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नमस्कार दोस्तो.. आप सभी को मैं यानि मानव प्रणाम करता हूँ। मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैंने बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं.. इनमें से कुछ सही लगीं और कुछ काल्पनिक लगीं। मेरी भी एक कहानी सच्ची है। ये मेरी पहली कहानी है.. लिख रहा हूँ.. मुझसे कोई भूल हो तो माफ़ कर दीजिएगा।
तो कहानी शुरू करता हूँ। जैसा कि मैंने बताया मेरा नाम मानव है। मैं गुजरात का रहने वाला हूँ। मैं बीए की तीसरे साल की पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं इकहरी देह का हूँ.. पर मेरे लंड का आकार 7 इन्च और इसका व्यास दो इन्च का है.. जो किसी भी लड़की या औरत को खुश करने के लिए सही है।
यह कहानी मेरी और मेरी दोस्त तान्या (मेरी गर्लफ़्रेंड) की है।
मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा हूँ। शायद इसी लिए ज्यादा लड़कियां मेरी दोस्त नहीं बनीं.. पर ये बात तब की है.. जब मैं बारहवीं में पढ़ रहा था।
उस वक्त मेरे दोस्त को किसी लड़की ने प्रपोज़ किया। दो दिन बाद मेरे दोस्त के साथ उसे उपहार देने गया। तब उधर मुझे एक लड़की नजर आई। मुझे वो पहली नजर में ही बहुत पसन्द आ गई.. पर कुछ बात नहीं बन पाई। मैंने वो बात भूल कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा लिया।
कुछ दिन बात वापस वो मुझे मिली तो मैंने अपने दोस्त की गर्लफ्रेण्ड की मदद से उसको प्रपोज किया। पहले तो उसने साफ मना कर दिया और कहने लगी- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ। मैं रोज उसे फोन करता.. पर वो मान ही नहीं रही थी। फिर मैंने सोचा जाने दो वैसे भी वो मेरे बात करने वाली नहीं है। तो मैंने उसे फोन करना छोड़ दिया.. पर फिर एक दिन जैसे चमत्कार हुआ। उस लड़की ने मुझे खुद से फोन किया और मुझसे लड़ने लगी कि अब क्यों फोन नहीं करते.. फिर वो कुछ नहीं बोली.. थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली- मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूँ। मैं बहुत खुश था.. उस दिन फोन पर अधिक बात नहीं हुई।
दूसरे दिन स्कूल में मिली.. तो मैं उसे देखता ही रहा.. वो मेरे सामने से चली गई। फिर भी मैं मुड़ कर उसे ही देख रहा था कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा था।
मेरी परीक्षाएं नजदीक थीं.. तो मैंने कुछ दिन घर में रह कर पढ़ने की सोच कर स्कूल जाना बंद कर दिया। जैसे ही मेरी परीक्षायें खत्म हुईं.. तो मैंने उसे फोन किया। वो बहुत नाराज लग रही थी। दूसरे दिन जब मैं स्कूल गया.. तो वो मुझे कहीं भी नजर नहीं आई.. तो मैं थोड़ा उदास हो गया।
जब हमारे स्कूल की छुट्टी हुई तो मैं घर जा रहा था.. उस समय वो मेरे सामने खड़ी थी। उसने मुझे देखा और वो कुछ बोले बिना ही चली गई। मैंने सोचा चलो सूरत तो देखने मिली।
फ़िर शाम को उसका फ़ोन आया तो कहने लगी- तुमको मालूम है कि मैं तेरे बिना नहीं रह सकती हूँ.. तो तुम स्कूल क्यों नहीं आ रहे थे? मैंने कहा- मेरी परीक्षा नजदीक थीं तो मैं घर पर पढ़ाई कर रहा था। बोली- ठीक है.. बाय.. कल सुबह मेरी भी ट्यूशन है तो मुझे भी अब सोना है। मुझे पता ही नहीं लगा कि ये मुझे बता रही है कि बुला रही है तो मैंने भी कहा- ठीक है।
दूसरे दिन सुबह जब मैं उसकी ट्यूशन पर गया.. तो वो मुझे देख कर अपनी क्लास में नहीं गई। हमारा स्कूल ग्यारह बजे शुरू होता था.. तो हम दोनों ने स्कूल के पीछे बैठ कर बातें की.. फ़िर हम स्कूल में क्लास में चले गए। एक दिन मुझे उसकी किसी दोस्त ने फ़ोन करके बोला- वो मुझे धोखा दे रही है।
पहले तो मैंने उस पर विश्वास नहीं किया.. पर मैं भी एक इंसान हूँ और आपको तो पता है कि अगर एक बार दिमाग में शक का कीड़ा घुस जाता है तो फ़िर उसे कुछ नहीं दिखाई देता है।
दूसरे दिन जब वो स्कूल में मिली तो मैंने उससे कहा- स्कूल के बाद अकेले में मिलना.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। वो जब स्कूल के बाद मिली तो मैंने उससे पूछा.. तो उसने कुछ नहीं कहा और रोने लगी और फ़िर घर चली गई। शाम को मैंने उसे फोन किया तो उसने मेरा फोन नहीं उठाया। मुझे लगा मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। एक पूरा हफ्ता उसने मुझसे बात नहीं की.. तो मुझे गुस्सा आ गया।
अब मैंने स्कूल छूटने के बाद जबरदस्ती उसे रोक लिया.. वो कहने लगी- तुम्हें मुझ पर विश्वास ही नहीं है.. तो बात करने से क्या फ़ायदा? मैंने उससे कहा- कल सुबह मुझे मिलना। वो कहने लगी- देखूँगी.. वो घर चली गई और मैं भी अपने घर आ गया।
उस दिन पूरी रात मैं सोया नहीं बस यही सोचता रहा कि वो आएगी या नहीं.. फिर मैंने सोचा जो होगा सो देखा जाएगा।
सुबह वो मुझे मिलने आई तो मैंने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया तो उसने कुछ नहीं कहा। बस मुझे देखती रही। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसे उसके होंठों पर लम्बी सी किस कर दी। यह मेरी जीवन की पहली चुम्मी थी.. जो करीब 2 मिनट की थी।
पर जैसे ही मैंने उसके होंठ छोड़े.. तो वो गुस्सा हो गई और कहने लगी- मुझे ये सब पसन्द नहीं है। वो गुस्सा होकर चली गई.. मुझे लगा अब तो गई ये.. मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी। उदास होकर मैं भी वापस घर आ गया स्कूल भी नहीं गया। अब मैं सोच रहा था कि ये कैसे मानेगी।
तभी मेरे फ़ोन की रिंग बजी.. देखा तो उसका ही फ़ोन था.. मैंने जैसे ही फ़ोन उठाया.. मैंने उससे माफी माँगी.. पर वो कुछ बोल ही नहीं रही थी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और कहा- जिंदगी की पहली किस तुमको ही की है। मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
उसके बाद जब भी हम मिलते.. तो हम लोग चुम्मा-चाटी करते.. पर अब हमें उससे भी आगे बढ़ना था.. तो कभी-कभार मैं उसे चूमते वक्त उसके मम्मों को भी छू देता.. वो मुझे देखती.. पर कुछ नहीं बोलती।
फ़िर एक दिन जब मेरा जन्मदिन था तो वो बहुत खुश थी.. रात को बारह बजे उसने मुझे ‘विश’ किया। तो मैंने उसे बताया- सबसे पहले उसी ने मुझे ‘विश’ किया है। वो मुझसे जन्मदिन की पार्टी मांगने लगी.. तो मैंने भी कह दिया- तुम जब मुझे गिफ्ट दोगी.. तो ही मैं पार्टी दूँगा। तो वो कहने लगी- मुझे पहले पार्टी चाहिए.. गिफ्ट बाद में मिलेगा। मैंने कहा- ठीक है.. कल सुबह स्कूल के बाहर मिलना.. तो उसने हामी भर दी।
फ़िर सुबह हम मिले तो उसने फ़िर से मुझे ‘विश’ किया। मैंने उसे ‘थैंक्स’ कहा और बहुत सारी चॉकलेट्स दीं.. वो खुश हो गई। फ़िर हम फ़िल्म देखने गए.. वहाँ मैंने उसे मेरे गिफ्ट देने के बारे में कहा.. तो उसने कहा- पहले फ़िल्म तो देखने दो.. फ़िर गिफ्ट.. मैंने थोड़ी नाराजगी जताई.. तो कहने लगी- नाराज मत हो.. गिफ्ट देखकर सब भूल जाओगे।
फ़िर मैं फ़िल्म देखना छोड़ कर उसे चुम्बन करने लगा और उसके स्तनों से खेलने लगा। माफ़ करना दोस्तो, उसके बदन बारे में तो बताना ही भूल गया.. वो बहुत गोरी थी और उसके बारे मैं क्या बताऊँ.. उसका 28-26-30 का फिगर बहुत ही फाडू फ़िगर था.. जिसे देख कर किसी का भी लौड़ा खड़ा हो जाएगा।
चलो फ़िर कहानी पर वापस आते हैं। जैसे ही मैंने उसके पेट पर हाथ लगाया.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- ये अभी नहीं.. शादी के बाद.. मैं भी मान गया।
फ़िर जैसे ही फ़िल्म खत्म हुई.. हम घर जाने लगे.. तो रास्ते में मैंने फिर गिफ्ट की याद दिलाई.. तो उसने कहा- नहीं मानोगे तुम.. और फ़िर उसने मुझसे कहा- चलो.. मैंने कहा- कहाँ जाना है? वो कहने लगी- पास में मेरे दोस्त का घर है। हम वहीं चले गए.. वहाँ जाकर देखा तो उसके घर में बाहर से ताला लगा था.. उधर कोई नहीं था। मैंने उससे पूछा- यहाँ तो कोई नहीं है। उसने अपने पर्स में से घर की चाभी निकाली और कहा- अपनी आँखों को बन्द करो।
मैंने वैसा ही किया.. जैसे ही मैं घर में गया.. तो वहाँ बहुत ही अच्छी खुश्बू आ रही थी कि मैं बिना आंख खोले रह नहीं पाया… तो अभी मैं कुछ देख पाता.. उससे पहले उसने मुझे देख लिया और मुझ पर गुस्सा होते हुए बोली- थोड़ी देर आंख भी बंद नहीं कर सकते..
फ़िर उसने अपना दुपट्टा निकाल कर मेरी आँखों पर बाँध दिया और फ़िर मुझे सोफ़े पर बिठा कर वो दूसर कमरे में चली गई। करीब बीस मिनट के बाद वो आई.. फ़िर उसने मेरी आँखों पर से अपना दुपट्टा हटाया.. तो देखा कमरे की सारी बत्तियां बन्द थीं। तभी एकदम से जैसे ही कमरे की लाइटें जलीं.. तो मैं उसे देखता ही रह गया.. क्या माल लग रही थी वो.. उसने अपने पीछे छुपाया हुआ केक मेरे सामने रख दिया.. पर मैं तो उसे ही देखता रहा। तो वो कहने लगी- सिर्फ़ देखते ही रहोगे.. कि केक भी काटोगे।
मैंने अपने आप को संभाला और केक काटा.. पहला टुकड़ा उसे खिलाया। फ़िर उसने जो किया.. वो मैं सोच भी नहीं सकता था.. उसने केक का एक टुकड़ा लिया और अपने होंठों में फंसा कर मुझे खिलाने लगी। बहुत ही रोमांटिक पल था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मुझे पता भी नहीं कि कब मैंने केक खा लिया और उसके होंठ चूमने लगा। कुछ दस से बारह मिनट तक उसके होंठों को चूमता ही रहा।
जैसे ही वो अलग हुई.. तो देखा उस वक्त घड़ी में शाम के सात बज रहे थे। मैंने उससे घर जाने के बारे में पूछा.. तो कहने लगी- वो घर पर कह कर आई थी कि वो अपनी सहेली के घर ही रुकेगी। मैं तो सोच में पड़ गया कि ये क्या बोल रही है। फ़िर कुछ देर बाद मुझे सब समझ में आ गया। तो मैंने अपना फ़ोन निकाल कर घर पर बता दिया- आज मेरे दोस्तों ने मेरे जन्मदिन की एक पार्टी रखी है.. तो मैं आज घर नहीं आ सकता हूँ।
मैंने फ़ोन रख दिया, तब तक वो रसोई में से कुछ खाने को ले आई। हम एक-दूसरे को खिलाने लगे। जब हमने खाना खा लिया तो कहने लगी- फ़िर से आंख बंद करो।
मैंने वैसा ही किया.. तो थोड़ी देर बाद वो आई.. और कहने लगी- हाँ.. अब पट्टी हटाओ। मैंने जैसे ही उसे देखा.. वो एक एकदम सेक्सी ड्रेस में थी। वो कामुकता से कहने लगी- आज रात मैं तुम्हारा गिफ्ट हूँ।
मैं तो उसे देख कर बौरा गया.. और मैंने उसे अपने पास खींच लिया।
दोस्तो, मैं वास्तव में बुद्धू ही था जो समझ ही नहीं पाया था कि आज यह अपना सब कुछ मुझ पर लुटाने वाली है।
खैर.. अब सब साफ़ हो चुका था.. इसलिए मैंने भी पूरे मन से इस तोहफे का आनन्द लिया, उस आनन्द का रस आप सभी अगले भाग में लिखूँगा, तब तक मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए। आपके विचारों का मेरी ईमेल पर स्वागत है। [email protected]
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