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वेटर निकल गया और जाते हुए दरवाज़ा बंद कर गया। उसके जाते ही मैंने बुलबुल रानी को सीधा ले जाकर दीवान पर डाल दिया। मुझमें इतना सब्र नहीं था कि मैं उसे बेड रूम तक ले जाने में 10 सेकंड फालतू लगाता।
हम दीवानों की तरह इतने कस के लिपटे कि एक बार तो सांस ही रुक सी गई, हम एक दूसरे के होंठों से होंठ चिपकाये बेसाख्ता चूमे जा रहे थे, बुलबुल रानी ने मेरी गर्दन ऐसी कस के भींच रखी थी जैसे कि वो मुझे अपने भीतर समा लेना चाहती हो। इस समय रानी बहुत अधिक चुदासी हो गई थी, वो बार बार जोश में आकर कभी मेरी बाँहों पर नोचती तो कभी मेरे बाल खींचती तो कभी चूसते हुए मेरे होंठ पर दांत मार देती।
मेरे हाथ उसके मस्त मुलायम चूतड़ दबा रहे थे। फिर मैंने उसकी चूत पर पजामे के ऊपर से ही हाथ से सहलाया, पजामा एकदम गीला पड़ा था, चूत खूब रस छोड़ रही थी। मैंने जल्दी से पजामे को नीचे घसीट दिया, बुलबुल रानी ने, मेरी आशा के अनुसार, अंदर चड्डी नहीं पहन रखी थी।
मैंने रानी के मुंह से मुंह हटाया और अलग होकर एक झटके से पजामा उतार के फेंक दिया, फिर मैंने अपना निकर भी उतार फेंका और टी शर्ट भी… अब मैं सिर्फ बनियान और अंडरवियर में था। उसके बाद मैंने बुलबुल रानी को अपनी ओर खींचा और झट से उसकी टी शर्ट उतार डाली। उसने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी तो अब वो एकदम मादरजात नंगी थी।
मैं अभी उसकी नंगी खूबसूरती को अच्छे से निहार भी नहीं पाया था कि बुलबुल रानी झट से मुझ से लिपट गई और खड़े हुए लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया। लरज़ती हुई आवाज़ में फुसफुसाई- राजे अब एक मिनट भी न रुको… जल्दी करो… मैं आग में जली जा रही हूँ… जल्दी राजे जल्दी।
उसकी इतनी भीषण चुदास देखते हुए मैंने फ़ौरन अपना अंडरवियर भी उतार दिया और बुलबुल रानी को लिटा दिया। उसने तुरंत ही टाँगें फैला दीं। मैंने निगाह चूत पर मारी तो देखा कि रस उफन उफन के बुर से बाहर रिस रहा था। एक कुशन रानी के चूतड़ों के नीचे लगा के मैं उसकी चौड़ी की हुई टांगों के बीच घुटनों के बल हो गया और उत्तेजना से फूल के कुप्पा हुए सुपारे को चूत के गुलाबी होंठों पर लगा दिया।
बुलबुल रानी एक तेज़ सीत्कार लेती हुई तड़पने लगी, बेकरारी में वो बहकने लगी थी। मैंने बड़ी आहिस्ता से टोपा चूत के मुहाने पर रगड़ना शुरू किया। रानी का हाल तो ऐसा होने लगा था जैसे मछली पानी के बाहर निकल गई हो, ‘हाय, मैं मर गई…’ कहते हुए बुलबुल रानी ने चूतड़ ज़ोर से उछाले जिससे लण्ड रस से लबरेज़ चूत में धनाक से पूरा घुस गया।
जैसे ही लण्ड जड़ तक घुसा मैंने तीन चार तुनके मारे, बुलबुल रानी कराहती हुई कसमसाने लगी, साथ साथ वो चूत से लपलप भी किये जाती थी। चूत काफी टाइट थी, या तो ज़्यादा चुदी हुई नहीं थी या शायद बहुत समय से न चुदने के कारण चूत टाइट बनी हुई थी।नरम और रसीली हरामज़ादी चूत ने लण्ड को कस के अपने भीतर लील रखा था।
मैं उचक उचक के हल्के हल्के धक्के लगाने लगा और अब मैंने अपना ध्यान बुलबुल रानी के मम्मों की ओर दिया, यार… बहुत ही हसीन चूचियाँ थीं! बहुत ज़्यादा बड़ी नहीं थीं, होंगी कोई 36C साइज की। क्रीम जैसी गोरी चिट्टी, रेशम सी चिकनी, अति सुन्दर गोलाकार और उम पर बहुत ही हल्के से ब्राउन रंग की निप्पल, खूब बड़े बड़े घुंडियों के दायरे, दोनों घुन्डियाँ अकड़ के तनी हुई थीं।
मैंने धक्के देते हुए जैसे ही निप्पल छुए, रानी चिहुंक उठी, ‘हाय हाय हाय…’ करती हुई मरी सी आवाज़ में बोली- राजे ऐसे न छू इनको… कस के मसल दे… हाँ ऐसे हाँ ऐसे ही… और ज़ोर से कुचल… बहनचोद और ज़ोर से मसल… आआह्ह्ह आआहहहा…
मैंने मज़े से दोनों चूचे मथने शुरू कर दिए। यार चूचे थे या क़यामत ! नरम थे पर पिलपिले नहीं थे… इतना पीसने के बाद भी अकड़न गई नहीं थी। रानी बेपनाह चुदासी थी, चुदी जो नहीं थी न जाने कितने वर्षों से। उत्तेजना में हरामज़ादी अब तो नॉन वेज गालियाँ भी दे रही थी और मुझे अब उसने तू कह के भी पुकारा था।
मस्ती में डूबकर मैंने खूब ज़ोर ज़ोर से चूचियाँ निचोड़ीं, अंगूठे और उंगली के बीच निप्पल लेकर खूब उमेठा, कभी दायें कभी बाएं तो कभी ऊपर या नीचे। चूचियाँ इतनी सुन्दर थीं की आँखों को भी भरपूर आनन्द आ गया। बुलबुल रानी बौरा कर इधर उधर बदन हिला रही थी, बार बार चूतड़ उचका उचका के लण्ड को लील जाने की चेष्टा में थी। लेकिन मैं अभी भी हौले हौले ही धक्के दे रहा था।
रानी ने मेरी कमर अपनी पूरी ताक़त लगा के अपनी टांगों में जकड़ रखी थी। जब मैं धक्का मार के लण्ड बुर में पूरा घुसेड़ देता तो रानी तड़फड़ा के हाय हाय हाय करती। उसके सुन्दर मुखड़े पर भीषण उत्तेजना लाली छा गई थी, माथे पर पसीने के बिंदु छलक आये थे और उसकी नशीली आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे। चुदती हुई बुलबुल रानी अनुपम सौंदर्य की अति उत्तेजक मूर्ति लग रही थी।
‘राजे प्लीज़ ज़ोर ज़ोर से करो न… क्यों सताते हो… पीस दे मेरे बदन को… हाय…अम्मा… अब नहीं सहन होती गर्मी… राजे हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़ जल्दी जल्दी मारो ना!’ बुलबुल रानी की गुहार सुन के मैंने धक्कों की गति तीव्र कर दी। मेरे हाथ अब उन मस्त मम्मों को मसलने में लगे थे।
फिर मैंने लौड़ा चूत से इतना बाहर निकाल लिया कि सिर्फ टोपा ही चूत के भीतर रहा और मैं लगा लण्ड को गोल गोल घुमाने। चूचियों में उंगलियाँ कस के गाड़ दीं और एक भूखे भेड़िये की भांति मैंने उसके शरीर का मर्दन शुरू कर किया। बुलबुल रानी चीख पड़ी और आह आह करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी। अब वो मचल मचल के बार बार टाँगें ढीली और टाइट कर रही थी।
बुलबुल रानी आनन्द की पराकाष्ठा तक जाने को ही थी, कामोत्तेजना में बहक कर चिल्लाई- राजे… हाँ राजे, ऐसे ही रगड़ मेरे को… कुत्ते… मादरचोद दे ज़ोर ज़ोर के धक्के… जब मर जाउंगी तभी देगा क्या.. तेरी माँ को चोदूँ हरामी पिल्ले!
मैंने रानी की टाँगें अपने कन्धों पर टिकाई और फिर उसके चूचों की घुंडियों में अंगूठे घुसा के लगा धमाधम करारे करारे धक्के ठोकने। रानी मस्ती में बिलबिला उठी, तेज़ तेज़ चूतड़ उछालने लगी। मैंने और अधिक बुरी तरह से उसके मम्मे नोचने खसोटने शुरू कर दिए, ज़बरदस्त धक्के पे ज़बरदस्त धक्का ठोके जा रहा था। फिर मैंने बुलबुल रानी की जांघों पर कस कस के जंगली जानवर जैसे भँभोड़ा। तभी एक तेज़ ‘आआ… आआआह…’ रानी के मुंह से निकली और वो यूँ झड़ी जैसे कोई ज्वालामुखी फट जाता है। लौड़े पर चूत में सब तरफ से गर्म गर्म रस की बारिश हुई। दनादन चूत को बंद खोल करते हुए रानी अनेक बार स्खलित हुई। चरम सीमा के पार जाते हुए बुलबुल रानी ने क्या क्या आवाज़ें निकली हैं कि सुन कर ही अति उत्तेजना से पीड़ित लौड़ा भी लावा छोड़ने वाला हो गया।
मैंने कुछ गहरी सांसें लेकर बिजली की तेज़ी से ज़ोरदार धक्के टिकाये और फिर मैं भी झड़ा, बड़ी तेज़ रफ़्तार से लावा बड़े बड़े गर्म गर्म थक्कों के रूप में रानी की रसीली बुर में झड़ गया। लण्ड ने तुनक तुनक के टट्टों में भरा हुआ सारा माल निकाल दिया और रानी की पहले से ही रस से भरी चूत को और भी भर डाला। हाँफता हुआ मैं आहिस्ता से बुलबुल रानी के ऊपर लेट गया। कुछ देर के बाद जब मेरी साँसें काबू में आ गईं तो मैं उठा, बाथरूम से एक तौलिया लेकर आया और अपने लौड़े को भली भांति पोंछा। यह पहली चुदाई थी इसलिए तौलिया इस्तेमाल करना पड़ा। भविष्य की चुदाइयों में तो यह रानी जीभ से लौड़ा साफ़ किया करेगी जैसा जूसी रानी और दूसरी सभी रानियाँ करती हैं।
फिर वही तौलिया मैंने बुलबुल रानी की चूत पर लगा दिया और उसकी टाँगें पास पास कर दीं जिससे तौलिया सरक न जाये लेकिन इस से पहले मैंने अच्छी तरह से ताज़ी ताज़ी चुदी हुई चूत से बह कर टपकते हुए सफ़ेद लावा मिले चूत रस का मस्त दृश्य देख चुका था। लड़की को चोद के उसकी चूत से बहते हुए माल का नज़ारा बहुत तसल्ली देने वाला होता है, इससे चोदने वाले की आत्मा तक तृप्त हो जाती है।
और जैसा मैंने कहा कि अगली बार जब चुदाई होगी तो वो मेरा लौड़ा जीभ से साफ करेगी और मैं भी उसकी चूत की सफाई जीभ से चाट के करूँगा। यारों ऐसा करने से आपस का प्यार और एक दूसरे के लिए जगी हुई भीषण काम वासना में और भी खूब ज़्यादा बढ़त होती है।
फिर मैं बुलबुल रानी के पास लेट गया और आहिस्ता से उसका मुखड़ा अपनी ओर किया। रानी एक दम तृप्त थी, चेहरा पसीना पसीना था और आँखें अधमुंदी हुई।
रानी ने धीमी सी आवाज़ में ऊँऊँ… ऊँऊँ… किया, फिर उसने मेरा चेहरा थाम के बड़े प्यार से मुंह पर दस बारह चुम्मियाँ दागीं और मेरा सिर अपनी छाती से चिपका के बालों से खेलने लगी। मैं भी रानी के चूचियों के ऊपर के भाग से मुंह सटाये उसके मलाई जैसे मस्त बदन के स्पर्श और सुगंध का लुत्फ़ लेता रहा, मेरी ठुड्डी उसकी चूचियों के बीच में टिकी हुई थी, बहुत मस्त !!!
कुछ देर हम यूँही चुपचाप पड़े रहे और एक दूसरे के साथ आलिंगन का आनन्द लेते रहे। मेरे बालों में उंगलियाँ गोल गोल घुमाते हुए रानी ने प्यार भरी आवाज़ में कहा- राजे बहुत अच्छा लगा… तू वास्तव में बहुत बदमाश है… क्यों इतनी ज़ोर से मम्मे मसले? हूँ ? अभी तक दुखन हो रही है…मैं भी तुम्हारे अंडे मसल देती तो?
मैंने कहा- माँ की लौड़ी… रांड… और ज़ोर से कुचलो… और ज़ोर से… और ज़ोर से… कौन कह रहा था बार बार? मैंने तो नहीं कहा था.. अंडे मसल देती तो मैं हिंजडा बन जाता और क्या… इतना कह के मैंने जीभ पूरी निकाल के जितनी दूर तक घुमाई जा सकती थी घुमा कर इस अलौकिक काया को चाटा जबकि रानी ने प्यार से मेरी पीठ पर थपकी मारी- चुप रहो… कुछ भी जो मुंह में आता है वो बोले जाते हो.. ऐसी गन्दी बातें करोगे तो मैं कुट्टी कर लूंगी।
यकायक मुझे ध्यान आया कि रानी को चूत दिखाई की भेंट भी तो देनी है, मैंने कहा- सॉरी बुलबुल रानी, एक ज़रूरी बात चुदाई की जल्दी में भूल गया… खैर कोई नहीं, वैसे भी ये काम चुदाई के बाद ही करें तो ज़्यादा मज़ा आता है।
मैं उठा और अपने बैग में से जो रानी के लिए घड़ी खरीदी थी वो निकाल लाया। घड़ी उसके केस में से निकाल कर मैंने कहा- रानी यह मेरी अपनी बुलबुल रानी का चूत दिखाई का तोहफा… आँखें मूंद ले रानी… पूरी बंद करनी हैं… पलकों में से झांकना नहीं है… समझ गई न? मैं फर्श पर घुटनों के बल बैठ गया और बड़े अंदाज़ में बोला- रानी जी… वैसे तो आपकी बेपनाह खूबसूरती के सामने यह तोहफा बहुत तुच्छ है… लेकिन बड़े प्यार से लाया हूँ आपके लिए… कृपया इस को कबूल फरमाइए और इस ग़ुलाम को एक मोटी सी गाली का इनाम दीजिये… लाइए अपना बायाँ हाथ आगे कीजिये… आँखें अभी भी मूंदे रखिये प्लीज़।
रानी ने अपना बायाँ हाथ बढ़ा दिया जिसे थाम के मैंने पहले तो खूब मज़े से सहलाया, फिर बहुत सारे चुम्मे लिए। इस मादरचोद के बदन का एक एक इंच बहुत हसीन था, हाथ मुलायम सा, नरम सा, गर्म सा ! नाज़ुक सी सुन्दर बांह !! बिना कोई खोट वाली रेशमी स्किन !!! मैंने प्यार से घड़ी उसकी कलाई में बांध दी और कहा- महारानी बुलबुल जी… अब आप अपने नयन खोल सकती हैं…
रानी ने पूछा- सच में खोल लूँ या तुम्हें अभी और बदमाशी करनी है… क्यों छेड़ छाड़ कर रहे थे मेरे हाथ के साथ? मैं- अब खोल भी लीजिये मल्लिका ए आलिया… यह नाचीज़ क्या करे… आपका हाथ था ही ऐसा हसीन कि छेड़ छाड़ किये बिना रहा ही नहीं गया। बुलबुल रानी- चलो खोल लेती हूँ… कहते मुझे हो रानी, महारानी और जाने क्या क्या… करते सब अपनी मर्ज़ी हो…ऐसे शैतान ग़ुलाम से तो भगवान बचाये…. मैंने कहा- जान, अब तो चक्षु खोल ले और देख क्या चूत दिखाई वाली भेंट है।
बुलबुल रानी ने पूछा- बाद में खोलूंगी, पहले यह बताओ कि यह चूत दिखाई का क्या चक्कर है? मैं बोला- रानी… मैं जब भी किसी रानी की पहली बार चुदाई करता हूँ तो मैं उसे एक तोहफा चुदाई के फ़ौरन बाद देता हूँ। कोई और नाम समझ न आने के कारण मैंने इसे चूत दिखाई की भेंट कहना शुरू कर दिया। जब नई बहू घर आती है तो उसको मुंह दिखाई की भेंट दी जाती है न… उसी प्रकार मैं जब नई चुदाई करता हूँ तो नई रानी को चूत दिखाई देता हूँ!
बुलबुल रानी ने घड़ी देखी और फ़ौरन उतर के नीचे फर्श पर मेरे पास आ बैठी- राजे बहुत ही प्यारी घड़ी है… इतनी महंगी घड़ी क्यों ली राजे… बहुत ही अच्छी है… थैंक्स राजे थैंक्स ए लॉट… कहते हुए रानी ने मेरा चेहरा अपने नाज़ुक हाथों में लेकर बार बार होंठ चूमे। मैंने भी मस्ती में आकर उसकी कलाई जहाँ घडी बंधी थी वहाँ चुम्बन लिए, फिर पूछा- बुलबुल रानी पसंद आया चूत दिखाई का तोहफा? वैसे तो मैं अधिकतर चूतदिखाई में सोने की पायजेब देता हूँ पर यहाँ ऑस्ट्रेलिया में पायजेब कहाँ से लाता इसलिए रानी की सुन्दर कलाई के लिए घड़ी ले आया!
बुलबुल रानी ने कहा- अरे राजे… तुम जो भी इतने प्यार से ले आते मैं उस में ही खुश हो जाती… वैसे एक बात बताऊँ… जैसे ही तुमने उस दिन पार्टी में मेरे पैर का चुम्बन लिया था मैं तभी समझ गई थी कि बस अब मेरी इस आदमी से चुदाई जल्दी ही होगी… उस एक चुम्बन में ही मेरी चूत भीग गई थी… मैंने देखा कि तुम बिल्कुल अलग किस्म के आदमी हो… तुमसे मिलने के पांच मिनट में ही मेरे दिल में प्यार की लहरें उठने लगी थीं… बहनचोद तुमने जब सीढ़ियों पर बिठाकर मेरे पैर चूमे तब तो हद ही हो गई… चूत ऐसे चू रही थी जैसे अंदर कोई नलका लगा हो… पता है सारी की सारी पैंटी तर हो गई थी… डर रही थी कि कहीं पैंट पर गीलापन दिखने न लगे!
मैंने रानी को पकड़ के दस पंद्रह चुम्मियाँ दाग दीं। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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