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मैं अनिल… पूना का रहने वाला हूँ। मैं अपनी सच्ची कहानी आपको बताने जा रहा हूँ.. कृपया आप मुझे गलत मत समझना। मैं बहुत सेक्सी हूँ.. इसलिए गाँव की बहुत सी औरतें मुझे कामुक नजरों से देख लेतीं। मेरा गाँव एक बहुत छोटा सा है.. एक हजार की आबादी वाल गाँव है। गाँव के सब लोग दिन में खेती और अन्य काम पर चले जाते थे।
उस वक्त मैं कॉलेज जाता था.. और दोपहर को लौट आता था। मेरा कॉलेज में एक लड़की के साथ अफेयर था। मैं उसे कई बार किस कर चुका हूँ। उसके साथ सेक्स करना चाहता था.. लेकिन वो कभी मानी नहीं थी, मैंने भी उसे ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया था। कॉलेज की और भी लड़कियाँ मुझे घूर-घूर कर देखती थीं.. लेकिन मैं उन्हें कभी उस नजर से देखता नहीं था।
मेरी भाभियाँ मुझसे बातें.. कभी-कभी थोड़ी बहुत बहुत हरकतें भी करती थीं। लेकिन मैं उन्हें कुछ नहीं कहता था। वैसे तो मेरे पीछे मेरी 4 चचेरी भाभियाँ चुदाई करने के लिए पीछे पड़ी हुई थीं.. अक्सर वो सब मुझे बातों-बातों में ताने भी देती रहती थीं।
एक बार तो भाभी ने हद कर दी और कोई को घर में न देखते हुए उसने मुझे किस कर दिया और हंस कर चली गई। उसके बाद मुझे उसमें बहुत दिलचस्पी बढ़ने लगी।
मेरी ये गीता भाभी बहुत ही सेक्सी थी। मेरा वो भाभी मेरे चाचा की एकलौती औलाद की पत्नी थी और वो भाभी के साथ दूसरे घर में रहता था। मेरा भाई सेल्स मैनेजर था.. इसलिए उसे हफ्ते में एक-दो बार बाहर जाना पड़ता था और दिन में तो वो घर में रहता ही नहीं था।
भाभी की उस हरकत से मैं भाभी के नाम से रोज मुठ मारता रहा और जब भी मुझे मौका मिलता.. मैं उसे देखने लगा।
एक बार मौका मुझे वो मिल गया.. जिसका मुझे इन्तजार था। गर्मी का मौसम था.. इसलिए मैं सोने के लिए छत पर जाता था.. और छत का दरवाजा बाहर से ही था।
उस दिन मेरा भाई चार दिन के लिए मुंबई गया हुआ था और वो उस वक्त अकेली ही घर में थी। मैं गली से गुजरते ही भाभी के घर में घुस गया.. उस वक्त भाभी अपनी साड़ी बदल रही थी। मैं उसे देखते ही रह गया.. उसे पता चल गया था कि मैं आ गया हूँ.. लेकिन तब भी उसने मुझे अनदेखा किया। मैंने उसे पीछे से देखा तो वो बहुत सेक्सी दिखाई दे रही थी और वो बहुत सुन्दर भी थी। उसकी फिगर 36-24-34 की थी.. तो मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसकी तरफ को बढ़ गया।
ऐहतियात के तौर पर मैंने एक बार बाहर को देखा.. तो मुझे लगा कि कोई आ रहा है.. मैं बाहर गया.. तो देखता तो हूँ कि मेरे चाचा उधर से गुजर रहे थे।
मैं घबरा गया और जल्दी से छत पर जाकर लेट गया और सोने लगा.. पर मुझे कुछ भी करके नींद नहीं आ रही थी। मुझे बार-बार भाभी का वो गुलाब सा खिला हुआ बदन सामने दिखाई दे रहा था।
मैं भाभी के नाम से तड़पने लगा। करीब एक बजे जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो मैं दबे पाँव भाभी के घर की ओर चल पड़ा।
तब तक गाँव में सब सो चुके थे.. मैं उनके घर पर गया और दरवाजा थोड़ा सा ढकेल दिया.. तो मैंने देखा कि दरवाजा अन्दर से ही खुला पड़ा है। मैं भाभी की चाल समझ गया और अन्दर घुस गया।
अन्दर जाकर मैंने भाभी को चित्त पड़ा हुआ देखा तो मैं सीधा उनके ऊपर लेट गया। तो भाभी ने मुझसे कहा- आइए देवर जी.. मैं जानती थी कि आप जरूर आयेंगे.. आओ मेरे आशिक.. भाभी की ये बातें मुझे मदहोश कर रही थीं.. मैं भी पूरी जोश में था।
मैंने भाभी को पूरा नंगी किया.. उसके बदन के पूरे कपड़े उतार दिए।
जब वो पूरी नंगी हुई.. तो मैं उसका पूरा बदन देखने और सूंघने लगा। भाभी भी अब चिहुँक उठीं और मेरे होंठों पर होंठ रख कर चूमने लगीं। मैं भी पूरे जोश में था.. मैं उसके मम्मों को दबाने लगा और अपने मुँह में भर कर उसके रसीले चूचों को पीने लगा। मैं उसके मम्मों को इस तरह से दबाने लगा कि वो अपने होश खो बैठी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
भाभी के मुँह से अजीब आवाजें आने लगीं- चोद लो.. मुझे.. मेरी प्यास बुझाओ.. कितने दिन से मैं इस वक्त की प्रतीक्षा कर रही ओह्ह.. अब रहा नहीं जाता.. मुझे चोद दो.. अपनी भाभी की चूत फाड़ दो और मुझे एक बच्चा दे दो..
वो सिसकने लगी थी। फिर उसने अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया.. तो मेरा लण्ड एक नाग की तरह फुंफकारता हुआ बाहर आ गया। इस वक्त मेरा लण्ड पूरा जवान हो कर 8 इंच का लम्बा और 3 इंच मोटा हो चुका था। उसे देखकर वो बहुत खुश हुई.. वो उसे हाथ में लेकर सहलाने लगी और फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
अब वो कहने लगी- इतने बड़े लण्ड से मैं पहली बार चुदाई करवाने जा रही हूँ। मैं तो इससे अपनी गाण्ड भी मरवाऊँगी।
मैं भी उसकी चूत चाटने लगा.. बहुत मजा आ रहा था। पूरा कमरा हमारी सिस्कारियों से गूंज उठा था। इसी बीच भाभी एक बार झड़ चुकी थी। मैंने भाभी की चूत को इतना चाटा कि वो मेरे लण्ड को काटने सा लगीं और जोर-जोर से फुदकने लगी।
मैं भी जोश में था.. मैं क्या कर रहा हूँ इसकी मुझे परवाह नहीं थी। भाभी ने मेरा लण्ड अपनी चूत पर रखवा दिया और जोर-जोर से मुझसे लिपटने लगी और लण्ड को सहलाने लगी।
अब भाभी के चूत में मैंने पहले ही धक्के में अपना लण्ड घुसा दिया.. अभी मेरा आधा लण्ड ही अन्दर गया था कि भाभी थोड़ी चिल्लाने की कोशिश करने लगीं। मैंने उसके मुँह में अपना मुँह डाल दिया और उसे चूमने लगा और इसके पहले वो कुछ चीखे या बोले.. मैंने एक और धक्का लगा दिया.. तो तड़फड़ाने लगी।
वो दर्द से कहती रही- हाय मैं मर गई.. इतना बड़ा लण्ड.. मैं चूत में बेरहमी से ठोकरें लगता ही गया.. बाद में उसका दर्द कम होने लगा और मैं और तेज से धक्के देने लगा। हमारी सिसकारियों से कमरा पूरा गूँज उठा। मैं और जोर से धक्के देता रहा। करीब आधे घंटे के बाद वो झड़ गई।
अब मैं भी झड़ने वाला था.. तब मैं और भी तेज होने लगा। भाभी ने कहा- मेरे प्यारे आशिक.. अपना माल मेरे अन्दर ही छोड़ दो और अपनी भाभी को अपने बच्चे की माँ बना दो।
थोड़ी देर बाद मैं भी भाभी के चूत में ही झड़ गया.. मैंने 5-6 पिचकारी भाभी के चूत में भर दीं। इससे भाभी की चूत भर गई.. करीब दस मिनट तक हम वैसे ही लेटे रहे।
उस रात में मैंने और भाभी ने 4 बार चुदाई की.. सुबह 4 बजे हमने बाथरूम में जाकर शावर के नीचे नंगे ही एक बार फिर से चुदाई कर ली।
इसके बाद मैं भाभी को बार-बार चोदता रहा। अब भाभी के पास मेरा 2 साल का बच्चा है.. उससे सब खुश हैं।
दोस्तो, यह थी मेरी कहानी.. उम्मीद है कि आप सभी को मजा आया होगा.. मुझे अपने ईमेल जरूर कीजिएगा। [email protected]
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