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अब तक आपने पढ़ा… मैंने एक मैमोरी कार्ड ख़रीदा.. जिसमें एक दुकान से कुछेक ब्लू-फ़िल्म डलवाईं। फिर अपने पिता जी का मोबाइल लेकर रात में उसमें अपना मैमोरी कार्ड डालकर ब्लू-फ़िल्म देखने लगे.. तो देखते-देखते लंड खड़ा हो गया।
मेरी तो हालत ख़राब हो गई.. एक तो खड़े-खड़े लंड में दर्द होने लगा था.. ऊपर से मुझे तब तक मुठ्ठ मारने के बारे में भी ज्यादा पता नहीं था.. न ही ब्लू-फ़िल्म में कुछ सिखाया गया था।
किसी तरह मैंने रात काटी और ये सारी बात स्कूल में जाकर अपने दोस्त को बताई.. तो उसने मुझे बताया कि मुठ्ठ कैसे मारते हैं। दोस्तो, वो पहला दिन था.. जब मैंने मुठ्ठ मारी थी.. लेकिन जो भी हो इसमें मज़ा बहुत आया।
अब आगे.. हाँ.. तो स्कूल में मैं हमेशा की तरह पिन्की से मिला.. तो वो हमें वहीं लेकर गई और चुम्बन करने लगी। इस बार मैंने भी उसका साथ दिया और जैसा फिल्म में देखा था.. वैसे ही उसके चूचे दबाने लगा और स्कर्ट के अन्दर हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगी।
मेरी गर्दन पर चुम्बन करते ही दोस्तों.. मुझे लगा जैसे मुझे 440 वोल्ट का करंट लगा हो और बहुत मज़ा आया। उसके बाद वो पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी.. फ़िर मैं उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा.. तो वो और भी गर्म होने लगी और मेरे पैंट की ज़िप खोलकर मेरे अंडरवियर में से मेरे लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगी।
अब हम दोनों को कोई होश नहीं था.. वो बस मेरे लंड को हिला रही थी और मैं उसे उसकी गर्दन और होंठों पर चुम्बन करते हुए.. उसकी चूत में उंगली कर रहा था। दोस्तो, जब मैं मुठ्ठ मारता था तो काफ़ी देर में मेरा पानी निकलता था.. लेकिन लड़की के हाथ में जादू होता है.. यह बात मुझे उसी दिन पता चली.. क्योंकि थोड़ी देर में ही मेरा पानी बहुत जोर के झटके के साथ निकल गया और उस दिन बहुत ज्यादा निकला.. जैसे ही मेरी पिचकारी निकलना बन्द हुई.. उसका पानी भी निकल गया।
यह भी मुझे उसी दिन पता चला कि लड़की का भी पानी निकलता है.. लेकिन मेरे पानी से उसकी स्कर्ट खराब हो गई थी.. तो उसने उसे साफ़ किया और मुस्कुराते हुए अपनी क्लास में चली गई।
अब तो हम दोनों का ये रोज का काम हो गया था। मैं और वो लगभग रोज ही वहाँ जाते और वो मेरा लंड पकड़ कर हिलाती और मैं उसकी चूत में उंगली करता और एक-दूसरे को किस करते हुए एक-दूसरे का पानी निकाल कर आ जाते थे। हाँ.. मैं अब इतना ध्यान जरूर रखता था कि पिन्की की स्कर्ट खराब ना हो।
धीरे-धीरे हम इससे आगे बढ़ने लगे और मैं उसके चूचे चूसने लगा.. लेकिन वो मेरा लंड नहीं मुँह में लेती थी और ब्लू-फ़िल्म में ऐसा होता था.. तो मुझे उस पर गुस्सा भी आता था।
मैं अब बोर हो गया था.. चुदाई तो हो ही नहीं रही थी.. लेकिन बाद में मैं जान पाया कि लड़की के साथ कभी जल्दी नहीं करनी चाहिए.. क्योंकि लड़कियां बहुत ही नाजुक सी होती हैं और उन्हें बहुत प्यार से प्यार करना चाहिए। लेकिन तब तो मैं ऐसा कुछ जानता नहीं था और ये सब करते-करते हमें 2 या 3 महीने हो गए थे। आप तो जानते ही हैं कि बचपन में हम युवा लोग कितने उतावले होते हैं और वो भी ऐसी चीज के लिए.. जो पहले न की हो।
इसीलिए मैंने एक दिन उससे हिम्मत करके कह ही दिया- क्या हम बस किस और ये सब ही करते रहेंगे.. आगे कुछ नहीं करेंगे? तो वो बोली- आगे क्या? तो मेरे मुँह से निकल गया- चुदाई.. वो बोली- साले.. मैं तो तुझे सीधा समझती थी.. लेकिन तू तो बहुत तेज़ निकला।
मैंने बोल तो दिया था.. लेकिन मेरी गाण्ड फट रही थी कि ये एक तो मेरी सीनियर है.. ऊपर से मैंने इससे चुदाई के लिए बोल दिया है।
वास्तव में वो मुझे हमेशा जताती रहती थी कि वो मेरी सीनियर है और मैं उसका जूनियर.. इसलिए मेरी उससे फटती भी थी, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा.. तो मैं खुश हो गया।
वो बोली- ‘वो’.. भी करेंगे.. लेकिन मेरे घर पर करेंगे.. जब कोई नहीं होगा।
अब चुम्बन तो मैं रोज ही करता था और ब्लू-फ़िल्म देख-देख कर चुदाई भी सीख गया था। बस प्रैक्टिकल करना बाकी था।
कुछ दिन बाद उसने बताया- मेरे घर पर कोई नहीं है आज.. तू आ जा.. उसने मुझे अपने घर बुलाया। स्कूल की छुट्टी होने के बाद मैं अपने घर पहुँचा और मम्मी से बोला- मैं खेलने जा रहा हूँ मेरा मैच है… मैं उसके घर अपनी चुदाई का मैच खेलने पहुँच गया।
जैसे ही मैं उसके घर पहुँचा तो देखा उसका घर बहुत बड़ा था, मैंने उसके दरवाजे की घन्टी बजाई तो पिन्की ने ही दरवाजा खोला। मैं तो उसे देखता रह गया.. उसने जीन्स और टॉप पहन रखा था और होंठों पर एकदम सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक लगा रखी थी और एकदम माल लग रही थी।
मेरा तो मन किया कि इसे यहीं पकड़ कर चोद दूँ.. लेकिन मैंने अपनी भावनाओं पर काबू किया और उसके घर के अन्दर गया। उसने बैठने के लिए बोला और खुद पानी लाने चली गई। जब पानी लेकर आई तो मैंने पानी पिया और उसे अपने पास ही बिठा लिया।
अब मैंने उसे वहीं पर चुम्बन करना शुरू कर दिया और कम से कम 10 मिनट तक लम्बा चुम्बन किया होगा। जैसे ही मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा.. वो बोली- चलो कमरे में चलते हैं.. वहाँ खुल कर खेल करेंगे..
तो मैं छोटे बच्चे की तरह उसके पीछे-पीछे चल दिया और उसके कमरे में पहुँच कर उसे चुम्बन करने लगा। मेरा ज्यादा ध्यान चुम्बन करने में नहीं था.. मेरा ध्यान तो उसे गर्म करने में था।
हम करीब 10 मिनट तक एक-दूसरे को चुम्बन करते रहे। चुम्बन करते-करते मैं उसके चूचे उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहा था। दबा क्या रहा था.. खूब जोर-जोर से मसल रहा था.. जो पहले से ही काफ़ी बड़े थे और मेरे दबाने और मसलने और ज्यादा बड़े हो गए थे।
थोड़ी देर बाद मैं उसकी गर्दन पर चुम्बन करते हुए उसके चूचों को चुम्बन करने लगा। मैंने एक हाथ से उसकी जींस का बटन खोल दिया और उसके अन्दर हाथ डाल कर पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी जींस नीचे की और उसकी चूत को सहलाने लगा और ऊँगली डालने लगा।
इस सच्ची कहानी में आप सभी को पूरा रस देने के साथ-साथ मैं आप सभी को अपने साथ हुई घटना को पूरे मुकाम तक पहुँचाऊँगा। इसके साथ ही आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी यह कहानी.. मात्र एक कहानी नहीं है सत्य घटना है। दोस्तो, मेरे नौसिखिया लण्ड की काम-कथा अभी जारी है। [email protected]
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