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देसी सेक्स कहानी पढ़ने वाले सभी ठरकी लौंडों और लौंडियों का राहुल का लण्डवत प्रणाम, दोस्तों ये हिन्दी सेक्स कहानी मेरे दोस्त बिजनौर निवासी सुमित, उसकी माँ भावना और छोटी बहन ऋचा की है.
सुमित एक 21 वर्षीय लड़का है जिसका अभी हाल ही में दिल्ली के कॉलेज में एडमिशन हुआ है, सुमित दिखने में हष्ट पुष्ट लड़का है जिसने अभी अभी कॉलेज की दुनिया में कदम रखा है.
सुमित की चौड़ी छाती के घने बाल लड़कियों के लिए आकर्षण का कारण हैं, सुमित के घर में उसकी छोटी बहिन ऋचा(उम्र *** वर्ष) और माँ भावना(उम्र 46 वर्ष) रहतीं हैं, सुमित का बाप नाम- भास्कर फौजी है जो असम में रहता है.
ऋचा *** वर्षीय 10वीं की गोरी,पतली,सुंदर छात्रा है जिसके जीवन में जवानी का बीच अभी अभी उगा है, ऋचा के उभरते हुए अमिया जैसे कच्चे स्तन काफी टाइट हैं जिसमे उसके टाइट कसे हुए छोटे छोटे निप्पल उसके स्तनों की बनावट में चार चाँद लगाते हैं..
ऋचा की पतली कमर, उभरते हुए कूल्हे, गोरा बदन देखने लायक है, ऋचा ने हाल ही में जवानी में अपना पहला कदम रखा है जिसका प्रभाव उसके चेहरे की तड़प में साफ़ साफ़ नजर आता है..
ऋचा घर में बिना बाँहों वाला छोटा टॉप और निचे नेकर पहने रहती है जिसके कारण उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों के दर्शन सुमित को होते हैं तो सुमित का भी मन डोलने लगता है, गोरी गोरी टांगों में ऋचा ने काले धागे बांधे हुए हैं ताकि उसके हुस्न बदन पर किसी की बुरी नजर न लगे. सुमित कई बार अपनी बहन ऋचा से चिपकने का प्रयास करता है और उसके छोटे छोटे कच्चे अमिया जैसे बूब्स की एक झलक पाने के लिए हर समय आतुर रहता है.
वहीं दूसरी और सुमित की माँ भावना जिसकी उम्र 45 वर्ष है पति के घर में न होने की वजह से काफी परेशान रहती है, घर में भावना सुबह से श्याम तक नाईटी पहन के रखती है और उसके अंदर कुछ नहीं पहनती..
भावना दिखने में मोटी भैंस जैसी गोरे और सुडौल बदन की मालकिन है जिसके सुडौल मोटे उभरे हुए बूब्स उसकी नाईटी को फाड़ने के लिए उतारू रहते हैं, उसके बड़े बड़े निप्प्ल का आकार उसकी नाईटी के बाहर से साफ साफ दिखता हुआ प्रतीत होता हैं..
लेकिन वो सुमित और ऋचा से कभी नहीं शर्माती और घर में सुबह से शाम तक ऐसे ही बेझिझक नाईटी में रहती है, परन्तु सुमित की गन्दी नजर अपनी माँ के मोटे गठीले सुडौल बदन पर हमेशा रहती है और अपनी माँ को देखकर उसका लण्ड हर बार खड़ा हो जाता है..
कभी कभी वो बाथरूम में अपने माँ के गोर, मोटे, हाथी जैसे सेक्सी और कामुक बदन के बारे में सोचते हुए अपना गाढ़ा सफेद पानी निकालता है. अपनी माँ के बूब्स की एक झलक पाने के लिए वो हर समय तैयार रहता है, जब भावना झाड़ू लगाती है, पौछा लगाती है या घर का कुछ काम करती है तो सुमित अपनी माँ के बूब्स और गांड को चोरी छिपे देखता रहता है, कभी कभी उसकी वीडियो भी बना लेता है.
बात उस समय की है जब सुमित और उसकी माँ भावना दिल्ली से ट्रेन में बिजनोर आ रहे थे, जनरल डिब्बे में सीट न होने की वजह से सुमित को अपनी माँ की गोद पर बैठना पड़ा, गर्मी का मौसम था, भावना और सुमित दोनों पसीने में लतपत थे..
थोड़ा सफर तय करने के बाद सुमित भावना को अपनी गोद में बैठने को बोलता है. भावना सुमित की गोद में आ जाती है, 110 किलो की सुमित की 46 वर्षीय गोरी, मोटे बूब्स वाली माँ अब अपने बेटे की गोद में बैठी थी, ट्रेन स्पीड में थी और झटके मारते हुए चल रही थी और इसी झटके के साथ साथ भावना अपने बेटे की गोद में उछल रही थी जिस वजह से सुमित के लण्ड पर दबाव पड़ा और उसका लण्ड खड़ा हो गया और भावना की गांड में चुभ रहा था..
भावना मजबूरी में कुछ कर भी नहीं सकती थी, वह ऐसे ही अपने बेटे की गोद में बैठी रही, वहीँ दूसरी ओर सुमित की हालत खराब थी, उसका मन अपनी माँ की गांड में लण्ड डालने का कर रहा था लेकिन वो मजबूर था..
एक आदमी दूसरी सीट में बैठा हुआ ये सब दृश्य देख रहा था, उस आदमी की उम्र लगभग 52 वर्ष होगी, उसकी आँखों में हवस दिख रही थी, अचानक उस आदमी ने कहा –
आदमी- भाभी जी, आपका बेटा थक गया होगा, आप मेरी जगह में बैठ सकते हैं.
भावना- नहीं नहीं भाई साहब, धन्यवाद, अगर मैं आपकी जगह में बैठ गयी तो आप कहाँ बैठोगे फिर?
आदमी- भाभी जी, मैं खड़ा हो जाता हूँ थोड़ी देर तक.
भावना- नहीं भाई साहब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, मेरा बेटा अभी नहीं थका है, जब थक जाए तो मैं बता दूंगी.
आदमी- ठीक है भाभी जी.
(थोड़ा सफर तय करने के बाद झटके मारते हुए सुमित के लण्ड ने कच्छे में ही सफेद गाढ़ा माल छोड़ दिया और पुरे डब्बे में सुमित के वीर्य की दुर्गन्ध फैल गयी, भावना को ज्यादा बदबू आ रही थी, तो भावना ने उस आदमी को उठने के लिए बोला)
भावना- भाई साहब, अब उठ जाइए आप.
(आदमी ने थोड़ी जगह बनाते हुए भावना को थोड़ी सी सीट दी)
आदमी- उठने की जरुरत नही है भाभी जी, यहीं एडजस्ट कर लेंगे.
भावना- धन्यवाद भाई साहब.
(जगह कम होने की वजह से भावना धीरे धीरे ट्रेन के झटकों के साथ साथ उस आदमी की गोद में आ जाती है, अब भावना उस अनजान आदमी की गोद में बैठी थी, और आदमी से बात कर रही थी)
आदमी- मैडम, आप कहाँ से हो?
भावना- दिल्ली से भाई साहब और आप?
आदमी- मैं भी दिल्ली से हूँ. आपके हस्बैंड कहाँ काम करते है?
भावना- वो तो आर्मी में हैं, अभी असम में हैं इससे पहले लद्दाख़ में थे.
(ट्रेन के झटकों की वजह से आदमी का लण्ड भावना की गांड में छूने लगा और खड़ा हो गया, इस आदमी का लण्ड सुमित के लण्ड से भी ज्यादा बड़ा था और भावना को साफ साफ इसका आभास हो रहा था परन्तु सीट न होने के कारण वो उस आदमी की गोद में बैठने को मजबूर थी, सुमित ये सब ड्रामा देखे जा रहा था..
अचानक ट्रेन में जोर का झटका जोरों से लगता है और भावना आदमी की गोद से नीचे गिरने वाली होती है तो वो आदमी भावना को गिरने से बचा लेता है, वो भावना को टाइट पकड़ लेता है, जिस कारण उसके मोटे बूब्स आदमी के हाथों से दब जाते हैं, सुमित को ये सब नजारा देखकर बहुत गुस्सा आता है)
भावना(डरते हुए)- हाये दय्या, मैं तो गिर गयी थी अभी, भाई साहब आपका धन्यवाद आपने बचा लिया मुझे.
आदमी- ये तो मेरा फर्ज था भाभी जी. अब मैंने आपको कस कर पकड़ रखा है, अब आप नहीं गिरोगे.
भावना- हाँ भाई साहब ऐसे ही पकडे रहो.
(आदमी ने भावना को टाइट पकड़ रखा था, ट्रेन चल रही थी, झटके लगातार लग रहे थे, आदमी का लण्ड भावना की गांड की दरार को छू रहा था, भावना को भी अहसास हो रहा था और आनंद की अनुभूति भी हो रही थी, भावना ने अपने होंटों को दांतों से दबा लिया और आँखें बंद कर दी..
यह सब देखकर सुमित सब कुछ समझ गया और ऐसे ही अपनी माँ को तड़पते हुए देखता रहा, अब आदमी के झटके भी तेज़ होने लगे, भावना ने कोई विरोध नहीं किया.
अचानक आगे गुफा/सुरंग आई तो अन्धेरा हो गया, गुफा ख़त्म होने के बाद सुमित ने देखा उसकी माँ का साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था और उसमे से लगभग 60 प्रतिशत बूब्स बाहर आने को व्याकुल है, वो सब कुछ समझ गया कि अँधेरे में गुफा में क्या कारनामा हुआ.
दूसरी गुफा आती है तो उसके बाद भावना की साड़ी झांघों तक आ गयी थी, अब सुमित की माँ भावना के बिना साड़ी के पल्लू केे बूब्स ट्रेन के डिब्बे में बैठे सभी लोगो के सामने थे और साड़ी झांघ तक थी, झांघ का काला तिल चमक रहा था..
अब तक डिब्बे में मौजूद सभी लोग समझ गए थे की अँधेरी सुरंग में क्या क्या हुआ, और सभी लोग सुमित को देखकर हंस रहे थे क्योंकि उसकी माँ उसी के सामने मजे ले रही थी.
तीसरी सुरंग आती है इसके बाद सुमित की माँ की काली ब्रा की स्ट्रिप लाल ब्लाउज में से साफ साफ बाहर दिखने लगती है और बूब्स लगभग 70 प्रतिशत बाहर आ गए जिसमे से हलके भूरे रंग के निप्पल का ऊपरी भाग भी नग्न था और सभी को नजर आ रहा था वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी के गालों में और गले में लिपस्टिक के निशान थे, और उसकी शर्ट के 4 बटन खुले हुए थे, ऐसा अश्लील वातावरण देखकर अब सभी को पता चल गया था कि क्या मामला है.
चौथी सुरंग आती है, सुरंग खत्म होने के बाद भावना का साड़ी का पीछे का हिस्सा पूरा खुला था और उसकी गांड में उस आदमी का लण्ड इस प्रकार घुसा हुआ था कि किसी को दिखाई न दे. भावना उस आदमी की गोद में बैठी आगे की और झुकी थी और उसके सर के बाल बिखर गए थे, माथे से पसीने की बूंदें उसके 70 प्रतिशत बाहर दिख रहे बूब्स की काली गहरी घाटी में समा रही थी, सुमित को अब यकीन हो गया कि उसकी माँ चुद रही है. सुमित भावना की ये हालत देख रहा था और भावना को घूरे जा रहा था.)
भावना(सुमित की ओर देखते हुए)- गर्मी बहुत है न बेटा, तुझे नहीं लग रही क्या?
सुमित- नहीं माँ, आपको बहुत ज्यादा लग रही है शायद.
भावना- हाँ बेटा, कैसे दूर होगी ये गर्मी.
आदमी- भाभी जी मैं कर देता हूँ दूर, अगली सुरंग आने दो.
(भावना और वो आदमी हंसने लगते हैं और सुमित को अपनी माँ की इस करतूत पर बहुत गुस्सा आता है,
पांचवी सुरंग आती है, और ये सुरंग थोड़ा लंबी भी थी, कुछ दिखायी नही दे रहा था, लेकिन भावना और उस आदमी की आवाज सभी को सुनाई दे रही थी, भावना की चूड़ियों की तेज तेज खनखनाहट रेल के डब्बे में गूंज रही थी, कुछ लोग बात भी कर रहे थे कि आज तो सुमित की माँ चुद गयी और हंस रहे थे, मजाक बना रहे थे)
भावना- अह्ह्ह्ह अह्ह्ह भाई साहब तेज… और तेज… जल्दी भाई साहब अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म…
आदमी- अह्ह्ह्ह्ह भाभी जी अह्ह्ह्ह उईई हो गया बस…. अह्ह्ह्ह…
(कुछ देर बाद आवाजें बंद हो जाती है और सुरंग भी खत्म हो जाती है, आदमी ने लण्ड भावना की गांड से बाहर निकालकर अपने पैजामे में डाल लिया था और भावना ने भी साड़ी निचे कर ली थी और ब्लाउज भी सही कर लिया था और ठीक तरीके से संस्कारी शादीशुदा नारी की भाँती आदमी की गोद में ऐसे बैठी हुयी थी जैसे कुछ हुआ ही न हो..
अब भावना के बूब्स केवल 50 प्रतिशत बहार थे जो हररोज ऐसे ही बाहर लटकते थे, कुछ देर बाद उस आदमी का स्टेशन आ जाता है और वो ट्रेन से उतर जाता है)
भावना- सुमित बेटा यहीं बैठे रहना, मैं अभी आई.
सुमित- लेकिन माँ आप कहाँ जा रही हो?
भावना- 2 मिनट में आई बेटा, तू यहीं पर रुक कोई सीट न घेर ले.
(उस आदमी को उतरते देख भावना दौड़ी दौड़ी उसके पीछे जाती है और उसे रोकती है)
भावना- भाई साहब, रुकना…
आदमी- क्या हुआ भाभी जी?
(और भावना उस आदमी के होंठों से अपने होंठ मिला लेती है और किस करती है, स्टेशन पर मौजूद सभी लोग उन्हें देखते हैं, सुमित के डब्बे के लोग भी उन्हें देखते हैं लेकिन सुमित अपनी जगह में रहता है ताकि कोई जगह न घेर ले, इस चुम्बन का मनमोहक दृश्य देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती है, और ट्रेन चलने वाली होती है तो भावना अपने डब्बे में आ जाती है, सभी लोग सुमित और उसकी माँ को देखकर हंसते हैं और ट्रेन में मौजूद सभी हरामी किस्म के लौंडे भावना को कुत्तों की तरह ऊपर से निचे तक घूरते हैं)
सुमित- कहाँ गयी थी माँ?
भावना- अरे उन भाई साहब का पर्स रह गया था वो देने गयी थी.
सुमित- यहाँ अभी पता नहीं क्या हुआ, सभी लोग उस तरफ देखे जा रहे थे जहाँ आप गए, लेकिन मैं अपनी सीट से नहीं उठा ताकि हमारी जगह कोई घेर न ले.
भावना- मेरा राजा बेटा, लेकिन उन अंकल की जगह में तो कोई और बैठ गया, अब मैं तेरी गोद में बैठूंगी.
सुमित- हाँ माँ आजाओ, बैठ जाओ.
(भावना फिर अपने बेटे सुमित की गोद में बैठ जाती है, सुमित का लण्ड एक बार फिर से अपनी माँ की गांड के घर्षण से झटके मारने लगता है और खड़ा हो जाता है, ट्रेन हिल हिल कर चलती है, सुमित पहले ही झड़ चुका था और पुरे डब्बे में उसके माल की बदबू फैली हुयी थी वहीँ दूसरी और उस अनजान आदमी ने भावना की साड़ी के पीछे वीर्य गिराया हुआ था, जिसके बारे में भावना को पता नहीं था, उसकी भी बदबू फैल गयी थी, सभी लोगों ने अपने नाक में हाथ रख दिया था, केवल भावना और सुमित को छोड़कर, अचानक सुमित के हाथ में भावना की साड़ी से उस आदमी का वीर्य लग जाता है और वो अपनी माँ से पूछता है)
सुमित- माँ ये चिपचिपा सा क्या लगा है आपकी साड़ी में?
भावना- ओहो, दिखा तो… अरे जब बाहर गयी थी तो तब लग गया होगा, जनरल डिब्बे में यही मुसीबत है, गंदगी ही गन्दगी रहती है. अगली बार हम ए.सी. डिब्बे में जायेंगे ठीक है?
सुमित- ठीक है माँ. माँ मैं आपको वैसे ही पकड़ लेता हूँ जैसे अंकल ने पकड़ा था, कहीं आप गिर न जाओ.
भावना- हाये राम… मेरा बेटा कितनी फिक्र करता है मेरी, पकड़ ले बेटा.
(सुमित भावना को वैसे ही कस कर पकड़ लेता है, भावना फिर से उत्तेजित हो जाती है और अपनी जीभ अपने होंठों में फेरने लगती है, ट्रेन के झटकों से उसका पल्लू फिर से नीचे गिर जाता है..
डिब्बे में मौजूद सभी लोग भावना के 70 प्रतिशत बाहर झांकते हुए बूब्स का नज़ारा देख रहे थे और कुछ तो अपने लण्ड में हाथ भी फेर रहे थे. सुमित ट्रेन के झटके के साथ साथ खुद भी जोर जोर से भावना की गांड में झटके मार रहा था, और उसका लण्ड भावना को गांड में महसूस हो रहा था..
भावना आगे की तरफ झुकी हुयी थी, उसके बूब्स की काली गहरी घाटी साफ दिख रही थी, गले का मंगलसूत्र लटका हुआ था, माथे पर लाल बिंदी, मांग पर लाल सिंदूर भावना की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे..
सुमित ने अपनी माँ को बूब्स के थोड़ा निचे हाथों से जकड़ा हुआ था और झटके मार रहा था, भावना ने अपने दोनों हाथ अपने घुटनो पर रखे थे, वो अपने बेटे सुमित की हालत से वाकिफ थी और उसके मजे में कोई मुसीबत नहीं डालना चाहती थी..
कुछ लोग डिब्बे में भावना और उसके बेटे की करतूत देख कर मुठ मार रहे थे, और कुछ लोग नज़रअंदाज कर रहे थे, कुछ सभ्य परिवार के लोग पहले ही दूसरे डिब्बे में चले गए थे..
अचानक फिर सुरंग आती है और इस सुरंग के चलते जो 6-7 लोग मुठ मार रहे थे उन्होंने अपना अपना माल भावना के ऊपर डाल दिया और कुछ माल सुमित के मुह पर भी पड़ा,भावना का मुह, गला और बूब्स तो माल से भीग गए थे, और सुमित का माल भी कच्छे में निकल गया, भावना भी झड़ गयी..
भावना और सुमित को पता भी नहीं चला कि ये किसने किया, कैसे हुआ क्योंकि सुरंग खत्म होने पर सभी लोग वैसे ही खड़े हो गए जैसे पहले थे, शक करें तो किस पर, सुरंग खत्म होने पर सबका स्टेशन आया और भावना का मुह 6-7 आदमियों के वीर्य से पूरा सफेद हो गया था..
सुमित के भी मुह में माल था, दोनों सभी से नजर छुपाते हुए ट्रेन से जल्दी जल्दी उतरे और घर चले गए, घर पहुँच कर भावना ऐसा बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो, ऋचा भावना और अपने भाई सुमित को देखकर बहुत खुश हुयी..
ऋचा ने स्कर्ट और ऊपर एक हलकी सी नेट वाली बनियान पहनी हुयी थी जिसमे उसके कच्ची अमिया जैसे बूब्स हल्के से उभरे हुए लग रहे थे और निप्पल का गोल आकार भी दिख रहा था..
ऋचा अपने भाई के गले लगती है और उससे चिपक जाती है, छोटी होने के कारण सुमित ऋचा को गोद में उठा लेता है और उसे उसके कमरे में ले जाता है)
ऋचा- भैया आप मेरे लिए क्या लाये, और आपसे और माँ से इतनी बदबू क्यों आ रही है?
सुमित- पगली तेरे लिए तरह तरह के टॉप, जीन्स, शॉर्ट्स लेकर आया हूँ, और बदबू पसीने की है, सफ़र की वजह से आ रही है, अभी नहाऊंगा चली जायेगी.
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
(सुमित अपनी जवान होती बहन ऋचा के लिए तरह तरह की ब्रा, पेंटी, और तरह तरह के वेस्टर्न कपडे लाया था और अगले भाग में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे सुमित ने ऋचा को अपने जाल में फसा कर भोली भाली मासूम ऋचा की चूत की सील तोड़ी)
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये चुदाई की कहानी अभी जारी रहेगी और कृपया कमेंट जरूर करें..
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