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दोस्तो.. मेरा नाम यश है.. मैं गुजरात से हूँ। अभी मेरी उम्र 29 साल है और मैं एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाता हूँ। यह मेरी पहली कहानी है.. जो मैं आप लोगों की खिदमत में पेश कर रहा हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं अपनी 12 वीं की परीक्षा के बाद की छुट्टियाँ मना रहा था। मेरे घर के पड़ोस में एक छोटा सा परिवार रहता था.. पति-पत्नी और उनके दो बच्चे.. पति-पत्नी दोनों नौकरी करते थे.. बड़ा लड़का कहीं हॉस्टल में रह कर पढ़ता था और उनकी एक बेटी थी.. जो कॉलेज के तीसरे साल में थी.. उसका नाम खुशबू था।
खुशबू और मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी.. मैं हमेशा समय बिताने के लिए खुशबू के पास चला जाता था। हम दोनों कैरम खेलते.. या टीवी देखते रहते थे। वैसे खुशबू अपनी उम्र के हिसाब से काफी बड़ी दिखती थी और थोड़ी मोटी या यूँ कहें गदराई हुई सी थी।
शायद इसीलिए उसको कभी कोई और लड़के के साथ नहीं देखा था। उसके मम्मे बड़े-बड़े खरबूजे जैसे थे और चूतड़ भी काफी बड़े थे।
वह घर में अपने भाई की टी-शर्ट और स्कर्ट पहन कर रहती थी। हर दोपहर जब उसके मम्मी-पापा घर नहीं होते.. तब हम दोनों उसके घर पर साथ होते.. लेकिन मुझे खुशबू में इतना इंटरेस्ट नहीं था।
एक दिन उसके पापा ने सुबह दस बजे के आस-पास मुझे आवाज लगाई और उन्होंने बताया कि वो और उनकी बीवी कोई मीटिंग के सिलसिले में जा रहे थे, उनको शायद आने में देर भी हो सकती थी, उन्होंने मुझे खुशबू को कम्पनी देने को कहा और निकल गए।
एक-डेढ़ घंटे के बाद मानसी आंटी ने मुझे आवाज लगाई। मानसी आंटी खुशबू के पापा की मुँह-बोली बहन है.. जो अकेली होने के कारण इन लोगों के साथ ही रहती थी। मानसी के रूप में इन लोगों को फ्री की नौकरानी मिल गई थी.. जो घर का पूरा काम बिना पगार माँगे करती थी।
उसकी उम्र उस वक्त करीबन 29 साल थी और वह देखने में एकदम पटाखा माल थी.. उसके बड़े-बड़े मम्मे.. गोल भरी हुई गाण्ड और पतली कमर और गोरा चेहरा.. उसकी भूरी आँखों पर पूरा मोहल्ला मरता था। मैं भी कई बार उसे याद करके मुठ्ठ मार चुका था।
बस.. मैं इसी आवाज़ का इंतजार कर रहा था। मैं घर में कह कर खुशबू के घर पहुँच गया। उसके घर में दो कमरे और रसोई घर था.. बीच वाले कमरे में टीवी था.. इसलिए हम सब उसी कमरे में बैठते थे। मैं वहाँ पहुँच गया।
आज भी खुशबू ने टी-शर्ट और स्कर्ट पहन रखा था.. उसकी टी-शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जिससे उसका क्लीवेज खुल कर दिख रहा था। वह कुर्सी पर बैठी हुई टीवी के चैनल बदल रही थी, उसने मुझे देख कर स्माइल किया और ऊपर से नीचे तक मुझे देखा।
मैंने भी टी-शर्ट पहनी थी और हाफ-पैन्ट पहना हुआ था। छुट्टी होने की वजह से मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना था, मैं आज भी छुट्टी के दिन अंडरवियर या बनियान नहीं पहनता हूँ।
मैं भी उसके बाजू वाली कुर्सी में बैठ गया।
‘आंटी.. पोंछा मार ले.. फिर हम कैरम खेलते हैं।’ खुशबू ने चैनल बदलते हुए कहा। ‘ओके.. मैं टीवी देखता रहा।
थोड़ी देर में मानसी आंटी पोंछा मारती हुई उस कमरे में आई.. उसने ब्लाउज और घाघरा पहन रखा था। उसके लो-कट ब्लाउज से उसके मम्मे बाहर झाँक रहे थे.. मैं वासना से उसे देखने लगा।
कमरे के बीच में पोंछा लगा कर वो खड़ी हुई.. तो उसकी गाण्ड मेरे और खुशबू की तरफ थी। उसकी उभरी हुई गाण्ड के बीच उसका घाघरा फंस गया था.. खुशबू ने उसके घाघरे को पकड़ कर चूतड़ों की दरार में से खींचा और मेरी तरफ देख कर हँसी। आंटी शरमा कर अन्दर भाग गई।
खुशबू ने कैरम निकाला और हम खेलने लगे.. टीवी पर स्टार मूवी चल रहा था… जिसमें कोई अंग्रेजी रोमाँटिक फिल्म चल रही थी.. जिसमें हीरो-हीरोइन थोड़ी-थोड़ी देर में चुम्मा-चाटी करते थे।
दूसरी ओर खुशबू ने टी-शर्ट के बटन बंद नहीं किए थे.. उसमें से उसके बड़े-बड़े मम्मे झाँक रहे थे.. मेरी नजर टीवी पर और खुशबू के दूध पर जड़ी हुई थी.. जो कि उसको भी समझ में आ चुका था। मैं इसी वजह से गेम में लगातार हार रहा था.. वैसे जीतना भी किसको था?
हम दोनों खेल रहे थे कि अन्दर से आंटी के चिल्लाने की आवाज़ आई। दोनों भागकर अन्दर गए और अन्दर का नज़ारा देख मेरे पैर वहीं रुक गए।
आंटी ने अपनी चोली निकाल दी थी और उसके दोनों मम्मे मेरे सामने झूलते हुए दिख रहे थे.. उसने अपने घाघरे का नाड़ा भी छोड़ रखा था.. लेकिन वो नाड़े को हाथ में संभाले खड़ी थी। खुशबू ने पूछा- क्या हुआ? ‘चूहा..’ उसने एक कोने में उंगली करके बोला।
‘अरे आंटी.. वो तुझे खा थोड़ी न जाएगा.. खामखाह चिल्लाती है.. देख.. बेचारा यश तेरे मम्मे देख कर कितना डर गया.. बेचारे का मुँह भी बंद नहीं हो रहा है..’ खुशबू यह कह कर अश्लीलता से हँसने लगी। मैंने अपने आप को संभाला और आंटी ने भी अपने हाथों से अपने मम्मे छुपा लिए।
‘वैसे तू कर क्या रही थी?’ खुशबू ने उससे पूछा। ‘मेरे कपड़े भीग गए थे.. तो मैं बदल रही थी..’
इतना सुन कर हम दोनों वापस टीवी वाले कमरे में आ गए.. लेकिन अभी बैठे भी नहीं थे.. फिर से आंटी चिल्लाई, इस बार खुशबू सीधी आंटी के पास चली गई और एक हाथ से उसके कपड़े उठाए और दूसरे हाथ से उसे पकड़ कर बीच वाले कमरे में ले आई।
आंटी को भी मजबूरन बीच वाले कमरे में आना पड़ा। दोनों हाथों से अपने मम्मे छुपाने की नाकाम कोशिश करती.. वो मेरे बाजू में से निकली।
मैं फिर से कैरम के आगे बैठ गया।
अब वो मेरे सामने ही खड़ी थी.. खुशबू ने उसके हाथ में तौलिया देते हुए कहा- अब मत चिल्लाना.. बदन पोंछ लो और कपड़े पहन लो। आंटी मेरे सामने देखते हुए बोली- इसके सामने सब करूँ? ‘वैसे भी उसने तुम्हें देख ही लिया है.. तो फिर उसके सामने करने में क्या हर्ज है?’ यह कह कर खुशबू बैठ गई।
अब तो मैं आंटी को ही देख रहा था.. मैंने कैरम की तरफ तो देखा भी नहीं था। खुशबू भी मेरे बाजू में बैठी और बोली- क्या कर रहे हो जनाब.. कभी कोई औरत नहीं देखी क्या?
खुशबू के इस मजाक भरे रवैये से मेरी हिम्मत खुली और मैंने बोला- औरतें तो बहुत देखी हैं.. लेकिन ऐसी नहीं देखी और वो भी बिना कपड़ों के..
इस बीच आंटी ने अपना घाघरा भी निकाल दिया था और वो अपनी दोनों जाँघों के बीच तौलिया रगड़ रही थी। मैंने खुशबू की तरफ देखा और पूछा- देखो.. ये क्या कर रही है? उसने बेशर्मी से बोला- अपनी खुजली मिटा रही है.. मैं बोला- कैसी खुजली? वो बोली- जवानी में सबको दो टाँगों के बीच में खुजली होती है.. देखो उसी खुजली के मारे तेरा लंड भी पैन्ट में तंबू बनाये खड़ा है।
मैं एकदम से शरमा कर अपना लंड छुपाने लगा। खुशबू बोली- छुपाते कहाँ हो? मैं तो कब से तेरे तने हुए लंड को देख रही हूँ.. अब पैन्ट निकाल और मुझे पूरा दिखा..? मैंने कहा- क्या देखना है तुझे..? चल दिखा देता हूँ.. पर मेरी भी एक शर्त रहेगी। ‘क्या?’ ‘तुम्हें भी अपनी स्कर्ट निकालनी पड़ेगी और अपनी फुद्दी दिखानी पड़ेगी..’
वो मान गई.. मैंने अपना पैन्ट निकाला.. मेरा तना हुआ लंड उसको सलामी भर रहा था.. वो मादक और कामुक निगाहों से मेरे खड़े लौड़े को देखने लगी। मैंने उससे स्कर्ट उतारने को कहा.. उस पर वह बोली- खुद ही उतार ले.. आंटी नंगी खड़ी ये सब देख रही थी.. मैंने अपने हाथों से उसकी टी-शर्ट ऊपर कर उसकी स्कर्ट का बटन खोल दिया और स्कर्ट जमीन पर आ गई। अब उसकी मोटी गाण्ड पर चिपकी काली पैन्टी नजर आ रही थी..
अभी मैं कुछ करूँ.. उससे पहले अपनी टी-शर्ट भी उतार दी.. अब उसके भरे-भरे खरबूजे जैसे मम्मे काली ब्रा में उछल रहे थे। मैं आगे बढ़ा.. उसकी काली पैन्टी को पकड़ कर नीचे खींचने लगा.. तो पता चला उसकी पैन्टी चिकनी और गीली हो चुकी है।
मैंने उसे कुर्सी पर बिठाया और उसकी एक टांग हाथ से पकड़ कर ऊपर की। उसकी भरी-पूरी चूत देखकर मेरे तो होश उड़ गए, उसकी गुलाबी चूत काले-काले बालों के बीच से रस टपका रही थी। मैंने उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाया.. तभी आंटी बोली- सालों.. मैं कब से चूत खोले खड़ी हूँ.. और तुम अपने में लग गए.. मुझे कौन देखेगा?
चूहे की बदौलत आज मुझ कुंवारे लौड़े को दो-दो तरसती चूतों का इनाम मिलने वाला था। क्या हुआ क्या दोनों चूतों को मैं किस तरह चोद पाया। यह सब पढ़ने के लिए अगले भाग का इन्तजार करना होगा। मुझे भी आप सभी के ईमेल का इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected]
कहानी का अगला भाग: चूहे ने दो चूतें चुदवाईं-2
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