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‘यार बहनचोद क्या टाँगें हैं हरामज़ादी रेखा रानी की… चिकनी, गुदाज, दूध सी गोरी जांघें जिनको चाटते ज़िन्दगी बीत जाये लेकिन दिल न भरे… अति सुन्दर पिंडलियाँ, उन पर बारीक बारीक रोएँ। त्वचा ऐसी कि बॉडी लोशन बनाने वाली बड़ी बड़ी कम्पनियाँ उनको इश्तहार के लिए इस्तेमाल करें। काश ईश्वर ने इतना बड़ा मुंह दिया होता कि मैं इस स्वादिष्ट फल को पूरा का पूरा मुंह में लेकर चूसता रहता।’
कुछ देर मैंने चुदक्कड़ खूबसूरत रेखा रानी के नशीले रेशमी बदन को निहारा और फिर बिस्तर पर चढ़ कर उसके पैर अपने कन्धों पर टिका लिए। एक तकिया उसके मक्खनी नितम्बों के नीचे लगा दिया जिस से चूत थोड़ी सी ऊपर को उठ गई। तकिया लगा कर चूत ऊंचा करने से लौड़ा चूत में बड़े ज़ोर से ठोकर मारता है और साथ में भगनासा पर भी ज़ोरों की रगड़ हर धक्के में लगती है जिसके कारण चुदने वाली का मज़ा कई गुणा बढ़ जाता है तथा वो शीघ्र ही अनेकों बार स्खलित हो जाती है।
मैंने रीना रानी से कहा- रानी, अब तू इसके मुंह पर चढ़ के बैठ जा और चूत चुसवा इसको। मैं चोदूंगा और यह तेरी चूत चूसेगी चुदवाते चुदवाते! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
रीना रानी ने एक भी पल गंवाए बिना एक छलांग लगाई और रेखा रानी की छाती के इर्द गिर्द घुटने जमा दिए, हाथ रेखा रानी के सिर के पीछे टिका के अपनी चूत उसके मुंह से सटा दी और लगी रगड़ने, उसके मुंह से उत्तेजना की हूँ…हूँ…हूँ.. निकल रही थी। हरामज़ादी बड़े जोश से चूत चूसाने लगी, बोली- मेरी चुदक्कड़ बुआ, आज तू मज़ा चख अपनी भतीजी की चूत के स्वाद का.. कमीनी… ले बहन की लौड़ी… चूस चूस के सारा जूस सुखा दे… रंडी…ले… ले… ले… चूस… चूस… और चूस… बहनचोद रंडी!
इधर मैंने पहले तो रेखा रानी के पैरों के मलाई जैसे तलवे चाटने शुरू किये। यार, उन बेहद खूबसूरत मुलायम गोरे गोरे पैरों के तलवे चाट कर मज़ा आ गया, मुंह में बेहिसाब लार टपकने लगी थी, लौड़ा उसकी रस से लबालब भरी चूत के मुंह पर रख दिया।
मस्ता के रानी बड़े ज़ोर से कसमसाई, उसके रीना रानी की चूत से बंद मुंह से घुटी घुटी ‘घुउऊम घुउऊम घुउऊम’ की आवाज़ें आईं। लण्ड का टोपा बहनचोद फूल के कुप्पा हो गया था, लौड़ा एक सख्त डंडे जैसा हो गया था। मैंने सुपारा बहुत धीमे धीमे चूत के होंठों पर रख के घुमाना शुरू किया, साथ ही साथ मैं लौड़े के तुनके भी मारे जा रहा था और रानी के पैरों की उंगलियाँ लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रहा था।
आनन्द में मेरा और रेखा रानी दोनों का हाल बिगड़ना शुरू हो गया था।
इतने में रीना रानी की किलकारी के साथ आवाज़ आई- हाय राजे, बुआ की जीभ है या बिजली का तार… साली ने चूत को पानी पानी कर डाला… हाय हाय हाय.. आआआह्ह्ह… बहनचोद मेरी चूचियाँ उखाड़ेगी क्या… ई ई ई ई… हाय हाय राजे… बुआ तो चूचे कुचले जा रही है… आआह आआह… यार मज़ा आ रहा है… हाय हाय हाय…
रेखारानी उसकी चूत हुमक हुमक के चूसे जा रही थी, उसके मुंह से लप्प लप्प लप्प की आवाज़ निकल रही थी। लगता था रीना रानी की चूत से बेतहाशा रस बहने लगा है।
मैंने भी उत्तेजना से उबल कर एक ज़ोर के धक्के से पूरा लौड़ा जड़ तक रेखा रानी की नरम गर्म चूत में ठोक दिया। मधु से भरी चूत में लौड़ा घुसने की एक पिच्च की आवाज़ आई और काफी सारा रस चूत से बाहर छलक पड़ा।
रानी ने चिहुंक कर टाँगें इधर उधर फटकाईं, कमर को दायें बाएं करने की चेष्टा की और फिर अपने पैरों में मेरा सिर जकड़ कर लगी चूतड़ उछालने।
मैंने रेखा रानी के चूचे दबोच लिए और उनको धीरे धीरे दबाया, रानी और ज़्यादा मस्ताई। चुदासी चूत से गाढ़ा गाढ़ा मलाई सा रस तेज़ी से निकलने लगा!
मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने आरम्भ किये, चूत इतनी ज़्यादा रस से भर चुकी थी कि लण्ड और चूत में खूब पिच्च पिच्च हो रही थी। उधर रेखा रानी ज़ोर ज़ोर से रीना रानी के चूचे निचोड़ रही थी और उसकी बुर चूसे जा रही थी। रीना रानी मस्ती में बौरा कर मुंह से जाने क्या क्या बक रही थी, हर थोड़ी देर में वो ‘सी सी सी हाय हाय हाय…’ करती और कभी रेखा रानी को और कभी मुझे गालियाँ बकती।
इधर मैं भी एक धक्का लगता और कच्च से उसके मतवाले मम्मे दबा देता या उसके बड़े बड़े निप्पल ज़ोर से उमेठता।
हालाँकि रेखा रानी को चुदे अरसा हो गया था लेकिन ज़्यादा उतावली रीना रानी हो रही थी, उसकी बढ़ती हुई चुदास देखकर मैंने एक ज़ोर का चांटा उसके एक चूतड़ पर मारा। मुझे मालूम था कि रीना रानी नितम्बों पर झापड़ पड़ते ही फ़ौरन झड़ती है… एक ज़ोरदार चांटा और एक तेज़ बौछार चूत से रस की चूत से बाहर! और वही हुआ भी, धड़ाम से रीना रानी झड़ी, चूत के रस से रेखारानी का मुंह भर दिया।
फिर मैंने एक तगड़ा चांटा दूसरे चूतड़ पर ठोका, ‘हाय हाय हाय सी सी सी’ करती हुई रीना रानी यूँ झड़ी जैसे कोई हवा से भरा गुब्बारा फूटता है। भिंचे भिंचे गले से बोली- बुआ… मादरचोद तू बहुत मस्त चुदाई करती है जीभ से… आआह्ह्ह आआह्ह्ह… बहनचोद झरना सा फुट रहा है मेरी चूत से… पी भोसड़ी वाली… अच्छे से पी कुतिया… पी पी पी और पी.. राजे राजे राजे… कचूमर बना दे चूचों का…
रेखारानी ने अपने दोनों हाथों के नाख़ून उसके मम्मों में ज़ोर से गाड़ दिए.. रीना रानी चिल्लाई और मस्त होकर फिर से झड़ी। इधर मैं रेखा रानी की चूत में हल्के हल्के धक्के लगातार मारे जा रहा था- धक धकाधक धक धक धक !!! धक धकाधक धक धक धक !!!
रीना रानी बदहवास होकर एक ओर को ढह गई। तो मैंने देखा कि रेखा रानी का मुंह उसकी चूत रस से भीगा पड़ा था। जैसे ही रीना रानी हटी तो रेखा रानी ने हाथ से चेहरे पर लगा हुआ चूत रस समेटा और उसको चाट गई। मैं भी आगे को झुक गया और रेखारानी के ऊपर पूरा लेट कर उसका सुन्दर चेहरा चाटने लगा। उसके चेहरे के स्वाद में मिला हुआ रीना रानी के चूत रस का लज़ीज़ स्वाद मैं भी क्यों छोड़ता? और साथ ही साथ धक धकाधक धक धक धक !!! धक धकाधक धक धक धक!!!
अधमुंदी अँखियों से मुझे प्यार से देखते हुए रेखा रानी मुस्कराई, कहने लगी- राजे, बड़ा मज़ा आ रहा है.. तेरी मंद मंद चुदाई में… ले… मादरचोद भतीजी को तो मैंने जीभ से ही झाड़ दिया… अब पूरा ध्यान मेरी चुदाई पर दे कमीने… ये बहनचोद तो अभी नशे में चूर है… चल राजे अब मेरे चूचियाँ दबा दे पूरी ताकत से… बहुत सख्त हो रही हैं.. तू साले तीन महीने के लिए विदेश क्या गया मेरी तो चुदाई ही बंद हो गई…
मैंने वैसे ही हौले हौले धक्के लगाते हुए उसके होंठ बड़े प्यार से चूमे और कहा- चिंता न कर रानी… तुझे रात भर चोदूंगा… बुझा दूंगा तेरी चूत की प्यास… ले बहन की लौड़ी एक ज़ोर दार धक्का…. ठाआआआआ… धक्का इतना तगड़ा था कि रेखारानी का पूरा बदन झनझना गया, रेखारानी मस्ता के बुदबुदाई- हाँ राजे.. और ऐसे धक्के मार ना राजा.. कभी हौले से कभी तेज़… हाआआं… हाआआं… हाआआं… बहुत मज़ा आ रहा है मादरचोद कुत्ते… क्यों चला गया था हरामी… अपनी रानी को यहाँ छोड़ के? …हाआआं…एक और धक्का दे ज़ोर का!
मैंने एक नहीं चार पांच ताक़तवर धक्के टिकाये, रेखारानी चुदास में पागल होकर तड़प उठी, उसने मुझे कस के अपनी बाँहों में लपेट लिया, टाँगें मेरी टांगों के साथ लिपटा दीं और मचल मचल के चूतड़ उछाल के चुदाई करने लगी। मैंने भी बड़े आराम से मज़ा ले ले कर चुदाई करनी शुरू कर दी, मैं इस सम्भोग के एक एक पल का पूरा आनन्द उठाना चाहता था और उतना ही आनन्द अपनी दोनों रानियों को भी देना चाहता था, कुछ हल्के धक्के और फिर यकायक से दो या तीन ज़ोरदार धक्के।
हमने होंठ चिपका लिए और लगे नए नए आशिकों की भांति दीवानावार चूसने। हम सांस भी एक दूसरे की छोड़ी हुई सांस में ले रहे थे, कुल मिला के बेहद आनन्द आ रहा था दोनों को। चूत दनादन मधु निकाले जा रही थी, धक्के लगते तो काफी सारा मधु चूत से बाहर छलक आता, बड़े ज़ोरों की फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज़ें आने लगी थीं। जब तगड़ा धक्का लगता तो फ़चाक फ़चाक फ़चाक आवाज़ आती।
रेखारानी के माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूंदें उभर आईं थीं, उसके चेहरे पर चरम आनन्द के भाव दिख रहे थे, वो मेरी कमर में बाहें कस के लपेटे, टांगों में टाँगें फंसाये चुदवाये जा रही थी। तभी अचानक रीना रानी की मदहोशी टूटी… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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