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सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. जब मैं खुद को रोक ना पाई तो मैंने धीरे से अपनी गीली उंगलियों को चाट लिया। जाहिरा ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अपनी उंगलयों को चाटते हुए देख कर बोली- भाभी.. क्या कर रही हैं यह? मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ। मेरी बात सुन कर जाहिरा के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई और उसने दोबारा से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने भी आहिस्ता-आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और जाहिरा को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी। अब आगे लुत्फ़ लें..
कुछ देर के लिए मैं और जाहिरा इसी तरह से निढाल हालत में लेटे रहे। मेरी चूत की प्यास अभी तक नहीं बुझ पाई थी.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल कर लिया हुआ था और एक ही वक़्त में मैं जाहिरा को बिल्कुल ओपन नहीं कर लेना चाहती थी.. शायद वो भी एक ही बार में तमाम हदों को क्रॉस ना कर पाती इसलिए मैं बड़े ही आराम से अपनी बाँहों में लिए हुए उसके जिस्म को सहलाती रही। वो भी आँखें बंद करके मेरी बाँहों में पड़ी रही। उसने अपना टॉप भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही मैंने उसे उसकी चूचियों से नीचे किया।
इस तरह से पड़े हुए उसकी नंगी चूचियों का नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके जिस्म को सहलाते रहने और ज़िंदगी के पहले ओर्गैज्म की वजह से उसे थोड़ी ही देर में नींद आ गई.. लेकिन मैं सो ही नहीं पाई।
शाम की क़रीब 7 बजे जब मैं और जाहिरा बैठे टीवी देख रहे थे.. तो अचानक से बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। मैं और जाहिरा दोनों ही पिछले सहन में भागीं कि बारिश देखते हैं। देखते ही देखते बारिश तेज होने लगी। मैंने कहा- जाहिरा आओ बारिश में नहाते हैं।
जाहिरा बोली- लेकिन भाभी यह नई ड्रेस खराब हो जाएगी.. जो हमने कल ही ली है। कमैंने कहा- हाँ.. कह तो तुम ठीक रही हो.. मैंने उसे आँख मारी और बोली- क्यों ना इसे उतार कर नहाते हैं।
जाहिरा प्यार से मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुई बोली- क्या है ना.. भाभी आप पता नहीं कैसी-कैसी बातें करती रहती हो और पता नहीं आपको क्या होता जा रहा है.. अभी कुछ देर पहले भी आपने…! मैं- लेकिन मेरी जान.. तुमको भी तो मज़ा आया था ना? जाहिरा शर्मा गई।
मैंने कहा- अच्छा चलो अन्दर आओ.. मेरे साथ कुछ सोचते हैं।
अपने कमरे में लाकर मैंने अल्मारी खोली और मेरी नज़र फैजान की स्लीबलैस सफ़ेद बनियान पर पड़ी..। मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने फ़ौरन से दो बनियाने निकालीं और एक जाहिरा की तरफ बढ़ाते हुए बोली- लो एक तुम पहन लो.. और एक मैं पहन लेती हूँ। जाहिरा हैरत से उस बनियान को देखते हुए बोली- भाभी यह कैसे पहनी जा सकती है.. यह तो काफ़ी खुली है और इसका तो गला भी काफ़ी खुला है.. मैंने उससे कहा- अब बातें ना कर और जल्दी से इसको चेंज करो।
मैंने उसकी टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाया.. तो खामोशी से जाहिरा ने अपने बाज़ू ऊपर कर दिए। मैंने उसके टॉप को उतार कर बिस्तर पर फैंका और अब जाहिरा मेरी नज़रों के सामने अपनी ऊपरी बदन से बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
मैंने जैसे ही उसकी चूचियों को नंगी देखा तो एक बार फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूचियों को सहलाने लगी। मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनको सहलाते हुए अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ाए.. तो थोड़ा सा हिचकिचाते हुए जाहिरा ने अपनी होंठ आगे कर दिए और मैंने उसकी होंठों को चूम लिया।
फिर जाहिरा ने मेरे हाथ से अपने भैया वाली बनियान छीनी और बोली- मैं खुद ही पहन लेती हूँ। मैंने हँसते हुए उसे छोड़ दिया और जाहिरा अपनी बनियान पहनने लगी।
मैंने भी अपनी वो नेट शर्ट उतारी और जाहिरा के सामने मैं भी मम्मों की तरफ से नंगी हो गई। जाहिरा ने पहली बार मेरी चूचियों को खुला देखा.. तो मुझसे दूर ना रह सकी। जाहिरा- वॉव.. भाभिईईई.. आपकी चूचियाँ.. ईस्स्स्स.. कितनी सेक्सीईई.. हैं..।
मैं धीरे से मुस्कराई और उसे अपने सिर और आँख के इशारे से अपनी चूचियों की तरफ आने को कहा। जाहिरा जल्दी से मेरे पास आई और आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूचियों को सहलाने लगी। उसकी उंगलियों ने मेरे निप्पलों को छुआ तो मेरे निप्पलों में भी अकड़न आने लगी।
फिर खुद को जाहिरा से अलग करके मैंने अपने नंगी जिस्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ वो खुली बनियान पहन ली और नीचे तो बरमूडा ही था।
मैंने खुद को आइने में देखा तो सच में मेरा गला काफ़ी खुला हुआ था और मेरी चूचियों भी गहराई तक नज़र आ रही थीं.. बनियान भी कुछ पतली कॉटन की थी.. जिसकी वजह से मेरे निप्पलों की जगह पर डार्क-डार्क हिस्सा दिख रहा था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे निप्पल इस जगह पर हैं।
जाहिरा का भी यही हाल था.. हम दोनों ने जो फैजान की बनियाने पहन रखीं थीं.. वो लंबाई में हमारी हाफ जाँघों तक पहुँच रही थीं।
मैंने जब जाहिरा को देखा तो मुझे एक और ख्याल आया। मैंने उसके सामने खड़े होकर अपने बरमूडा को नीचे को खींच दिया। जाहिरा का मुँह खुला का खुला रह गया। मैंने अपनी एक पैन्टी उठाई और उस बनियान की नीचे बरमूडा की जगह वो पहन ली।
जाहिरा- भाभी यह क्या कर रही हो आप..? क्या आप बारिश में नहाने ऐसे ही जाओगी..? मैं- जी हाँ.. और सिर्फ़ मैं ही नहीं.. तुम भी.. यह कहते हुए मैंने जाहिरा का बरमूडा भी खींच कर नीचे कर दिया और उससे बोली- चलो तुम भी इसके नीचे से अपनी पैन्टी पहन लो।
जाहिरा ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन भाभी ऐसे कैसे?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और उसे कोई बात करने का मौका दिए बिना ही खींच कर बाहर लाई और फिर उसके कपड़ों में से एक पैन्टी उसे पहनने को दी और उसे चूत का ढक्कन पहना कर उसे सहन में ले आई।
यहाँ पर अँधेरा भी हो रहा था और बारिश भी पहली से तेज हो चुकी हुई थी। हम दोनों जैसे ही बारिश में पहुँचे.. तो चंद मिनटों में ही हमारे जिस्म बिल्कुल गीले हो गए और हमारी बनियाने भीग कर हमारे जिस्मों के साथ चिपक गईं।
अब ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दोनों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ वो बनियाने ही पहन रखी हैं और कुछ भी नहीं पहना हुआ है। अब हम दोनों शरारतें कर रहे थे और एक-दूसरे को छेड़ रही थीं।
मैंने शरारत से जाहिरा के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं.. जाहिरा ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं। मैं- सस्स्स.. ऊऊऊऊऊ.. ईईईई.. अरे ज़ालिम दबानी ही हैं चूचियाँ.. तो थोड़ा प्यार से दबा ना.. अपने भैया की तरह..
जाहिरा हंस पड़ी और बोली- भाभी आपको भैया की बड़ी याद आ रही है.. मैं- हाँ यार.. वो भी साथ में नहाते तो और भी मज़ा आ जाता। जाहिरा बोली- लेकिन भाभी फिर तो मैं नहीं नहा सकती ना.. आप लोगों के साथ..
मैं- क्यों.. तुझे क्या है? जाहिरा- भाभी मेरा तो पूरा ही जिस्म नंगा हो रहा है.. मैं कैसे भैया के सामने?? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए जाहिरा के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया।
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. जाहिरा फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभीजान.. किसी ने देख लिया तो??
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं। अभी वाकिया बदस्तूर है। [email protected]
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