपाड़ा ऊपर करने की कोशिश की तो मुझे थोडा दर्द हुआ।
मैं – भाभी दर्द हो रहा है। क्योंके आज मेरा पहला दिन है।
वो – कोई बात नही डार्लिंग तुम्हारी जान सन्ध्या है न।
मैं – मतलब ??
वो – मतलब ये के तुम्हारा कौमार्य भंग आज मैं ही करुँगी। एक बार दर्द तो होगा फेर मज़ा भी बहुत आएगा।
मैंने दर्द से डरते डरते हाँ बोल दिया।
वो मुंह में लण्ड लेकर चूसती रही। मेरा तो बुरा हाल हो गया था। एक तो मज़ा आ रहा था। ऊपर से दर्द को याद करके दिल भी घबरा रहा था। करीब 5 मिनट बाद मेरे लण्ड में गुदगुदी सी होने लगी और मुझे लगा मेरे पेट से लण्ड के राह से बूंदों में कुछ गर्म गर्म बाहर आ रहा है। मेने भाभी को सारा माज़रा बताया।
वो — घबराओ न डार्लिंग। इसी में मज़ा आने वाला है।
और वो और ज़ोर ज़ोर से मेरा लण्ड चूसने लगी। लण्ड की चमड़ी को जीभ से चाट चाट कर मेरा पहला रस्खलन कर दिया। जो के 2-4 बूंदों में ही आया था। उसे भाभी गटागट पी गयी और अपना मुह साफ करते हुए बोली,” क्यों डार्लिंग आया मज़ा या नही।
मैं – मज़ा तो आया पर?
वो – पर क्या ??
मैं- आपने बोला न के दर्द होगा तो उसकी टेंशन है। मेने ऐसा काम आज तक नही किया।
वो -आप तो डरपोक बहुत हो। वो देखो टीवी में जेसे लड़का लड़की की चूत में लण्ड घुसा रहा है। तुम्हे भी ऐसा करना है। पर उससे पहले तुम्हारा लण्ड दुबारा खड़ा करना पड़ेगा। जिसके लिए तुम्हे भी उस सीन की तरह मेरी चूत चाटनी पड़ेगी।
टीवी देखकर मेरा फेर से लण्ड झटके लेकर खड़ा हो रहा था। मुझे खुद पता नही चला कब मेरा हाथ मेरे लण्ड पे आ गया और मैं उस सीन में लड़के की तरह मुठ मारने लगा। शुरू के एक दो मिनट तो पता नही चला। पर जैसे जैसे मज़ा आ रहा था वैसे वैसे दर्द भी लण्ड की चमड़ी फटने से बढ़ता जा रहा था। मेने दर्द की परवाह न करते हुए लण्ड को ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया और एक लम्बी आह से थोड़ी बूंदे उनके फर्श पर गिरादी।
वो मेरी तरफ देखकर भाभी ताली बजाकर हसने लगी।
मैं – क्या हुआ अब आप हंसे क्यों ??
वो – मेरा भाषण दिया ऐसे ही गया न खुद ही अपना पानी निकल लिया। मेरा पानी कौन निकलेगा?
मैं – अब क्या हुआ है डार्लिंग, अब आपकी बारी है।
हम उस टीवी वाले जोड़े की तरह पोज़ीशन बनाकर लेट गए और मैं भाभी के ऊपर आकर उसके नरम नरम होंठो को चूसने लगा। वो भी बड़े प्यार से मेरे हर चुंबन का जवाब चुम्बन में दे रही थी।
फेर धीरे धीरे मैंने निचे भाभी के गोरे चिट्टे मम्मो को अपने हाथो में लेकर चूस रहा था। वैसे तो मैं उस वक़्त एक दम नौसिखिया खिलाडी था, परन्तु टीवी और दिमाग में चढे काम ने एक निपुण खिलाडी की तरह मेने अपना काम जारी रखने का होंसला बनाये रखा।
धीरे धीरे टीवी को देखते देखते मेने भी भाभी की शेव की हुई चूत चाटी। उसका स्वाद थोडा नमकीन और कुसैला सा था, पर काम के वेग से वो भी बढ़िया लग रहा था।
भाभी अपनी आँखे बन्द किये अपनी गांड हिला हिलाकर अपनी चूत चटवा रही थी और 5 मिनट बाद मेरा सिर अपनी चूत पे दबाकर एक आह्ह्ह्ह्ह् लेकर अपना पानी छोड़ गयी। जिससे मेरा चेहरा उसके गाढ़े सफेद पानी से एक दम भीग गया और थोडा मेरे मुँह में भी चला गया। मेने पहले कभी ऐसा अजीब सा स्वाद चखा नही था। सो मेने थूक दिया ओर गुस्से वाली नज़र से भाभी की तरफ देखा।
मेरा चेहरा देखकर भाभी की हंसी निकल गयी और बोली, ये तो शुरुआत है डार्लिंग आगे आगे देखिये आपके साथ क्या होता है??
उसने मुझे गुस्सा न होने का निवेदन किया और माफ़ी भी मांगी।
मैंने ठीक है कहकर उनको माफ़ कर दिया।
उसने इस बार मुझे लेटने का इशारा किया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे लण्ड को सहलाने और चूमने लगी। गर्मी में फूल की तरह मुरझाया लण्ड भाभी के होंठो का स्पर्श पाते हो एक दम फेरे खड़ा हो गया।
भाभी ने मुझे एक बार फेर समझाया के अब मैं तेरे लण्ड में बैठकर इसकी सील तोड़ रही हूँ। थोडा दर्द होगा बर्दाश्त कर लेना। आज का बर्दाश्त किया दर्द तुम्हे सारी उम्र चूत का मज़ा दिलवाएगा।
मेने भी भाभी की हाँ में हाँ मिला दी।
भाभी ने बेड की दराज़ से स्किन क्रीम निकाली और मेरे लण्ड पे मालिश करने लगी। जब मेरा लण्ड क्रीम लगने की वजह से चिकनाई वाला हो गया। भाभी ने मुझे बेस्ट आफ लक बोलकर मुझे तैयार रहने का इशारा किया। भाभी मेरी टाँगो पर मेरी तरफ मुह करके बैठ गयी और बोली,” मेरे राजा अपना ध्यान सिर्फ सेक्स में लगाये रखना, बहुत मज़ा आने वाला है।
मेने ठीक है बोलकर उनको आगे आने का इशारा किया।
भाभी अपने हाथ से लण्ड को अपनी चूत पे सेट करके हल्का हल्का निचे की और दबाव बनाने लगी।
भाभी की गीली और गर्म चूत एक अनोखा मज़ा दे रही थी। जब लण्ड भाभी की चूत के मुह में गया और भाभी के दबाव के कारण मेरे लण्ड की चमड़ी पीछे की तरफ सरकने लगी। मेने भाभी को दर्द होने का बोला।
पता नही भाभी को काम ही इतना चढ़ा था या जानबूझकर मुझे नज़रअंदाज़ कर रही थी। उसने अपना काम जारी रखा और मेरी कोई बात नही सुनी। उसने अपनी उठक बैठक की स्पीड भी बढा दी। मेरा लण्ड तो जैसे किसी ब्लेड से छिल गया था। उसने बडी जलन और दर्द हो रहा था। भाभी वजन में भी मुझसे ज्यादा थी और ताक़त में भी सो वो अपनी धून में मस्त रही और 10 मिनट की इस सील तोड़ लड़ाई में थक हारकर मेरे ऊपर ही ढेरी हो गयी।
मेने धकका देकर उनको अपने ऊपर से हटाया और उनके बेडरूम का दरवाजा खोलकर भागकर आँगन मर आया और अपना लण्ड उजाले में आकर देखा तो अपने लण्ड का हाल देखकर बहुत मन खराब हुआ।
मेरे लण्ड में सूजन और दर्द बहुत तेज़ी से हो रहा था। ऊपर से कोई कपड़ा भी छु जाये तो बहुत जलन होती थी। जब भाभी को होश आया उसने अपने पास मुझे न पाकर बाहर अपने कपड़े पहन कर और टीवी बन्द करके आँगन ने मेरे पास आ गयी और बोली,” यहां आकर क्या कर रहे हो ?
इधर मेरा दर्द से बुरा हाल हो रहा था। उसने मेरे लण्ड की तरफ देखा और बोली,” अच्छा तो इसकी वजह से परेशान हो ?
लाओ इसकी भी मुरम्मत कर देती हूँ।
पर एक शर्त है, रोज़ाना इसी टाइम पर आकर इसकी मालिश करवा लेना। इसपे मैं कुछ नही बोला।
भाभी अंदर गयी और एक दर्द की गोली और एक फर्स्ट एड का बक्सा ले आई। मुझे एक गोली खाने को दी और अपने हाथ से मेरे लण्ड पे आरामदायक लोशन लगाया।
जब भाभी की नज़र दीवार घड़ी पे पड़ी तो बोली,” अब जानू आप जाओ, तुम्हारे भाई के ब्रेकफास्ट का टाइम हो गया है। उसने हमे दोनो को इस हाल में देख लिया तो कोहराम मच जायेगा। शाम को एक बार फेर चेक करवाने आ जाना।
मुझे भाभी की बात ठीक लगी और मैं कपड़े पहन कर अपने मामा के घर चला गया और उस दिन स्कूल भी नही गया।
शाम को 5 बजे के करीब भाभी हमारे घर अपने बेटे को ढूंढने के बहाने आई और नानी माँ से बाते करने लगी। नानी ने बताया, पता नही क्यों सुबह से सुस्त सा है। बस सोया हुआ है।
मैं कम्बल के अंदर से उन दोनों की बाते सुन रहा था। थोड़ी देर बाद भाभी अपने घर चली गयी।
मैं भी उनके जाने के 20 मिनट बाद उठकर बाथरूम गया। वहां जाकर लण्ड का जायजा लिया और सूजन तो सुबह जितनी ही थी पर दर्द काफी हद तक रुक सा था। मैं चाय पीकर बाहर खेलने का बहाना बनाकर भाभी के घर की तरफ आ गया। भाभी ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर करके दुबारा अंदर से लॉक कर दिया। मेने पूछा भाभी आपका बेटा राकेश नही दिख रहा।
वो बोली,” वो अभी तक सो रहा है। स्कूल से घर तक गर्मी की वजह से इसका बुरा हाल हो जाता है। सो इसे एक घण्टा पहले ही नहलाकर सुलाया है। उसको छोडो अपना बताओ केसी हालत है मेरे प्सन्दीदा खिलोने की?
मेने निकर निचे करके उनको अपना लण्ड दिखाया। उसने मुझे 4-5 गोलिया दी और बोला सोते वक्त खा लेना। नींद अच्छी आएगी। जब आप बिलकुल ठीक हो जाओगे आगे का काम तब करेंगे।
मेने ठीक है कहा और अपने घर आ गया।
लगातार दवाई खाने और मालिश करने से लण्ड की हालत में सुधार आता गया और 7-8 दिनो में ही खुद को पहले जैसा महसूस करने लगा।
उसके बाद तो रोज़ाना संध्या भाभी के घर में जाकर उनकी रसोई, बाथरूम, बेडरूम, सीढ़ीया, सोफे और ऐसी कोई जगह नही छोड़ी जहां उनको चोदा न हो। हमारा ये सेक्स प्रोग्राम एक साल ही चल सका। उसके बाद मेरे पैरंट्स ने यही पंजाब में अपने घर पढने का निर्देश दे दिया। अब जब भी अपने नौनिहाल जाता हूँ, संध्या भाभी के घर जाकर उनको मिलकर चोदकर जरूर आता हूँ।
सो मित्रो ये थी एक लम्बी मेरे पहले सेक्स अनुभव की कहानी। आपको केसी लगी ईमेल करके बताना.. मेरी मेल आई डी है “[email protected]”
आज के लिए इतना ही, फेर किसी दिन फुर्सत मिली तो आपकी सेवा में न्या अनुभव लेकर जरूर हाज़िर होऊँगा। तब तक के लिए अपने दीप पंजाबी को दो इजाजत
गुड़ बॉय, नमस्कार, छबा खैर।
नोट ;- ईमेल में सिर्फ कहानी से सम्बंधित बातचीत ही की जाये। धन्यवाद!!
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000