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मेरा नाम राकेश है और मैं 23 साल का हूँ। मैं पानीपत में रहता हूँ लेकिन मेरी कोई भी महिला मित्र नहीं है। मैं यहाँ का नियमित पाठक हूँ। ये मेरी पहली कहानी है और मुझे उम्मीद है कि आप सब मेरी कहानी को पसन्द करेंगे।
मेरी एक महिला मित्र जो कि मारिशस में रहती है.. 35 साल की है.. पर वो देखने में सिर्फ 25 साल की ही लगती है। उसकी 2 लड़कियाँ भी हैं। उसका नाम प्रेमा है.. और वह डाकघर में काम करती है। लेकिन उसका पति उसके साथ नहीं रहता है क्योंकि वो प्रेमा को मारता भी था।
फेसबुक पर जान-पहचान के बाद.. वो मेरी मित्र बनी। मैंने उसे भारत आने को बोला.. पहले मना करने के बाद वो मान गई और भारत आने के लिए उसने मुझसे वादा भी किया। मैंने उसे भारत के टूर पर बुलाया था और मेरे मन में उसके लिए और कुछ नहीं था.. लेकिन मुझे उससे सहानुभूति जरूर थी।
करीब 6 महीने पहले की बात है.. वो अपने परिवार के साथ भारत आई.. तो उसने मुझे फोन किया और मैं उससे मिलने चला गया। अब जैसा कि वो भारत भ्रमण के लिए आई थी.. तो मेरे लिए उसके पास ज्यादा समय नहीं था। जब मैं दिल्ली उसके पास पहुँचा.. तो उसने मेरी पहचान अपने परिवार से करवाई।
उसके साथ उसके सास-ससुर.. देवर और उसकी दोनों बेटियाँ थीं। मैंने उनके साथ चाय पी और उधर से निकलने लगा। उनका दिल्ली घूमने का प्लान था। जैसे ही मैं निकला.. उसके ससुर ने मुझे रोककर बोला- बेटा.. तुम भी हमारे साथ दिल्ली घूमने चलो.. हमें एक कंपनी मिल जाएगी.. और अच्छा भी लगेगा।
मैं उनकी रिक्वेस्ट करने पर रुक गया.. फिर हम सभी जगह घूमने गए- जैसे लाल किला, कुतुबमीनार, लोटस टेम्पल और अक्षरधाम मंदिर भी.. और बहुत मजे भी किए। उसकी फैमिली बहुत अच्छी थी। हम अच्छी तरह घुल-मिल गए थे।
शाम को घूम कर वापस आते ही.. मैं वहाँ से आने लगा.. तो उन्होंने मुझे बोला- अब डिनर करके ही जाना.. उनका डिनर का प्लान भी एक होटल में था। सब डिनर पर जाने के लिए रेडी थे, तभी प्रेमा के पेट में दर्द शुरू हो गया.. शायद गैस की दिक्कत होगी, उसने बोला- पापा आप लोग जाईए.. मैं नहीं जा पाऊँगी।
मैं उसके लिए दवाई लेने चला गया और जब आया तो सभी जा चुके थे… सिर्फ प्रेमा ही वहाँ थी। इमैंने उसको दवाई खिलाई और उसके पास ही बैठ गया। थोड़ी देर में वो ठीक हो गई और हम दोनों बात करने लगे। उसने बोला- पहली बार मिले हैं.. तो तुम मुझे क्या दोगे? मैंने पूछा- क्या चाहिए? वो बोली- मुझे तुम चाहिए।
मैं बोला- तुम्हारे सामने ही तो हूँ.. ले लो.. फिर बोली- मैं मजाक कर रही हूँ।
पता नहीं क्यों.. मुझे उसका व्यवहार उस समय ठीक नहीं लगा.. फिर वो मेरी तरफ आई और मेरे गालों पर एक किस कर दिया और बोली- मुझे जो लेना था.. वो मैंने ले लिया।
मैं थोड़ा शरमाया.. लेकिन मैं कहाँ कम था, मैंने बोला- मुझे लिप किस चाहिए.. गालों पर तो कोई भी किस कर लेता है। वो मुस्कुराकर बोली- तुम बहुत शरारती हो..
वो मुझे लिप किस करने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा और हम एक-दूसरे में खोने लगे.. तभी उसका फ़ोन बजा.. उसके ससुर का फोन था.. वे उसके तबियत के बारे में पूछ रहे थे और साथ ही उन्होंने बताया कि वे लोग थोड़ा लेट हो जायेंगे। उनका फोन आने पर हम दोनों शांत हो गए थे, अजीब सा लग रहा था।
तभी उसने बोला- ऐसे क्यों बैठे हो.. किस नहीं लेना क्या? ‘नहीं बस हो गया.. मैं चलता हूँ.. अब तुम ठीक भी हो।’ उसने बोला- ऐसे नहीं जा सकते.. अपनी किस वाली इच्छा तो पूरी कर लो..
फिर हम दोनों एक प्रोफेशनल की तरह एक-दूसरे को किस करने लगे। अचानक से उसने मेरे नीचे अपना हाथ कर दिया.. मेरा तो पूरा खड़ा था। उसने पकड़ कर कहा- यह क्या है? मैं बोला- पता तो है तुमको.. कि यह क्या है.. फिर क्यों पूछ रही हो? उसने बोला- मुझे देखना है.. मैंने बोला- नहीं.. ये सब ठीक नहीं है..
उसने बोला- एक बार दिखा दो.. फिर बंद कर लेना। उसके बहुत कहने पर.. मैंने उसको अपना लौड़ा दिखा दिया। उसने मेरा खड़ा लण्ड देखते ही उसे अपने हाथ में ले लिया और फिर अचानक से मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझे पता ही नहीं चला कि ये क्या हो गया। मैं मना करता रहा और वो मेरा लौड़ा चूसती रही.. मुझे मजा तो आ रहा था.. लेकिन शर्म भी आ रही थी। अब मैं भी कब तक शर्माता.. मैंने भी उसकी चूचियों को पकड़ लिया.. उसके मम्मे एकदम टाइट थे।
हम फिर से एक-दूसरे को किस करने लगे। धीरे-धीरे हमने एक-दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए। वो पीले रंग के टॉप और नीले रंग की टाईट जीन्स पहनी हुई थी। उसकी ब्रा और पैन्टी गुलाबी रंग के थे।
मैं उसके स्तनों को ऊपर से ही सहलाने लगा और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। उसने धीरे से अपनी ब्रा को नीचे सरका दिया और अपना आम चूसने के लिए बोलने लगी। मैं शुरू हो गया.. मैं उसके मम्मों को बहुत तेज दबा रहा था और चूस भी रहा था और वो सिसकारी ले रही थी।
उसकी पैन्टी पूरी तरह गीली हो गई थी, मैंने उसको उतारा और उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी.. उसकी चूत बहुत गरम थी और टाइट भी थी। मैं अपनी एक उंगली को अन्दर-बाहर करता रहा और वो मेरे लंड के साथ खेलती रही।
अब वो बोलने लगी- अब नहीं सहा जाता.. तुम अपने इसको अन्दर करो.. लेकिन मेरा तो पानी निकलने वाला हो रहा था.. मैं बोला- मेरा निकलने वाला है.. उसने बोला निकलने दो.. और फिर थोड़ी ही देर में मेरी धार निकल गई और सारा माल फर्श पर फ़ैल गया।
फिर उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में ले कर साफ कर दिया.. पर अब तो मेरे लंड सो गया था। वो उसके साथ खेलने लगी और कहने लगी- राकेश मुझे बहुत किसी लंड से चुदे हुए टाइम हो गया.. तुम जल्दी से इसको खड़ा करो और मुझे चोदो।
इतना सुनते ही मेरा मोशन बनने लगा और लंड में कड़कपन आने लगा। वो भी फिर से लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा। जब मेरा पूरा खड़ा हो गया तो उसने अपना छेद मेरे लौड़े की तरफ किया और मेरे लंड को पकड़ कर उसमें टिका दिया।
मैंने जैसे ही जोर लगाया.. मेरा लंड उसमें समां गया। फिर मैं धीरे-धीरे.. अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और वो सिसकियाँ भरने लगी।
थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद हमने पोजीशन बदल ली.. अब मैं बिस्तर पर नीचे लेटा था और वो मेरे पैरों की तरफ मुँह करके मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में ले लिया। अब वो मस्ती से चूत को लौड़े के ऊपर आगे-पीछे करने लगी। अब मेरी सिसकारियाँ चालू हो गई थीं.. क्योंकि मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अपनी एक उंगली को उसकी गांड के छेद में लगा दिया.. उसने अपनी गांड टाइट कर ली और बोली- यह क्या कर रहे हो? मैंने बोला- चैक कर रहा हूँ कि ये छेद भी मज़ा दे सकता है या नहीं? वो बोली- इसका मज़ा भी ले लेना.. पहले जो कर रहे हो.. उसको तो पूरा करो।
अब मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसके दोनों पैर फर्श पर कर दिए और हाथ बिस्तर पर टिका दिए, मैं पीछे से उसकी बुर में तेज-तेज धक्के मारने लगा और उसकी चूचियां दबाने लगा। वो भी सिसकारियाँ भरने लगी। अब मेरा माल निकलने वाला हो रहा था.. मैंने पूछा तो उसने बोला- अन्दर ही डाल दो.. कोई प्रॉब्लम नहीं है। और मैंने वैसा ही किया।
अब मैं पूरी तरह थक गया था और वो मुस्कुरा रही थी। उसने फिर से मेरे लंड को अपने मुँह से साफ किया और चूसने लगी।
कुछ देर बाद वो फिर से बिस्तर पर थी और मेरे लंड को चूस रही थी.. मैं उसके पीछे वाले छेद में उंगली करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! जैसे मैं उसमें उंगली करता.. वो टाइट कर लेती। फिर भी मैंने उंगली चलाना जारी रखा.. और जब वो ऐसा कर रही थी.. तो मेरे लंड में भी जोश आ रहा था।
जब मेरा लंड पूरी तरह तन गया.. तो मैंने उसके पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपना लंड उसके गांड पर सैट करके धक्का लगाने लगा। लेकिन उसके अपनी गांड टाइट की हुई थी, वो बोलने लगी- दर्द होगा.. मैंने बोला- मजा के लिए थोड़ी सजा मिले.. तो क्या हर्ज है?
लेकिन वो नहीं मानी.. फिर मैं बिस्तर पर लेट गया और उसको बोला- ठीक है.. तुम खुद ही मेरे लौड़े को अपनी गांड पर सैट करो। उसने ऐसा ही किया और धीरे-धीरे पूरे लंड को अपने प्यारी ही गुलाबी गांड में ले लिया और मेरे लंड पर ही बैठ गई.. शायद दर्द हो रहा होगा। मैंने बोला- अब ऊपर-नीचे करो.. तुम्हें अच्छा लगेगा.. वो थोड़ा घबरा रही थी, फिर भी उसने धीरे-धीरे ऊपर नीचे करना चालू किया।
क्या मस्त गांड थी उसकी.. लेकिन मुझे मज़ा नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसको बिस्तर पर अपने नीचे लिया और उसके दोनों पैर अपने कंधे पर रखे। अब अपना लंड उसकी गांड पर सैट कर दिया और उससे इधर-उधर की बातें करने लगा।
जैसे ही उसका ध्यान दूसरी बातों पर गया.. मैंने एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी गांड में घुसता चला गया। वो चिल्लाना चाहती थी.. लेकिन चिल्लाई नहीं।
मैं थोड़ी देर वैसे ही रहा और उससे बातें करने लगा, फिर धीरे-धीरे अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
जितना मज़ा चूत में नहीं आ रहा था.. उससे ज्यादा मज़ा उसकी गांड मारने में आ रहा था.. वो सिसकारियाँ भर रही थी और मैं उसके गांड के मजे ले रहा था। करीब दस मिनट बाद मेरा निकलने वाला हुआ तो उसने बोला- अन्दर ही डाल दो। मैंने भी पूरा लण्ड-रस अन्दर ही डाल दिया और थोड़ी देर उसके ऊपर ही पड़ा रहा और किस करता रहा।
उसने बोला- काश..! मेरा पति मुझे रोज ऐसे ही चोदता.. लेकिन वो तो मेरे साथ नहीं रहता है। वो रोने लगी.. मैंने उसको समझाया और मनाया।
उसने बोला- मैंने सच में तुमसे सेक्स नहीं करना चाहती थी.. लेकिन हम पहली बार मिले थे और मुझे भी चुदे हुए बहुत टाइम हो गया था तो मैंने इस पल को यादगार बनाने के लिए ऐसा किया।
दोस्तो, मेरी कहानी यहीं पर ख़त्म होती है.. कैसी लगी.. जरूर बताईएगा.. क्योंकि यह मेरी पहली कहानी थी.. तो जाहिर सी बात है.. बहुत सी गलतियाँ भी होंगी। मैं आप सभी के ईमेल का इन्तजार करूँगा। [email protected]
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