This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया राम सिंह था। तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ? मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं? रामू बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं। इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।
यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप! मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!
फिर मैं वहाँ से चला आया। मैंने बात कम्मो को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा। कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा। बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को! यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल।
जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचा तो राम सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था। घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया।
यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा। मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ।
मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी। जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो कम्मो हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी।
मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा। वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने घुसते ही कम्मो को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा। कम्मो की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया।
मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया। कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई। कोई 10 मिनट बाद कम्मो फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही। अब जब कम्मो ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया?
‘सॉरी कम्मो, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’ वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं। आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है। पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?
और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन कम्मो ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?
मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी। कम्मो बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा! ‘कैसे? कहाँ से देखा?’ ‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ। कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’ ‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’ ‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी।’
फिर हम वहाँ से चल दिए पहले कम्मो निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना! मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000