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मैं हूँ राज रत्न कॉल। एक बार मेरे ऑफिस में सारे स्टाफ का मिलन समारोह हुआ। वहां स्टाफ पति पत्नी के साथ में आमंत्रित थे। मेरी पत्नी नीना की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी।
नीना अत्यन्त सुन्दर थी। वह कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी।
नीना के कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक नीना थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी। कॉलेज के लड़कों के मन में नीना को पाने की ख्वाहिश तो थी।
पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के नीना के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकों को यह कहते सुना था की नीना का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे।
मिलन समारोह में मैंने देखा की सारे पुरुष वर्ग मेरी पत्नी नीना को छिप छिप कर घूर रहे थे। उन बेचारों का क्या दोष? मेरी पत्नी नीना थी ही ऐसी। उसके स्तन एकदम भरे हुए पके बड़े आम की तरह अपने ब्लाउज में बड़ी मुश्किल से समा पाते थे। मेरी बीबी के स्तनों का नाप ३४ से कम नहीं था। मैं अपनी हथेली में एक स्तन को मुश्किल से ले पाता था। उसकी पतली कमर एवं नोकीले सुन्दर नितम्ब ऐसे थे के उसे देख कर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए। वह हमेशां पुरुषों की लालची और स्त्रियों की ईर्ष्या भरी नज़रों का शिकार रहती थी।
हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।
शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती।
एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को “घर की मुर्गी दाल बराबर” समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।
सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर नीना थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती।
गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मेरा वीर्य स्खलन हो जाता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि नीना ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।
मेरी बीबी को सेक्स में ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?
पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश नीना गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उसे चोदने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कारिक कार्यक्रमों, नाटकों और फिल्मों देखने का बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में बात करने लगती और फिर मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।
हालांकि मेरी पत्नी नीना बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) सी थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह बड़े चाव से बनठन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने सिमित अंग प्रदर्शन के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं रहती थी।
उस मिलन समारोह में अपने घने लम्बे बाल नीना ने खुले छोड़ रखे थे। इससे तो वह और भी सेक्सी लग रही थी। उसने साड़ी तो पहन रक्खीथी पर अंचल की परत ऐसी थी की उसकी पूरी पतली कमर दिख रहीथी जिसमे उसकी नाभि और नितम्ब का उभार पर सब ताक रहे थे। वहाँ ऐसा लग रहाथा जैसे सिर्फ मेरी पत्नी ही वहां थी और कोई औरत थी ही नहीं।
हालाँकि वहां करीब दस औरतें थीं। मुझे पुरुषों के नीना को लालची निगाहों से देखना, पता नहीं क्यों, अच्छा लगता था। एक कारण तो यह था की मुझे बड़े गर्व का अनुभव होता था की मेरी पत्नी उन सब की पत्नियों से ज्यादा सुन्दर है।
तब घोषणा हुई की अब डांस होगा। सब को अपने साथीदार के साथ डांस फ्लोर पर आने के लिए कहा गया। उस पार्टी में मेरे बॉस ने नीना के साथ कुछ ज्यादा ही छूट लेने की कोशिश की। वह नीना के पास गया और उसने अपने साथ डांस करने के लिए नीना का हाथ पकड़ा और उसे खींचने लगा। नीना ने उसे जोरसे झटका दिया। मेरा बॉस लड़खड़ा गया। खिसियाता हुआ वह कहीं और चला गया। बॉस को नीना पर लाइन मारते देख मेरे अंदर एक अजीब तरह का रोमांच हो रहा था।
उस पार्टी में मेरा एक दोस्त अनिल था। हम साथ में ही काम करते थे। वह मेरी ही उम्र का था और अच्छा लंबा तंदुरस्त और सुगठित मांस पेशियोँ वाला था। उस समय उसकी कोई ३०-३२ साल की उम्र रही होगी। वह गोरा चिट्टा और गोल सा चेहरे वाला था। उसके बाल जैसे काले घने बादल समान थे।
उसने मैरून रंग की शर्ट पहनी थी और गले में स्कार्फ़ सा बाँध रख था। उसकी धीमी और नरम आवाज और सबके साथ सहजसे घुलमिल जानेवाले स्वभाव के कारण सब उसे पसंद करते थे। यहां तक के सारी स्त्रियां भी उससे बात करने के लिए उतावली रहतीं थी। वह आसानी से महिलाओ से अच्छी खासी दोस्ती बना लेता था।
पहली बार जब मैंने उसे मेरी पत्नी नीना से मिलाया तो वह नीना को घूरता ही रह गया। जब उसे लगा की वह ज्यादा देर तक घूर रहा था तो उसने बड़ी विनम्रता और सहजता से माफ़ी मांगते हुए कहा, “भाभीजी, मुझे आपको घूर घूर कर देखने के लिए माफ़ कीजिये। मैंने इससे पहले आप सी सुन्दर लड़की नहीं देखी। मैं तो सोच भी नहीं सकता के आप शादी शुदा हैं। ”
भला कोई अगर एक शादी शुदा एक बच्चे की मांको बताये की वह एक बहुत सुन्दर लड़की है, तो वह तो पिघल जायेगी ही। बस और क्या था? मेरी पत्नी नीना तो यह सुनते ही पानी पानी हो गयी और बाद में मुझसे बोली, “आपका मित्र वास्तव में बड़ा सभ्य और शालीन लगता है। क्या वह शादी शुदा है?”
तभी उसकी पत्नी अनीता जो कही बाहर गयी थी उसे मैंने देखा और मैं नीना से मिलवाने के लिए गया। अनीता थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद नीना और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।
मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर अनिल की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद नीना ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वह नीना पर फ़िदा ही हो गया था। अनिल की पत्नी अनीता किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। मैंने देखा की अनिल खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।
बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने नीना को डांस करने को आमंत्रित किया।
नीना ने भोलेपन से कहा, “पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।”
अनिल ने कहा, “यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हे कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।“
नीना ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। नीना तैयार हो गयी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके।
मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।
अनिल को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की अनिल मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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