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अनिल ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, “यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं अनीता को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि राज तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?”
मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने अनिल से पास खिसकते हुए कहां, “अनिल, सच कहूं। जब अनीता मेरे इतनी करीब बैठी ना, तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।”
अनिल ने मुझे एक धक्का मारते हुए कहा, “यह क्यों नहीं कहते की वह माल है। यार वह है ही ऐसी। कॉलेज मैं तो हम सब उस पे मरते थे। सब लड़के उसे देख कर सिटी बजाते थे। बेटा तू आगे बढ़ मैं तेरे साथ हूँ।”
मैंने भी अपनी झिझक को बाहर निकाल फेंका और बोला, “एक बात कहूं? मैं और नीना भी तुम्हारे बारेमें बहुत बातें करते हैं। मैं उसे तेरे करीब लाने की कोशिश करता हूँ। वह भी तुझे अच्छा मानती तो है, पर उससे आगे कुछ भी बात नहीं करना चाहती।”
अनिल ने तब मेरा कन्धा थपथपाते हुए कहा, “दोस्त, अब हम एक दूसरे के सामने जूठा ढ़ोंग ना करें। सच बात तो यह है की हम दोनों एक दूसरे की बीवी से सेक्स करना चाहते हैं। शायद बीबियों को भी हम पसंद है। पर वह अपनी कामना जाहिर नहीं कर सकती और चुप रह जाती है। हमारी बीबियाँ एक असमंजस मैं है। तूने जो अब तक किया वही बहुत है। अब इसके आगे मुझे कुछ करने दे। बस मुझे तेरी इजाजत और सपोर्ट चाहिए।“
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मैं तेरे साथ हूँ। अब तो आगे बढ़ना ही है। ”
पर इस बातचित के बाद काफी समय तक हम एक दूसरे से मिल नहीं पाए, हालांकि हमारी फ़ोन पर बात होती रहती थी। अनिल और मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गए और एक दूसरे के घर आना जाना हुआ नहीं। कई बार नीना अनिल के बारेमें पूछ लेती थी, तब मैं मेरी अनिल से हुयी टेलीफोन पर बातचीत का ब्यौरा दे देता था।
ऐसे ही कुछ हफ्ते बीत गए। समय को बितते देर नहीं लगती। सर्दियाँ जानेको थी। गर्मी दरवाजे पर दस्तक दे रही थी। शहर के लोग मस्ती में होली के त्यौहार की तैयारियां कर रहे थे। हर साल हम होली के दिन एक दोस्त के वहां मिलते थे। सारे दोस्त वहीं पहुँच कर एकदूसरे को और एक दूसरे की बीबियों को रंगते थे।
माहौल एकदम मस्ती का हुआ करता था। थोड़ी बहुत शराब भी चलती थी। नीना और मैं करीब सुबह ग्यारह बजे उस दोस्त के घर पहुंचे तो देखा की अनिल भी वहां था। हम सबने एक दूसरे को अच्छी तरह से रंगा और फिर अनिल और मैं लॉन में बैठ कर गाने बजाने के कार्यक्रम में जुड़ गए। नीना घर में दूसरी महिलाओं के साथ थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
तब मैंने देखा की अनिल उठकर घर में चला गया। मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। ऐसे ही गाने बजाने में आधा घंटा बीत गया था। तब अनिल वापस आ गया। वह खुश नजर आरहा था। वह निकलने की जल्दी में था। उसने मुझे बाई बाई की और चल पड़ा।
थोड़ी ही देर में नीना और दूसरी औरतें आ गयी और हम सब घर जाने के लिए तैयार हुए। पहले तो मैं नीना को पहचान ही नहीं सका। दूसरी औरतों के मुकाबले वह पूरी रंग से भरी हुई थी। खास तौर से छाती और मुंह पर इतना रंग मला हुआ था की वह एक भूतनी जैसी लग रही थी। उसके कपडे भी बेहाल थे।
मैं उसे देख कर हंस पड़ा। मैंने पूछा, “लगता है मेरी खूबसूरत बीबी को सब लोगों ने इकठ्ठा होकर खूब रंगा है।“
तब नीना ने झुंझलाहट भरी आवाज में पूछा, “अनीता को नहीं देखा मैने। वह आयी नहीं थी क्या?”
मैंने कहा, “मैंने भी आज उसे देखा नहीं। शायद आज वह यहां नहीं आयी।“
तब नीना एकदम धीरे से बड़बड़ाई, “तभी में सोचूं, की जनाब इतने फड़फड़ा क्यों रहे थे। ”
मैंने पूछा, “किसके बारेमे कह रही हो?” मेरी पत्नी ने कोई उत्तर नहीं दिया। हम तुरंत ही मेरी बाइक पर सवार हो कर चल दिए।
घर पहुँच कर मैंने देखा तो नीना कुछ हड़बड़ाई सी लग रही थी। मैंने जब पूछा तो मुझे लगा की नीना अपने शब्दों को कुछ ज्यादा ही सावधानी से नापतोल कर बोली, “देखिये, ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है। आप किसी को कुछ बताइएगा नहीं। पर आपके दोस्त अनिल ने मरे साथ क्या किया मालुम है? तुम्हारे दोस्त के घर में अनिल मुझे कुछ बहाना बना कर पीछे के कमरे में ले गया और उसने मुझ पर ऐसा रंग रगड़ा ऐसा रंग रगडा की मेरी साड़ी ब्लाउज यहां तक की ब्रा के अंदर भी रंग ही रंग कर दिया।
होली के बहाने उसने मुझसे बड़ी बद तमीज़ी की। मैं आप को क्या बताऊँ उसने मेरे साथ क्या क्या किया। उसने मेरी ब्रैस्टस दबाई और उनमें रंग रगड़ता रहा। आप उसे बताइये की यह उसने अच्छा नहीं किया। राज, मैं चिल्लाती तो सब लोग इकठ्ठा हो जाते। मैंने उसे कहा अनिल ये क्या कर रहे हो। पर उसने मेरी एक न सुनी।“
मैंने जैसे ही यह सूना तो मेरा तो लण्ड अपनी पतलून में फ़ुफ़कार ने लगा। मैंने मन ही मन में सोचा, “अरे वाह, मेरे शेर! तुम ने तो मैच शुरू होने से पहले ही गोल दागना शुरू कर दिया।“
नीना को ढाढस देते हुए मैंने कहा, “देखो डार्लिंग यह होली का त्योहार है। एक दूसरे की बीबियों को छेड़ना उनपर रंग डालना, उनसे खेल खेला करना, मजाक करना और कभी कभी सेक्सी बातें करना होता है। इस पर बुरा नहीं मानना चाहिए। पर तुम तो काफी नाराज लग रही हो। मुझे पक्का नहीं पता पर आज अनीता शायद अपने मायके गयी है।
दो तीन दिन पहले मुझे अनिल ने बताया था की उसकी बीबी होली में शायद मायके जाएगी। उसके घर में अनिल अकेला है। मैं आज शाम को उसे महा मुर्ख सम्मलेन में हमारे साथ जाने के लिए आमंत्रित करने का सोच रहा था। अब तो मैं उसको थोड़ा डाँटूंगा तो वह वैसे भी नहीं आएगा। तुम कहो मैं क्या करूँ?” मैंने नीना से ही उसके मन की बात जाननी चाही।
मेरी भोली भाली पत्नी एकदम सोच में पड़ गयी। वह थोड़ी घबरायी सी भी थी। थोड़ी देर बाद वह धीरे से बोली, “बाप रे, अनिल शाम को भी आएगा? वह भी अकेले? अम्मा, मेरी तो शामत ही आ जायेगी।”
फिर नीना एकदम चुप सी हो गयी। नीना की सूरत कुछ गुस्सेसे, कुछ शर्म से और बाकी रंग से एकदम लाल हो रही थी।
वह रोनी सी सूरत बना कर फिर दोबारा बोली, “देखिये, मुझे आप को कहना था सो मैंने कह दिया। अब आगे आप जानो। पर हाँ, आप बात का बतंगड़ मत बनाना। आप अनिल को कुछ मत कहिये । डांटने का तो सोचना भी मत। मैं नहीं चाहती के इस बात पर आप दोनों घने दोस्तों में कुछ अनबन पैदा हो। अगर होली में आम तौर से ऐसा होता है तो फिर ठीक है। अब तो मैं सोच रही हूँ की अगर मैंने आप को यह सब नहीं बताया होता तो अच्छा होता। बल्कि आप यह समझो की मैंने आप को कुछ नहीं बताया। मैं अपनी शिकायत वापस लेती हूँ। आप उसे जरूर बुलाओ। जो मैंने कहा उसे भूल जाओ। आज शायद उसको शराब चढ़ गयी थी। इसी लिए उसने यह हंगामा किया। बात यहीं खत्म करो। जाने दो। उसको डांटना मत, प्लीज?”
मेरी सीधी सादी पत्नी की बात सुनकर मैं मन में हंसने लगा। मैंने मन ही मन हंसकर लेकिन बाहर से गम्भीरता दिखाते हुए बोला, “अगर तुम इतना कहती हो तो चलो मैं अनिल को नहीं डाँटूंगा और उसे बुला लूंगा। पर एक शर्त है। देखो तुम अनिल को तो जानती हो। वह रंगीली तबियत का है। उपरसे आज होली का त्यौहार है। आज तुम अकेली औरत हो। अनीता भी नहीं है। तो और किसको छेड़ेंगे हम? यदि वह तुम्हे और छेड़ता है तो चिल्लाना मत। हो सकता है मैं भी तुम्हारे साथ थोड़ी शरारत कर लूँ। हम थोड़ी शराब भी पी सकते हैं, तो प्लीज बुरा मत मानना और हंगामा मत करना। मैं चाहता हूँ की हम सब मिल कर खूब मौज करें और होली मनाएं। ठीक है ना? तुम गुस्सा तो नहीं करोगी ना?”
जब नीना ने भांप लिया की मैं सुबह वाली बात को लेकर अनिल से ऐसी कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करूँगा तो उसकी जान में जान आयी। तब वह होली के मूड में आ गयी। नीना ने आँख नचाते हुए कहा, “मैंने गुस्सा किया भी तो तुम मेरी सुनोगे थोड़े ही? खैर मैं गुस्सा नहीं करुँगी बस?”
“और बाद में हर होली की तरह बादमें देर रात को फिर तुम मौज करवाओगी ना?” मैंने नीना को आँख मारते हुए पूछा।
नीना ने हंसकर आँख मटक कर कहा, “जरूर करवाउंगी। निश्चिंत रहो। अगर नहीं करवाई तो तुम मुझे छोड़ोगे क्या?” मुझे ऐसा लगा की मेरी रूढ़िवादी पत्नी को भी तब होली का थोड़ा रंग चढ़ चूका था।
जैसे की आप में से कई लोगों को पता होगा, जयपुर एक कल्चरल शहर है और उसमे कई अच्छे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं। होली के समय रामनिवास बाग़ में एक कार्यक्रम होता था जिसका नाम था “महां मुर्ख सम्मेलन” यह कार्यक्रम रात दस बजे शुरू होता था एवं पूरी रात चलता था और उसमे बड़े बड़े हास्य कवी पुरे हिंदुस्तान से आते थे। वह अपनी व्यंग भरी हास्य रस की कविताएं सुनाते थे और लोगों का खूब मनोरंजन करते थे। कार्यक्रम खुले मैदान में होता था और चारों तरफ बड़े बड़े लाउड स्पीकर होते थे। पूरा मैदान लोगों से भर जाता था।
मैं और मेरी पत्नी हर साल इस कार्यक्रम में जाते थे और करीब करीब पूरी रात हास्य कविताओं का आनंद उठाते थे। मेरी पत्नी नीना बड़े चाव से यह कार्यक्रम सुनती और बहुत खुश होती थी। इस कार्यक्रम सुनने के बाद मुझे खास वीआईपी ट्रीटमेंट मिलती और उस रात हम खूब चुदाई करते।
नीना की अनुमति मिलने पर मैंने अनिल को फ़ोन करके पूछा, “क्या तुम और अनीता रात को दस बजे हमारे साथ महा मूर्ख सम्मलेन में चलोगे? पूरी रात का कार्यक्रम है।”
अनिल ने कहा, “मैंने तो तुम्हे बताया था न, की अनीता एक हफ्ते के लिए अपने मायके गयी है? मैं घर में अकेला हूँ। मैं अपनी एम्बेसडर कार लेकर जरूर आऊंगा। हम उसी मैं चलेंगे। पर क्या नीना भाभी को पता है की तुम मुझे बुलाने वाले हो? क्या उन्हें पता है की आज मैं अकेला हूँ?” मैं समझ गया की दुपहर की शरारत का नीना पर कैसा असर हुआ है वह जानने के लिए अनिल लालायित था।
मैंने कहा, “हाँ भाई। मैंने नीना को बताया, और उसकी सम्मति से ही मैं तुमको आमंत्रित कर रहा हूँ।” मैं कल्पना कर रहा था की फ़ोन लाइन की दूसरे छौर पर यह सुनकर अनिल कितनी राहत का अनुभव कर रहा होगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
मैंने अनिल को एक गहरी साँस लेते हुए सुना। फिर अनिल ने धीमी आवाज में बोला, ‘यार एक बात बुरा न मानो तो कहूँ। क्या मैं नीना भाभी के साथ थोड़ी छेड़छाड़ कर सकता हूँ? और मुझे तुम दोनों से एक बहुत जरुरी बात भी करनी है, पर वह थोड़ी बोरिंग है।”
तब मैंने अनिल को कहा, “तुम कमाल हो यार। दुपहर को तुमने जब मेरी बीबी को इतना छेड़ा था तो क्या मुझसे पूछा था? आज होली है। आज तो तुम्हारे पास छेड़ने का पूरा लाइसेंस है। तुम नीना को छेड़ो उसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। बल्कि मैं भी आज तुम्हारे साथ उसको जरूर छेडूंगा और जीतनी हो सके उतनी तुम्हारी सहायता भी करूँगा। पर तुम्हारी भाभी आज तुम्हारी दोपहर की हरकत से नाराज थी। खैर, मैंने उसे समझाया की होली में सब लोग एक दूसरे की बीबियोँ से थोड़ी सेक्सुअल छेड़छाड़ करते ही हैं..
ऐसा करके वह अपने मन की छुपी हुई इच्छाओं का प्रदर्शन करके कुछ संतुष्टि लेते हैं।, ऐसा मौक़ा उन्हें कोई और दिन नहीं मिलता। पर अगर तुम्हारी छेड़छाड़ की वजह से उसका हैंडल छटक गया तो फिर उसको मैं कण्ट्रोल नहीं कर पाउँगा। वह फिर तुम सम्हालना। जहाँ तक तुम्हारी बोरिंग बात का सवाल है तो अगर बहुत जरुरी है तो वह तुम आखिर में सुनाना। आज होली है और मस्ती का माहौल है। माहौल बिगड़ना नहीं चाहिए। आगे तुम जानो। माहौल बनाने का काम तुम्हारा है।”
अनिल ने कहा, “वह तुम मेरे पर छोड़ दो। बस तुम मुझे सपोर्ट करते रहना बाकी मैं देख लूंगा।“
मैंने फ़ोन रखा और नीना से कहा, “अनीता अपने मायके गयी है। अनिल अकेला है। उसने चलने के लिए हाँ कही है। वह अपनी गाडी में रात दस बजे आएगा और हम उसकी गाडी में ही चलेंगे। हम फिर सुबह ही वापस आएंगे।”
नीना ने अपने कंधे हिला कर सहमति दे दी। तब मैंने नीना से कहा, “डार्लिंग आज आप मेरे लिए कुछ ऐसे भड़कीले सेक्सी कपडे पहनो की होली का मझा आ जाए। सारे लोग देखते रह जाए की मेरी बीबी लाखों में एक है।”
तब मेरी बीबी ने पूछा, “क्यों, क्या बात है? सब लोगों में मेरी नुमाईश करवाना चाहते हो क्या? या फिर अनिल को मुझे और छेड़ने के लिए प्रोत्साहन देना चाहते हो?”
मैंने तपाक से जवाब देते हुए कहा, “तुम्हारी बात सच है। मैं सब लोगों के बिच में मेरी बीबी की नुमाइश करना चाहता हूँ। मैं सब को दिखाना चाहता हूँ की मेरी बीबी उन सब की बीबीयों से ज्यादा सुन्दर है। अब बात रही अनिल की, तो वह तुम्हारे मम्मों को पहले भी दो तीन बार तो सेहला ही चूका है। वह तुमको और क्या छेड़ेगा? उसने जो देखना था वह देख लिया, जो कुछ करना था वह तो कर लिया। उससे ज्यादा और वह क्या देख सकता है और क्या कर सकता है भला? अब उससे क्या छुपाना? पर मेरी आँखें तो तुम्हे देखते कभी नहीं थकती। मैं तो तुम्हें अपने लिए तैयार होने को कह रहा हूँ।”
इतना कहना ही मेरी पत्नी के लिए काफी था। थोड़ा सोच कर उसने मेरी बात मानी। शायद नीना अनिल को भीअपने सौंदर्य का दर्शन कराना चाहती थी। उस रात वह ऐसे सेक्स की रानी की तरह सज कर तैयार हुई जैसे मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। कई सालों के बाद पहली बार मेरी बीबी को उस ब्लाउज में देखा जो वह शर्म के मारे कभी न पहनती थी।
वह डीप कट ब्लाउज था जिसमें मेरी रूढ़िवादी पत्नी के भरे और तने हुए मम्मों (स्तनों) का उभार काफी ज्यादा नजर आता था। उसने स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। उसका ब्लाउज चौड़ाई में छोटा था और जैसे वह उसके उरोज को बस ढके हुए था। नीना के स्तन ब्लाउज में बड़ी कठिनाई से समाये हुए थे।उसने आपनी साड़ी भी अपनी कमर से काफी निचे तक बाँधी थी। ऐसा लगता था की कहीं वह पूरी निचे उतर न जाय और उसे नंगी न करदे।
नीना का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ था। सिर्फ दो धागे उसके ब्लाउज को पकड़ रखे हुए थे। नीना की पीठ एकदम खुली थी और ब्रा की पतली पट्टी उसमें दिख रही थी। ब्रा भी तो उसने जाली वाली पहनी थी। ब्लाउज खुलने पर उसके स्तन आधे तो वैसे ही दिखने लगेंगे यह मैं जानता था। नीना की कमर में उसकी नाभि खूब सुन्दर लग रही थी।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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