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अन्तर्वासना मामी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं मामा के घर गया. एक दिन मामी नहा कर निकली. झीनी नाइटी में उनका जिस्म देख मेरी नीयत खराब हो गयी.
लेखक की पिछली कहानी: जवान लड़की के दौरे का इलाज
यह अन्तर्वासना मामी सेक्स स्टोरी तब की है जब इण्टरमीडिएट के इम्तिहान देकर दो महीने की छुट्टियां मनाने के लिए मैं अपनी ननिहाल गया.
ननिहाल में मामा, मामी और उनकी बेटी सोनल कुल तीन लोग थे. मेरे नाना नानी की मृत्यु हो चुकी थी.
मेरे मामा एक बड़ी फैक्ट्री की कैन्टीन चलाते थे. वे सुबह नौ बजे तक घर से निकल जाते थे और रात को ग्यारह बजे तक वापस आते थे. मैं सारा दिन मामी और सोनल के साथ लूडो, कैरम आदि खेलता रहता.
मुझे वहां गये तीसरा या चौथा दिन था. मामी बाथरूम से नहाकर निकलीं, उन्होंने झीनी नाइटी पहनी थी. ब्रा और पैन्टी न पहनने के कारण मामी की चूचियां और चूतड़ उछाल मार रहे थे.
मेरी मामी की उम्र करीब 38 साल और कद काठी इमरती रानी जैसी थी.
बाथरूम से निकल कर मामी अपने कमरे में चली गईं और कुछ देर बाद सज संवर कर आ गईं.
मामी के प्रति मेरा नजरिया अब बदल चुका था. मामी मुझे अब वो औरत दिखने लगी थी, जो मेरा लण्ड ले सकती थी. यदा कदा मामी के सामने मैं जानबूझकर अपना लण्ड सहला देता.
एक दिन मैं टॉवल लपेटकर नहाने जा रहा था. कि तख्त पर बैठकर सब्जी काट रही मामी ने कहा- विजय ये कुछ छिलके नीचे गिर गये हैं, उन्हें भी उठा लो. और सब छिलके बाहर गाय को डाल दो.
मैं छिलके उठाने के लिए नीचे बैठा और जानबूझकर इस तरह बैठा कि मामी को मेरा तना हुआ लण्ड दिख जाये.
अगले कुछ दिनों में मैंने दो तीन बार मामी को अपना लण्ड दिखा दिया.
मामी भी कुछ अदायें और जलवे दिखा रही थी लेकिन सब कुछ ऐसे था कि अनजाने में होता दिख रहा था.
तभी एक दिन सोनल की किसी सहेली का बर्थडे आ गया. सब सहेलियां किसी रेस्टोरेंट में पार्टी कर रही थीं.
मामी के कहने पर मैं सोनल को रेस्टोरेंट तक पहुंचाने चला गया.
वापस लौटा तो देखा कि मामी ड्राइंग रूम में ही दीवान पर सो रही थीं. बांई करवट सो रही मामी की नाइटी घुटनों तक सरकी हुई थी.
उनकी मोटी मोटी जांघें और फूले हुए चूतड़ देखकर मेरा दिमाग खराब हो गया.
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और लुंगी लपेटकर मामी के पीछे लेट गया. फिर लुंगी खिसकाकर लण्ड को मामी की गांड की दरार में सटा दिया.
हाथ बढ़ाकर मामी की नाइटी थोड़ा ऊपर खिसकाई तो मामी की गोरी गोरी मांसल जांघें ऊपर तक दिखने लगीं.
मामी गहरी नींद में थीं इसलिए उनको पता भी नहीं चला कि मैंने उनकी नाइटी कमर तक उठा दी.
अपना लण्ड मैंने मामी की चूत के मुखद्वार पर रखा तो मामी करवट बदलकर सीधी हो गईं और बेसुध हालत में पीठ के बल लेट गईं.
मैं डर गया था कि मामी जाग न जायें.
थोड़ी देर तक मामी हिली डुली नहीं तो मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने धीरे धीरे मामी की टांगें फैला दीं.
मामी की चूत का मुखद्वार और चमकते गुलाबी लब मुझे आमंत्रित कर रहे थे.
मैंने मामी की टांगों के बीच आकर अपने लण्ड का सुपारा मामी की चूत से सटा दिया और मामी की चूचियां छूने लगा.
मामी ने ब्रा नहीं पहनी थी. मामी के निप्पलों पर हाथ फेरा तो निप्पल टनटना गये.
तभी मामी ने आँखें खोलीं और अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ कर अपनी ओर खींचा. तो मेरे लण्ड का सुपारा मामी की चूत के अन्दर हो गया.
पहले झटके में आधा और दूसरे झटके में पूरा लण्ड मामी की चूत में समा गया. तो मामी ने अपनी नाइटी उतारकर अपने कबूतर आजाद कर दिये.
मामी के निप्पल्स चूसते चूसते मैंने लण्ड की ठोकरें मारना शुरू किया. तो आह आह करते हुए मामी बोलीं- तेरा लण्ड बड़ा जानदार है विजय, अपने बाप से भी ज्यादा! मैंने कहा- बाप से भी ज्यादा? मतलब आप मेरे पापा से भी चुदवा चुकी हो?
“हाँ, विजय. सिर्फ़ चुदवाया ही नहीं है बल्कि सोनल तुम्हारे बाप की ही औलाद है. तेरा मामा तो चूतिया है साला. महीने, पन्द्रह दिन में एक बार आता है और दरवाजा खटखटाकर चला जाता है.”
मेरे लण्ड की ठोकरों से मामी मस्त होने लगी तो अपने चूतड़ उचकाकर उसने एक तकिया अपनी गांड के नीचे रख लिया. गांड के नीचे तकिया रखने से मामी की चूत टाइट हो गई.
जब मेरे डिस्चार्ज का समय करीब आया और मेरा लण्ड अकड़कर मूसल जैसा होने लगा. तो मामी भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर साथ देने लगीं.
तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी और मामी की चूत मेरे मक्खन से भर गई.
अब मामी सेक्स रोज का काम हो गया.
मेरे सोने का कमरा ऊपर था.
एक बार रात को करीब बारह बजे मामी मेरे कमरे में आ गईं और मुझे बेतहाशा चूमने लगीं जिससे मेरी नींद खुल गई.
मैंने पूछा- क्या हुआ मामी? “कुछ नहीं हुआ, विजय. रात का काम दिन में करो तो मजा कम आता है. इसलिए आज तेरे मामा और सोनल को दूध में नींद की दवा मिलाकर पिला आई हूँ. रात भर आराम से सोयेंगे.”
मामी ने मेरी लुंगी खींचकर अलग कर दी और मेरा लण्ड चूसने लगी.
जैसे ही मेरा लण्ड टनटनाया, मामी घोड़ी बन गई और बोली- उठ जा विजय, आज मुझे कुतिया बनाकर चोद. मामी के पीछे आकर मैं घुटनों के बल खड़ा हुआ और उसकी चूत के लब फैलाकर अपना लण्ड पेल दिया.
लण्ड अन्दर जाते ही मामी ने अपना शरीर आगे पीछे करना शुरू किया तो मैं भी धक्के मारने लगा. उस रात को दो बार मामी से सेक्स किया.
मैं वहाँ दो महीने रुका और मामी को चोद चोदकर चुदक्कड़ बना दिया.
दो महीने तक ननिहाल में रहकर मामी की जमकर चुदाई करने के बाद मैं वापस अपने घर लौट आया और अपनी पढ़ाई में जुट गया.
मामी से अक्सर फोन पर बात होती रहती.
मेरी शिक्षा पूर्ण हो गई तो कैंपस प्लेसमेंट के लिए कई कम्पनियां आईं और मेरा प्लेसमेंट हो गया. ज्वाइनिंग 15 दिन बाद होनी थी.
माँ से बात करके मैं दस दिन के लिए ननिहाल चला गया.
ननिहाल पहुंचने तक रास्ते में अन्तर्वासना वश मामी की चुदाई की योजना बनाता रहा.
घर पहुंचा तो दरवाजा सोनल ने खोला. उसे देखकर मैं हैरान हो गया.
छुई मुई सी दिखने वाली सोनल दिव्या भारती हो चुकी थी.
उन्नीस साल की उम्र में वो बाइस साल की दिख रही थी.
मेरी बहन के पाँच फीट छह इंच कद, दूध और सिंदूर जैसा दमकता रंग, 36 साइज की चूचियां और 38 इंच के चूतड़.
वो हॉट केक हो चुकी थी.
कुछ दिन पहले ही उसके इम्तिहान हुए थे.
अपना सामान रखकर मैं नहाने के लिए बाथरूम चला गया.
शाम के समय मैं घूमने के लिए बाहर निकला और लौटते समय चार फालूदा कुल्फी ले आया.
रात को खाना खाने के बाद सबने एक एक कुल्फी खा ली. मामा, मामी की कुल्फी में नींद की दवा मिली हुई थी इसलिए वो दोनों सो गये.
मैं और सोनल लूडो खेल रहे थे. मैंने सोनल से उसके फ्रेण्ड्स के बारे में पूछना शुरू किया तो बताने लगी. उसकी बातों से वो काफी चुदासी लग रही थी.
लेकिन उसने कभी सेक्स नहीं किया था क्योंकि वो अपने मम्मी और पापा से डरती थी. मुझे समझ आ गया कि इसका डर निकालना पड़ेगा.
फिर मैंने पूछा- कभी दारु पी है? “नहीं, एक बार बियर पी थी.”
मैंने अपने बैग में से बियर के दो कैन निकाले और सोनल से गिलास लाने के लिए कहा.
सोनल गिलास लेकर आई तो मैंने बर्फ लाने को कहा.
उसके बर्फ लेकर लौटने तक मैंने व्हिस्की का क्वार्टर निकाल कर दो पैग बनाये और बीयर भर दी. सोनल के ना ना करते करते भी मैंने उसे पूरा गिलास पिला दिया.
जब सोनल को नशा होने लगा तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये. दहकते अंगारे जैसे होंठ चूसते ही मेरा लण्ड टनटनाने लगा.
सोनल की सलवार का नाड़ा खोलकर मैंने उसकी सलवार व पैंटी निकाल दी.
हल्के भूरे बालों से ढकी सोनल की बुर पर मैंने अपनी जीभ फेरनी शुरू की. तो सोनल का शराब का नशा उतरने लगा और सेक्स का नशा चढ़ने लगा.
सोनल की बुर चाटते चाटते मैंने उसकी कुर्ती व ब्रा भी निकाल दी.
बड़े संतरे के साइज की चूचियां मसलते हुए मैं उसकी बुर में जीभ चलाता रहा.
सोनल पूरी तरह गर्म हो गई तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और 69 की मुद्रा में आकर अपना लण्ड सोनल के मुंह में दे दिया. मेरी आधी सगी बहन सोनल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी बुर चाट रहा था.
जब मेरा लण्ड उसकी बुर में जाने के लिए बावला होने लगा तो मैं उठा और टांगें फैला कर बैठ गया. सोनल को अपनी गोद में लेकर मैंने अपने हाथ पर थूका और उस थूक को अपने लण्ड के सुपारे पर मल कर सोनल को अपने लण्ड पर बैठा लिया.
उसकी बुर के लब फैला कर अपने लण्ड के सुपारे को बुर के मुखद्वार में फंसाकर मैंने सोनल को नीचे की ओर दबाया तो सुपारा उसकी बुर में चला गया.
मैंने उसी समय उसे लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया.
सोनल की चूचियां मसलते हुए उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक करके मैंने अपना लण्ड अन्दर धकेलना शुरू किया.
उसकी बुर बहुत टाइट थी, आधा लण्ड अन्दर गया लेकिन सोनल कराहने लगी थी. मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया.
सोनल की बुर सहलाते हुए मैं उसके गाल और चूचियों पर चुम्बन करता रहा. कुछ देर में वो सामान्य हो गई.
मैंने उससे पूछा- कोल्ड क्रीम है? “मम्मी के ड्रेसिंग टेबल में है.” “मैं लेकर आता हूँ.”
मैंने लुंगी लपेटी और मामी के कमरे में गया, नाइट लैम्प की रोशनी में ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम की शीशी निकाली और वापस मुड़ा.
तभी मेरी नजर मामी पर पड़ी, नींद की दवा के असर से बेसुध पड़ी थी. बगल में मामा खर्राटे भर रहा था.
पता नहीं क्या मन में आया कि अपने लण्ड पर कोल्ड क्रीम मलकर मैंने मामी की नाइटी ऊपर उठाई और अपना लण्ड मामी की चूत में पेल दिया.
मामी ने अपनी चूत आज ही शेव की थी, यानि चुदवाने की तैयारी से थी.
चार छह बार लण्ड को अन्दर बाहर किया लेकिन मामी की नींद नहीं खुली.
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला, नाइटी नीचे खिसकाई और सोनल के पास आ गया.
अपने लण्ड पर ढेर सी क्रीम लगाकर सोनल की बुर में डाला.
आधा लण्ड अन्दर बाहर करते हुए एक बार मैंने जोर से ठोकर मारी तो सोनल की बुर की सील टूट गई.
मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर में समा गया.
खून से सराबोर लण्ड सोनल की बुर के अन्दर बाहर होते होते अपनी मंजिल पर पहुंचा तो मेरे लण्ड से फव्वारा छूटा और सोनल की बुर को सराबोर कर दिया.
मैं निढाल होकर सोनल के ऊपर लेट गया.
सोनल ने मेरे बालों में ऊंगलियां चलाते हुए कहा- आई लव यू विजय!
मैं वहां दस दिन रुका, इन दस दिनों में सोनल और मामी दोनों को दस दस बार चोदा.
वहां से लौटकर अपने घर आया और कम्पनी ज्वाइन करने के लिए बंगलौर रवाना हो गया.
अभी दो ही महीने हुए थे कि सोनल का बीबीए करने के लिए बंगलौर के एक कॉलेज में एडमिशन हो गया.
अब जब बंगलौर में भाई रहता हो तो बहन हॉस्टल में क्यों रहे?
मैं और सोनल एक ही फ्लैट में रहते हैं, दिन में वो कॉलेज में रहती है और मैं अपने ऑफिस! रात हमारी एक ही बिस्तर पर कटती है.
एक बार रात में हम भाई बहन का चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था. कि सोनल के मोबाइल पर मामी का कॉल आया- क्या कर रही हो, सोनल? “पढ़ रही हूँ, मम्मी.”
“विजय कहां है?” “भइया अपने कमरे में सो रहे हैं.” इतना कहकर सोनल अपने चूतड़ उचका उचकाकर मेरे लण्ड का मजा लगी.
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