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हैलो फ्रेंड्स.. मैं शिव.. मुंबई से हूँ.. मैंने अन्तर्वासना की पूरी तो नहीं पर बहुत अधिक कहानियाँ पढ़ी हैं.. और आज इनसे हिम्मत पाकर मैं अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ। यह मेरी जिन्दगी की पहली कहानी है.. मेरे लेखन में कोई ग़लती हो.. तो माफ़ कर दीजिएगा। यह कहानी मेरी और मेरी क्लासमेट सोना की है। सोना दिखने में तो सामान्य है.. लेकिन बहुत सेक्सी है।
गर्मी के दिन थे, मेरा माध्यमिक शिक्षा का पहला वर्ष पूर्ण हो चुका था और सोना 12वीं के बाद पहली कक्षा से सातवीं कक्षा तक के बच्चों की टियूशन की क्लास लेने लगी थी। एक दिन उसने मुझे मैसेज भेजा- मुझे मेरी क्लास में दोपहर को मिलो.. कुछ काम है।
मुझे लगा कि उसका कोई काम होगा.. चला जाता हूँ। उस समय वैसे भी कॉलेज की तो छुट्टी चल रही थी। उसका क्लास भी मेरे घर से कुछ 5-7 मिनट की दूरी पर था। मैंने दोपहर को लंच किया और साइकिल ले कर चल पड़ा। उसका कुछ छोटा-मोटा काम होगा.. इसलिए मैं भी बस स्पोर्ट्स ट्रैक और टी-शर्ट पहनकर निकल गया।
मैं जैसे ही उसके क्लास-रूम में पहुँचा.. तो मैंने देखा कि वो एक तरफ को बैठी हुई थी और उसका भतीजा जो कि 8 साल का था.. वो वहाँ खेल रहा था।
मुझे देखते ही उसकी आँखों में थोड़ी चमक आई.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं आगे बढ़ा और उसकी बगल वाली कुरसी पर जाकर बैठ गया- हाय..!
‘हाय..!’ मैंने बोला- कहो क्या काम है? तो उसने अपना सीना फुलाया और वो मुझे मादक नजरों से घूरने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैंने दुबारा पूछा- क्या काम है.. कुछ क्लास के लिए मदद चाहिए क्या? तो चुदासी सी बोली- मुझे तेरा साथ चाहिए..
मैं बोला- किस बात के लिए? तो वो खड़ी हो गई और मेरे कान के पास आकर बोली- तूने कभी सेक्स किया है?
मैं तो सुनकर दंग रह गया.. ये तो मेरी एक अच्छी सहपाठिन थी.. ये ऐसा क्यों बोल रही है। खैर.. इससे पहले तो मैंने भी सेक्स नहीं किया था.. तो मैं उससे ‘ना’ बोला।
तो उसने अपने भतीजे को आवाज़ दी.. वो पास आया तो मुझसे बोली- ज़रा तुम अपनी साइकिल की चाभी तो दो.. मैंने दे दी.. उसने चाभी अपने भतीजे को दी और बोली- जा छोटू.. सामने मैदान में साइकिल चला.. उसे तो खेलने के लिए साइकिल मिली.. वो चाभी लेकर चला गया।
जैसे ही वो क्लास-रूम से बाहर गया सोना ने क्लासरूम के सारी खिड़कियाँ बंद कर दीं और दरवाजा भी आधा खुला छोड़ दिया।
अब वो सीधे मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और मेरे दोनों हाथ पकड़ कर खुद के मम्मों पर रखवा कर दवबाने लगी.. तो मुझे करेंट सा लगा और मेरे दिल में गुदगुदी होने लगी। दूसरे ही क्षण वो मुझे हग करने लगी। अब तो मेरी ट्रैक में हलचल शुरू हो चुकी थी। वो मुझे किस करने आगे बढ़ी और मैंने भी उसे साथ देना शुरू किया।
उसकी तो साँसें तेज होने लगीं.. उसने सीधे मेरी ट्रैक में हाथ डाला और मेरे लंड को पकड़ लिया, मैं तो अभी वर्जिन ही था.. वो मेरे लंड को सहलाने लगी, मैं भी बेताबी से उसकी मम्मों को दबा रहा था।
तभी मुझे क्लासरूम में अपने इस तरह होने का ख्याल आया.. मैंने उससे पूछा- कोई आएगा तो नहीं.. वर्ना प्राब्लम हो जाएगी। तो वो सिसकारते हुए बोल पड़ी- नहीं.. अभी सीधे 7 बजे ही क्लास के बच्चे आएँगे.. तब तक कोई नहीं आएगा।
अब वो नीचे सरक कर मेरे ट्रैक को नीचे करके मेरा बाबू मुँह में ले कर चूसने लगी। मेरा लवड़ा तो अब तक तन कर पूरी तरह फड़फड़ा सा रहा था। उसके चूसने से तो मेरे मुँह से ‘आआअहह..’ निकल गया।
मैंने उसे उठाया और खड़ा किया और होंठों से होंठों को चिपका कर चुम्बन करने लगा। इसी के साथ मैं उसके मम्मों को भी दबा रहा था।
उसने सीधा अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और मुझे नीचे को धकेल दिया। उसने अन्दर जाँघों तक कोई चड्डी नुमा कपड़ा पहना हुआ था.. वो मैंने नीचे किया और देखा कि मेरे सामने उसकी एकदम क्लीन चूत थी।
उस पर कुछ चमक सा रहा था.. मैंने हाथ से वहाँ छुआ तो वो आँखें बन्द करके सिसकारियाँ लेने लगी। उसकी चूत का रस निकल रहा था.. जैसे मैंने हाथ से उधर टच किया.. तो ढेर सारा घी जैसा कुछ मेरे हाथ को लगा..
अब वो बोल पड़ी- प्लीज़ शिव.. बैंच पर चलो.. खुद वैसे ही चली गई और बैन्च पर खुद चित्त लेट गई।
उसके चित्त लेटते ही उसकी पूरी चूत मुझे साफ़ दिखने लगी।
मैं उसके साथ ही था.. वो लेटते ही मेरा लंड पकड़ कर बोली- अब डाल दो इसमें.. बहुत दिनों से ऐसा मौका तलाश रही थी.. अब देर मत करो.. दोस्तो, इससे पहले मैंने कभी चुदाई नहीं की थी, मेरा लंड भी 6″ का है.. वो तो नंगी चूत देख कर बहुत ही फनफना रहा था। वो नीचे लेटी थी.. और मैं उस पर लेटने जा रहा था.. मैंने उसकी चूत पर लंड रख दिया।
उसने मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर खुद ही अपनी चूत की फांक पर टिका दिया और बोली- अब डाल दो.. मैंने पहला झटका मारा.. लेकिन उसका बहुत सारा चूतरस निकलने की वजह से लंड फिसल गया।
उसने वापस लौड़े को पकड़ कर चूत पर सैट किया और वैसे ही लौड़े को पकड़ कर बोली- दे अब.. मैंने एक झटका दिया.. पहले झटके में ही मेरे लंड का टोपा अन्दर घुस गया। वो एकदम से चिल्ला पड़ी और मुझे भी दर्द सा महसूस हुआ।
मैं रुक गया.. मैंने लंड को बाहर निकाला.. देखा तो मेरे लंड के टोपे की चमड़ी पीछे को चली गई थी और मेरी सील टूटने के कारण थोड़ा खून निकल रहा था। तो सोना बोल पड़ी- प्लीज़ शिव डाल दो..
यह कहते हुए उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैंने वापस एक तगड़ा झटका दिया.. तो वो चिल्ला उठी- आआहह.. मम्मीईईई.. मर गई..
तो मैंने उसके होंठों पर किस किया और वैसा ही करता रहा.. इसके साथ ही वापस एक तगड़ा झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी बुर में काफी अन्दर तक जा चुका था। सोना बहुत ही तेज स्वर में उन्न्न.. आआआहह.. ह्म्म्म्म .. कर रही थी।
मैंने झटके मारना शुरू किए.. लेकिन मुझे कोई चीज मेरे लंड को अन्दर जाने से रोक रही थी। अब मैंने अपने जबड़े भींचे और ज़ोर से एक झटका मारा तो सोना की चीख निकल पड़ी- ऊओवव.. माँआ…फट गई.. मैंने उसकी चीख को अनसुना कर दिया.. तो वो तड़फ कर बोली- प्लीज़ बाहर निकालो.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है!
तो मैं रुक गया और मैंने उसकी चूचियों को दबाना चालू रखा.. थोड़ी देर में वो नॉर्मल हो गई। मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है.. दर्द कम हुआ क्या? तो बोली- हूँ.. अब ठीक है.. और मेरा सिर अपने मम्मों के ऊपर दबाने लगी।
मैंने भी धीरे-धीरे झटके देना शुरू किए। कुछ 10-12 झटकों के बाद वो ढीली पड़ गई और उसका घी जैसा चूतरस बाहर निकल पड़ा। अब मेरा लंड आराम से सटासट अन्दर-बाहर हो चूत की जड़ तक घुसने लगा। कुछ देर ऐसे धक्के मारे कि सोना और जोश में सीत्कार करने लगी- और ज़ोर से करो.. और जोर से.. कुछ ही पलों में वो वापस से झड़ गई।
बहुत देर तक ऐसा ही चला.. क्लासरूम में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं- फ्च्छ.. पच्च… करीब आधे घंटे में वो 3 बार झड़ चुकी थी और अब मेरी झड़ने की बारी थी। मेरे झटके तेज हो गए थे.. सोना को बहुत मज़ा आ रहा था। वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी- आआआहह.. उ.. उन्न.. ह्म्म्म्म .. मुंम्म्म.. ह्म्म्म.. सस्स्स्स्स..
मैं झड़ने ही वाला था.. तो मैं बोला- कुछ निकल रहा है.. तो सोना बोल पड़ी- अन्दर ही डाल दो.. मुझे तुम्हारा रस महसूस करना है।
मेरा वीर्य निकल गया.. उसकी चूत भर के बाहर निकलने लगा और मैं एकदम से ठंडा पड़ गया। कुछ देर सोना पर ही पड़ा रहा.. थोड़ी देर में हम दोनों होश में आए.. तो दोनों ही उठे और कपड़े ठीक करने लगे।
सोना ने अपने कपड़े ठीक किए और मेरे पास आकर मुझे अपनी बांहों में लिया और बोली- मैं तो तुझ से 11वीं क्लास से चुदवाने का सोच रही थी.. लेकिन मौका नहीं मिला.. आज से हर रोज दोपहर को तेरी ये वाली क्लास शुरू.. इस प्रकार हमारी चुदाई की क्लास शुरू हो गई। तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी.. प्लीज़ मुझे ईमेल जरूर करें.. यह मेरी रियल कहानी है। [email protected]
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