This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो कैसे हो आप सब उम्मीद है ठीक ही होंगे और देख रहे होंगे आज देसीकहानी डॉट नेट पर किस किस लेखक की नई कहानी आई है?
तो आपकी जिज्ञासा को शांत करते हुए आपका अपना दोस्त दीप पंजाबी एक नई मज़ेदार हिन्दी सेक्स कहानी लेकर फेर हाज़िर है। लेकिन उस से भी पहले आप सब दोस्तों से एक छोटी सी नराजगी भी है के आप लोगो के मेल पहले से थोड़े कम आ रहे है।
कहानी चाहे बिलकुल पसन्द न आये पर हर पढ़ने वाला पाठक एक मेल जरूर करे और अपने कीमती सुझाव दिया करे। मैं यह बिलकुल नही चाहता हर पढने वाला मेरी कहानी की तारीफ ही करे, चाहे कोई आलोचना भी करे, वो भी मुझे कबूल है।
अब आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा कहानी पे आते है। जो के मध्यप्रदेश के मेरे एक खास दोस्त बन्टी कुमार की आपबीती है। उसने ही अपनी यह आपबीती आप लोगो तक पुहचाने का विचार दिया।
सो आगे की कहानी बंटी की ही ज़ुबानी…
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम बन्टी कुमार है मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव से हूँ। मेरी उम्र 27 साल है और मैं एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता हूँ।
आपके सामने जो आज कहानी लेकर आया हूँ वो एक साल पहले की घटित घटना है।
जब मैंने पढ़ाई पूरी करके छोड़ी थी और घर पे ही रहकर काम धंधा खोज रहा था। एक दिन मैं काम काज के सिलसिले से पास वाले शहर गया हुआ था। जब दोपहर को घर वापिस आया तो मेरी दूर की रिश्तेदारी मे से एक 35 साल की औरत हमारे घर आई हुई थी।
जो रंग की एक दम सफेद, साढ़े 5 फ़ीट की लम्बाई, एक दम जिम वालो की तरह फिट बॉडी और गौर से देखने पे थोड़ी सी शक्ल अभिनेत्री माधुरी दीक्षित की तरह लगती थी। उस वक़्त मैं उसे नही जानता था।
वो माँ से बाते कर रही थी मैंने उनको नमस्ते बुलाई और अपने कमरे में आराम करने चला गया। वो करीब 2 घण्टे माँ के पास बैठी बाते करती रही। जब वो उठ कर अपने घर गयी तो माँ मुझे चाय देने मेरे कमरे में आई।
मैं — माँ यह औरत कौन थी ?
माँ — क्यों तू इसे नही जानता क्या ?
मैं — हद करते हो आप भी माता जी, यदि पता होता आपसे क्यों पूछता भला ?
माँ — हाँ ये तो है मुझे लगा मज़ाक में पूछ रहा है।
वेसे ये अपने बीकानेर वाले रिश्तेदार राजेन्द्र सिंह की बेटी श्वेता है। जो के तुम्हारी रिश्ते में बुआ लगती है। अब सारा परिवार इसी शहर में रहता है। बेचारी की किस्मत ही खराब है।
आज से 10 साल पहले जब यह कोई 25 साल की होगी तो इसकी शादी राजस्थान के एक गांव के किशन सिंह जोके हाईवे रोड बनाने वाले काम का ठेकेदार था, उस से हुई थी। इन दोनों की पहले दिन से ही आपस में कम ही बनी। आये दिन घर में आने बहाने लड़ाई होती रही। इस दौरान श्वेता दो बच्चों की माँ भी बन गयी पर किशन का स्वभाव न बदला।
जिस से तंग आकर इसने उससे तलाक़ ले लिया और बच्चे भी वहां छोड़ आई। अब अपने माँ बाप के पास ही रहती है। श्वेता बहुत ही काम काज वाली लड़की है। जब तुम बाहर से लौटे तब भी किशन की ही बात कर रही थी।
बुआ की कहानी सुनकर मुझे बहुत धक्का लगा के इसके साथ ऐसा क्यों हो गया। बुआ के प्रति जागी हमदर्दी कब प्यार में बदल गयी पता ही नही चला। एक दिन मैं घर पे अकेला था तो बुआ का आना हुआ। मेने उनका स्वागत किया और उनको चाय पानी पिलाया।
बुआ — बन्टी माजी कहाँ गयी हैं?
मैं– बुआ जी वो तो बाज़ार गए है बस आने ही वाले है। तब तक आप आराम से बैठो।
बुआ ओर मैं आपस में बाते करते रहे। बातो बातो में बुआ ने अपनी आपबीती कहानी सुना दी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। मेने उन्हें चुप करवाना चाहा पर उनके आंसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। इतने में माँ भी आ गयी और वो उनसे बाते करने लगी।
इस दौरान कई बार मैं भी उनके घर चला जाता था। थोड़े ही समय में बुआ मुझसे इतना घुल मिल गयी के दोस्त की तरह हर अच्छी बुरी बात शेयर कर लेती थी। वो चाहे 35 की थी पर जिस हिसाब से उसने शरीर को सम्भाला था। वो 25 की भी नही लगती थी। अब बुआ मॉडर्न कपड़े भी पेहनने लगी थी। कभी जीन्स, कभी लेगिंग्स सूट, जिसमे उसके कामुक शरीर को देखकर किसी बूढ़े का भी लण्ड खड़ा हो जाये।
आस पड़ोस के लड़के उसपे खूब लाइन मारते थे, पर बुआ किसी की दाल गलने नही देती थी। कोई भी छोटा बड़ा काम होता मेरे साथ ही बाज़ार जाती थी। क्योंके उसके पापा बज़ुर्ग थे, इतनी भाग दौड़ उनसे नहीं होती थीं।
फेर चाहे बिजली का बिल भरना हो, बच्चों की फीस, या बाज़ार से कुछ लाना हो वो भी बोल देते थे जा बन्टी को साथ लेजा। मेने कई बार नोटीस किया बुआ मेरी कुछ ज्यादा ही क्लोज हो रही है। बुआ अपने घर कम और मेरे घर ज्यादा रहती थी। कई बार मैं भी उनके घर चला जाता था।
जब कई बार बुआ झुककर झाड़ू या पोचा लगाती इसके सफेद मम्मे दिख जाते थे। ये बात उसने भी जान ली थी और शरारती सी स्माइल से हसकर अपना काम करने लगती थी। एक दिन मेरे माँ बापू रिश्तेदारी में गए हुए थे। तो बुआ घर पे आ गयी और हम काफी देर बाते करते रहे।
जब रात होने को थी तो उसने अपने घर फोन किया के बंटी के माँ बापु शादी में गए है सो आज उसका खाना बनाने के वास्ते यहाँ ही रहुगी। उसके माँ बाप भी मान गए। गर्मियों के दिन थे।
मेने बुआ को बोला,” आप मेरे पास सोयेंगे या अलग कमरे में ?
बुआ बोली ,” अलग क्यों सोऊँगी तेरे पास ही सोऊँगी। वेसे ऐसा क्यों पूछा तुमने ?
मैं — वो मुझे अकेला अंडरवेअर पहन कर सोने की आदत है इस लिए बोला के शायद आपको बुरा न लगे।
बुआ — नही मुझे कोई ऐतराज नही है। आप जैसे भी सोवो।
मेने बूआ के पास खड़े ही एक अंडरवेयर छोड़कर अपने सारे उतार दिए और जिसमे मेरा खड़ा लण्ड बिलकुल साफ साफ दिख रहा था। बुआ बार बार आँख चुराकर उसे ही देख रही थी। इस तरह वो रात तो गुज़र गयी पर बुआ की चुदासी होने का भी पता चल गया। इस दौरान बुआ मेरी और मैं उसकी बहुत केयर करने लग गया।
एक दिन मैं उनके घर गया। तब उनके घर पे कोई नही था। मुझे देखकर बहुत खुश हुई और बातो बातो में बुआ की आँखों में आंसू आ गए और बोली, बंटी तेरी बीवी बड़ी किस्मत वाली होगी, जिसे तुझ जैसा इतना प्यार करने वाला पति मिलेगा। उसकी तो ज़िन्दगी संवर जायेगी। काश तुम मेरे भतीजे न होते तो मैं तुमसे ही दुबारा शादी कर लेती।
उस वक़्त उसे गलत सही का कोई भी ख्याल नही था बस प्यार ही दिख रहा था। फेर भावुक होकर फेर बोली,” बंटी तुमसे एक बात बोलू।
मैं — हांजी बुआ जी बोलो।
बुआ — पहले तो बुआ न बोलो मुझे सिर्फ श्वेता कहो और दूसरी बात मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ और उसने हाथ जोड़ते हुए कहा प्लीज़ मेरा प्यार स्वीकर करलो।
मैं — नही बुआ जी यह सब गलत है। आपकी केयर और मदद आप पे तरस खाकर करता हूँ के इसका अपना कोई नही है जिससे दिल खोल कर बात कर सके। लोग क्या कहेंगे हमारे बारे में, आपकी इज़्ज़त पे धब्बा लग जायेगा।
बुआ — वो मैं नही जानती मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है। तेरे साथ बाते करना अच्छा लगता है। तुम क्या चाहते हो मैं किसी और से सम्बन्ध बनवा लू।
मैं — नही बूआ मैंने ऐसा कब बोला आपको ?
बुआ — पर मतलब तो यही ह न इसका जो मुझे ठुकरा रहे हो। क्या मुझमे कोई कमी लगती है आपको ?
मैं — नही तो
बुआ — तो फेर सुनो गांव के सारे लड़के मुझपे लाइन मारते है पर मुझे सिर्फ तुम पसंद हो। पता नही तुझे देखकर मुझे क्या होने लगता है। सोते जागते बस तुम्हारा ही ख्याल जहन में रहता है। तुम चाहो तो हम एक हो सकते है। मेरी परवाह करते हो न ?
मैं — हाँ बुआ बहुत ज्यादा।
बुआ — फेर क्यों मेरा प्रपोज़ ठुकरा रहे हो ? मैं तुम्हे अच्छी नही लगती क्या ?
मैं — नही बुआ ऐसी बात नही है। आप बहुत अच्छे हो और बुरे तो फूफा जी है। जिन्होंने आपकी कदर न की, और आपको दर दर की ठोकरे खाने के लिए अकेला छोड़ दिया।
मेरी ये बात सुनकर बुआ मेरे गले लग गयी और फक फक रोते बाते करने लगी
बन्टी यदि उन्हीने ने ही कदर की होती आज यूं दर दर की ठोकरे न खा रही होती। मैं भी इंसान हूँ, मेरी भी कुछ भावनाये है।
मेरा भी दिल करता है कोई मुझे भी प्यार करे, कोई मेरे साथ रात को सोये, मैं शादीशुदा होते हुए भी विधवा जैसी ज़िन्दगी जीने को मज़बूर हूँ।
बन्टी तुम भी इंसान हो न, तुम्हारा भी दिल करता होगा कोई लड़की मुझे चाहे, मेरे साथ रात को सहवास करे। करता है न दिल बोलो ? मैं — हाँ पर ?? बुआ — पर क्या ? मैं– जब कोई लड़की है ही नही क्यों दिल को जलाना और अपनी काम अग्नि को भढकाना ।
बुआ — जब मैं लड़की होते हुए इतना आग्रह कर रही हूँ। तो तुम पहाड़ पर क्यों चढ़ रहे हो। मान क्यों नही जाते?
मैं– पर बुआ दूनिया क्या कहेगी, अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा। हमारी दोनों की इज्ज़त की धज्जिया उड़ जायेगी।
बुआ– बन्टी ये बात हम दोनों में ही रहेगी। उसकी चिंता तुम न करो। क्या मैं तुम्हारी हाँ समझू। बोलो ?????
मैं — अब कोई रास्ता भी नही है के क्योंके आपको किसी और की बाँहो में भी देख नही सकता। खुद ही सम्भालना पड़ेगा सब मामला अब मुझे तो।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
बुआ — हाँ ये हुई न बात और उसने मेरे होंठो पे अपने कोमल होंठ लगाकर चुम्बन लिया और बोली
आह…!! मज़ा आ गया, आज एक साल बाद पहली बार किसी मर्द के होंठ चूमने को मिले है।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000