This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
कुछ युवाओं का सामान्य प्रश्न- मेरी अन्तर्वासना नहीं जाती… मैं क्या करूँ? आपकी सोच के कारण ही नहीं जाती…
आप प्रकृति के विपरीत काम में लगे हैं, पहले ब्रह्मचर्य की कसमें खाते हो, फिर वासना को हटाने में लगते हो।
ऐसे नहीं होगा, ऐसा जीवन का नियम नहीं है, तुम जीवन के नियम के विपरीत चलोगे तो हारोगे, दुःख पाओगे, और तब तुम एक विवशता में जियोगे, अब तुम मान रहे हो कि मैं ब्रह्मचारी हूँ, कसम खा ली तो ब्रह्मचारी हूँ, मगर कसमों से कहीं मिटता है कुछ? कसमों से कहीं कुछ रूपान्तरित होता है, अब ऊपर-ऊपर ढोंग करोगे, ब्रह्मचर्य का झण्डा लिए घूमोगे और भीतर? भीतर ठीक इससे विपरीत स्थिति होगी।
अन्तर्वासना को अपने जीवन से हटाओ नहीं इसकी पूर्ति करो…
अन्तर्वासना जीवन की एक अनिवार्यता है ‘अनुभव’ से जाएगी, कसमों से नहीं, ‘पूर्ति’ से शान्त होगी। अन्तर्वासना छोड़ना चाहोगे तो कभी नहीं छोड़ पाओगे और जकड़ते चले जाओगे, इसलिए पहली तो बात कि अन्तर्वासना को छोड़ने की धारणा ही छोड़ दो। जो ईश्वर ने दिया है- दिया है… और दिया है तो कुछ कारण होगा!
अन्तर्वासना कोई पाप नहीं… अगर पाप होती तो तुम न होते, पाप होती तो ऋषि मुनि ज्ञानी न होते! जिससे यह संसार चलता है उसे तुम पाप कहोगे?
जरूर आपके समझने में कहीं भूल है, अन्तर्वासना तो जीवन का स्रोत है उससे ही लड़ोगे तो आत्मघाती हो जाओगे, लड़ो मत, समझो! भागो मत जागो!
अन्तर्वासना का पहला काम है तुम्हें जीवन देना! तुम्हें भी तो इसी से जीवन मिला है… तुम्हारा काम है इसे शान्त करना ना कि इसे मारना! निष्पक्ष भाव से समझने की कोशिश करो कि यह अन्तर्वासना क्या है? यौन रति सेक्स में मज़ा क्यों है? अगर इसमें मज़ा ना होता तो क्या कोई सेक्स करता? क्या तुम और मैं होते? क्या यह मानव संसार होता?
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000