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दोस्तो, मेरा नाम रोहित है (बदला हुआ नाम) अभी मैं 25 साल का हूँ। मैं देहरादून का रहने वाला हूँ। वैसे तो मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ.. पर मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर करनी चाहिए।
यह बात 5 साल पहले की है। एक दिन मुझे मेरे मोबाइल पर अंजाने नंबर से किसी का मैसेज आया.. मुझे लगा शायद कोई फ्रेंड होगा.. तो मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। अब तो वैसे भी यह आम बात हो गई.. पर अपनी आदत के आनुसार मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
फिर कभी-कभी में जब उस नंबर से 3 या 4 मैसेज आते तो एकाध का रिप्लाई कर देता था.. पर अभी भी में अनजान था कि वह नंबर किसका है.. मेरी आदत है कि अगर किसी नए नंबर से मैसेज या मिस कॉल भी आ जाए तो मुझे बेचैनी नहीं होती।
पर एक दिन पता चला कि वो नंबर एक लड़की का था.. जब वो उदास थी और उसने मुझे बताया कि उसकी अपने स्कूल की फ्रेण्ड से लड़ाई हो गई है। एक पल तो मुझे भी इतना अच्छा लगा कि यह कोई लड़की है। फिर हम मैसेज में ही बातें करने लगे और मैंने उससे कभी कॉल करने की कोशिश नहीं की।
एक दिन मैंने उससे कह ही दिया- मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ। तो उसने मुझे अगले दिन 7.30 बजे शाम को कॉल करने को कहा।
मेरे दिल में तो लड्डू फूट रहे थे.. तो अगले दिन ठीक समय पर मैंने उसे कॉल किया। उस वक़्त दिल ऐसे धड़क रहा था कि बस जैसे धड़धड़कते हुए बाहर ही आ जाएगा।
जब मैंने उसकी प्यारी मीठी सी आवाज़ सुनी मैं तो बस सातवें आसमान पर था। उस दिन हमारी कम से कम आधा घंटा बात हुई और अगले दिन उसका फोन आया कि वो मुझे देखना चाहती है। मैंने हामी भर दी.. तो उसने मुझे अपनी गली से गुजरने को कहा।
मैं अपनी बाइक पर तय समय पर उसकी गली से गुजरा। वैसे मैं आपको बता दूँ कि मैं काफ़ी खूबसूरत हूँ.. जैसा सभी लड़कियाँ कहती हैं।
उसने तो मुझे देख लिया.. पर मैं उसे नहीं देख पाया.. क्योंकि वो छुप कर देख रही थी। मेरा दिल भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.. पर उसे देख ना पाने का मलाल भी था।
फिर उसका फोन आया और वो बहुत खुश हो रही होकर कह रही थी कि तुम तो बहुत हैण्डसम हो। मैंने उससे कहा- मुझे तो तुम दिखी ही नहीं? तो उसने कहा वो छुप कर देख रही थी। खैर अब हमारी दोस्ती प्यार में बदलने लगी थी।
फिर हमने उस दिन शाम को मिलने का प्रोग्राम बनाया.. वो बल्लूपुर में कोचिंग के लिए जाती थी। नवम्बर का महीना था और मौसम ठंडा हो चला था। फिर भी दिल में अनजान लड़की से मिलने की उत्सुकता थी और मैं जल्दी-जल्दी शाम को नहा-धोकर नए कपड़े पहन कर उससे मिलने गया।
वो कहते हैं ना.. ‘फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन’ और मैंने उसके लिए चॉकलेट वगैरह लीं और पहुँच गया।
फिर हम मिले.. हम एक-दूसरे से मिल कर बहुत खुश हुए.. वैसे सच कहूँ तो वो बहुत ज़्यादा खूबसूरत तो नहीं थी.. पर उसके मम्मों के उठाव और उभरी हुई गाण्ड देख कर मैं पागल हो गया था।
वैसे एक बात बता दूँ.. मुझे मोटी और भरी हुई लौंडियाँ बहुत मस्त लगती हैं। फिर भी कुछ बात तो थी उसमें..
उस दिन किस्मत से उस दिन उसके कोचिंग वाले सर नहीं आए थे.. तो हम एक कैफे में कॉफी पीने चले गए और वहाँ हम दोनों ने एक-दूसरे के बारे में काफ़ी बातें की। वो मुझसे काफ़ी इंप्रेस हो गई थी.. फिर मैंने उसे घर ड्रॉप किया।
फिर कुछ दिन बाद मैंने उसे प्रपोज़ किया और वो मान गई। फिर मैंने उससे कहीं मिलने को कहा.. तो हम गढ़ीकैंट की तरफ गए और वहाँ ज़्यादा कुछ तो नहीं हुआ.. पर मैंने उसे चूमा.. जिस पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। शायद यह उसका पहली बार था और मेरा भी पहली ही बार था।
जब हम वापस आ रहे थे तो उसने कहा उसे ‘वो’ एक बार और करना है।
तो मैंने एक गली के आगे गाड़ी लगाई और उसे किस करने लगा।
इस बार उसने भी साथ दिया और मस्त तरीके से हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे.. तभी मेरा हाथ उसकी चूचियों की तरफ बढ़ चला। उसने थरथराती हुई आवाज में कहा- यह क्या कर रहे हो? मैंने कहा- मैं तुम्हारी चूचियों को दबाना चाहता हूँ.. उसने जो कहा उससे मैं शॉक हो गया। उसने कहा- क्या तुम इन्हें अन्दर से नहीं दबाना चाहोगे?
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें.. मैं अन्दर हाथ डाल कर उसकी संतरे जैसी चूचियों को दबाने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा.. फिर हमने टाइम देखा तो समय थोड़ा अधिक हो गया था.. तो मैंने उसे घर छोड़ा।
उसके बाद एक दिन मैंने उसे मेरे कमरे पर बुलाया.. और वो तुरंत मान गई।
उसके कोचिंग के टाइम यानि 7.30 बजे मैं उसे अपने कमरे पर लाया और मैंने उसे उस दिन खूब चूमा और उसके होंठों को भी चूसा। फिर मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारी चूत को भी चूमना चाहता हूँ। तो उसने कहा- अभी पीरियड चल रहे हैं.. तुम्हें दिक्कत होगी। मैं मान गया.. और अगली बार का वादा लेकर उससे किस करने लगा। फिर मैं उसे उसके घर के पास छोड़ आया।
अगले हफ्ते मैंने उसे फिर कमरे पर बुलाया.. इस बार तो मैंने पक्का सोच लिया था कि इस बार अपना लंड उसकी चूत में डाल कर ही रहूँगा। वैसे यह मेरा पहली बार भी था.. तो मैंने पूरी तैयारी के साथ उसको चोदने की सोची और मैंने केमिस्ट से कन्डोम का पूरा पैकेट ले लिया।
फिर जब वो आई.. तो मैंने देखा उस दिन वो बहुत प्यारी लग रही थी, मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया, उसके होंठ चूसने शुरू किए, वो भी बहुत मस्त तरीके से साथ देने लगी।
उसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसने कान की लौ को चूमने लगा और चूसने लगा। उसके बाद उसे पता नहीं क्या हुआ.. वो सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने फिर उसके गर्दन पर चूमना शुरू किया और अपना एक हाथ उसकी चूचियों पर भी रख दिया।
अब मैं उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। इससे मेरा लंड पूरा तन गया था और ऐसा लग रहा था जैसे आज लंड फट जाएगा। मैं उसकी टी-शर्ट ऊपर की और उसकी ब्रा हटा कर उसके नंगे और मस्त गोल-गोल चूचों को दबाने लगा। फिर मैंने उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया और ऐसे जबरदस्त तरह से चूसा कि जैसे मैं उसका सारा दूध ही पी जाऊँगा।
अब वो भी उत्तेजित हो गई थी और उसका हाथ भी मेरा लंड सहलाने लगा। मैंने फिर अपनी जीभ का कारनामा चालू किया और उसकी नाभि पर चूमने लगा।
अब तो वो पूरी पागल होने लगी.. फिर मैंने उसकी उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर किस किया तो वो काँप उठी। फिर मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी.. मेरे कमरे की लाइट बंद थी.. पर जब मैं अपनी उंगली उसकी चूत पर ले गया.. तो उधर कुछ चिपचिपा सा था.. तो मुझे उसे चूमने या चूसने का मन नहीं हुआ।
फिर मैं उसकी बगल में लेट कर उसकी चूत को अपनी उंगलियों से मसलने लगा। वो भी मेरा लंड आगे-पीछे कर रही थी। यह मेरा पहली बार था.. तो मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। वो इतनी गर्म थी कि बस मना ही नहीं कर पाई।
मैं उसके ऊपर आ गया और उसको चूमते हुए अपना लंड उसकी चूत के ऊपर से ही रगड़ने लगा। उसका भी यह पहली बार था तो उसने मुझसे पूछा- कुछ होगा तो नहीं?
तो मैंने कन्डोम निकाला और लंड पर पहना दिया। वो भी कन्डोम देख कर खुश हो गई। मैंने हल्के से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और उसे लंड को अपनी चूत में लगाने को कहा.. उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ से पकड़ कर ठीक छेद के निशाने पर लगा दिया। मैंने हल्का सा धक्का दिया और लंड उसकी चूत में हल्का सा सरक गया और वो कसमसाने लगी।
मैं उसके होंठों को चूसता रहा और अपने हल्के-हल्के धक्के चालू रखे। उसकी चूत काफ़ी कसी हुई थी.. तो मुझे लग रहा था कि कहीं मैं जल्दी ना झड़ जाऊँ। उत्तेजना के मारे मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया और उसके बोबे मसलने लगा।
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा.. फिर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और अपना लंड दुबारा चूत के अन्दर किया और उसके चूतड़ों पर चपत मारने लगा।
सच कहूँ तो मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था। मेरा लंड की नोक फंसी हुई उसकी चूत ऐसे लग रही थी.. जैसे उसकी चूत मेरे लंड को पूरा निचोड़ लेगी और पूरा लंड निगल लेगी।
फिर मैंने दूसरा आसन बनाया और उसको अपने ऊपर बिठा कर चोदा और मैं इस आसन में उसके फुदकते बोबों को दबाने लगा। कसम से जो मज़ा आ रहा था उसे बयां नहीं किया जा सकता, मुझे तो ऐसा लग रहा था.. जैसे मेरे लंड का जीवन ही सफल हो गया है। जो आनन्द चुदाई में है उसके सिवाय कहीं कुछ नहीं है।
फिर मुझे लगा कि अब मेरा पानी निकलने वाला है तो में ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा और जब मेरा पानी निकलने लगा तो ऐसे लगा जैसे करंट सा लग गया हो। मैं अपना लंड चूत की गहराई घुसेड़ने लगा.. उसका भी पानी निकल गया था।
मैं कुछ देर तक वैसे ही उसके ऊपर लेटा रहा। फिर मैंने प्यार से उसके माथे को चूमा तो उसे भी बहुत अच्छा लगा। फिर टाइम देखा तो लेट हो रहा था.. मैंने उसे उसके घर के बाहर ड्रॉप किया और कमरे पर वापस आ गया। इसके बाद तो ना जाने कितनी ही बार मैंने उसे चोदा।
एक बार तो मैंने उसके घर जाकर ही उसको चोदा और तो उस वक्त तो मेरी फट रही थी और फिर बाद में एक बार कैसे मैंने उसकी कुँवारी गाण्ड चोदी.. वैसे गाण्ड मारने में खुद की गाण्ड भी फट जाती है और ये सब बड़े प्यार से करना होता है, पर मैंने ये कैसे किया.. अगली कहानी में लिखूंगा। मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल करें। [email protected]
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