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अब तक आपने पढ़ा.. मैं- वैसे ही.. पता नहीं कब कहाँ ज़रूरत आ जाए.. जैसे आज ज़रूरत पड़ गई.. रूको मैं लेकर आता हूँ। सोनिया- ओके जाओ लेकर आओ। मैं उसी की ओढ़नी लपेट कर कन्डोम लाने चला गया.. बाइक की डिक्की से तो कन्डोम निकाल लिया और आते समय मैंने सोचा देखूँ कि सूर्या क्या कर रहा है? अब आगे..
मैंने उसको देखा कि साला फोन पर ही लगा हुआ था तो मैं उसके कमरे में गया। मैं- क्या कर रहा है साले? सूर्या- तेरी बहन को फोन पर चोद रहा हूँ अभी नंगी लाइन पर ही है.. पूछ लो.. मैं- होगी.. मुझे क्या प्राब्लम है..
सूर्या- और साले तुझे तो मैं छोडूँगा नहीं.. मैं- क्यों क्या हुआ.? सूर्या- तुम दोनों भाई-बहन ने मिल कर प्लान करके मुझे फंसाया है। मैं- तुझे कौन बोला? सूर्या- ले लाइन पर ही है.. पूछ ले..
मैं- सोनाली, तुमने इसको सब कुछ बता दिया क्या..? सोनाली- हाँ भैया ग़लत किया क्या? मैं- नहीं.. सही किया.. सूर्या- पूछ ले नंगी है.. तेरी बहन मुझसे अभी चुद रही थी। सोनाली- ये सही बोल रहा है भैया..
मैं- तू साले मेरी बहन को फोन पर चोद रहा है.. और मैं तेरी बहन को रियल में चोदने जा रहा हूँ.. अपने कमरे में वो भी नंगी मेरा इंतज़ार कर रही है। सूर्या- सच? मैं- हाँ बेटा.. नहीं भरोसा हो.. तो देख ये ओढ़नी किसकी है.. पहचानता है ना और अगर फिर भी भरोसा नहीं है तो जाकर उसके कमरे में देख ले।
सूर्या- तो क्या इधर मुझे बताने आया था क्या? मैं- नहीं कन्डोम लेने आया था अगर लाइव टेलीकास्ट देखना है.. तो आ जा.. मैं खिड़की खोल दूँगा। सूर्या- ओके.. जा खोल देना.. मैं अभी तेरी बहन को चोद कर आता हूँ। मैं- ओके!
मैं कन्डोम लेकर अन्दर आया तो.. सोनिया- इतनी देर कहाँ लगा दी..? मैं- देख रहा था तेरा भाई क्या कर रहा है? सोनिया- क्या कर रहा है.. सोया हुआ होगा। मैं- नहीं फोन पर सेक्स चैट कर रहा है सोनिया- किससे? मैं- पता नहीं.. उसको छोड़ो.. तुम मेरे आगोश में आ जाओ मेरी जान.. सोनिया- मैं तो कब से तैयार बैठी हुई हूँ।
‘ओके मेरी जान.. लेकिन पहले मेरे राज़ा को कपड़े तो पहनाओ..’ मैं उसको कन्डोम देते हुए बोला। सोनिया- ओके। उसने मुझे कन्डोम पहना दिया फिर मैंने उसको गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत पर उंगली फिराने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, उसके मुँह से सीत्कार निकल रही थी.. तो मैं लंड को उसकी चूत पर घुमाने लगा।
जब देखा कि वो पूरी गरम है.. तो हल्का सा झटका लगा दिया.. लेकिन ज़ोर पूरा लगाया था सो लंड चूत के अन्दर चला गया और वो ज़ोर से चीख पड़ी.. ‘आआअहह..’ जब तक मेरा हाथ उसके मुँह के पास पहुँचता.. उसकी आवाज़ गूँज चुकी थी और उसकी चूत से खून गिरना चालू हो गया था.. मतलब उसकी झिल्ली फट चुकी थी। वो दर्द से तड़फ रही थी.. सो मैंने उसके मुँह पर अपने होंठ रख दिए और उसके बदन को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद वो जब नॉर्मल हुई तो मैंने एक और झटका मार दिया और मेरा आधा लंड चूत के अन्दर जा चुका था। उसकी आँखों से आँसू आ गए.. सो फिर मैंने उसको किसी तरह नॉर्मल किया और फिर मौका पाकर एक जोरदार झटका मार दिया और अब की बार पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर जड़ तक चला गया।
वो तड़फने लगी.. लंड को निकालने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने नहीं करने दिया और कुछ देर बाद जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने लंड निकाला और उसकी चूत को साफ़ किया। अपने लंड को भी साफ़ किया.. उसके खून से लौड़ा लाल जो हो गया था।
कुछ देर आराम करने के बाद मैं फिर रेडी करने लगा लेकिन वो मना कर रही थी कि बहुत दर्द हो रहा है। लेकिन मेरे मनाने पर वो मान गई तो मैंने फिर से उसकी चूत पर लंड डाला और बड़े ही प्यार से लौड़े को अन्दर डाला.. तो इस बार दर्द कम और बर्दाश्त करने लायक हुआ.. तो मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
जब लौड़े ने चूत में अपनी जगह बना ली और उसे मजा आने लगा.. तो मैं ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने लगा। उसके मुँह से ‘आह्ह.. उई माँ..’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। कुछ देर बाद वो भी नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। कुछ देर वैसे किया.. फिर मैं उसके दोनों टाँगों के बीच में आ गया और चोदने लगा।
वो अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में फंसा कर लेटी थी और कुछ देर उसी अवस्था में उसकी चूत चोदने के बाद मैंने महसूस किया कि उसका शरीर अकड़ने लगा। मैं समझ गया कि ये अब झड़ने ही वाली है.. सो मैंने झटके और तेज कर दिए और वो ज़ोर-ज़ोर से ‘आआहह.. ऊऊऊ ऊऊऊओह.. उउफ्फ़..’ करने लगी और एकदम से अकड़ते हुए डिस्चार्ज हो गई।
तो मैंने भी अपना लंड निकाल लिया और खुद हिलाने लगा। कुछ देर बाद मैं भी डिसचार्ज हो गया और उसके बगल में लेट गया।
मैं- मजा आया? सोनिया- हाँ लेकिन दर्द भी बहुत हुआ। मैं- पहली बार हर किसी को होता है.. फिर धीरे-धीरे मजा आने लगता है.. जैसे आखिर में आया होगा। सोनिया- हाँ बहुत मजा आया..
कुछ देर लेटे रहने के बाद वो खुद मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगी। मैं समझ गया इसका मन एक और राउंड के लिए हो गया है.. मैंने उसको दूसरा कन्डोम दिया.. तो उसने मेरे सोए हुए लंड को जैसे ही छुआ वो फिर से खड़ा हो गया। उसको साफ़ करके उस पर नया कन्डोम पहना दिया और मेरे लंड पर बैठने लगी। मैंने अपना लंड पकड़ लिया और उसकी चूत के छेद में टिका दिया।
वो उस पर बैठ गई और लंड अन्दर चला गया.. ज़रा सी ‘आह्ह..’ के बाद वो खुद ऊपर-नीचे हो कर चुदने लगी। जब वो चुद रही थी.. तब उसकी चूचियाँ गजब की उछाल मार रही थीं। जिसको देख कर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा। वो भी अपनी गाण्ड को घुमा-घुमा कर चुद रही थी और खुद ही ऊपर-नीचे हो रही थी।
फिर वो आगे को झुक गई और मैं उसको किस करने लगा और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर मसाज दे रही थीं। मैं भी उसके चूतड़ों को दबा रहा था और आगे-पीछे होने में उसकी मदद कर रहा था। कुछ देर बाद मैं नीचे से भी झटके मारने लग गया.. कुछ देर वैसे करने के बाद हम दोनों ने पोज़ बदल-बदल कर उस रात चार राउंड चोदन किया। मतलब चार बार हम दोनों डिसचार्ज हुए और फिर थक कर लेट गए.. ना जाने कब हमारी आँख लग गई.. पता ही नहीं चला।
सारी रात हम नंगे ही सोए रहे.. हमारी नींद सुबह खुली.. जब सूर्या की आवाज हमारे कानों में पड़ी। सूर्या- कितनी देर तक सो रहे हो.. उठना नहीं है क्या? एक ही कपड़े से हम अपने आपको छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए मैं बोला- तुम कब जागे? सोनिया- भाई वो..
उसके पास बोलने के लिए शब्द ही नहीं थे.. लेकिन तभी सूर्या- अरे घबराओ नहीं.. मैंने कुछ नहीं देखा.. तुम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ जाओ और जो देखा वो किसी को नहीं बताऊँगा.. तुम लोग ज़वान हो.. ये सब तो हो ही जाता है.. ये सब छोटी-छोटी बातें हैं।
अब सूर्या सोनिया के पास गया और बोला- तुम बुरा क्यों महसूस कर रही हो.. तुमने कुछ ग़लत नहीं किया.. मैं सब कुछ जानता हूँ.. अब मुस्कुरा दो। सोनिया मुस्कुरा दी।
‘ओके गुड गर्ल.. अब जाओ फ्रेश हो कर जल्दी आ जाओ.. मैं जब तक मार्केट से नास्ता ले आता हूँ.. मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं करूँगा.. जल्दी आओ..’ वो बाहर चला गया।
सोनिया- भाई ने तो कुछ बोला ही नहीं.. मैं- वो हमारे बारे में सब जानता है.. मैंने उसको सब कुछ बता दिया था.. सो डरने की कोई बात नहीं.. जाओ फ्रेश हो जाओ। सोनिया- बाथरूम तक अपनी गोद में लेकर चलो ना.. मैं- ओके.. मैं उसको गोद में उठा कर बाथरूम में गया। हम दोनों फ्रेश हुए और कपड़े पहन कर रेडी हो गए तो वो फिर बोली- मुझे गोद में ही ले चलो ना नीचे..
तो मैं उसको गोद में ही ले कर नीचे आया.. टेबल पर सूर्या नाश्ता लगा चुका था, सोनिया मेरी गोद में ही बैठ कर खाने लगी। तो वहीं सूर्या और मैंने दोनों मिल कर सोनिया को सारी बात बता दी।
सोनिया- क्या.. मुझे चोदने के लिए तुम लोगों ने इतना बड़ा प्लान बनाया था। मैं- क्या करूँ.. तुम हो ही इतनी खूबसूरत.. किसी का भी दिल तुमको चोदना चाहेगा। सूर्या- ये प्लान इसका नहीं.. इसकी बहन का था.. जो मुझसे चुदना चाहती है। मैं- ये भी सही है।
सूर्या- मैं अपना वादा पूरा किया.. अब मैं जा रहा हूँ तुम्हारे घर.. और तुम यहाँ एंजाय करो। मैं- ठीक है जाओ.. सोनिया- नहीं सूर्या.. रूको.. मेरे पास एक प्लान है। सूर्या और मैं एक साथ बोले- क्या?
दोस्तो.. मेरी कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा। मेरी कहानी में मजा आ रहा हो.. तो मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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