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पोर्न कहानी का दूसरा भाग : मेरी सुहागरात की चुदाई की यादें -2
चूंकि हम सभी घर के लोग कई दिन से इस शादी के चक्कर में सोये नहीं थे और शायद सुहाना भी नहीं सोई थी और हम दोनों थके भी काफी ज्यादा थे। सबसे बड़ी बात सुबह के चार बज गये थे और 6 या 7 बजे तक हम लोगों को उठना भी था, हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये।
करीब आठ बजे कमरे का दरवाजा खटखटाया गया, मैंने जल्दी से सुहाना को जगाया, उसने अपने कपड़े जल्दी-जल्दी पहन लिये और मैंने भी। मैंने दरवाजा खोला तो भाभी अन्दर आई, मुझे देखकर मुस्कुराई और सुहाना के पास जाकर बैठ गई और चादर को अलट-पलट कर देखने लगी और मेरी तरफ देखते हुए मुझे कमरे से बाहर जाने के लिये बोली।
मैं भी चुपचाप बाहर आ गया। मेरे पीछे-पीछे सुहाना और भाभी भी आ गई, भाभी के हाथ में चादर थी, भाभी चादर लेकर बाथरूम में चली गई।
अब पूरा दिन भाभी सुहाना को लेकर घर वालों से मिलवाती रही और थोड़ी सी भी फुर्सत पाती तो अपने कमरे में लेकर चली जाती। धीरे धीरे घर से सभी मेहमान शाम होते होते चले गये।
दूसरा दिन संडे का था। आमतौर पर मेरे घर में संडे को सभी लोग 9 बजे तक सोते थे। मेरे लिये सकून वाली बात यह थी कि घर में कोई भी मेहमान नहीं था, हम सब अब फ्री थे और खूब हँसी मजाक चल रही थी, मेरी खिंचाई करने में मेरी भाभी सबसे आगे थी।
भाभी मेरी ओर देखते हुए और सुहाना का हाथ पकड़े हुए मुझसे बोली- वाह देवर जी चाट भी तुम बड़ी चाट चाट कर खाते हो। मैंने कनखियों से सुहाना को देखा और सुहाना ने मुझे और फिर शर्म से उसकी आँखे नीचे हो गई। मैं समझ गया कि भाभी ने सुहाना से सब उगलवा लिया है, मैं भी बेशर्म होकर बोला- चाट का मजा ही चाट चाट कर खाने में होता है। तभी भाई साहब बोले- चलो, बहुत देर हो रही है, अब सोने चलते है। मैं तुरन्त उठा और कमरे की ओर चल दिया। भाभी ने सुहाना का हाथ पकड़ा और मेरे कमरे में ले आई।
जैसे ही सुहाना ने कमरे में सिटकनी लगाई, मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके गले में चुम्बन की बौछार कर दी। मेरी बाँहों के हार को छुड़ा कर तुरन्त ही पल्टी और मेरे होंठों को चूसने लगी फिर मेरी तरफ नशीली आँखों से देखते हुई बोली- जानू कल की तरह मेरी मुनिया में आज भी बहुत खुजली हो रही है, क्या करूँ? ‘मेरी जान परेशान क्यों होती हो!’
लाल साड़ी में सुहाना बड़ी गजब की लग रही थी और नाभि के नीचे से उसका साड़ी बाँधना और भी गजब का लग रहा था। मैं नीचे बैठा और उसकी नाभि को चूमने बैठ गया, उसकी नाभि के अन्दर जीभ डाल कर गीला कर रहा था और सुहाना ‘आह… उह… आह…’ कर रही थी, उसके पैर कांप रहे थे, वो दीवार से चिपक गई।
मैंने उसकी साड़ी को ऊपर करके पैन्टी को उतार कर उसके चूतड़ों के उभार को कस कर पकड़ लिया और नाभि को चाटते हुए उसकी बुर को सूँघने लगा और जैसे ही उसकी बुर में अपनी जीभ लगाई, तुरन्त ही कसमसा कर मेरे बालों को पकड़ते हुए अपनी बुर को जोर जोर से रगड़ने लगी, उसके जिस तरह से पैर काँप रहे थे, ऐसा लग रहा था कि वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और अन्त में बोल ही पड़ी- मेरी खुजली इससे नहीं मिट रही है, जो कल रात किया था, उसी तरह करो!
मैंने उसे गोदी में उठाया और बेड पर लेटा दिया, अपने कपड़े उतार कर और उसकी साड़ी को ऊपर करके लंड को एक ही झटके में उसकी बुर में पेल दिया। ‘आई दईईया…’ बस इतना ही कह पाई थी, मैंने चोदना शुरू कर दिया। उसके मुँह से ‘उह… ओह… ओह… और तेज… और तेज… मजा आ रहा है… और तेज…’ जितना तेज मैं धक्का लगता उतना ही उसके मुँह से आवाज आती। अब कमरे में फच-फच की आवाज आ रही थी।
कुछ देर के बाद उसका बदन अकड़ा और फिर शांत पड़ गई और दो मिनट बाद मेरी पिचकारी ने भी पानी छोड़ दिया और मैं भी निढाल होकर उसके ऊपर गिर पड़ा और सुस्ताने लगा।
सुहाना मेरे बालो को सहला रही थी। सुहाना मुझे अपने से अलग करते हुए उठने लगी, मैंने कहा- क्या हुआ? कहाँ जा रही हो? ‘जी पेशाब करने!’ ‘ओह, मुझे भी लगी है।’ ‘ठीक है, आप पहले हो आइये, फिर मैं चली जाऊँगी।’ मैंने कहा- न दोनों साथ चलेंगे। ‘जीईई ईईई…’ मेरी तरफ फटी नजरों से देखने लगी, फिर भी अपने को संयत करके बोली- नहीं मुझे शर्म आयेगी, आप पहले हो आओ, मैं बाद में चली जाऊँगी। ‘कल ही तो तुमने वादा किया था कि अपने कमरे में एक दूसरे की पूरी बात मानोगी।’ ‘हाँ, वो तो ठीक है, मैंने आज तक किसी के सामने किया नहीं है, फिर कैसे?’ ‘क्यों यार, कल से अब तक हम तुम पूरे नंगे एक दूसरे के सामने हैं और तुम कह रही हो…’ ‘ठीक है, चलिये।’
मैंने उसके चूतड़ों में हाथ मारते हुए कहा- यह हुई ना बात। हम दोनों टॉयलेट में आ गये, वो बैठने लगी, मैंने उसे उठाते हुए कहा- अगर तुम बैठ कर मूतोगी तो मैं कैसे देखूँगा। ‘लो देखो…’ कहकर वो खड़े खड़े ही मूतने लगी और उसके बाद मैं मूतने लगा। मैं उसे मूतते देखता और वो मुझे मूतते देखती।
मूतने के बाद हम दोनों बेड पर बैठ कर बाते करने लगे, मैंने ब्लू फिल्म भी चालू कर दी वो फिल्म देखकर बोली- यह क्या है? मैंने कहा- यह एक मर्द और औरत चुदाई के समय क्या क्या करते हैं, इस मूवी में वो सब कुछ है।
‘जानेमन इसको देखो और फिर हम लोग इसी तरह ही करेगें। सुहाना और मैं फिल्म को देख रहे थे। मैं सुहाना के गर्दन के पीछे हाथ डाल के उसकी निप्पल को मसल रहा था और सुहाना मेरे जाँघ को सहला रही थी, मेरा लंड मुर्झा गया था तो मेरे लंड के खोल को भी आगे करती और कभी खोल ऊपर की ओर कर देती। हम लोग बात कर भी कर रहे थे और मूवी भी देख रहे थे।
मूवी खत्म भी हो रही थी, मूवी के अन्त में चोदते चोदते लड़का और लड़की 69 की अवस्था में आ गये और एक दूसरे का लंड और बुर चाटने लगे। कुछ ही देर में लड़का चिल्लाते हुए लड़की के मुँह में झर गया और लड़की उसके माल को पी गई और बाकी माल को अपने जिस्म में लगाने लगी और लड़का भी लड़की के बुर को चाट रहा था और बुर में उँगली करके उसके माल को अपने मुँह से चाटने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सुहाना ने बिना किसी प्रतिरोध के मूवी देखी। जब मूवी खत्म हो गई तो सुहाना से मैंने बोला- सुहाना, अगर जिन्दगी का मजा लेना है तो अपने कमरे में हम लोग सेक्स के समय हर हद पार कर जायें क्योंकि मुझे सेक्स में तब तक मजा नहीं आता जब तक उसमें मैं पूरी तरह से सन्तुष्ट न हो जाओ। बस मैं तुमसे यही एक चीज मांगता हूँ और उसके बदले मैं तुम मुझसे जो मांगो वो सब मैं तुम्हें दूंगा।
इतना कहते ही सुहाना मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होंठो को चूसते हुए बोली- जानू, मैंने कल ही तुमसे यह वादा किया कि इस कमरे में तुम मुझसे जो चाहोगे वो मैं सब करूँगी। फिर वो मेरे से अलग हुई और मेरे लंड के टोपे को हटा कर उस पर जीभ चलाने लगी और पूरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, जब मेरा लंड खड़ा हो गया तो वो खड़ी हो गई और बुर की फांकों को खोल कर मेरे मुँह से रगड़ने लगी।
मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी उसकी गांड की दरार को फैला कर उसकी छेद में उँगली डाल कर उसके बुर को चाटने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरे कहने से सुहाना और मैं 69 की अवस्था में आ गये, मैं उसकी बुर को और कभी गांड को चाटता और वो मेरे लौड़े को चूसती।
जब काफी देर तक हम लोगों ने चूसम-चुसाई और चाटम-चटाई कर ली तो सुहाना को मैंने अपने लौड़े पर सवारी करने के लिये कहा, सुहाना तुरन्त मान गई और मेरे लौड़े पर बैठने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका यह पहला सेक्स ज्ञान था तो वह नहीं बैठ पा रही थी, मैंने उसको लौड़ा पकड़ कर उसके बुर से सेन्टर मिलाने के लिये कहा।
उसने वैसा ही किया और थोड़ी कोशिश के बाद वो मेरे लौड़े की सवारी करने लगी, अब तो मुझे लगने लगा था कि वो भी काफी कुछ जान गई थी, क्योंकि अब वो बिना झिझक और बिन्दास चुदने का मजा ले रही थी और बीच-बीच में मेरे लंड को चूसती और अपनी बुर चटवाती, यह अपनी तरह की अनोखी रात थी क्योंकि मेरी सुहाना वो सब कर रही थी जो मैं चाहता था।
अब मैं झरने वाला था, मैं दबी अवाज में चिल्ला रहा था, सुहाना मेरा निकलने वाला है, मुझे लगा कि अभी सुहाना शायद उन सब बातों के लिये तैयार न हो, इसलिये मैं उसे अपने से अलग करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैं गलत था, सुहाना मेरी बातों को अनसुना करके मेरे लौड़े को जब तक चूसती रही, जब तक मेरा पूरा माल वो पी न गई, मेरा माल पीते-पीते वो भी झर गई।
अब मैं उसका माल चाट रहा था और वो मेरे माल को गटक रही थी। जब हम दोनों ढीले पड़ गये तो अपनी गर्दन को एक ओर झुकाते हुए और अपनी नशीली आँखों से मेरी तरफ देखते हुए बोली- मेरी जान आज तक मैं जिन्दगी केवल जी रही थी, आज जिन्दगी जीना तुमने सिखाया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
पोर्न कहानी का चौथा भाग : मेरी सुहागरात की चुदाई की यादें -4
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