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जैसे जैसे मेरे लखनऊ जाने के दिन निकट आ रहे थे मेरे हाथ पैर फूलने लगे और इसका मुख्य कारण था कि मेरा वहाँ की चुदाई का प्रबंध नहीं हो पा रहा था। एक दिन शाम को घर लौटा तो देखा कि हवेली में बड़ी चहल पहल हो रही थी। निर्मला को बुला कर पूछा- यह क्या हो रहा है हवेली में? वो बोली- छोटे मालिक, वो लखनऊ से आपके रिश्तेदार आये हैं और मालकिन ने हुक्म दिया है कि आप जैसे बाहर से लौटें, आपको बैठक में भेज दिया जाए।
मैं सोचने लगा कि ऐसा कौन आया होगा लखनऊ से? फिर हाथ मुंह धोकर मैं बैठक में गया तो वहाँ एक बुज़र्ग आदमी और उसके साथ उसकी जवान पत्नी और दो जवान लड़कियाँ बैठी थी।
मुझे देखते ही मम्मी ने आगे बड़ कर मेरे को उन सबसे मिलवाया। मम्मी ने बताया कि वो बुजुर्ग मेरे दूर के ताऊ थे और उनके साथ उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियाँ थी जो लखनऊ में ही पढ़ रहीं थी। ताऊजी भी लखनऊ में रहते थे।
मम्मी के इशारे पर मैंने ताऊजी और ताई जी के चरण स्पर्श किये और वहीं खाली कुर्सी पर बैठ गया। तब मैंने ध्यान से उन सबको देखा, ताऊजी हट्टे कट्टे लग रहे थे और ताई भी उनसे उम्र में काफी छोटी लग रही थी। ऐसा नहीं लग रहा था कि वो दोनों बेटियों की माँ हो, दोनों ही अच्छी दिख रहीं थी।
मैं चुपचाप बैठा रहा। तभी ताऊ जी ने पूछा- कौन से कॉलेज में दाखिला लिया है बेटा तुमने? मेरे बोलने से पहले ही मम्मी ने बता दिया। दोनों लड़कियाँ एकदम चहक उठीं- अरे हम भी उसी कॉलेज में पढ़ती हैं। चलो अच्छा हुआ कि सोमू का साथ हो जाया करेगा वहाँ। मैं भी थोड़ा मुस्करा दिया।
थोड़ी देर बाद वह परिवार वापस लखनऊ चला गया और लड़कियाँ ज़ोर देकर कह गई कि लखनऊ में आऊँ तो उन मैं उनसे ज़रूर मिलूँ। दोनों के साथ सम्बन्ध बनाने का विचार नहीं आया हालाँकि लड़कियाँ अच्छी लगी।
शाम हो गई और मैं घूमने निकल गया। घूमते हुए मैं अपनी कॉटेज की तरफ निकल गया, चौकीदार ने दरवाज़ा खोल दिया और वहाँ मैं एक लेमन की बोतल, जो आइस बॉक्स में ठंडी हो रही थी, निकाल कर पीने लगा।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, खोला तो देखा कि वहाँ चन्दा खड़ी थी। मैं घबरा गया कि यह क्या कर रही है यहाँ।
वो अंदर आ गई और बोली- छोटे मालिक मेरा तो काम नहीं बना। मैं बोला- तुम्हारा कौन सा काम? ‘वही गर्भवती होने का!’ ‘ओह्ह, तो फिर मैं क्या कर सकता हूँ?’ ‘एक बार और चोदो न?’ वो गिड़गड़ाते हुए बोली।
‘नहीं नहीं चंदा, ऐसे थोड़े होता है। मैं कल आऊँगा निर्मला के साथ, तब तुम आ जाना।’ ‘किस वक़त छोटे मालिक?’ ‘नाश्ता करके आ जायेंगे दोनों… ठीक है? तुम्हारी माहवारी कब हुई थी इस महीने?’ ‘वो तो हो चुके हैं 10 दिन!’ ‘तो फिर ठीक है। कोशिश कर देखो शायद काम बन जाए?’
मैं दरवाज़े पर उसको ले गया और बाहर कर दिया। मेरा मन बहुत घबरा रहा था कि यह क्या हो रहा है? इस तरह गाँव की सारी औरतें आने लगी तो मैं बदनाम हो जाऊँगा। कॉटेज को ताला लगा कर मैं वापस चल दिया।
रास्ते में मुझको चम्पा अपनी सहेली के साथ दिख गई। मैंने उसको आवाज़ दी और वो आ गई, उसकी सहेली दूर खड़ी रही और हम बातें करने लगे। मैंने उसको चंदा की बात बताई, वो भी बहुत नाराज़ हुई, कहने लगी- कल मैं उसको खुद ले कर आऊँगी। आप उसको एक बार और चोद दो छोटे मालिक, शायद उसका भाग्य भी चमक जाए। ‘चलो, कल देखेंगे।’
‘छोटे मालिक इस लड़की को ध्यान से देखो, कैसी है?’ ‘यह कौन है?’ ‘इसका नाम गंगा है और इस का पति इसको छोड़ गया, बम्बई में उसने दूसरी शादी कर ली है। बेचारी बड़ी मजबूर है। मैंने इससे बात कर ली है और यह तुम्हारे लिए लखनऊ काम करने के लिए तयार है।’ ‘अच्छा कल सुबह तुम इसको और उस साली चंदा को ले आना, कॉटेज में बात कर लेंगे। अच्छा मैं चलता हूँ।’
यह कह कर मैं घर वापस आ गया। रात को निर्मला से चुदाई हो नहीं सकी क्यूंकि उसकी माहवारी शुरू हो चुकी थी।
अगले दिन मैं नाश्ता करके कॉटेज में पहुँच गया। वहाँ सिवाए चौकीदार के और कोई नहीं था। तो उसको मैंने छुट्टी दे दी। थोड़ी देर बाद चंदा और गंगा के साथ चम्पा आ गई। चम्पा मुझ को दूसरे कमरे में ले गई और बोली- छोटे मालिक आप पहले चंदा से निबट लो, फिर मैं आपकी गंगा से बात करवा देती हूँ।
वो बाहर गई और चंदा को लेकर आ गई, चंदा बोली- यह गंगा यहाँ क्या कर रही है? कहीं यह हमारा भांडा न फोड़ दे? ‘नहीं चंदा बहन, वो हमारे साथ है। तुम अपना काम करवाओ।’ ‘नहीं। तुम ऐसा करो कि गंगा को भी यहीं बुला लो और हम दोनों के साथ छोटे मालिक कर देंगे।’
मैं बोला- ऐसा नहीं हो सकता है, मैं गंगा को बिल्कुल नहीं जानता तो उसको कैसे चोद सकता हूँ। चम्पा बोली- गंगा की जिम्मेवारी मैं लेती हूँ, आप दोनों चुदाई शुरू करो, गंगा और मैं बाद में बात कर लेंगे छोटे मालिक से।
यह कह कर चम्पा तो बाहर चली गई और जब मैंने मुड़ कर देखा तो चंदा धोती उतार चुकी थी और ब्लाउज उतार रही थी। इस बार मुझको चंदा को देख कर कोई ख़ुशी नहीं हो रही थी। वो जल्दी से आई, उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और वो कुछ ही देर में पूरा खड़ा हो गया।
मैं बिस्तर पर लेट गया और उसको इशारे से अपने ऊपर आने को कहा। वह जल्दी से आई और मेरे लौड़े के ऊपर बैठ गई, लंड को चूत में डाल दिया। उसकी चूत एकदम गीली और भट्टी के समान तप रही थी, वो मुझ को चूम भी रही थी और एक ऊँगली से अपनी चूत भी रगड़ रही थी। पांच मिनट की चुदाई के बाद वो छूट गई और नीचे लेट गई।
लेकिन मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया। एक हाथ से उसके गोल गोल उरोजों को मसल रहा था और दूसरी और उसके मोटे चूतड़ों को हल्के हल्के हाथ से मार रहा था। शायद हाथ की मार से उसको बहुत आनन्द आ रहा होगा क्यूंकि वो फिर झड़ गई।
अब मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बहुत तेज़ कर दी और उसकी कमर को पकड़ कर मैं उसको फुल स्पीड से धक्के मार रहा था।तभी मैंने महसूस किया कि मेरा फव्वारा भी छूटने वाला है, मैंने लौड़ा पूरा निकाल कर फिर ज़ोर से धक्का मारा और उसको चंदा की बच्चेदानी के अंदर डाल कर मैंने अपना फव्वारा छोड़ दिया। जब गर्म पानी चंदा की बच्चेदानी में गया तो उसने गांड एकदम ऊपर कर दी और वैसे ही गांड ऊपर करके लेट गई। उसकी कोशिश थी कि वीर्य की एक बूँद भी नीचे न गिरे। मैं उसको वैसे ही छोड़ कर बाहर आ गया जहाँ चम्पा और गंगा बैठी थी।
चम्पा को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन गंगा की आँखें फटी की फटी रह गई। मेरे 7 इंच के लंड को देख कर शायद वो एकदम हैरान रह गई। मेरा लंड अभी भी हवा में लहरा रहा था। मैं चम्पा से बोला- एक लेमन मेरे लिए खोल दो और तुम सब को भी पिला दो। और सोफे पर लुढ़क गया।
चम्पा और गंगा लेमन पीती हुई मेरे पास आ गई। चम्पा मेरे लंड को तौलिये से साफ़ करने लगी और गंगा को मेरे पसीने को सुखाने के लिए इशारा किया।
तभी चंदा कपड़े पहन कर वहाँ आई और चम्पा ने उसको समझाया- देख चंदा, छोटे मालिक कुछ दिनों में शहर चले जाएंगे। यह तेरी आखरी चुदाई है। इसके बाद तू अपने आप कुछ कर, वो तेरी मर्ज़ी है। अब तू जा, मैं और गंगा बाद में आती हैं।
उसके जाने के बाद चम्पा मेरे लंड के साथ खेलने लगी और उसके इशारे पर गंगा भी मेरे अंडकोष को हाथों में लेकर मसलने लगी।गंगा को ध्यान से देखा तो वो एक बहुत सीधी साधी लड़की लगी, दिखने में वो काफी साधारण लग रही थी। गौर से देखा तो उसका चेहरा काफी दर्द लिए हुए था। जिसका पति उसको छोड़ गया हो, उसके मन और तन की क्या झलक दिख सकती है सिवाए कि वो दोनों ही उदासी से भरे होंगे।
उसको देखकर मेरे मन में यह इच्छा जागृत हुई कि इस बेसहारा लड़की की मदद ज़रूर करनी चाहये। मैंने उससे पूछा- कब तेरी शादी हुई थी? वो बोली- 4 साल हो गए और सिर्फ एक साल मेरे साथ रह कर मेरा पति मुंबई चला गया और फिर लौट कर ही नहीं आया। 6 महीने पहले उसका एक साथी वापस आया और उसने बताया कि उसने वहाँ दूसरी शादी कर ली है और उसके 2 बच्चे भी हैं। यह कहते हुए उसकी आँखों में पानी भर आया।
चम्पा ने उसको चुप कराया और फिर वो उसके कपड़े उतारने लगी।
उस का ब्लाउज उतारते ही मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। जब उसकी धोती और पेटीकोट उतरा तो वो एक कुंवारी लड़की की तरह लग रही थी, ऐसा मुझ को लगा। उसकी चूत पर बहुत ही घने बालों का छाता बना हुआ था और उसके चूतड़ भी छोटे लेकिन गोल थे। उस मम्मे भी किसी कुंवारी लड़की की तरह ही थे, छोटे और गोल और सॉलिड थे। जीवन में पहली बार एक कुंवारी लड़की की तरह दिखने वाली लड़की को देखा था। इससे पहले मेरे निकट आई सारी औरतें भरे जिस्म वाली थीं जिन के उरोज और नितम्ब काफी बड़े और गोल होते थे, वो काफी चुदी और मौज मस्ती कर चुकी औरतें थीं।
चम्पा बोली- छोटे मालिक कैसी है यह गंगा? मैं बोला- यह तुम सबसे अलग लगती है, यह ऐसे लगती है जैसे कुंवारी हो अभी! चम्पा बोली- सही कहा आपने, बेचारी बहुत ही कम चुदी है यह! ‘फिर तो चुदाई का अलग ही मज़ा आएगा। क्यों गंगा, तुम तैयार हो क्या?’ वो शर्मा गई और हाँ में सर हिला दिया।
‘चम्पा कुछ नई तरह चुदाई करते हैं आज। तुम बताओ कैसे करें नए तरह से?’
चम्पा कुछ सोचते हुए बोली- ऐसा करते है कि गंगा को दुल्हन की तरह से सजाते हैं और फिर आप इसका घूँघट उठा कर सुहागरात वाला सारा कार्यक्रम करना। ‘वाह चम्पा, क्या आईडिया है लेकिन आज तो संभव नहीं हो सकता। उसके लिए तैयारी करनी पड़ेगी। आज क्या करें यह बताओ?’
वो चुप रही तब मैं बोला- चम्पा, आज हम तीनों चुदाई करते हैं, पहले गंगा को चोदते हैं हम दोनों फिर तुझको चोदते हैं हम दोनों। क्यों कैसी रही यह?
‘मैं कैसे कर सकती हूँ छोटे मालिक? मेरा 5वाँ महीना चल रहा है। मुझको खतरा है, आप गंगा के साथ करो न, बेचारी दो साल से नहीं चुदी है इस की चूत।’ गंगा बोली- खतरा तो है, अगर छोटे मालिक तुम को पूरे जोश से चोदेंगे तो! वो तुझको बहुत धीरे और प्यार से चोदेंगे। क्यों छोटे मालिक? ‘हाँ बिल्कुल!’ मैं बोला। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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