This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
हेल्लो दोस्तों मैं दीप पंजाबी, पंजाब से हूँ। मेरी उम्र 30 साल कद 5 फ़ीट 4 इंच रंग गेंहुआ है और मैं एक किरयाना स्टोर का मालिक हूँ। जो के मेरे घर में ही है। आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा कहानी पे आता हूँ।
मेरे पड़ोस में जमीदार का घर हैं तो उन्होंने घर का कूड़ा कर्कट उठाने के लिए एक काम वाली रखी हुई थी। उसका नाम रूपा (नाम कहानी में बदल रहा हूँ क्योंके प्राइवेसी भी जरूरी है न) था। वो शादीशुदा थी और एक 3 साल के बच्चे मुन्ने की मम्मी भी थी। उसका पति भी किसी ज़मीदार के घर साल पे मज़दूर था।
दोनों मियां बीवी अनपढ़ थे। उसकी उम्र 28 के लगभग होगी। रंग सांवला और शरीर भी स्लिम सा इंडियन अभिनेत्रियों की तरह फिट और ढीले से कपड़े पहनती थी ! जब भी रूपा पड़ोस के घर में आती थी तो दुकान पे बच्चे को कुछ न कुछ खाने को दिलाके लेके जाती थी।
मतलब कहने का मेरी दुकान पहले और उसके कम करने की जगह बाद में आती थी। दुकान पे रोज़ाना आने की वजह से उस से अच्छी जान पहचान हो गयी थी ! जान पहचान की वजह से उस से हंसी मज़ाक भी कर लेता था। पहले तो सिंपल हंसी मज़ाक चलता था।
फिर धीरे धीरे उसके स्वभाव को देखते हुए हम एक दूजे से डब्ल मतलब वाला मज़ाक भी करने लगे। मेने बातो बातो में यह नोट किया मुझमें इंटरेस्ट ले रही है।
हुआ यूँ के दीवाली को गए हुए दो दिन हो गए थे। तो दीवाली के कुछ बचे हुए पटाखे अभी तक मेरे पास पड़े थे। दुकान पे मैं साफ सफाई कर रहा था। तो रूपा अपने बेटे जो के 3 साल का होगा, के साथ आई और उसका बेटा जिद करने लगा के सांप वाली डिबिया लेनी है (वही बारूद की गोलियां जिसे आग लगाने पे सांप निकलते है बचपन में आप लोगो ने भी जलायी होंगी) तो वो बिक जाने की वजह से मेरे पास नही थी।
मेने समझाया के बेटा वो खत्म हो गयी है कोई और पटाखा ले लो। पर बच्चो वाली ज़िद के नही सांप ही लेना है। उसकी मम्मी भी समझाने लगी के कल को अंकल ला देंगे बाज़ार से, आज कुछ और ले लो। बड़ी देर बाद ज़िद्दी बच्चे ने ज़िद छोड़ी और दूसरी खाने की चीज़ लेके चला गया।
दो दिन तक फेर दोनों माँ बेटा नही आये। जब तीसरे दिन अकेली रूपा आई तो मेने पूछा आपका बेटा नही आया और 2 दिन आये क्यो नही। उसने कहा उसकी माँ की तबियत ठीक नही थी। तो दो दिन के लिए मायके गयी थी और बेटा वही रुक गया नानी के पास।
एक दो दिन में आके उसको छोड़ कर जायेंगे और वो वापसी पे रुकने का कह के जल्दी से चली गयी क्योके दो दिन न आने की वजह से काम बहुत हो गया था। उस दिन वापसी पे नही आई। फिर एक दिन मैं मेरे मामा जी के यहां चला गया उन्होंने कोई पूजा रखी थी। अगले दिन वापिस आया।
दिन के 12 का समय था। गर्मियों के दिन थे तो दोपहर को लाईट जाने की वजह से मैं दुकान के बाहर छाँव में बेठा था। इतने में उसका आना हुआ। उसके साथ उसका बेटा भी था। दोनों दुकान में आये और फिर वही फरमाइश के सांप की डिबिया दो।
तो हंस के रूपा बोली इसे अपना सांप दे दो और हम दोनों हंसने लगे। उसके ऐसा बोलने से मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी। मेने भी कहा,” ये सांप बच्चे को नही, उसकी मम्मी को दूंगा”। पहले तो मैं सहम सा गया फेर सोचा जो होगा देखा जायेगा। सो वो भी मेरी इस बात पे ठहाका लगाके हंसने लगी।
मेने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया। वो कोई आ जाएगा यार छोडो के इलावा कुछ नही बोली। मेने एक दिन उसे अकेले में मिलने को बोला। पहले तो बहाने बनाने लगी। जब पैसों का लालच दिया फट से मान गयी।
सो एक दिन फिक्स किया गया मुलाकात का। संयोगवश मेरी भुआ की लड़की की शादी भी उसी दिन होनी थी तो सारा परिवार गया। दुकान बंद होने और घर पे कोई न होने का बहाना लगाके मैं घर पे ही रुक गया।
शादी तीन दिन तक चलनी थी। सो मेरे मम्मी पापा मेरे पड़ोस की भाभी को मेरा खाना और देखभाल का ज़िमाँ देके चले गए। आखिर मुलाकात का दिन आ गया। पर रूपा नही आई। मुझे बहुत गुस्सा आया।
अगले दिन भी नही आई। मेने सो्चा चलो दिन के समय ग्राहक कम आते है सो पतंग उड़ाया जाये। इस से टाइम पास भी हो जायेगा और मन भी बेहल जायेगा। पर पतंग मर भी मन नही लग रहा था और बार बार मन बोल था के साला इसके लिए घर पे भी रहा, शादी में भी नही गया और यह भी नखरे दिखा रही है और छत से निचे आ गया।
तीसरे दिन आई मुझे गुस्सा तो था ही। उसने बुलाया मेने अपसेट मुड़ से ही एक दो बातों के जवाब दिए। वो भी समझ गयी क क्यो नराज है। फेर बोली मैं जानती हूँ, दीप तुम नराज़ हो, पर यार मेरी भी मज़बुरी समझो। कितने घरो का कॉम होता है। समय बहुत कम होता है एक जगह पे बात करने का ! इतने में उसका बेटा बोला मम्मी पतंग लेना है। तो मेने देरी न करते हुए अपना बना पतंग उसे दे दिया ओर वोह अकेला ही पतंग लेके ज़मीदार के घर की तरफ भाग गया।
रूपा बोली, दीप दुकान पे फोन है क्या ? मेने अपनी माँ का हाल चाल पता करना है तो मेने उसे दुकान के बिल्कुल साथ वाले फोन वाले कमरे में भेज दिया और खुद बाहर ही रुक गया दुकान का दरवाजा बन्द करने के लिए। दरवाजा बन्द करके उसके पास ही चला गया।
चुनरी से बन्धी गांठ को खोलते हुए वो बोली ये लो नम्बर और लगादो। मेने पर्ची पर लिखा नम्बर डायल कर दिया और वोह बात करने लगी। मेने हिम्मत करके उसे पीछे से बाँहो में ले लिया। जिस से वो सेहम सी गयी और बोली हट जाओ प्लीज। आगे फोन में उसकी मम्मी बोली बेटी क्या हुआ ?
बात को बदलते हुए बोली कुछ नही मम्मी आपका नाती फोन को तार खिंच रहा है और थोड़ी देर बात करके फोन काट दिया। मेने फेर उसे आगोश में लिया और किस करने लगा। पहले तो मना करती रही। पर जब कोई पेश न चली तो वह मेरा लिप किस में साथ देने लगी।
फोन वाला लॉन्ग टेबल था मेने उसी पे उसको पीठ के बल लिटा लिया और उसके ऊपर झुक क उसे प्यार करने लगा। मेने कमीज़ क अंदर हाथ डाल के उसके बूब्स को दबाने और सहलाने लगा। जिस से वो गर्म हो गयी और कामुक आवाजे सी सी करके निकालने लगी।
मेने लोहा गर्म देख के उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया और निचे कर दी और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो बोली मुझे बहुत डर लग रहा है, कोई आ जायेगा ज्यादा न कपड़े उतारो, ऐसे ही ऊपर से करलो जो करना है।
उसकी और मेरी आँखे बन्द थी और अपने आप में मस्त थे। वो दायने हाथ से मेरे पेंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहला रही थी। उसकी गर्म गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी और उखड़ रही थी।
थोड़ी देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और लम्बी धीमी चीख के साथ वह झड़ गयी और उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। मेने कहा अब मेरा काम भी करो। वो बोली ठीक है और बेंच से निचे उत्तर के निचे फर्श पे बैठ गयी और मेरी पेंट का ज़िप खोलने लगी।
5 इंच लम्बा ओर 2 इंच का मोटा लण्ड देख के थोडा सहम सी गयी मेने पूछा क्या हुआ तो बोली इतना मोटा लण्ड मेने आज देखा है मुन्ने के पापा का भी पतला सा है और सहलाये जा रही थी और लण्ड महाराज भी नींद से जाग गए थे और बड़े हो रहे थे। मेने पूछा चूसोगे, बोली छी गन्दा ह मैं नही चुसूगी। उलटी आती है। मेने ज्यादा ज़ोर भी नही दिया क्योके ज्यादा डर उसके मुकर जाने से था।
मेने बोला चलो ठीक ह नही चूसना तो चलो इसको इसकी सही जगह दिखा देते है। वो भो हस के बोली दो प्रेमियो को मिला देते है। मेने बेंच पे ही उसे लिटाया और ज़िप से ही निकाल के लण्ड जेसे ही उसकी चूत के मुँह पे रखा तो दरवाजा खटकने की आवाज़ आई। बहुत गुस्सा आया क्योके एक तो रूपा बड़ी मुश्किल से मानी थी। तो दूसरा उसे बहाना मिल गया मना करने का।
मेने कपड़े ठीक किये और रूपा को भी कपड़े पहन ने का बोल के छिपने का कहा।
मेने दरवाजा खोला तो सामने पड़ोस वाली भाभी खड़ी थी। दरवाजा खुलते ही बोली कब से दरवाजा खटखटा रही हूँ, खोला क्यों नही, कहाँ व्यस्त हो गए थे। एक ही साँस में इतने सवाल कर गयी।
मेने कहा भाभी बाथरूम में था। तो इतना कह क वह अंदर चली आई और बोली तुम्हे कुछ खाना है तो बतादो, वो ही बना देती हूँ। मेने कहा नही भाभी अभी चाय पी है सो भूख नही है। जब भूख हुई बता दूँगा।
भाभी बोली ठीक है मैं जाती हूँ और भाभी के जाने के बाद मेने आस पास देख के रूपा को अपने कमरे से बाहर निकाला और इस खेल में हम दोनों ही प्यासे ही रह गऐ।
तो केसी लगी कहानी अपने कमेंट्स मुझे मेल करना, मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000