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एक बार मैं अपने एक दोस्त के साथ ऋषिकेश गया.. वहाँ काफ़ी तादाद में योग और भोग का असली आनन्द लेने बहुत से विदेशी लोग भी आते हैं। गोरी चमड़ी का अपना ही अलग आकर्षण है और जो मज़ा गोरी मेम की चुदाई में है.. वो और कहाँ.. उसके बारे में तो ज़रा सा सोच कर ही लंड नाग की तरह फुंफकारने लगता है। कब गोरी मेम की गुलाबी चूत के बिल में ‘सर्ररर..’ से लंड घुस कर अपना ठिकाना बनाए और हाथों से उसके मोटे-मोटे गोरे-गोरे मम्मों को दबाएँ.. उन पर उभरे हल्के भूरे रंग के निप्पल्स.. अलग ही सुख देते हैं।
उनकी गोरी गाण्ड भी लंड के सुपारे को एक विशेष निमंत्रण देती है.. गाण्ड के ऊपर जुबान फेरने से और उनकी साफ गुलाबी चूत का रस चाटने से ही.. हम देसी लंड वालों को जन्नत के दर्शन होते हैं।
यहाँ हम हिंदुस्तानियों का काला.. 6 इंच लंबा.. तीन अंगुल मोटा लंड.. ऊपर खिला हुआ गुलाबी गोल सुपारा.. जो ऊपर वाले की कृपा से बस काला होने से बचा रहता है.. देसी काली चूत के दर्शन पाते ही चोदने को मतवाला हो जाता है। पर जब बात गोरी मेम की चूत का भोग लगाने की हो.. तो उनकी नरम.. मुलायम.. सिल्क सी चिकनी.. शहद से भी मीठी और पॉव की तरह से फूली हुई बुर को चोदने के लिए देसी लंड का फड़फड़ा कर मचल उठना वाजिब ही है।
मैं भी एक अँग्रेज़ गोरी मेम की बुर की गहराई नापने के लिए उतावला था.. अपने लौड़े के फुट से उसकी चूत की गहराई.. लंबाई और उसके पूरे एरिया में अपना लौड़ा एक शेर से घुमाने के लिए उतावला था.. कई ब्लू-फिल्म्स में भी देखा था कि कैसे वहाँ के गोरे आदमी.. अपनी गोरी मेमों की चूत की फांकें फैला कर उनकी चूत के अन्दर अपनी जुबान से ‘लॅप.. लॅप..’ कर चूत के सिंघाड़े को अपने होंठों में क़ैद करके.. चूस कर.. उसको अपने होंठों में दबा कर.. खींचते हैं और उनकी चूत की खुजली को शांत करते हैं। इस क्रिया में साथ-साथ वो अपनी दो उंगलियाँ नीचे बुर के गुलाबी छेद में भी घुसेड़ कर अन्दर-बाहर भी करते हैं।
कुछ लोग तो वाइब्रेटर्स.. डिल्डो.. और यहाँ तक केला (बनाना), ब्रिंजल (बैगन) भी बुर में डाल कर चोदते हैं.. ताकि बाद में लंड अन्दर जाकर उन मेमों की चूत को पूरा आराम दे सके। गोरी मेम भी अपने पार्टनर को बहुत मज़ा देती हैं.. जब वो अपना मुँह खोल कर उनका लंबा लौड़ा अपने मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करके.. अपनी थूक गिरा कर.. उसे चोदने लायक बना कर.. चिकना कर.. चूत में डलवाने लायक बनाती हैं.. तो सच में.. चुदाई का मज़ा दुगना हो जाता है।
वे गोरी मेमें कैसे उन गोरों का लंड अपने मुँह में आगे-पीछे ‘सर..सर..’ लेती हैं। जब तक लंड पूरा अकड़ कर घमंड से तन नहीं जाता.. लंड का मुँह में आना-जाना चालू रहता है.. लंड का सुपारा अपनी जुबान से चाट कर और भी मस्त कर देती हैं।
मैंने भी एक गोरी मेम को अपने देसी लंड के रॉकेट पर सैर करवाने की सोची। मैंने सोचा क्यों ना मैं भी एक बार किसी गोरी मेम की गाण्ड मारूं? क्यों ना उसकी चूत का अवलोकन किया जाए और तुलना करके देखा जाए कि गोरी मेम की चूत.. गाण्ड और बड़े-बड़े मम्मे क्या वाकयी देसी गोरियों से अधिक मीठे और मस्त होते हैं? सेक्स की उनकी नालेज और मज़ा देने की ताक़त.. क्या देसी इंडियन मसाला आंटीस, हाउसवाइव्स और ऐसे ही सेक्स करवाने वाली सभी देसी मुर्गियों से ज्यादा होती है?
यही सब सोचकर.. ऋषिकेश के बाजारों में घूमते हुए मेरी नज़र एक मस्त.. अल्हड़.. जवान खूबसूरत अँग्रेजन पर पड़ी।
वो ऊपर टी-शर्ट पहने थी.. जो लाल रंग की थी जिसमें क़ैद उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ हिल-हिल कर मुझे अपने पास आने का निमन्त्रण दे रही थीं। साथ ही उन चूचियों का उठाव और सेक्सी ढाल.. पीछे उत्तराखंड के पहाड़ों से बहुत मिल रहा था। देख कर ही मन करता था कि इसकी चूचियों जैसे पहाड़ पर ही पर्वतारोहण आरम्भ कर दूँ। उसके चूतड़ भी जीन्स के अन्दर काफ़ी टाइट और फूले हुए थे.. गाण्ड मस्त माँसल थी और जाँघें दोनों उफ्फफ.. क्या कहना दोस्तों..
मैंने उसके पास जाकर कहा- नमस्ते.. वो बहुत ही खुश हुई और बोली- नमस्ते..
उसका जवाब पाकर मन प्रसन्न हुआ कि चलो रेस्पॉन्स तो मिला.. मतलब आधा काम हो गया और लाइन का पहला सिग्नल क्लियर हुआ। उससे बात करते करते मैंने पूछा- वेयर आर यू फ्रॉम..? (आप कहाँ से आई हैं?) उसने कहा- स्वीडन..
मैंने थोड़ी देर अंग्रेजी में बात करके उसे हिमालय की खूबसूरती दिखाने के लिए राज़ी किया। हक़ीकत में तो मैं उसकी सुडौल जवानी की खूबसूरती का नज़ारा लेना चाहता था।
‘वॉट इज युअर नेम?’ ‘एन्ना..’
मैंने एन्ना को अपने साथ लिया और सामने एक पहाड़ की तरफ ऊपर चढ़ने लगा, वो मेरे साथ बातें करती चलने लगी। थोड़ी ही देर में मुझे उसकी चुदास समझ आने लगी.. वो मुझसे ऐसे सट कर चल रही थी कि जैसे वो मेरे जाने कितने वर्षों से रहती आई हो। बार बार अपनी चूचियों को मेरी बांह से रगड़ देना और फिर कटीली मुस्कान बिखेरना.. हय.. मेरा तो लवड़ा खड़ा ही हो उठा था।
मैंने मन बना लिया था.. सो उसको थोड़ा ऊपर जंगल में ले जाकर कहा- हनी.. क्या आप इंडियन सेक्स का मज़ा लेना चाहेंगी.. एक देसी लंड को क्या आप अपनी चूत की सैर करवाएँगी?
यह बात मैंने उससे अँग्रेज़ी में पूछी। मुझे पता था कि बाहर की गोरी मेम भी हम हिंदुस्तानियों के काले भुजंग लंड को काफ़ी मस्त हो कर निहारती हैं और बड़ी आतुरता से उस काले देसी लंड को अपनी बुर में घुसवाने के लिए बेताब रहती हैं। देसी लौड़ा अगर पूरा तना और खिला हो तो उसके गुलाबी ‘पिगं-पांग’ के बॉल सा सुपारा और आस-पास उगी हुई काली घुँघराली लंबी झांटें जो नज़ारा पैदा करती हैं.. वो अँग्रेज़ गोरी मेम की चिकनी.. झांटों रहित सपाट चूत के खुले दरवाज़े जैसा ही आनन्द लाती हैं.. इतना कि लंड खड़ा होकर ‘चिप-चिप’ करके पानी छोड़ देता है।
फिर चूत को चोदने की कला भी हम देसी हिंदुस्तानियों को बहुत अच्छी तरह आती है कि कैसे पहले मेमसाब (औरत) को उसकी चूचियों का मर्दन करके गरम करना है.. इसके बाद उसके निप्पल्स को मुँह में बच्चों सा लेकर.. खूब देर तक पीना है और साथ ही दूसरे निप्पल्स को चुटकी में लेकर धीरे-धीरे मसलना है.. ताकि वो गरम हो सकें। इसके साथ ही हम देसी लंड वाले एक हाथ को फ्री रख कर नीचे चूत के दरवाज़े पर अपने प्यार का एहसास भी करवाते जाते हैं।
ज़रा सोचिए.. आप लेटे हों और आपके साथ बगल में नंगी गोरी मेम लेटी हो.. जो बदन से खिली हुई एकदम गोरी हो.. सफेद मलाई सी.. कि मज़ा आ जाए। आप भी अपने नंगे जिस्म पर गोरी मेम का स्पर्श पाकर अपने लंड में एक तनाव महसूस करने लगें और आप आराम से उसके दोनों मम्मों का बारी-बारी से मर्दन कर रहे हों।
इधर मैंने जैसे ही एन्ना से पूछा तो एन्ना की मौन मुस्कराहट ने मुझे भी कुछ करने के लिए प्रेरित कर दिया। मैंने एक हाथ उसके सिर के नीचे से डालकर उसकी दाईं चूची दबाई और उसका साथ पाकर उसके बाएँ निप्पल को मुँह में दबा लिया। उसको जमीन पर लिटा कर अपने खाली हाथ को मैंने उसकी चूत पर ऊपर से नीचे रगड़ कर चिकना करना शुरू किया।
मेरी दोनों उंगलियाँ उसकी चूत के सिंघाड़ों को फैला कर रगड़ रहे थे। गोरी मेम की चूत चिकनी हो रही थी और में उसके निप्पल्स और मम्मों को छोड़ ही नहीं रहा था।
करीब 20 मिनट बाद मुझे उसकी चूत को चाटने का ख़याल आया।
नीचे लेट कर मैंने आराम से उसकी गोरी मलाईदार चूत पर अपने थूक का लेप लगाया और मज़े से उसकी चूत को ‘लॅप लॅप’ करके चाटने लगा।
उसकी बुर की भीनी-भीनी खुश्बू बहुत नशा चढ़ा रही थी.. औरत की चूत से आती पेशाब की भीनी महक मर्द को दीवाना कर देती है और मदहोशी इतनी चढ़ जाती है कि मर्द उस चूत की भीनी खुश्बू को पाने की खातिर शादी जैसे झांटू बंधन में बन्ध जाता है। वो सोचता है कि हर रात चूत की खुश्बू उसके जीवन को महका सकेगी और उसके लंड को हर रात खिला कर बड़ा कर सकेगी.. पर क्या होता है ये तो आप सभी को मालूम ही है।
मैंने भी उस मेम की गोरी चूत को कस कर चाटा और फिर उस मेम को अपने काले लंड को चाटने के लिए आमंत्रित किया।
एन्ना ने मेरे काले लौड़े को पूरी मज़बूती से बहुत आराम से पकड़ा और फिर अपनी जुबान निकाल कर लंबी सांस लेते हुए समूचे लंड को अपने मुँह में निगल लिया।
वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेती जाती रही.. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाना और मलना जारी रखा.. जैसे कोई बच्चा अपने खिलौने से खेलता है। मेरा लंड काफ़ी कड़क हो चुका था। उसकी जीभ लंड के सुपारे को जैसे ही छूती.. तो एक करेंट सा बदन में दौड़ जाता। खड़ा लंड मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और फिर अपने लंड से उसकी दोनों बड़ी-बड़ी गोरी चूचियों के बीच में चुदाई करना शुरू कर दिया।
एन्ना अपनी चूचियों के बीच में मेरे लंड के आगे-पीछे आने-जाने से काफ़ी उत्साहित थी। वो अपनी जुबान निकाल कर मेरे लंड के सुपारे को.. अपने मुँह के करीब आने से.. जुबान निकाल कर चाट लेती।
अगले तीन-चार मिनट तक.. उसकी दोनों चूचियों के बीच लंड का उसके मुँह तक का सुहाना सेक्सी सफ़र जारी रहा।
इसके बाद मैंने एन्ना को ऊपर अपनी गोद में उठाया और लंड के मुहाने पर उसके चूतड़ों का दबाव डाला.. जिससे उसकी चूत के दोनों गुलाबी फाँकें पल भर में फैल गईं और मेरा तना हुआ लौड़ा उसकी नरम.. गरम.. मखमली चूत में अन्दर समा गया। ‘आह्ह..’
मैंने अपने हाथों से उसको ऊपर उठा रखा था.. ताकि लंड डालने में आसानी रहे, उसके हवा में ऊपर झूलते रहने से लंड नीचे से गरम चूत की सैर अच्छे से करने लगा। ‘घप्प..छप्प.. गॅप..गॅप..’ मेरा लंड पूरी मस्ती में चूत को दनादन चोद रहा था और एन्ना को भी देसी लंड के झटके और गहरे धक्के बहुत भा रहे थे।
जल्दी ही मैंने उसको नीचे लिटा कर उसकी दोनों जाँघों को फैला दिया और खुद चूत के सामने खड़ा होकर दोनों जाँघों को नीचे से हाथ में भरकर फैला कर सीधा लंड की एंट्री ‘भकाभक’ की.. मैंने अपने लंड को पूरी ताक़त और जोश के साथ चूत का भोग करवाया ताकि लंड की तमन्ना पूरी हो सके और मेरा लौड़ा.. एक अँग्रेज़ मेम की चुदाई का सुख को याद रख सके।
मेम को चोदने के साथ मैंने बराबर एन्ना को आँखों पर.. गाल.. गर्दन और चूचियों पर चुम्बन किए ताकि मेरे लंड के हर धक्के का पूरा मज़ा उसको मिल सके।
मेरी चूत चोदने की स्पीड बढ़ गई थी और मैं अपनी मंज़िल के करीब आ गया था।
मैंने एन्ना को बताया कि ‘स्टेशन’ आने वाला है। एन्ना ने झट से मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर अपने मुँह से जुबान निकाल कर सुपारे के ऊपर रगड़ना शुरू किया.. ताकि मेरा निकालने वाला गरम मक्खन अपनी जुबान पर ले सके।
वैसा ही हुआ.. एन्ना ने सारा मक्खन अपनी मुँह में भर लिया और गटक गई.. जैसे उसको असली इंडियन अमृत मिल गया हो। मित्रो, यह सत्य घटना जरूर है.. पर तब भी हम सभी भारतीयों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि विदेशी हमारे मेहमान होते हैं.. जब तक उनकी रजा न हो.. हमको उनकी स्वच्छंदता में बाधा नहीं डालना चाहिए.. मित्रो.. जीवन का एक सिद्धांत बना लीजिए.. कि पराई नार को उसकी सहमति के बिना नहीं चोदना है.. और एक बार उसकी ‘हाँ’ हो गई.. तो उसकी चूत को चोदे बिना भी नहीं छोड़ना है।
आप सभी मेरी इस कहानी पर अपने कमेंट्स अन्तर्वासना पर ही लिख दीजिएगा.. मैं पढ़ लूंगा।
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