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अब मेरा लौड़ा अपना माल उगलने के लिए तैयार था तो मैंने उसे कहा- तुम मेरा माल कहाँ लेना पसंद करोगी? तो उसने कहा- मैं भी अभी झड़ने वाली हूँ, दोनों एक साथ अंदर ही निकालेंगे।
तो मैंने और जोर जोर से धक्के लगाने चालू कर दिए और अचानक मुझे ऐसा लगा कि जैसे स्नेहल के अंदर से एक लावा फ़ूटकर बाहर निकल रहा है और तभी उसकी गर्मी से मेरा भी माल मैंने उसके अंदर ही छोड़ दिया। मैं अपने लंड को बाहर निकाले बिना वैसे ही उसके ऊपर निढाल होकर पड़ा रहा।
यहाँ मैं पाठकों के लिए एक ख़ास बात बताना चाहूँगा कि अगर कोई लड़की या औरत की गांड मारनी हो तो जब पहली बार उसके चूतड़ों में लंड डालते हुए उसे भरपूर मजा दे जैसे कि उसकी क्लाइटोरिस को अच्छे से सहलाना या फिर उसकी गर्दन और कान के आसपास अपनी जीभ घुमाना हल्के से काटना या उसकी नाभि के आस पास चूमना। आपकी ऐसी हरकतों की वजह से लड़की को अपना दर्द कम लगने लगता है और उस पर उत्तेजना हावी होने लगती है।
फिर जब हम संभलने लगे तो देखा कि स्नेहल की चूत रानी से हम दोनों का कामरस एक साथ बाहर आ रहा था। फिर हमने पहले साफ़ होने की सोचकर नहाने की बात कही तो उसने भी हामी भर दी और मैं उसे गोदी में उठाकर बाथरूम में ले आया। मैंने उसे जैसे ही उतारा तो वो मेरे गले से लिपट गई, मैंने भी उसे कसकर हग किया और होंठों को होठों से चिपका दिया यह चुम्बन एक बहुत ही गहरा चुम्बन बन गया और काफ़ी देर के बाद साँस लेने के लिए हमने एक-दूसरे से होंठ अलग कर दिए।
अब स्नेहल के मुँह पर एक खुशी वाली मुस्कान थी। फिर हम दोनों ने गरम पानी से एक दूसरे के गुप्तांगों को अच्छे से रगड़ कर साफ़ कराया और फिर एक-दूसरे के नग्न अंगों को छेड़ते हुए नहाने लगे।
नहाते वक्त पानी उसके बालों से होकर गर्दन कंधों से होते हुए तने हुए स्तनों पर चमक कर नीचे जाता और नीचे जाकर उसकी पतली सी कमर और कमर के बाद घुंघराले झांटो में रुककर फिर उस स्वर्ग के दरवाजे पर दस्तक देकर नीचे गिरता या फिर उसकी चिकनी टाँगों पर रेंगते हुए नीचे आता। पीछे से देखने पर उसके चूतड़ तो ऐसे लग रहे थे जैसे कोई तरबूज हो।
नहाने के बाद उसने बड़ी ही अदाकारी के साथ तौलिये से मेरा बदन पोंछा और नीचे झुककर मेरे हथियार के टोपे पर एक चुम्मी ले ली तो वह भी फुंफकार मारने लगा। यह देखकर स्नेहल ने लौड़े को हल्के से एक चपेट लगाते हुए कहा- बदमाश कहीं के, क्या सोने देने का इरादा है या फिर रात भर यूँ ही? हाँ?
तो मैंने उसे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो स्नेहल, मुझे तो नहीं लगता कि यह अब ऐसे इतनी आसानी से मानने वाला है तो तुम तैयार हो ना? उसने कहा- तुम्हारे लिए तो मैं हर पल तैयार हूँ जानू, पर अब पूरे बदन में दर्द हो रहा है। तो क्यों न तुम थोड़ी मालिश कर दो? ‘तुमने तो मेरे मुंह की बात छीन ली, चलो तुम लेट जाओ मैं तेल लगाकर अच्छे से तुम्हारे पूरे बदन की मालिश कर दूंगा।’ इतना कह कर मैं तेल ले आया और उसके बगल में खड़ा होकर उसके लेटने का इंतजार करने लगा। तो उसने मुझे एक प्यारी सी और मीठी सी किस्सी दी और बिस्तर पर अपने पेट के बल लेट गई।
मैंने पहले उसके नाजुक से शरीर पर अपने हाथों से मोरपंख को घुमाया जिससे उसके पूरे बदन में एकदम से सिहरन सी दौड़ गई। जैसे ही मैं मोरपंख उसके चूतड़ों की दरार में से नीचे की ओर ले जाने लगा उसने अपने चूतड़ एकदम से सटा लिए और मोरपंख को अपनी दरार में फंसा लिया। फिर मैंने धीरे से अपने हाथों से उसके चूतड़ों की दरार में से फंसा हुआ मोरपंख निकालकर उसकी योनि के आसपास घुमाना चालू किया जिससे वो उत्तेजित होकर अपनी कमर हिलाने लगी।
तो मैंने उसे कहा- क्या हुआ स्नेहल, तुम्हारे बदन में तो दर्द था ना? अब दर्द नहीं हो रहा क्या? इस बात पर वो शर्माते हुए बोली- तुम भी न राज, पहले पूरे बदन में आग लगाते हो और फिर बुझाने की बजाय अब उसमें घी डाल रहे हो। मालिश बाद में करना पहले मुझे जन्नत की सवारी करा दो। ‘नहीं डार्लिंग, अब जो मैं करूंगा, उसमें तुम्हें बहुत मजा आने वाला है और अगर तुम्हारी छोटी रानी जो हमें इतने मजे देती है, वो अगर नहीं मान रही हो तो लाओ उसे इधर मैं उसे मनाता हूँ।’
यह सुनते ही वो बड़ी फुर्ती के साथ पलटकर अपनी पीठ के बल लेट गई और अपने पैर पसर कर मुझे बुलाने लगी। मैंने पहले तो उसके चूत के द्वार को अपने हाथ से सहलाया और एक हाथ ऊपर ले जाकर उसके स्तनों से होकर उसके होंठ को अपनी उँगलियों के बीच लेकर मसलने लगा। उसके बगल में लेटकर मैं उसके निचले होंठ को अपनी ऊँगली से थोडा खींचकर अपनी जीभ उसके मुंह में घुसाकर इधर उधर घुमाने लगा।
वो तो पागल हुए जा रही थी और अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत का दरवाजा दिखाने लगी। तभी मैं उठकर उसके दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गया और उसकी जांघों को सहलाते हुए उसके पैर अपने कन्धों पर ले लिए। स्नेहल तो मेरे लंड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी और बस उसे अपनी चूत के अंदर समा लेना चाह रही थी।
फिर मैंने भी उसे समझते हुए अपने लंड से उसकी चूत के द्वार पर दस्तक देकर अंदर घुसाया। तो वो अपने हाथ मेरे गले में डालकर मुझे अपनी ओर खींचने लगी। फिर तो मैंने भी नीचे झुककर उसके होंठ अपनी गिरफ्त में लेकर चूसने लगा। हम कुछ इस स्थिति में थे- मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उसके दोनों पैर जो मैंने अपने कन्धों पर लिए हुए थे मेरे नीचे झुकने से उसके कन्धों के पास आ गये थे और हमारे होंठ भी एक-दूसरे से प्यार करने में इतना मशगूल हो गये थे कि एक दूसरों को छोड़ने को तैयार ही नहीं थे।
थोड़ी देर इसी पोजीशन में उसकी चूत को चोदने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकालकर उसकी गांड में घुसा दिया। वो मेरे इस हमले से अनजान थी तो उसने एकदम से चूतड़ों को भींच लिया लेकिन मैंने धक्का इतनी जोर से लगाया था कि मेरा लौड़ा इन सभी बन्धनों को तोड़ कर उसकी गांड में पहुँच चुका था।
फिर हमने एक-दूसरे के होंठों को आजाद किया तो वो जोर जोर से सिसकारियाँ भरते हुए कहने लगी- ओह्ह्हह राज, कम ऑन… फक मी हार्ड… मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी लेकिन लन्ड था कि माल निकालने को तैयार ही नहीं था। बहुत देर से उसी स्थिति में होने के कारण अब स्नेहल की जांघों में दर्द होने लगा था तो उसने मुझे आसन बदलने के लिए कहा।
तो बिना उसकी गांड से लंड को बाहर निकाले उसे अपने ऊपर ले लिया और मैं नीचे आ गया। मुझे पता था कि इस आसन से उसका दर्द और बढ़ने वाला था, मुझे भी तो यही चाहिए था। सही स्थिति में आकर मैंने उसे आँखों से ऊपर नीचे होने का इशारा किया। स्नेहल अपने पूरे जोश में थी और इतना मस्त होकर अपनी गांड मरवा रही थी कि बस्सस… वो बड़ी ही नजाकत के साथ ऊपर नीचे होने के साथ साथ कभी अपने चूतड़ों को पूरा भींच लेती तो लंड में जलन महसूस होती। ऐसा कोई भी एंगल नहीं था जिसमें उसने अपनी गांड मरवाते हुए अपनी कमर ना हिलाई हो, वो अपनी कमर पूरी तरह से 360° में घुमा घुमाकर गांड मरवा के लेती।
थोड़ी देर बाद मैंने अपने लौड़े की ओर इशारा करते हुए उससे कहा- अब इसे अपनी चूत में ले लो और फिर शुरू हो जाओ। तो उसने झट से गांड से लन्ड निकालकर अपने हाथ में लिया और साइड से उसकी पैंटी लेकर मेरे लंड को ठीक तरह से पोंछकर साफ़ कर दिया, फिर नीचे झुककर टोपे पर एक हल्की सी चुम्मी देकर खुद ही लंड को चूत पर सेट करके घप्प से नीचे होकर लंड को चूत के अंदर प्रवेश करा दिया।
मैं भी अपने हाथों से उसके उन्नत उरोजों को मसलने लगा जो किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह उछल रहे थे, वो उपर नीचे हो रही थी जिससे उसके स्तन और भी जोर जोर से उछल रहे थे। थोड़ी ही देर में स्नेहल अपना पानी छोड़ कर मेरे सीने पर निढाल होकर पड़ गई। तो मैंने उसे पकड़ कर नीचे करना चाहा तो उसने मुझे रोका और कहा- अब मुझसे और नहीं होता, मेरी तो पूरी ताकत ही ख़त्म हो गई है इस चुदाई में। इधर आओ मैं चूसकर तुम्हारा रस निकाल देती हूँ।
तो मैंने उसके मुँह में अपना लौड़ा दे दिया, वो जोर जोर से उसे चूस रही थी, कभी सिर्फ टोपा तो कभी पूरा लन्ड अंदर ले लेती। और बीच बीच में अपनी जीभ लौड़े के छेद के अंदर घुसाने का प्रयास करती। उसकी इन हरकतों की वजह से मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और 3-4 मिनट में ही उसके मुंह में झड़ गया तो उसने मेरा सारा माल गटक लिया और हम दोनों एक-दूसरों की बाँहों में बाहें डाले बिस्तर पर लेट गये।
हम दोनों काफी थक चुके थे तो पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गये। आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है, जरूर बताइयेगा.. कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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