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हैलो दोस्तो.. मैं विकास कुमार फिर हाज़िर हूँ.. आपने मेरी अपनी खुद की कहानी मामा की लड़की संग जबरदस्त चूत लंड चुसाई -1 पढ़ी। अब आगे क्या हुआ.. उसको ले कर मैं फिर से हाज़िर हूँ।
एक बार पिछले भाग का अंश लिख रहा हूँ जिससे याद तरोताजा हो जाए.. मैंने धीरे से उसकी छोटी सी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी.. वो चिहुँक उठी और मेरे लंड को मुँह से निकाल कर ‘आहें’ भरने लगी- भैया.. आह्ह.. प्लीज ये मत करो.. अजीब-अजीब लग रहा है.. य सुनते ही मैंने उसको और जोर-जोर से चाटना स्टार्ट कर दिया। वो जोर-जोर से सांसें लेने लगी और जोश में मेरा भी आधे से ज्यादा लंड अपने मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसने लगी।
हम लोग लगभग 5 मिनट तक इसी अवस्था में मजे लेते रहे। फिर हम लोग झड़ने वाले थे.. तो मैंने उसका चेहरा जोर से पकड़ लिया.. जिससे मेरा सारा माल उसके हलक में गिर गया और वो मजे से सारा माल पी भी गई। मैंने भी उसका सारा माल चाट लिया। फिर हम दोनों सीधे हो कर लेट गए और एक-दूसरे को किस किया और सो गए।
अब आगे..
अगले दिन रात में भी यही हुआ उसके दो दिन बाद मेरे पापा के कोई मित्र अस्पताल में थे तो वो मम्मी के साथ उन्हें देखने गए थे। मम्मी ने बोला- मैं शाम तक वापस आ जाऊँगी। मैं तो बहुत खुश हुआ कि आज मौका अच्छा है। आज सुमन की चिकनी चूत और चूचियों के दिन में दीदार हो जायेंगे।
जब मम्मी-पापा चले गए तो दस मिनट बाद ही सुमन मेरे पास आकर बैठ गई। मैं लेटा था.. जैसे ही वो बैठी.. तो मेरा लौड़ा उसके गाण्ड की दरार में जाकर ठोकर मारने लगा और मैंने पीछे से उसे लेटे-लेटे ही अपनी बाँहों में भर लिया और चूचियाँ मसलने लगा। वो बोली- भैया कोई आ जाएगा.. अभी मत करो।
मैंने कहा- कोई नहीं आएगा ये कहते हुए मैं उठ कर मेन गेट बंद कर के वापस आ गया और उसे बाँहों में भर के चूमने लगा। इतने में वो बोली- भैया अभी रुक जाओ अभी तो मैं नहाई भी नहीं हूँ.. मैंने कहा- चलो आज हम नहला देते हैं।
यह कहते हुए मैंने सुमन को गोदी में उठा लिया और स्नानघर में ले गया और धीरे से उसका कुरता उतार दिया। अब सुमन मेरे सामने सिर्फ ब्रा में नजरें झुकाए खड़ी थी। मैं तो देखता ही रह गया दोस्तो.. काली ब्रा से उसकी गोल-गोल बाहर की तरफ झांकती चूचियाँ.. कितनी मस्त लग रही थीं.. जैसे अँधेरे में बल्ब जल रहा हो..
मैं एकटक उसके रस भरे दूध के लोटे देख ही रहा था.. कि सुमन धीरे से नजर उठा कर बोली- ऐसे क्या देख रहे हो भैया? मैंने कहा- यही कि.. मेरी बहना कितनी सुन्दर और सेक्सी है। यह कहते हुए मैंने उसके चूचे मसलना शुरू कर दिया.. वो जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी।
फिर मैंने धीरे से हाथ पीछे ले जाकर उसके दूधों को ब्रा की कैद से आज़ाद करवाया। सुमन ने अपने हाथों से अपनी चूचियाँ छिपा लीं। तो मैंने कहा- अब इतना भी मत शरमाओ मेरी जान.. आज तो अपने भैया को जी भर कर इनका रस पिलाओ! यह कहते हुए मैंने उसके हाथों को हटा दिया और उसके दो प्यारी-प्यारी चूचियाँ हवा में तन के खड़ी हो गईं..
क्या बताऊँ दोस्तो.. सुमन के निप्पल इतने छोटे और प्यारे लग रहे थे.. कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं एक चूचुक को मुँह में डाल कर मजे से चूसने लगा, साथ ही दूसरे हाथ से शावर चला दिया.. मस्त फुहार हम दोनों के बदन को भिगोने लगी। फिर एक-एक करके मैंने सुमन की दोनों चूचियों का जम के रसपान किया।
इतने में उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और सिस्कारियां भरते हुए मेरे सीने पर हाथ फिराने लगी। मैंने उसकी सलवार उतार कर एक तरफ रख दी.. उसने नीचे भी काली पैंटी पहन रखी थी। मैं उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा.. वो झटके से मुझसे लिपट कर मुझे जोर-जोर से चूमने लगी।
हमने एक-दूसरे की आँखों में झाँका तो लगा कि सुमन कुछ चाहती है। मैं बाथरूम में ही बैठ गया और धीरे-धीरे उसकी पैंटी नीचे को सरकाने लगा। सुमन की चूत पर हल्के-हल्के रोयें दिखने लगे। फिर सुमन की चूत के दीदार हुए। सुमन की चूत पाव रोटी की तरह फूल रही थी। मैंने एक ऊँगली से उसकी गुलाबी चूत का फाटक खोला.. तो उसमें रस की चमक दिखने लगी।
इतने में सुमन बोली- भैया आप भी कपड़े उतार कर नहा लो। मैंने कहा- जैसे मैंने तुम्हारे कपड़े उतारे हैं.. वैसे ही तुम मेरे उतार दो.. तो उसने तुरंत मेरी निक्कर को नीचे खिसका दिया..
मेरा लंड पहले से ही निक्कर के अन्दर गुस्से में बैठा था.. मेरा 7 इंच का लौड़ा एकदम से खड़ा हो कर सलामी देने लगा.. वो एकदम से चौंक गई और दूर से मेरा तने हुए हथियार को हैरत से देखने लगी, उसकी आँखों में अचम्भा झलक रहा था.. वो बोली- ओह्ह.. भैया.. ये तो बहुत बड़ा है.. रात में तो छोटा सा लग रहा था.. मैंने कहा- नहीं सुमन रात में तुमने सही से देखा नहीं होगा.. इसलिए..
बाथरूम में मस्त शावर का ठण्डा पानी चल रहा था.. फिर मैंने एक-दूसरे के शरीर पर साबुन रगड़-रगड़ कर झाग बना दिया। मैंने उसकी चूत को रगड़-रगड़ कर साफ़ किया और फिर बैठ कर उसको पैर फ़ैलाने को कहा। उसके पैर फैलाते ही मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत को फैलाया.. तो उसमें गुलाबी-गुलाबी सा एक छोटा सा छिद्र दिखने लगा..
मैंने ‘लप’ से अपने जीभ उस होल में डाल दी.. वो चिहुँक उठी.. उसने मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं की थी। मैंने जीभ को उसकी गीली चूत में अन्दर तक घुसा दिया। वो जोर-जोर से सिसकियाँ भरने लगी ‘उफ्फ्फ.. आह्ह्ह.. सीईई.. ऊह्ह्ह..’ मैं 5 मिनट तक उसकी चूत का रसपान करता रहा। फिर उसकी चूत से माल निकल पड़ा.. जिसे मैं पूरा पी गया।
अब वो बोली- ओह्ह.. भैया बहुत मजा आया.. अब मेरा नंबर है। यह कह कर वो नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगी।
मैंने लम्बी सी ‘आह..’ भरी और उसने धीरे से मेरे लंड को जितना अन्दर ले सकती थी.. उतना अन्दर ले लिया और अपनी मुँह से अन्दर-बाहर करने लगी। मैं खड़े-खड़े हिलने लगा और ज्यादा से ज्यादा लंड को उसके गर्म मुँह में घुसेड़ने की कोशिश में लग गया। फिर वो मेरे लंड को मुँह से निकाल कर मेरे दोनों गोलों को रसगुल्लों की तरह बारी-बारी से चूसने लगी।
आह.. इतना मजा आएगा.. सोचा भी नहीं था.. फिर मैं भी झड़ गया.. उसने एक एक बूँद पी ली.. और जीभ से चाट-चाट कर लंड को साफ़ कर दिया। फिर हम वहाँ से चलने लगे.. तो सुमन बोली- भैया जैसे मुझे लाए थे.. वैसे ही ले चलो..
इतना सुनते ही मैंने उसके रसीले होंठ चूसते हुए चूची दबाने लगा। इतने में लंड फिर से फनफना उठा.. मैं उसे गोद में उठा कर अपने बिस्तर पर ले गया.. मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया.. वो कामदेव कि सबसे सुन्दर रचना लग रही थी, उसके खड़े-खड़े गुलाबी रंग के निप्पल वाली चिकनी चूचियाँ.. गदराए हुए चूतड़ और रगड़ खा-खा कर लाल हो रखी उसकी चूत.. किसी का भी लंड खड़ा कर सकती थी। मैंने अपनी बहन को उठाया और अपने ऊपर लिटा लिया, दोनों के नंगे बदन एक-दूसरे में आग भड़का रहे थे।
उसकी प्यारी और मखमली चूचियाँ मेरी छाती में घुसी जा रही थीं। फिर मैंने धीरे से जीभ का अगला गरम भाग उसकी चूत की फांक में घुसेड़ दिया.. वो तड़प उठी और बोली- भैया प्लीज.. अब और मत तड़पाओ अपनी बहन को.. प्लीज अब अन्दर डाल दो.. अपनी बहन को चोद डालो.. प्लीज.. मुझे चुदना है अभी.. मैंने कहा- रुको थोड़ा मेरी जान..
यह कह कर मैंने एक ऊँगली और जीभ से उसकी चूत से खेलने लगा। बहन की चुदने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी.. पर अभी मुझे मेरी प्यारी हॉट बहन को थोड़ा और तड़पाना था। फिर कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने सुमन के पैर फैला कर थोड़ी चूत चाट कर गीली कर दी और उसके पैरों को अपने कन्धों पर रख कर अपने लंड को उसकी चूत से सटा कर धीरे से धकेला तो वो फिसल गया।
इतने में सुमन हँसने लगी.. बोली- भैया इसका जाने का मन नहीं है.. इतना सुनते ही मैं वैसलीन की डिब्बी उठा लाया और अपने लंड को अच्छे से चिकना करके थोड़ी ऊँगली से उसकी चूत में भी अच्छे से मल दी और फिर से लंड को सटा कर धीरे से धकेला।
सुमन नाक-भौं सिकोड़ कर जोर से कसमसाई.. मैं समझ गया लंड का टोपा सुमन की चूत में घुस चुका है। वो मुझे पीछे की ओर धकेलने का असफल प्रयास करने लगी और कहने लगी- भैया प्लीज इसे निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मैं यह मौका नहीं छोड़ने वाला था.. इसलिए उसका दर्द कम करने के लिए उसकी चूचियां मसलने लगा और होंठों का रसपान करने लगा। मैंने सिर्फ लंड के सुपारे को ही अन्दर-बाहर करने लगा..
मेरी प्यारी बहन दर्द भरे आंसू आँखों में लेकर मिन्नतें करती रही.. इस बीच मैंने एक जबरदस्त धक्का मारा.. सुमन की जोरदार चीख निकल गई.. लेकिन मेरे और उसके होंठों में दबकर रह गई। मैंने देखा सुमन की चूत से खून बहने लगा। सुमन कहने लगी- भैया प्लीज बाहर निकाल लो.. आपका लंड मेरी जान ले लेगा..
मैंने उसके होंठों से होंठ हटाते हुए समझाया- सुमन मेरी जान.. बस दो मिनट रुक जाओ.. फिर ये दर्द ख़त्म हो जाएगा.. आई लव यू सुमन.. मैं तुम्हारी जान क्यों लूँगा.. तुम भी तो मुझे प्यार करती हो.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
इतना सुनते ही वो भी मान गई और मैं धीरे-धीरे प्यार से अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। दो-तीन मिनट बाद सुमन भी अपनी गाण्ड उचका-उचका कर साथ देने लगी.. तो मेरा भी जोश और बढ़ गया और मैंने एक झटका और मारा।
इस बार मेरा रहा-सहा लंड भी उसकी कोमल चूत में समा गया। सुमन ने एक हिचकी सी ली और मैं उसके दूधों को मसल-मसल कर लंड अन्दर-बाहर करने लगा। उसके चूचे एकदम तन के खड़े हो गए थे और अब सुमन भी बराबर का साथ दे रही थी। वो अपनी कमर उचका-उचका कर मुझ में सामने को तैयार थी। मैं कहने लगा- सुमन मेरी बहन आई लव यू.. मैं उसे चूमने लगा.. वो भी कमर उचका-उचका कर कहने लगी- भैया.. आई लव यू टू..
फिर मैंने कहा- जानू तुम्हारी चूत बहुत कोमल और गरम है.. जी चाहता है ऐसे ही चोदता रहूँ तुम्हें.. सुमन बोली- भैया मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ.. जैसे चाहो वैसे चोदो.. अपनी बहन को.. पेल दो.. आह्ह.. यह कह कर वो अपनी कमर और हिला-हिला कर चुदने लगी ‘आह्ह.. उन्ह्ह्ह चोदो मुझे.. और जोर से चोदो भैया.. अपनी बहन को..’ इस तरह से सुमन अब सेक्सी-सेक्सी आवाजें निकलने लगी।
मैं समझ गया कि अब सुमन पूरी गरम हो चुकी है और इसको चुदवाने में बहुत आनन्द आने लगा है। मैं भी जोश में आ रहा था और मैं बड़बड़ाते हुए बोल रहा था- चुद.. आज अपने भाई से.. ले.. जी भर के चुद.. आज चूत की सारी गर्मी निकाल दूँगा.. मैं तो तुम्हें देखते ही तुम्हें चोदने के सपने संजोने लगा था.. आह्ह.. आखिर इतनी चिकनी बहन की चूत को कोई और चोदे उससे पहले मैं चोदना चाहता था.. ले.. और चुद..
सुमन बोली- ओह्ह.. चोद दो.. अपनी बहन को.. आह्ह्ह उह्ह्ह.. उम्म्म्म.. आई लव यू भैया.. आज से तुमसे रोज चुदेगी तुम्हारी ये चुदक्कड़ बहन.. फाड़ दो मेरी चूत को भैया.. आह्ह.. शांत कर दो इसकी गर्मी को..
मैंने कहा- चिंता न कर बहना.. मैं भी आज के बाद तुझे रोज चोदना चाहूँगा.. तुम्हारी इतनी चिकनी और गर्म चूत है कि बस लंड पिघल रहा है।
वो बोली- भैया तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और लम्बा है.. मेरी चूत कितने चाव से खा रही है आपके लौड़े को…आह्ह.. चोद दो मुझे आज.. उन्ह्हह्ह.. आह्हह्ह..
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह के सामने कर दिया और वो बहुत चाव से चूसने लगी। मैंने उसको घुटने के बल बैठा कर उसकी कमर पकड़ कर गाण्ड को ऊपर को उठाने को कहा। सुमन बोली- हाँ भैया.. अभी लो..
यह कह कर उसने घुटनों के बल लेटी सी होकर अपनी गाण्ड ऊपर उठा दी.. तो मैंने लंड पर फिर जरा से वैसलीन लगा के पीछे से उसकी चूत में लंड को धकेला और मेरा लंड उसकी चूत में अच्छे से समां गया। मैंने पूछा- सुमन दर्द हुआ क्या?
तो वो बोली- नहीं भैया.. अब ज्यादा दर्द नहीं हुआ.. अब तुमने अपनी बहन की चूत में अपने लंड से सुरंग बना दी है.. अब इस सुरंग को और चौड़ा करो भैया.. मैंने कहा- ये लो मेरी जान.. कह कर मैंने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी.. उसकी कमर पकड़ कर मैं आगे-पीछे होता हुआ धक्के मारने लगा और वो जोर-जोर से ‘आहें..’ भर-भर कर बड़बड़ाने लगी.. ‘उफ्फ्फ और जोर से चोदो.. अपनी बहन को.. फाड़ दो अपनी बहन की चूत को..’ मैं और जोश में आ गया और जोर-जोर के धक्के मारने लगा। सुमन अब पूरी घोड़ी सी बन गई थी जिससे उसकी चूचियाँ लटक रही थीं।
मैंने पीठ के ऊपर से हाथ सरकाते हुए उसके दोनों चूचों को पकड़-पकड़ कर मसलना स्टार्ट कर दिया और साथ ही साथ चूत की चुदाई जारी रखी.. अब वो हाँफने लगी थी.. पूरी पसीने से भीग गई थी.. ‘सुमन मेरी जान.. कैसा लग रहा है?’
वो हाँफते हुए बोली- आह्ह.. बहुत अच्छा.. आप जैसा प्यारा भाई.. जिसका इतना प्यारा लंड हो.. उससे तो सभी बहनें चुदना चाहेंगी.. प्लीज भैया ऐसे ही चोदते रहो भैया.. मैंने झटके देना जारी रखा..
कुछ ही देर में सुमन अकड़ गई, मैं समझ गया कि सुमन झड़ गई है। फिर मैंने सुमन की तरफ अपना लंड कर दिया वो हाँफते-हाँफते उसे चूसने लगी। अब वो पूरा का पूरा लंड खा रही थी.. बिल्कुल रंडियों की तरह.. मैं उसका सर पकड़ कर अपना पूरा लंड उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद उसके मुँह में ही अपना माल निकाल दिया.. वो पूरा पी गई।
फिर हम दोनों बिस्तर पर पस्त होकर गिर पड़े और एक-दूसरे को बाँहों में भर लिया.. मैं उसका दूध पीने लगा और वो प्यार से पिलाने लगी और एक हाथ से मेरे लंड को ऊपर-नीचे करने लगी..
दोस्तो, मेरा चुदाई का ये खेल और मस्त अनुभव अभी जारी है.. आगे बताऊँगा कि कैसे मैंने सुमन की आगे चुदाई जारी रखी.. [email protected]
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