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हैलो.. कहानी पढ़ने वाली सभी लेडीज लड़कियों.. आप अपनी पैन्टी नीचे कर लीजिए और ब्रा से केवल एक चूची बाहर निकाल कर उसके निप्पल पर मेरे हाथ की उंगली समझ कर मेरी तरफ से उंगली फेरिए और एक हाथ की उंगली को अपनी बुर के द्वार के ऊपर रख लीजिए। जैसे-जैसे मेरी कहानी आगे बढ़ेगी.. वैसे वैसे आपकी उंगली खुद अपना काम करना शुरू कर देगी।
मेरे प्यारे दोस्तो, आप भी अपने लंड को बाहर निकाल कर खुला छोड़ दीजिए और उसके उठने का इंतजार कीजिए…
मैं आशीष.. फिलहाल राँची में पढ़ने के लिए रह रहा हूँ.. मेरी उमर 18 साल है और मैं बी.एससी. के पहले वर्ष में हूँ.. मैं अपनी माँ बाप का इकलौता लड़का.. बहुत ही चंचल और हँसमुख लड़का हूँ।
मैं ब्लू-फ़िल्में बहुत देखता हूँ। जब भी मौका मिलता है.. इंटरनेट पर ग्रेजुयेशन में एक्टिव हुआ और मेरे घर पर कंप्यूटर है। मैं अपने ‘सामान’ के बारे में बताता हूँ.. जिसके बिना कहानी कभी पूरी नहीं हो सकती। मेरा लंड जिसे मैंने नापा.. तब मुझे पता चला कि मेरा लंड 6″ लंबा और 3″ मोटा है।
जहाँ तक लौड़े के खड़ा होने का सवाल है.. तो यही समझ लीजिए कि लंड की लंबाई और मोटाई लिखते-लिखते ही वो खड़ा हो चुका है। वैसे भी जब कोई लड़की देख लेता है.. तो उसे चोदने की कल्पना खुद करके गीला तो तुरंत हो जाता है.. फिर बचता है। मेरा काम उसके रस को ‘हिलंत-विद्या’ से बाहर निकालना है.. जो कि अंत में मुझे करना ही पड़ता है।
दोस्तो, यह बात जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ.. होली के दिन की बात है।
यह जो कहानी है.. यह मेरे और मेरी मौसी के बीच की है.. उनसे अचानक से बने शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।
मेरी मौसी का नाम सोनी है.. उनकी उम्र 38 साल होगी। मेरी मौसी बला की खूबसूरत हैं, वो ना बहुत पतली हैं.. ना मोटी.. बस यूँ समझ लीजिए कि स्लिम से थोड़ी ज्यादा हैं। मौसी जी पुरानी हिरोइन साधना के जैसी दिखती हैं.. मुझे पूरा अंदाज़ा तो नहीं है लेकिन उनकी चूचियाँ करीब 34 इन्च की होगीं.. चूतड़ 36 इन्च के सुडौल और एकदम उठे हुए है.. और भरा हुआ शरीर है.. जब वो चलती हैं.. तो उनके कूल्हे गजब मटकते हैं। उन्हें देख कर लगता है कि लंड पैन्ट के अन्दर खुद ही आत्महत्या कर लेगा और पानी छोड़ देगा।
जब वो नाईटी में होती हैं.. तो उनकी छोटी सी ब्रा में क़ैद चूचियाँ आज़ाद होने की तड़फ में हल्की-हल्की मचलती और हिलती रहती हैं और कभी-कभी तो बिना ब्रा के पूरी मस्ती में हिलती हैं.. मैंने अक्सर देखा है कि जब वो पोंछा आदि लगाती हैं या किसी दिन बिना ब्रा के होती हैं तो बार-बार नाईटी ठीक करके अपनी चूचियाँ एड्जस्ट करती रहती हैं।
अब मैं मुख्य घटना पर आता हूँ.. चूंकि मेरी मौसी भी राँची में ही रहती हैं.. उनकी फैमिली में 3 लोग हैं.. मौसा जी और उनकी एक जवान बेटी अनु है.. जो बारहवीं में पढ़ रही है। मौसा जी कंस्ट्रक्शन कम्पनी में हैं। वो लगभग 44 साल के हैं। वो काम पर 9 बजे निकल जाते हैं और रात को वापिस आने का कोई समय निश्चित नहीं होता है। किसी भी हाल में रात 8 बजे के बाद और दस बजे तक ही घर वापिस आते हैं।
इसलिए अनु को एक्जाम दिलाने का काम मुझे दिया गया। ऐसे भी होली या किसी त्यौहार में मैं सोनी मौसी के यहाँ ही एक दो दिनों के लिए चला जाता था। लेकिन इस बार अनु के एक्जाम और होली के कारण मैं दस दिन पहले ही मौसी के यहाँ चला गया।
मैं अनु को एक्जाम दिलाने ले जाता.. और उसे छोड़कर घर आ जाता और फिर शाम 4 बजे उसे घर वापस ले आता। सब कुछ ऐसा ही चल रहा था..
वैसे तो मैं बहुत ब्लू-फिल्म देखता था लेकिन इन सबके बारे में ना सोचता था.. और ना ही मेरे मन में कभी मौसी या अनु के बारे में ग़लत ख्याल आते थे.. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
इसी बीच होली आ गई और सबने दिन और रात में खूब होली खेली.. जिसके कारण हम सब थके थे और रात दस बजे सब सोने चले गए। मौसी के यहाँ 2 कमरे हैं.. जिसमें एक में अनु अकेली सोती थी.. क्योंकि वो एक्जाम के कारण रात में देर तक पढ़ती थी और दूसरे कमरे में नीचे मौसा और मौसी और बिस्तर पर मैं अकेला सोता था।
होली के दिन हल्की गर्मी और ठंड दोनों थी..। सब सोने चले गए.. मैं बिस्तर पर लेट गया.. मौसा नीचे सो गए.. अनु भी सो चुकी थी.. क्योंकि अगले दिन उसका आखिरी एक्जाम था।
मौसी इस वक्त भी रसोई में कुछ काम कर रही थीं.. तभी मौसा उठ कर बाथरूम गए और आकर बिस्तर पर लेट गए और मुझसे बोले- आशीष आज तुम नीचे सो जाओ.. क्योंकि मेरा शरीर बहुत दर्द कर रहा है.. इसलिए नीचे सोने का मन नहीं कर रहा है..
तो मैं बिस्तर से नीचे चला गया। उस वक्त कमरे की सारी लाइट ऑफ थीं.. बिस्तर पर जाते ही मौसा थकान के कारण और होली में एक-दो पैग का असर होने के कारण तुरंत ही गहरी नींद में सो गए और मैं नीचे सो गया।
मुझे लगा कि मौसी ऊपर मौसा के साथ सोएंगी.. लेकिन मौसी काम खत्म करके सारी लाइट ऑफ करके बाथरूम गईं और सूट खोल कर नहा कर नाईटी पहन कर कमरे में आईं और रोज़ की तरह नीचे ही सो गईं।
मुझे थोड़ी नींद आ चुकी थी.. उन्हें नहीं पता था कि मौसा ऊपर सोए हैं और मैं भी चादर ओढ़ कर सोया हुआ था। तभी सोनी मौसी ने अपना एक पैर मेरे ऊपर रख दिया.. तब मेरी नींद टूट गई.. लेकिन मैं कुछ बोल ना सका और लेटा रहा।
फिर वो मेरे से सट कर सोने लगीं.. उनकी चूचियाँ मेरी पीठ में टच हो रही थीं.. और मुझे लग रहा था कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है। मुझे उनके चिपकने से बहुत नरम और मुलायम सा महसूस हो रहा था और चूचियाँ भी ज्यादा ही हिल रही थीं।
वो सोने लगीं.. उनका पैर मेरे ऊपर था.. तो मुझे लगा कि उनके पैर पर नाईटी नहीं है.. तब मुझे ब्लू-फिल्म के सीन याद आने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा। तभी उन्होंने दूसरी ओर करवट ली और सोने लगीं.. लेकिन इतनी देर में उन्होंने मेरा नींद को उड़ा दिया था.. वो भी पूरी थकी हुई थीं और उन्हें भी नींद आने लगी..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! कुछ देर बाद मैं उनकी ओर घूम गया और मेरा लंड उनकी गाण्ड में टच करने लगा। वो तो समझ रही थीं कि उनके साथ मौसा जी हैं।
यह सोचकर वो मेरी ओर को और अधिक खिसक आईं और तब मेरा लंड उनकी गाण्ड में और भी अच्छे से एड्जस्ट हो गया। अब मैं धीरे-धीरे हिलने लगा.. और करीब 5 मिनट के बाद वो धीरे से बोलीं- कल कर लेना जी.. आज बहुत नींद आ रही है..
मेरी इस कामरस से भरपूर कहानी को लेकर आपके मन में जो भी विचार आ रहे हों.. प्लीज़ ईमेल करके जरूर बताइएगा।
कहानी जारी है। [email protected]
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