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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार मैंने कई एडल्ट साइट पर कहानियाँ पढ़ी और लिखी हैं पर जितना मज़ा अपनी हिन्दी भाषा में है उतना मज़ा और कहाँ… अन्तर्वासना की कहानियाँ मुझे बेहद पसंद है। अन्तर्वासना पर पहले भी लिखना चाहता था पर हिंदी टाइपिंग कठिन होने की वजह से लिख नहीं पाया ख़ैर अब एक बार फिर कोशिश कर रहा हूँ। मैं लखनऊ (उत्तर प्रदेश) का निवासी हूँ, यह एक सच्ची कहानी है पर पात्रों के नाम व स्थानों के नाम बदल दिए हैं और कहानी को रोचक बनाने के लिए कुछ काल्पनिक चीज़ों का समावेश किया गया है, आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी।
जब मैं छोटा था तो सेक्स के बारे में उतना कुछ पता नहीं था, जानने की इच्छा तो होती पर पापा मम्मी से डर लगता था और मेरी उम्र भी उतनी नहीं थी कि मैं सेक्स के बारे में किसी से बात करता, पर जब भी टीवी पर कुछ उत्तेजक दृश्य आते तो शरीर में अपने आप बिजली सी दौड़ जाती, लिंग कुछ कड़ा हो जाता और एक अदभुत आनन्द की प्राप्ति होती थी।
मैं अपने मम्मी पापा का इकलौता लड़का हूँ इसी वजह से मैं 14 साल तक अपने मम्मी पापा के साथ ही सोता था। मैं अपनी मम्मी पापा के बीच में सोता था पर मैं जब सुबह उठता तो मुझे यह देखकर बहुत गुस्सा आता कि मेरे मम्मी पापा अगल बगल सो रहे हैं और मैं किनारे की तरफ सो रहा होता था। मैं उठकर मम्मी से पूछता भी तो वे मुस्कुरा कर कहती- मैं तो सारी रात तेरे बगल में सो रही थी, तेरे पापा तो अभी सुबह ही आकर इधर लेटे हैं।
मैं क्या बोलता… चुप हो जाया करता था। पर एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसे मैं आज तक नहीं भुला पाया और उस एक घटना ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी। आज मैं 28 साल का हूँ पर मुझे वो घटना आज भी ऐसे याद है जैसे कल की बात हो।
टाइम तो मुझे नहीं पता पर करीब रात के 1:00 बजे होंगे, हमारे कमरे का नाईट बल्ब जल रहा था जिससे कमरे में काफी रोशनी थी जिससे सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। पापा ने मुझे उठाया और कोने में लिटा दिया जिससे मेरी नींद खुल गई पर मैं चुपचाप लेटा रहा क्योंकि मैं जानना चाहता था कि ‘मम्मी पापा इतनी रात में करते क्या हैं।’ मैं डर तो रहा था पर हिम्मत करके मैंने अपनी पलकें इस तरह से खोली कि मुझे पापा मम्मी साफ़ तो नहीं पर धुंधले धुंधले दिख रहे थे पर उन्हें मेरी आँखें खुली नहीं दिख रही थी और न ही यह पता था कि मैं जाग रहा हूँ।
पापा मुझे बगल में लिटाकर खुद मम्मी के बगल में आकर लेट गए और धीरे से मम्मी को हिलाया और बोले- ऐ जी, सो रही हो क्या? मम्मी कुछ नहीं बोली। पापा फिर बोले- ऐ जी उठो न! वो इतने धीरे बोल रहे थे कि अगर इतना सन्नाटा न होता तो मुझे कुछ भी सुनाई न पड़ता।
मम्मी की नींद हल्की सी टूटी, वो कह रही थी- सोने दो ना ! आज मैं बहुत थकी हुई हूँ, परेशान मत करो, अंकित भी आज देर में सोया है कहीं जाग गया तो गड़बड़ हो जाएगी। पापा बोले- वह अभी छोटा है, तुम तो ऐसे बोल रही हो कि उसके सोते हुए हम पहली बार कर रहे हों।
मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रहा था, मेरे हाथ पैर सुन्न हो गए थे।
पापा बोले- यार तुम रोज नखरे करती हो, अब जाग गई हो तो कर लेने दो, अब तो मुझे बिना करे नींद नहीं आएगी। मम्मी गुस्से से बोली- तुम्हें तो रोज़ बिना कुछ करे नींद नहीं आती! किसी की तकलीफ भी नहीं देखते हो, तुम्हें तो रोज अपनी डोज़ चाहिए। पापा बोले- रोज करने देती हो तुम? कभी कहती हो मेरा व्रत है, कभी पूजा है, कभी कुछ ! मम्मी बोली- अच्छा अब बस भी करो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मम्मी ने पापा से कहा- चादर तो ओढ़ लो! मम्मी के कहने पर पापा ने पास ही बिस्तर पर पड़ी मम्मी की मैक्सी का सफ़ेद दुपट्टा ओढ़ लिया और बोले- अब आज इससे ही काम चला लो अब चादर कौन ले कर आये! पर दुपट्टा इतना झीना सा था कि नाईट बल्ब की रोशनी में सब कुछ दिख रहा था। पापा ने बनियान जाँघिया पहनी थी जबकि मम्मी पेटीकोट और ब्लाउज में थी। मैं भी पहली बार अपने मम्मी पापा को लाइव सेक्स करते देख रहा था।
मम्मी फिर बोली- अच्छा लाइट तो बुझा दो! इस बार पापा थोड़ा गुस्से से बोले- अरे यार, अब करने भी दो… बहुत नाटक करती हो तुम! और इतना कह कर पापा ने मम्मी की ओर करवट ली और उनके शरीर के ऊपर चढ़ने लगे। पापा के पैर मम्मी के चूतड़ों पर थे, पापा मम्मी के होंठों को ऐसे चूमने लगे जैसे मम्मी के कोमल होंठ मधुर फलों के रस से भरे हों।
पापा मम्मी के होंठों को जोर जोर से चूस रहे थे और बीच बीच में दाँतों से काट भी रहे थे जिससे मम्मी के होंठ लाल हो गए थे और पापा के मुँह की राल मम्मी के होंठों पर लगने के कारण वह ऐसे लग रहे थे जैसे गुलाब की पंखुड़ियों पर ओस की बूँद।
पापा ने मम्मी के शरीर को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया, मम्मी की तो चीख निकल पड़ी, मम्मी गुस्से से बोली- अरे छोड़ो भी अंकित के पापा, पूरा शरीर दब रहा है, जो करना है जल्दी करो, मुझे नींद आ रही है। उस पर पापा बोले- अरे यार! आज न तुम कुछ कर रही हो, न करने दे रही हो, थोड़ा मज़ा तो दो बेमन से मत करो। यही जल्दी जल्दी के चक्कर में मज़ा नहीं आता।
पापा के इतना कहने पर मम्मी जो इतनी देर से न नुकर कर रही थी, वे भी पापा का पूरा साथ देने लगी, उनके हाथ पापा की पीठ पर चलने लगे, मम्मी ने अपनी जीभ पापा की होंठों पर घुमाई और फिर जीभ उनके मुँह में जल्दी से डाल दी जैसे मम्मी की जीभ पापा के मुँह का मुआइना कर रही हो। मम्मी की यह हरकत पापा को स्तब्ध कर गई और वो मुस्कुरा दिए, जवाब में मम्मी भी मुस्कुराई, जैसे उनकी मुस्कराहट सम्भोग करने हेतु प्रथम स्वीकृति हो।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। [email protected]
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