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मैं संतोष डालटनगंज पलामू.. का रहने वाला हूँ। मैं सांवला रंग का हूँ.. मेरा कद 5 फिट 6 इंच है। मैं हमेशा सोचता था कि काश मेरी भी कोई गर्लफ्रेण्ड होती.. तो कितना अच्छा होता.. लेकिन क्या पता कि इस सफर में मुझे ममता के रूप में लाटरी लगने वाली है।
यह मेरी पहली कहानी है.. जो मेरे साथ घटी है.. इस कहानी में एक भी शब्द काल्पनिक नहीं है। यह बात जनवरी 2012 की है.. जब मैं मुम्बई जा रहा था। मैं अपने चाचा जी के पास जा रहा था.. जो मुम्बई के छत्रपति शिवाजी में रहते थे। मैंने अपना टिकट बॉम्बे मेल मेल बुक करवाया था जो आरएसी मिला था। जब मैं डिहरी से बॉम्बे मेल में चढ़ा तो देखा कि मेरी सीट पर एक बहुत खूबसूरत औरत बैठी हुई है।
मैंने पूछा- क्या आप मिस ममता है? तो वो भी बोली- तो आप ही मिस्टर संतोष जी है? हम दोनों ने रिजर्वेशन चार्ट पर एक दूसरे के नाम पढ़े थे। मैंने ‘हाँ’ बोला और उनके साथ बैठ गया।
मैंने उनसे पूछा- आप कहाँ से हो? तो उन्होंने बोला- मैं डालटनगंज से हूँ। मैंने भी बताया कि मैं भी डालटन गंज का रहने वाला हूँ।
तो इस तरह हमारा परिचय हुआ और हम जल्दी ही घुल-मिल गए। मैंने सिर्फ उनका चेहरा देखा था.. क्योंकि ठंड की वजह से उन्होंने कंबल ओढ़ा हुआ था। जब उन्होंने चाय पीने के लिए कम्बल हटाया.. तो मैं उनकी मदमस्त जवानी देखकर दंग रह गया। क्या माल लग रही थी.. मुझे तो लगा कि मैं तो बिलकुल किसी परी के पास बैठा हूँ। उनका फिगर 34-30-34 की थी.. मुझे तो लगा कि उसे पकड़ लूँ.. लेकिन क्या करूँ मैं अपनी मर्यादा में था।
फिर उसने अपने कम्बल में अपने पैर फैला लिए और बिंदास बैठ गई.. वो मुझसे भी बोली- ठंड ज्यादा है.. तुम भी अपना कम्बल पैरों पर डाल लो।
तो मैंने अपनी टाँगों पर कम्बल डाल कर लेट गया.. लेटने के कारण मेरे पैर और उसके पैर आपस में छू रहे थे। तो मुझमें करंट सा लग रहा था.. अगर कोई सुन्दर औरत आपके साथ बैठे.. तो करंट तो लगेगा ही.. मैं नोटिस कर रहा था कि जब मैं अपने पैरों को अलग कर रहा था.. तो वो अपने पैर मेरे पैर से और सटाए जा रही थी। तो मैंने भी हिम्मत करके अपने पैर को उठा कर उनकी जांघों पर रख दिया।
अब मैंने उससे नजरें मिलाईं तो देखा कि वो मुस्कुराती हुई अपने पैर से मेरे लंड को सहला रही थी।
मेरा लंड तो टाईट हो चुका था.. फिर मैंने अपने पैंट की चैन खोल कर लंड को बाहर निकाल दिया और अपने पैर को उसकी साड़ी के अन्दर चूत के ऊपर पैन्टी पर रख दिया.. तो मुझे कुछ गीला सा अनुभव हुआ। तो मैंने अपने पैर का अंगूठा उनकी चूत में दबाने लगा। तो देखा कि वो होंठ दबा कर ‘सी.. सीई.. सी..’ की आवाज निकाल रही थी। फिर वो धीरे से बोली- चलो बाथरूम में चलते है-.. तो मैंने ‘हाँ’ कह दी।
पहले वो गई उसके जाने के बाद मैंने अगल-बगल देखा और बाथरूम की तरफ चल दिया। बाथरूम में जाने के बाद वो मुझसे लिपट कर किस करने लगी। मैं भी उसको किस करने लगा।
ऐसा लग रहा था कि वो शादी-शुदा होने के बावजूद भी प्यासी है। मैंने उसके नीचे से पेटीकोट के साथ साड़ी को भी ऊपर जांघ तक उठा दिया और पैन्टी में हाथ लगा दिया।
तो वो बोली- अभी तुम इस खेल में अनाड़ी लगते हो। उसने अपना ब्लाउज खोल दिया और ब्रा भी निकाल दी, फिर चूचियों को हिलाते हुए बोली- लो अब इन्हें चूसो। मैं उसके मम्मों को चूसने लगा, मैंने एक अम्मे को दबा कर देखा.. उसकी चूचियाँ बहुत कसी हुई थीं। मैं मदमस्त होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा.. तो जोश के कारण उसकी और मेरी मादक आवाजें कुछ ज्यादा ही निकलने लगीं।
फिर ममता ने मेरी पैन्ट की चैन खोलकर मेरा लंड निकाल लिया। मेरा सात इंच का खड़ा लौड़ा देख कर बोली- इतना बड़ा? मैं बोला- आप तो शादीशुदा हो.. फिर ऐसा क्यों कह रही हो?
तो वो बोली- मेरा हसबैंड मुम्बई में रहता है और 6 माह के बाद एक बार आता है और उसका लंड केवल 4 इंच का है। आपका 7 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा लग रहा है.. इसलिए मुझे जरा डर लगा.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने मेरा हथियार चूसना शुरू किया.. बाथरूम में तो लेटने की तो जगह नहीं थी.. वो कमोड पर बैठ कर मेरा लंड चूस रही थी। उसके बाद मैं बैठ गया और उसकी चूत चाटने लगा।
मैंने देखा कि उसकी चूत से पानी निकल रहा है। क्या बताऊँ दोस्तो.. मुझे इतना मजा आ रहा था.. जिसकी मैं सिर्फ कल्पना करता था। फिर वो बोली- प्लीज संतोष.. अब डाल दो.. अब सहा नहीं जाता.. मैंने उसे पैर फैला कर सिंक पर चूतड़ टिका कर बैठने को बोला। फिर मैंने उसकी चूत के छेद पर लौड़ा लगा कर धक्का मारा… तो फिसल गया। तो ममता बोली- रूको..
फिर उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और बोली- अब धक्का मारो.. अब मैंने कस कर एक धक्का मारा तो उसकी चीख निकल गई.. तो मैं रूक गया और उसे किस करने लगा।
जब वह कुछ शान्त हुई तो मैंने अपने मुँह को उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी चीख बाहर ना जा सके। फिर मैंने एक जबरदस्त धक्का मारा.. तो वो छटपटाने लगी.. मैं फिर वैसे ही रूक गया। जब देखा कि वो शांत हो गई है.. तो मैं उसे हचक कर चोदने लगा और वो भी साथ देने लगी।
पहली बार तो केवल 5 मिनट में ही मेरा माल टपक गया.. फिर वो बोली- इतना जल्दी? तो मैं बोला- पहली बार था न! वो बोली- कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? तो मैं बोला- नहीं.. बोली- मैं डालटनगंज जब लौटूंगी.. तो तुमसे जरूर मिलूँगी..
जब दुबारा मेरा लंड टाईट हुआ तो उसको झुका कर लंड जैसे ही चूत में डालने के लिए धक्का लगाया तो उसने भी पीछे से धक्का लगा दिया। एक बार में ही मेरा लंड उसके चूत में घुसता चला गया। अबकी बार मैंने उसे बीस मिनट तक चोदा.. वो चुदने के बाद में बता रही थी कि उस दौरान वो चार बार झड़ी थी।
जब मेरा निकलने को हुआ तो वो बोली-अन्दर ही डाल दो.. फिर मैंने अन्दर ही माल डाल दिया, उसके बाद ऐसा लगा कि जैसे मेरे शरीर में जान ही नहीं है।
उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और पहले ममता निकली.. फिर पांच मिनट के बाद मैं बाहर निकला।
उसके बाद मैंने उसका नंबर लिया और उसने मेरा नंबर ले लिया.. अभी ममता डालटनगंज में ही है और हमेशा बात होती रहती है। डालटनगंज में मैंने बहुत बार ममता के घर में ही जाकर उसको चोदा। ममता ने अपनी 5 फ्रेंड्स को भी मुझसे चुदवाया है.. और आज भी मैं उन सभी चोदता हूँ।
ममता मुझे मेहनताने के तौर पर पैसे भी देती है।
यह कहानी मेरे साथ घटी एकदम सच्ची आपबीती है.. ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है बल्कि एक वास्तविक घटना है। आपको मेरी आपबीती कैसी लगी.. मेल जरूर करें। [email protected]
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