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मेरा नाम शरद है। मैं उदयपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैं दिखने में स्मार्ट और जिम जाता हूँ.. इसलिए जिस्म से भी बहुत आकर्षक हूँ। सेक्स करने की मेरी इच्छा कभी ख़त्म ही नहीं होती। आज तक कई लड़कियों को चोद चुका हूँ। अब तक मैंने जिस भी लड़की को चोदा है.. वो कभी मुझे भूल नहीं पाई है।
यह मेरी पहली कहानी है.. यह कहानी मेरी दूर के रिश्ते की मामी की और मेरी है। उस वक़्त मेरी उम्र 19 साल थी। मामी की शादी बहुत कम उम्र में उनसे करीब 8 साल बड़े.. मेरे मामा से हो गई थी। मेरी मामी दिखने में बहुत सुन्दर हैं, 32-28-32 साइज़ का उनका मदमस्त फिगर.. वास्तव में बिजली गिरा देता है, वे देखने में किसी सेक्सी मैगजीन की मॉडल से कम नहीं लगती हैं। उनके मम्मे का आकार देख कर तो 80 साल के बुड्ढे के लौड़े में भी खून दौड़ जाए। साड़ी के पीछे से झांकता उनका गोरा-गोरा पेट और सेक्सी कमर को देख कर लंड सलामी देने लगता है।
मेरा तो अपनी मामी की सूरत और फिगर पर दिल आ गया था और उनको चोदने की इच्छा होने लगी थी।
मैं हमेशा सोचता था कि कैसे अपने दिल की बात उनसे कहूँ। एक दिन हिम्मत कर के मैंने एक चिट्ठी लिखी और उसे मामी के सुखाए हुए कपड़ों के नीचे रख दी। मैंने उसमें अपने दिल के सारे अरमान दिल खोल कर रख दिए थे।
फिर मैं मामी का इंतज़ार करने लगा। लेकिन मेरे मन में एक डर भी था कि कहीं वो बुरा मान कर मेरी शिकायत न कर दें। कुछ देर बाद अपने कपड़े लेने छत पर आईं। उनको वो पत्र मिला और वो उसे वहीं खड़ी होकर पढ़ने लगीं।
पत्र पढ़ते वक़्त मामी को मुस्कुराते देख कर मेरा डर भी चला गया और मैं मामी के सामने आकर उनसे पत्र का जवाब मांगने लगा। मामी कुछ ना बोलीं और अपने गुलाबी होंठों से मेरे गालों को चूम कर भाग गईं।
रात में मामी ने मामा के फोन से मुझे कॉल किया और कहा- आज मामा किसी काम से बाहर जा रहे हैं। रात को सबके सो जाने के बाद मिलने के लिए कमरे में आ जाना।
मैं उसी समय भागा और एक कंडोम का पैकेट ले आया और रात की प्लानिंग करने लगा।
रात के करीब 11 बजे मैं सीधा मामी के कमरे में पहुँच गया। मामी एक काले पारदर्शक गाउन में बैठीं.. मेरा बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। उन्होंने गाउन के अलावा जिस्म पर कुछ नहीं पहना था.. जिससे उनके मम्मे आजादी से हिल पा रहे थे।
मामी को इतनी सेक्सी अवस्था में देख के मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं मामी को देखता ही रह गया और मेरे 7 इंच के लंड की वजह मेरी जींस पर जो उभार बन आया था.. उसको देख कर मामी मन ही मन मुस्कुराने लगीं।
मैं बिना वक़्त ख़राब किए मामी के पास जा कर बैठ गया और उनके गाल पर वैसे ही चुम्बन किया.. जैसे वो मुझे कर के भागी थीं। मेरे चुम्बन करते ही मामी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर टूट पड़ीं। मुझे ऐसा लगा जैसे वो सालों से मुझसे चुदने का इंतज़ार कर रही थीं। मामी ने मेरे होंठों को कस कर चूमा और चूसा। ऐसा वो 5 मिनट तक करती रहीं.. और मैं भी उनकी इस अदा का मज़ा लेने लगा। उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुँह में ली और उसे चूसने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं तो मानो जन्नत में पहुँच गया। फिर मैंने अपने हाथ उनके मम्मों पर रखे। इतने सॉफ्ट और बड़े कि उन्हें पकड़ कर मसलने में मज़ा आ गया। मामी अब तक मुझे पागलों की तरह चुम्बन किए जा रही थीं। मैंने मामी को हटाया और जोश में उनके गाउन को फाड़ कर उनके मम्मों को दबा दबा कर चूसने लगा। बीच-बीच में मैं उनके निप्पलों को काट कर लाल कर रहा था।
मामी दर्द के मारे ‘आहें’ भर रही थीं। मेरे कान में गूंजती मामी की सेक्सी ‘आहों’ ने मुझे पागल बना दिया। मामी शायद मेरे आने से पहले ही मेरे बारे में सोच कर गर्म हो चुकी थीं। लगभग यही हाल मेरा भी था।
जिसके मैं सपने देखता रहा था.. वो आज मेरे सामने मुझे जन्नत का सुख दे रही थीं। मैं मामी के मम्मों को छोड़ कर उनके पेट तक आया और पूरे पेट पर हौले-हौले चुम्बन करके चाट भी रहा था। मेरी चुम्बन करने की स्टाइल से मामी तड़प रही थीं। वे चादर को हाथ से मसल कर छटपटा रही थीं।
अब मामी ने मुझे हटाया और मुझे लेटा कर मेरी ज़िप खोली और जींस को नीचे खिसका कर मेरे लौड़े को बाहर निकला, पहले तो उसकी साइज़ देख कर उन्होंने मेरी ओर देखा.. फिर लौड़े को सहलाते हुए चूसने लगीं। मामी बोलीं- मैं पहली बार किसी का लौड़ा चूस रही हूँ।
क्या बताऊँ दोस्तो, लौड़ा चुसवाने में कितना मज़ा आ रहा था।
कभी वो लौड़े को ऊपर-नीचे करतीं.. तो कभी पूरा मुँह में लेकर अपने मुँह को चुदवा रही थीं.. तो कभी टोपे पर जीभ फिरा कर मज़ा दे देतीं।
अब मैंने भी मामी को और तड़पाने का सोचा और उनकी चूत पर मालिश करना शुरू कर दिया। मामी मचल उठीं और मेरे लौड़े को छोड़ मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं.. ताकि मैं अच्छी तरह से उनकी चूत को रगड़ सकूँ। मैंने भी मामी की इच्छा पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अपनी जीभ से उनकी चूत को चोदने लगा।
मामी मज़े से भरी अपने मम्मे मसलने लगीं। वे इस वक्त इतनी कामुक लग रही थीं कि क्या बताऊँ..
फिर वो उठीं और बोलीं- अब रहा नहीं जा रहा.. जल्दी अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल दो.. और मेरी प्यास बुझा दो। मैंने मामी को अपनी गोद में बिठाया और मेरे लौड़े को एडजस्ट करके उनकी चूत में पेल दिया। मामी अचानक हुए इस वार के लिए तैयार नहीं थीं.. इसलिए उनकी सिस्कियां निकल गईं.. पर मैं रुका नहीं और अपने लौड़े से धीरे-धीरे मामी की चूत खोदने लगा।
अब मामी अपने पूरे जोश में आ चुकी थीं। वो अपनी गांड हिला-हिला कर चूत से मेरा पूरा लण्ड निगलने लगीं। मैंने मामी को गर्दन पर चुम्बन किया और कान पर काटा तो मामी ने अपने नाखून मेरी कमर में गाड़ दिए।
अब मैंने मामी को लेटाया और खुद बैठा रहा। मेरा लौड़ा अभी भी मामी की चूत में ही था। मैंने मामी के मम्मों को कस कर पकड़ा और लौड़े से वार करना शुरू कर दिया। मेरा लौड़ा मामी की चूत में बहुत अन्दर तक चला गया.. जिससे वो मीठे दर्द से कराह रही थीं। काफी देर तक मैं ऐसे ही मामी को चोदता रहा। इस बीच मामी का पानी छूट गया.. पर मुझमें अभी भी काफी जान बाकी थी। मैंने मामी को घुटनों के बल बिठाया और डॉगी स्टाइल में अपना लौड़ा पीछे से घुसा दिया और तेज़ी से वार करना शुरू कर दिया।
कुछ देर ऐसे झटके देने के बाद मेरे लौड़े ने भी वीर्य छोड़ दिया। मैं मामी की चूत में ही झड़ गया और हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर चुम्बन करने लगे।
कुछ देर ‘आफ्टर प्ले’ करने के बाद हम साथ में नहाए.. जहाँ मैंने मामी को खड़े-खड़े गोद में उठाए हुए चोदा।
ऐसे रस भरे कारनामे कई बार और कई दिनों तक चलते रहे। आज भी मुझे मामी के साथ बिताए वे पल खूब मजा देते हैं। आपको कहानी कैसी लगी.. मुझे ज़रूर लिखें। [email protected]
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