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मैं प्रिन्स उ.प्र. के एक शहर मिर्ज़ापुर का निवासी हूँ। मैं एक ऑफिस में काम करता हूँ और पार्ट टाइम कॉलब्वॉय का काम भी करता हूँ। मैंने अपनी लाइफ में बहुत सी लड़कियाँ पटाईं और सबसे कुछ ना कुछ मज़ा लिया.. पर किसी के भी साथ ज़बरदस्ती नहीं.. उनकी मर्ज़ी से ही चुदाई आदि करता था। मैं अपने बारे में बता दूँ कि मैं एक औसत सा दिखने वाला मस्त दिल का बंदा हूँ। मेरा लण्ड उत्तेजित अवस्था में करीब 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है। मैं समझता हूँ कि मेरा लवड़ा किसी भी लड़की या औरत को संतुष्ट करने के लिए काफ़ी है।
मैं इस साइट का करीब 8 साल से नियमित पाठक हूँ.. फिर मैंने भी सोचा कि क्यों ना अपनी भी कहानी लोगों से साझा की जाए। मैं पहली बार लिख रहा हूँ.. कुछ त्रुटि हो.. तो माफ़ कीजिएगा।
बात आज से दो साल पहले की है तब मैं एक कपड़े की दुकान पर कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करता था। उस वक्त मेरी एक गर्लफ्रेंड थी.. उसके साथ बड़ा मज़ा करता था.. लेकिन किसी बात पर उससे मेरा झगड़ा हो गया था।
जिस दिन उससे झगड़ा हुआ.. उसी दिन मैं किसी काम से रेलवे स्टेशन गया हुआ था.. तभी मुझे एक अंजान नम्बर से किसी लड़की की कॉल आई और मैंने मूड खराब होने के कारण उसे काफी कुछ सुना कर फ़ोन रख दिया।
फिर अगले दिन मैंने सोचा कि मैंने उसके साथ ग़लत किया.. तो मैंने उसे कॉल लगाया और अपनी कल की बात के लिए माफी माँगी। उसने पूछा- कल इतना गुस्सा क्यों थे? मैंने उसे अपनी गर्लफ्रेंड वाली बात बताई तो वो समझ गई।
उस लड़की का नाम कशिश था, वो कानपुर की रहने वाली थी। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हो गई और फिर प्यार भी हो गया। रोज ही हमारी बातें रात-रात भर होने लगी.. हम लोग आपस में फ़ोन सेक्स भी किया करते थे।
एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया और मैं घर पर ऑफिस के काम का बहाना करके उससे मिलने चला गया। मैंने वहाँ पहुँच कर एक अच्छे से होटल में कमरा लिया और आराम करने लगा। दोपहर में 11 बजे उसकी काल आई, पूछ रही थी कि कहा हो.. मैंने बता दिया- स्टेशन के पास आओ.. मैं वहीं मिलूँगा।
वो आई.. क्या बताऊँ दोस्तो.. वो पीले सूट में गजब की माल लग रही थी.. मेरा मन तो कर रहा था कि वहीं पकड़ कर चूम लूँ.. पर मैंने धीरज रखा।
हम एक रेस्टोरेंट में खाना खाकर अपने होटल पहुँचे। कमरे में आ कर हम आपस में प्यार की बातें करने लगे। बात करते हुए मैंने उससे कहा- आओ आराम से लेट कर बात करते हैं.. तो वो मुस्कुरा कर मेरे साथ लेट गई। हम दोनों लेट गए और तभी उसने अचानक मेरे होंठ पर अपने नरम गुलाबी होंठ रख दिए।
मैं उसकी इस पहल से पहले तो सन्न रह गया.. क्योंकि उसके साथ ये मेरा पहली बार था.. फिर मैं संभल गया और सोचने लगा.. इसी को शुरूआत करने दो.. चलो देखते हैं.. आज तो मज़ा आएगा।
फिर मैंने भी उसका साथ दिया और उसे तुरंत नीचे करके उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चूमने-चाटने लगा। हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों में फंसे हुए थे.. मैंने धीरे से उसकी चूचियों पर हाथ रख दिए.. किस करने के कारण वो बहुत गरम हो चुकी थी.. तो उसने कोई विरोध नहीं किया।
मैं उसकी चूचियाँ मस्ती से दबाने लगा फिर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। आह्ह..वो एक छोटी सी गुलाबी ब्रा में बिल्कुल मस्त माल लग रही थी।
मैंने धीरे से उसकी ब्रा को एक तरफ करके उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया। कभी मैं दाईं चूची.. तो कभी बाईं चूची को चूसता रहा।
अब धीरे-धीरे मैं नीचे की ओर बढ़ा और उसकी सलवार खोलने की कोशिश करने लगा.. मुझसे गाँठ खुल नहीं रही थी तो कशिश ने कहा- हटो यार.. ये मामूली सलवार नहीं.. जो हर कोई खोल ले। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
खैर.. उसने अपना सलवार का नाड़ा खोल कर खुद ही उतार दिया.. साथ में अपनी पैन्टी भी निकाल दी। वाऊ.. उसकी क्लीनशेव चूत देख कर तो मैं पागल ही हो गया और उसकी चूत में अपनी उंगली पेल दी। उसने कहा- क्यों जनाब हमें तो नंगी कर दिया और अपनी इज़्ज़त अभी तक़ बचा कर रखे हो.. तो मैंने कहा- लूट लो जान.. तुम्हें रोका किसने है..
फिर उसने तुरंत उठ कर मेरी पैंट को खोलना शुरू किया और मेरे 7 इंच खड़े लण्ड को बाहर निकाला.. जो कि पैंट के अन्दर तंबू बना चुका था। उसने बड़े ही प्यार से उसे खोला और निकाल कर खेलने लगी.. उसे प्यार से ऊपर-नीचे करने लगी। तब मैंने उससे पूछा- क्या तुम पहले भी सेक्स कर चुकी हो? तो उसने कहा- नहीं.. पर तुम क्यों पूछ रहे हो?
मैंने बताया- तुम्हें देख कर लग नहीं रहा है.. बड़ी एक्सपीरियेन्स लग रही हो..
तो उसने कहा- नहीं मैंने ब्लूफिल्मों में देखा है ना.. और मेरा जो पहले वाला ब्वॉय फ़्रेंड था.. उसके साथ थोड़ी मस्ती भी की है.. पर सेक्स नहीं किया है।
यह सुन कर मैं थोड़ा उदास हो गया.. तो उसने देखकर पहचान लिया और कहने लगी- अरे मेरे जानू.. तुम उदास क्यों होते हो.. अभी जब डालोगे तो खुद ही देख लेना.. तुम्हें यकीन हो जाएगा।
यह सुन कर मैं खुश हो गया और मस्ती करने लगा। फिर मैंने उसे लेटा कर उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गीला किया और अन्दर-बाहर करने लगा। तभी अचानक दस मिनट बाद वो झड़ गई और उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैं समझ चुका था कि अब तवा गर्म है रोटी सेंक लो.. मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
वो सच कह रही थी.. उसका पहली बार था.. वो दर्द भरी आवाज में बोलने लगी- ओह.. पहली बार है.. आराम से राजा..
मेरा सुपाड़ा ही अन्दर गया था कि वो तड़पने लगी और मुझे हटाने लगी.. पर मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. ताकि वो चिल्ला ना सके। अब मैंने एक जोरदार धक्का लगा दिया.. अभी लण्ड आधा ही अन्दर गया था।
वो दर्द से बहुत तड़फ रही थी.. तो मैंने उसकी चूत में अपने आधे लण्ड को ही थोड़ी देर अन्दर-बाहर किया और उसके कुछ पलों बाद उसके होंठों को आज़ाद किया और उससे पूछा- अब कैसा लग रहा है जान? तो उसने कहा- दर्द देकर पूछ रहे हो.. कैसा लग रहा है.. खैर.. ये बताओ पूरा चला गया ना? मैंने कहा- नहीं.. आधा गया.. तो वो बोलने लगी- अरे यार जब दर्द दे ही दिया है.. तो अब पूरा डाल दो न..
मैंने कहा- चिल्लाना मत.. उसने कहा- पहले की तरह मेरे होंठ बंद कर दो ना..
मैंने वैसा ही किया और पूरा लण्ड डाल दिया.. इस बार उसे ज्यादा दर्द हुआ क्योंकि वो मेरे होंठों को काटने लगी थी। फिर थोड़ी देर में सब कुछ नॉर्मल हो गया और वो अपने 36 नाप के चूतड़ों को उठा-उठा कर मज़ा लेने लगी।
करीब 15 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ने लगी और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था.. तो मैं उसकी चूत में लण्ड पेलता रहा। जब मेरा होने वाला था तो उसके पहले ही मैं रुक गया और उसके 32 नाप के चूचों को सहलाने लगा.. बड़ा मज़ा आ रहा था।
5 मिनट के बाद मैंने फिर से उसे चोदना स्टार्ट कर दिया। अब मैं चुदाई का खेल समझ गया था.. मैं उसे खूब चोदता और अपना माल आने के पहले मैं उसकी चुदाई रोक देता था.. ऐसे ही मैंने कई बार किया और अब तक़ शाम हो चुकी थी फिर मैंने एक बार फाइनल चढ़ाई की और मैं झड़ने लगा और उसकी चूत में ही झड़ गया था।
इस बीच वो करीब 4-5 बार झड़ चुकी थी।
अब हम दोनों आराम से लेट गए मैंने देखा उसकी चूत से खून निकल रहा था उसने पूछा- क्या देख रहे हो? मैंने बोला- कुछ नहीं.. तो उसने कहा- मुझे पता है.. मैं हँसने लगा.. फिर मैंने उससे कहा- चलो मेरा लण्ड चूसो मज़ा आएगा। पहले तो वो मना करती रही.. पर मेरे कहने पर वो मान गई। लेकिन उसने कहा- चलो 69 करते हैं।
तब मैं उसकी चूत को और वो मेरे लण्ड को चूस रही थी। क्या बताऊँ यारों.. इतना मज़ा तो उसकी चुदाई करने में भी नहीं आया था.. जितना उसको अपना लण्ड चुसाने में आ रहा था।
करीब 20 मिनट की चूत-लण्ड की चुसाई के बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए। फिर हम दोनों थोड़ी देर आराम करने के बाद फ्रेश हुए और निकलने की सोचने लगे।
उसकी चूत सूज गई थी और उसे दर्द हो रहा था.. तो मैं होटल से निकल कर पास के मेडिकल स्टोर से दवा ले आया.. साथ में एक आई-पिल भी.. क्योंकि मैं उसकी चूत में ही झड़ गया था.. मैंने उसे दवा खिला दी और हम लोग निकल कर अपने-अपने घरों की ओर चल दिए। वो अपने घर की तरफ और मैं स्टेशन की तरफ..
यह मेरी पहली कहानी थी जो बिल्कुल सच है। मेरी आगे और भी कई सच्ची कहानियाँ हैं तो चूत-कन्याओं और लण्ड देवताओं.. आपको कैसी लगी मेरी कहानी.. मुझे ईमेल करें.. फिर मैं और कहानी भी पोस्ट करूँगा और अगर मुझे कोई ग़लती हुई हो.. तो मेरा मार्गदर्शन करें.. ताकि कहानी को और अच्छे से लिख सकूं। आपका अपना देसी प्रिन्स [email protected]
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