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मैं प्रथम सोनी आप सबको नमस्कार करता हूँ। मैं अन्तर्वासना 2008 से पढ़ रहा हूँ, मेरे एक दोस्त ने मुझे अन्तर्वासना पढ़वाई थी, एक बार पढ़ने के बाद ऐसा नशा लगा कि अब अन्तर्वासना पढ़े बिना नींद ही नहीं आती। मैंने अन्तर्वासना पर प्रकाशित सभी कहानियाँ पढ़ी और पढ़ कर ना जाने कितनी बार मुट्ठ मारी।
मैं पाठकगण को अपना संक्षिप्त परिचय देना चाहूँगा, मैं जमशेदपुर में रहता हूँ, मेरा कद 5 फीट 11 इंच है, नियमित जिम जाने के कारण बदन गठीला है, मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और काफी मोटा है।
आज मैं आपको अपने जीवन की सच्ची घटना बता रहा हूँ। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक तो नहीं पर लिखने का प्रयास किया है, आशा है मेरी लेखनी आपके हाथों को लंड तथा चूत पर पहुँचा देगी और मुट्ठ मारने पर विवश कर देगी। मेरी सत्य कथा कुछ इस प्रकार है!
इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने ग्रेजुएशन का एंट्रेंस एग्जाम पास किया और मेरा एडमिशन ग्रेजुएशन कॉलेज में हो गया। पहचान की गोपनीयता के खातिर कालेज का नाम नहीं लिख रहा हूँ।
मैंने वहाँ रहने के लिए एक मकान किराये पे लिया। उस घर में मकान मालिक उनकी पत्नी और उनके दो छोटे बच्चे रहते थे, मालिक मकान को मैं भैया भाभी कहकर बुलाता था। भैया बाहर नौकरी करते थे और वहीं रहते थे तथा भाभी बच्चों के साथ घर पर रहती थी क्योंकि भैया कि सैलरी इतनी नहीं थी कि वो भाभी को साथ रखते।
कॉलेज का शुरुआती दिन होने के कारण मेरी किसी से जान पहचान नहीं थी इसलिए मुझे कमरा अकेले लेना पड़ा था। शुरु में मैं उनसे कम बातें करता था लेकिन अकेले होने के कारण हम धीरे धीरे काफी घुलमिल गए थे पर मैंने कभी उन्हें उस नजर से नहीं देखा था।
भाभी का नाम प्रेमा था, भाभी की उम्र लगभग 26 साल थी और देखने में क्या मस्त माल थी, उनका फिगर लगभग 36-24-36 का था उनको को देखते ही किसी का लंड भी खड़ा हो सकता था। वो घर पर दिन हमेशा सलवार सूट तथा रात में सोने के समय नाइटी पहनती थी। वह मुझे कभी कभी उदास सी लगती थी शायद भैया के न रहने की वजह से।
उन दिनों मैं थोड़ा पतला था जिससे वो मुझसे हमेशा मजाक में कहती- प्रथम कुछ खाया भी करो वर्ना ऐसे ही रह जाओगे। तुम्हें कोई लड़की भी नहीं मिलेगी! और मैं हमेशा मुस्करा देता।
एक दिन हम बैठे बाते कर रहे थे और ऐसे ही वो मेरी शादी के बारे में पूछने लगी, मैंने कहा- भाभी अभी कौन शादी कर रहा है मैं तो कम से कम 6 साल शादी नहीं करूँगा! तो अचानक वो बोली- वैसे तुमसे तो कुछ होगा भी नहीं! मुझे बहुत ही बुरा लगा लेकिन मैंने तुरन्त ही जवाब दिया- भाभी खुद आजमा कर देख लो, पता चल जायेगा। वो मुस्करा कर हंस दी पर कोई जवाब नहीं दिया। मैं समझ गया कि कोशिश की जाए तो कुछ भी हो सकता है।
उसके अगले दिन मैं काम से घर चला गया और दो दिन बाद वापस आया तो उन्होंने मुझे कहा- प्रथम, काफी देर हो गई है, खाना मत बनाना, हमारे साथ ही खा लेना! मैं हाथ मुँह धोकर उनके कमरे में आ गया।
भाभी ने क्या सेक्सी नाइटी पहन रखी थी, उनके स्तन बाहर से पूरे उभरे हुए लग रहे थे और उनके चूतड़ तो देख के मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने किसी तरह खुद को काबू में किया पर शायद उन्होंने ये सब देख लिया था, वो सिर्फ मुस्करा रही थी जिससे मैं समझ गया कि आज तो मौका मिलना ही है।
खाना खाने के बाद मैं जानबूझ कर उनके बेड पर लेट गया और मुझे हल्की सी नींद आ रही थी भाभी भी मेरी बगल लेट गई।
मैंने अपने हाथ उनके स्तनों पर रख दिए जिसे उन्होंने हटा दिया थोड़ी देर बाद मैंने फिर उनके स्तनों पर हाथ रख दिया, उन्होंने कोई विरोध नहीं किया, मैं उनकी चूचियों को जोर से दबाने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैं उनकी चूचियाँ दबाने के साथ उनके होठों को किस करने लगा।
थोड़ी देर में मैंने उनकी नाइटी के फीते खोल दिए, अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी, क्या अप्सरा सी लग रही थी। फिर मैंने उनकी ब्रा उतार दी और उनकी चूचियों को चूसने लगा।
उनके गुलाबी निप्पलों ने मेरे लंड को बिल्कुल टाइट कर दिया। फिर मैंने उनकी पैन्टी भी उतार दी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
आह… क्या मस्त चूत थी… बिल्कुल शेव की हुई चिकनी चूत… ऐसे लग रहा था जैसे आज ही शेव की हो… उनकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियाँ आपस में चिपकी हुई थी और उसमें से भाभी का रस निकल रहा था, उसकी मादक सुगंध मुझे मदहोश कर रही थी।
मैंने उनकी चूत पर जैसे ही हाथ रखा उनके मुख सी… सी… की आवाज निकली और उनकी चूत से पानी बहने लगा। अचानक वो बोली- मेरे कपड़े तो उतार दिए… मुझे नंगी करके मेरे जिस्म का सब कुछ देख लिया, अपने कपड़े कब निकलोगे? मैंने कहा- मैंने कौन सा मना किया है? उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे नंगा कर दिया और मेरा लंड देख कर बोली- तुम तो छुपे रुस्तम निकले!
अब वो मेरे लंड को लेकर चूसने लगी, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, जोश में मेरे मुँह से गालियाँ निकलने लगी- चूस रंडी चूस, कब से यह लंड तेरा इंतजार कर रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, अब मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा, चाटने लगा और भाभी ‘आह आह’ की आवाजें करने लगी, उनकी सिसकारियों से पूरा कमरा में गूंज गया।
फिर वो बोली- अब और मत तड़पाओ, चोद डालो मुझे, फाड़ डालो मेरी चूत को… प्यास बुझा दो इसकी… बहुत दिनों से तड़प रही है! मैंने कहा- बस यह लो मेरी रानी, फाड़ता हूँ तेरी चूत को… ऐसे चोदूँगा तेरी चूत कि जिंदगी भर याद रखोगी!
और मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और जोर का धक्का दिया, उनके मुँह से तेज से एक चीख निकली- आह! मार डाला कुत्ते!
भाभी कई दिनों से चुदी नहीं थी इसलिए उनकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था, पूरे कमरे में फच फच की आवाज आ रही थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- मेरा निकलने वाला है। मैंने कहा- मेरा भी निकलने वाला है! वो बोली- अंदर ही डाल दो। मैं बोला- कुछ हो गया तो? वो बोली- कुछ नहीं होगा मैंने गोली खा रखी है। मैंने कहा- वाह भाभी, आप तो पहले से तैयार थी?
उन्होंने एक हल्की से स्माइल दी, फिर मैं उनकी चूत में झड़ गया, उस अद्भुत क्षण को शब्दों में परिणीत करना असंभव है। उस रात एक बार फिर हमने चुदाई का खेल खेला। उसके बाद मैंने उनकी बहन का कौमार्य कैसे भंग किया यह कथा भी लिखूँगा, यदि आप सबका सहयोग मिला तो!
सत्यकथा अच्छी लगी या नहीं, मेल अवश्य करें! धन्यवाद। [email protected]
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