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हलो दोस्तों नमस्कार आपका अपना दीप पंजाबी एक नई कहानी लेकर एक बार फेर आपकी सेवा में हाज़िर है।
ये चुदाई की कहानी भी पिछली कहानी की तरह हमारी साईट देसी कहानी डॉट नेट के एक निम्न पाठक द्वारा भेजी गयी है। जिसमे उसने बताया के कैसे उसने अपनी एकलौती लाड़ली साली की सूनी गोद हरी करने में मदद की।
सो आगे की कहानी उसी की ही ज़ुबानी…..
हलो मित्रो मेरा नाम शिवम् है और मैं पंजाब से हूँ। मेरी उम्र 30 साल है। मेरी शादी किरण (28) से हुई को 2 साल हो गए है। मेरा सुसराल हरियाणा में पड़ता है। किरण ओर मेरी साली सोनिया दोनों बहनो की शादी एक दिन ही हुई थी। दोनों बहनो का कोई भी सगा भाई नही है। इस लिए सोनिया के पति राज को सुसराल में ही घर जमाई रखा हुआ है।
मेरी साली सोनिया बहुत ही खूबसूरत स्त्री है। उसकी उम्र करीब 27 साल, कद साढ़े 5 फ़ीट, रंग गोरा, मांसल बदन की मालकिन है।
ये पिछले साल की बात है के एक दिन हम दोनों पति पत्नी मेरे सुसराल गये हुए थे। सोनिया ने हमारा बहुत बढ़िया तरीके से स्वागत किया। वो उस वक़्त घर पे अकेली थी। लाड़ली साली होने की वजह से मेरी उससे अच्छी पटती थी। हम तीनो हॉल में बैठकर चाय पी रहे और बाते कर रहे थे तो…..
किरण – सोनिया, माँ पापा और जीजू किधर गए हैं ?
सोनिया – दीदी वो तीनो बैंक में कोई जरूरी काम था, सुबह से वही गए हैं। बस आते ही होंगे।
किरण – ठीक है, आप लोग बाते करो, तब तक मैं तो नहाकर आती हूँ । सफर की वजह से थकान और पसीना बहुत आ गया है और वो अपने कपड़े लेकर नहाने चली गयी ।
और हम दोनों आपस में गप्पे हांकने लगे। उसके जाने के बाद…
सोनिया – क्यों जीजा जी, हमे कब मौसा मौसी बना रहे हो? अब तो दो साल हो गए है शादी को। कब खुशखबरी दे रहे हो?
मैं – इतनी भी क्या जल्दी है साली साहिबा, अभी एक दो साल और मस्ती करेंगे फेर देखने बच्चे को भी।
सोनिया — नही जीजू ये गलत सोच है। बच्चे जितनी जल्दी हो जाये अच्छा है। नही तो बहुत परेशानी खड़ी हो जाती है। सारी उम्र दवाई खाने और डॉकटरों के चक्रों में निकल जाती है।
मैं – बात तो तुम्हारी ठीक है साली साहिबा, खैर आप हमारा छोडो अपना बताओ, कब मौसा कहने वाला हमें दिखा रहे हो,
इतना सुनते हीे उसका हंसता चेहरा एक दम से मुरझा गया और आंसू उसकी गोरी गालो को भिगोने लगे और वो उठ कर अपने कमरे की तरफ भाग गयी।
मैं चाय का कप निचे रखते हुए उसके पीछे गया और पूछा,” क्या हो गया साली साहिबा आपका हंसता चेहरा मुरझा क्यों गया?
जहाँ तक मुझे याद है मैने तो कोई ऐसा मज़ाक भी नही किया जिस से आपने हर्ट फील किया हो। सोनिया बोलो भी क्या परेशानी है? काश मैं कोई मदद कर सकु आपकी।
सोनिया ने आंसू पोंछे और बोली,” जीजू आपको सब बताउंगी पर अभी नही। बात बहुत गम्भीर है और दीदी अभी घर ही है । किसी दिन जब हम दोनों अकेले हुए तब बताउंगी। इतने में उसने अपनी भीगी आँखे पोंछ ली।
इतने में किरण भी नहाकर बाहर आ गयी और हम दोनो को हॉल में न पाकर सीधा रानी के कमरे में आ गयी और आते ही बोली,” जीजू साली में क्या खिचड़ी पक रही है। मुझे भी बताओ भाई?
मैं – तुम्हे क्यों बताये भाई, कुछ बाते पर्सनल भी होती है और तीनो हंस पड़े।
इतने में राज और उसके साथ सास ससुर भी बैंक से वापिस आ गए। घर में जशन जैसा माहौल बन गया। सब ने मिलकर खूब हंसी मज़ाक किया।
अगले दिन सुबह ही सोनिया हमारे कमरे में दो कप चाय देने आई।
रानी – गुड़ मॉर्निंग जीजू, एंड दीदी।
मैं – गुड़ मॉर्निंग साली साहिबा
कैसे हो, आह्ह्हह्हह्ह..
सुबह सुबह आपके दर्शन हो गए आज दिन बहुत बढ़िया निकलेगा। मेने मज़ाक में कहा ।
सोनिया – आप भी न जीजू, ऐसे न बोलो मेको शर्म आती है।
लेटी लेटी किरण बोली,” करवा ले तारीफ इनसे सोनिया मैडम, वरना तारीफ तो यह मेरी भी नही करते जो हर रोज़ इसके नीचे सोती हूँ।
सोनिया – हंसते हुए हट बेशर्म न हो तो और खाली ट्रे लेकर भाग गयी।
सुबह करीब 9 बजे रोजाना की तरह राज अपने ऑफिस, किरण की माँ बाज़ार सामान लेने चली गयी। आज किरण भी उनके साथ चली गयी। अब घर पे ससुर जी, मैं और सोनिया तीनो रह गए। गर्मियों की वजह से ससुर जी बाहर धूप में कही आते जाते नही थे, बस नहा धोकर, खाना खाके अपने कमरे को अंदर से लॉक करके ऐ.सी चलाकर सो जाते थे और शाम के 6 बजे तक वही रहते थे।
मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था के सोनिया मेरे लिए खाना लेके आई और बोली,” लो जीजू खाना खालो पहले फेर ढेर सारी बाते करेंगे दोनों जीजा साली।
मैंने भी हाथ धोये और खाना खाने बैठ गया।
मेने सोनिया को भी साथ में खाना खाने का न्योता दिया।
वो बोली,” कोई बात नही जीजू पहले आप खा लो मैं बाद में खा लुंगी। अभी मेरा काम भी निपटाने वाला पडा है।
लेकिन मैं नही माना, मेने उसे अपने साथ ही बैठकर खाना खाने का बोला
वो बोली, जीजू कैसी बात करते हो आप?
घर पे बाबू जी है माँ और दीदी भी आने वाली है। कोई आ गया तो कोई नई मुश्किल खड़ी हो जायेगी। लेकिन मेने भी ज़िद से दो तीन रोटी के निवाले उसके मुँह में डाल दिए। जिसको वह ना ना करते खा गयी और बोली ,”जीजू आपके हाथ से खाना खाकर मज़ा आ गया। बड़ी किस्मत वाली है किरण दीदी,
जिसको आप मिले हो ।
मैं – क्यों और खाओगे क्या ?
वो थोडा दायें बाये देखकर बोली,” जल्दी से खिला दो जीजू, उनके आने का वक़्त हो गया है।
मेने अपनी बची हुई रोटी अपने हाथ से उसको खिला दी और तब तक पास पडे डिब्बे से रोटी निकालकर खिलाता रहा जब तक उसकी भूख मिट न गयी।
अब हम दोनों खाना खाकर हाथ मुह धोकर हमारे वाले कमरे में आकर बैठ गए। मैं बैड पर लेट गया और सोनिया पास पड़ी कुर्सी पे बैठ गयी। मेने बात शुरू करते हुए पूछा,” अब बोलो क्या हुआ ?
क्योंके अब न तो किरण पास है और न आपके पति और माँ बापू।
पहले तो सोनिया ऐसे जताती रही जेसे कुछ हुआ ही नही है और बोली कुछ नही जीजू बस ऐसे ही कल मन भर आया था ।
मैं – ज्यादा पहेलिया न बुझाओ बोलो क्या बात है?
मेरे ज़ोर देने पे फेर सोनिया फेर फिसल गयी और रोने लगी और बोली,” अब आपसे कुछ नही छिपाउंगी पर एक शर्त है मेरे बताने से पहले ?
मैं – क्या शरत है बोलो ?
सोनिया –शरत ये के मेरी कहानी सुनने के बाद मेरी जितनी हो सकी मदद करोगे और इसका किसी को भी सिवाए हम दोनों के पता नही चलने दोगे। बोलो मंजूर है क्या आपको ?
उसकी बात सुनकर मैं असमंजस में पड गया और मन में सोचने लगा ऐसी क्या मदद हो सकती है जो मैं कर सकता हूँ। इसी उलझनतानी में ही बिन दिमाग से काम लिए बोल दिया,” हाँ साली साहिबा मंजूर है मुझे तुम्हारी हर शरत्।
वो कुर्सी से उठी और बाहर चली गयी और 5 मिनट बाद कमरे में वापिस आ गयी और बोली, जीजू गली वाला दरवाजा खुला रह गया था। वो बन्द करने गई थी, कल भी सुबह दीदी एक दम से ऊपर आ गयी थी।
मैं – हाँ अब बोलो क्या बात है ?
वो बोली,’ पहले ये देखो (अपने पर्स से एक लैटर जो शयद किसी डॉक्टर के क्लीनक का था, मुझे पकड़ते हुए बोली)
मैं – क्या है यह सोनिया ये ?
रानी – खुद ही देखलो जीजू आप ?
मेने उस से पकड़ कर वो लैटर पढ़ना शुरू किया।
जिसमे लिखा था के उसके पति राज के वीर्य में शुक्राणु बिलकुल निल है मतलब के ना के बराबर है।
जिसे पढकर अब कुछ कुछ बात मेरी समझ में आ रही थी।
मेने लैटर को पढ़कर उसकी तरफ देखा तो वो रो रही थी।
मेने उसे हौंसला दिया के देखो सोनिया आज के ज़माने में साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है। ये प्रॉब्लम तो कुछ भी नही है। इतनी दवाइया बनी चुकी है भयंकर से भयंकर रोगों के लिए।
वो बोली,” हाँ जानती हूँ जीजू, पर ये जब से दवाई खाने लगे है तब से इनकी रिपोर्ट भी दिन ब दिन डाउन होती जा रही है।
मैं – क्या मतलब?
रानी – मतलब के दवाई का कोई असर नही हो रहा इनपे, कई डॉक्टर्स भी बदल कर देख लिए हमने। इधर माँ रोज़ाना पूछती है,
सोनिया बेटी जल्द से नाती का मुँह दिखादे। कही यह न हो के मैं इसी रीझ को दिल में लेकर ही पहले मर जाऊ।
इधर कम से कम लाख रुपये के लगभग इलाज़ पे खर्चा हो गया है पर फर्क एक रूपये का भी नही पड़ा।
इन्होंने तो हमे बच्चा गोद लेने की भी सलाह दी है पर मेरा दिल नही मान रहा, अब आप ही बताओ क्या करु मैं जीजू?
मैं — सही में बात तो बहुत गम्भीर है सोनिया आपकी, पर हर बात का कोई न कोई तो हल होता है न, सो इसका भी मिल जायेगा। फिक्र न करो भगवान सब ठीक कर देंगे।
शाम हो चुकी थी तभी दरवाजा खटकने की आवाज़ आई। सोनिया ने अपना चेहरा साफ किया और भाग कर दरवाजा खोलने चली गयी। अब सासु माँ और किरण बाज़ार से वापिस आ गए थे। उन्होंने थोडा आराम किया और शाम के खाने की तैयारी करने लगे। अगले दिन हमने अपने घर वापस आना था, के तभी राज का आफिस से फोन आया के उसकी माँ बहुत बीमार है, जिसकी वजह से उसको शहर के हॉस्पिटल में दाखिल करवाना है।
सो एक दो दिन आप और रुक जाओ। हमे उनकी मज़बूरी समझनी पड़ी और हम कुछ दिन और वहाँ रुक गए। करीब एक घण्टे बाद ऑफिस से छूटी लेकर राज कार लेकर घर आया और आते ही बोला,” माँ और सोनिया आप दोनों तैयार हो जाओ, अस्पताल जाना है।
सोनिया और सासु माँ ने उसके आदेश का पालन किया और कार में ही बैठकर उसके साथ चली गई। अब घर पे मैं, किरण और ससुर जी तीनो रह गए। ससुर जी खाना खाकर अपने कमरे में सोने चले गए।
इधर हमे एक हफ्ता यहां आये होने की वजह से अच्छी तरह से सेक्स करने का मज़ा नही आ रहा था।
मेने किरण से इशारे में सेक्स के लिए बोला।
वो बोली,” आज नही क्योंके कल से महावारी आई हुई है और पेट में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा है। अब आप 4-5 दिन आराम करो । सो अब मन मारकर सोना पड़ा। शाम को मैं सोनिया और उसकी सासु माँ के लिए अस्पताल खाना लेकर गया। वहां उनका हाल चाल पता किया और सासु माँ और राज़ को घर भेज दिया।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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