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‘एक और बात मैं कहना चाहती हूँ। मैंने तुम्हें दर्द में चिल्लाते हुए देखा है, ख़ुशी में मुस्कुराते हुए और अपने जज्बातों को जाहिर करते हुए भी देखा है। जब-जब इस फिल्म में तुम दर्द से चिल्लाए हो.. मेरी भी आँखें भर आई हैं। जब भी तुम यहाँ ख़ुशी में मुस्कुराए हो.. मेरे होंठ भी मुस्काये हैं.. और जब-जब तुमने यहाँ फिल्म के किरदारों को अपने जज़्बात दिखाए हैं.. तब-तब ऐसा लगा है कि उन किरदारों की जगह तुम मुझसे ही कुछ कह रहे हो। तुम मेरे लिए एक सुपरस्टार हो और हमेशा रहोगे। मैं आज तक किसी की फैन नहीं थी.. पर तुमने मुझे अपना मुरीद बना लिया है। जाओ और दिखा दो इस दुनिया को.. कि तुमसे बड़ा एक्टर न पैदा हुआ है.. ना ही कभी पैदा होगा।
मैं अब वैन से बाहर आ चुका था। सामने पत्रकारों और फिल्म क्रिटिक्स की पूरी फ़ौज खड़ी थी।
तभी सुभाष जी आए- आज ये सब नहीं मानेंगे नक्श.. इन्हें इंटरव्यू दे दो.. तब ही शूटिंग शुरू हो पाएगी। मैं- ठीक है।
कुर्सियाँ लग गईं और मैं बैठ गया। तकरीबन सौ के आस-पास पत्रकार थे और लगभग तमाम चैनलों पर ये इंटरव्यू लाइव दिखाया जा रहा था।
मैं- आप सब अपने सवाल पूछ सकते हैं.. पर इतना ध्यान रखें कि आपके सवाल एक से नहीं हों और आप बारी-बारी से अपने सवाल पूछें। वर्ना आपको तो मालूम ही है कि मुझे इस माइक का इस्तेमाल हथियारों की तरह करना अच्छे से आता है।
वहाँ सब हंसने लग गए।
सवाल- क्या कल जो आपने किया वो बस अच्छी पब्लिसिटी का हथकंडा था? मैं- अभी इस इंडस्ट्री में नया-नया हूँ.. पब्लिसिटी के टोटके मुझे नहीं आते।
मैंने अपने प्रोड्यूसर की ओर देखते हुए कहा- सर जी.. पब्लिसिटी के पैसे बच गए.. मेरी पेमेंट बढ़ा दो।
सवाल- तृषा किसी और को पसंद करती हैं.. तो इसमें दिक्कत क्या है आपको? मैं- कलाकार हूँ मैं जनाब.. हमेशा ही डायरेक्टर की दिखाई झूठी दुनिया को सच मान कर जिया है मैंने.. सच्ची दुनिया की आदत नहीं है न मुझे.. बस इसीलिए थोड़ी दिक्कत हो गई।
सवाल- आपने इंडस्ट्री के सुपरस्टार से पंगा ले लिया। आपको अपने कैरियर की फ़िक्र नहीं है क्या?
मैंने हंसते हुए कहा- मेरे शहर में हर रोज़ एक मदारी आया करता था। उसके बन्दर की कलाकारी ने सबको अपना दीवाना बनाया हुआ था। एक दिन वो एक नए बन्दर को लेकर आता है। तो मैंने जाकर मदारी से पूछा कि चाचा पुराने वाले को क्यूँ छोड़ दिए..? तो उसने कहा कि वो अब बूढ़ा हो चुका है और कलाबाजियाँ लेने कहो तो अपने दांत दिखाता है। अब उसके लिए लोगों का मनोरंजन तो बंद नहीं कर सकता न.. इसीलिए इसे लाया हूँ। आप सब मौका दोगे तो ये उससे ज्यादा मनोरंजन करके दिखाएगा। नहीं तो रहो बिना तमाशा देखे।
सब चुप थे।
‘और कोई सवाल..?’
मैंने सबसे पूछा।
सवाल (महिला पत्रकार)- आपकी नज़रों में एक एक्टर की परिभाषा क्या है.?
मैं- पागल, बीमार और दर्द से तड़पता हुआ इंसान। वही पत्रकार- मैं समझी नहीं। मैं- जब आप दुखी हों और कोई आपको ख़ुशी से चिल्लाने को कहे.. तो आप क्या करोगी?
पत्रकार- थप्पड़ मार दूँगी उसे। मैंने हंसते हुए कहा- फिर तो आपको आज खूब मसाला मिलने वाला है यहाँ.. यहाँ आज की शूटिंग में मुझे यही करना है।
‘तो हो गया इंटरव्यू… अब मैं जाऊँ?’ मैं उठ कर जाने को हुआ।
पत्रकार- तृषा जी के लिए कोई सन्देश?
मैं- एक गाना डेडीकेट करना चाहूँगा। एक पुराना गाना जिसे हनी सिंह ने रीमिक्स किया है।
‘मैंने ओ सनम तुझे प्यार किया, तूने ओ सनम मुझे धोखा दिया.. तूने किया ये क्यूँ? मेरे महबूब क़यामत होगी.. आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी।’
मैं हंसते हुए वहाँ से उठ कर शूटिंग वाली जगह पर आ गया।
आज का सीन था : तृषा और पूजा को गुंडे उठा कर ले गए थे और मैं गुंडों को भगा चुका हूँ। फाइट सीन पिछली शूटिंग में ही ख़त्म हो चुका था। अब तक मैं इस फिल्म में आवारा वाले किरदार में ही हूँ.. सो मैं तृषा से अपने प्यार का इज़हार करता हूँ। उसे पाने की ख़ुशी से मेरी आँखें भर जाती हैं और मैं उसे चूमता हूँ.. तो उसकी आँखों में अपनी तस्वीर देख कर मेरे अन्दर का दूसरा किरदार बाहर आ जाता है और मैं पूजा (ज़न्नत) को अपनी बांहों में भर लेता हूँ।
मैं इस शॉट के लिए अब तैयार हो चुका था.. तभी हमारे डायरेक्टर ने मुझे किनारे में बुलाया।
डायरेक्टर- इस आखिरी सीन के लिए मैं सोच रहा था कि हम तृषा के डुप्लीकेट से सीन पूरा कर लेते हैं।
मैं- इस फिल्म के बहाने अब तक तो मैं अपनी जिंदगी जी रहा था.. आज मौका मिला है एक्टिंग का.. और मैं इस मौके का भरपूर इस्तेमाल करना चाहता हूँ। ले आईए उसे मेरे सामने.. आज कोई गलती नहीं होगी।
डायरेक्टर ने निशा को इशारा किया और वो वैन से तृषा को बुला लाई। जिन नज़रों में प्यार का समन्दर दिखा करता था.. आज मेरे लिए वही नज़रें नफरत से भरी हुई थीं। मैं तो अब भी दुविधा में था, मैं ये तय नहीं कर पा रहा था कि वो कल एक्टिंग कर रही थी या आज..
सैट पर सब चीज़ें अपनी जगह पर पहुँच गई थीं। तृषा और पूजा को दो खम्बे से बाँध दिया गया था और दोनों के मुँह टेप से बंद किए हुए थे। मैंने एक आखिर फाइट सीन ख़त्म किया और दोनों जहाँ बंधी हुई थीं.. वहाँ पर पहुँच गया।
लाइट.. कैमरा.. एक्शन..!
अभी अभी जो मैंने फाइट सीन किया था.. इस वजह से मैं अब तक गुस्से में लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था। अपने कदम बढ़ाता हुआ मैं उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था।
कैमरे ने मेरे चेहरे को फोकस किया और मैं बस तृषा की ओर ही देखे जा रहा था, मेरी नज़रें उसकी नज़रों से जा मिली।
मेरे अन्दर जितनी भी नफरत थी.. उसके लिए वो आंसू बन मेरी आँखों में उभर आईं।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँचता हूँ और उसके बंधे हुए हाथ-पाँव को बंधन से आज़ाद करता हूँ। जहाँ-जहाँ रस्सियों के कसाव की वजह से निशान उभर आए थे.. उन जगहों को चूमता हुआ और अपनी आंसुओं से भिगोता हुआ.. उसे आज़ाद करके अपनी बांहों में भर लेता हूँ।
मैं- काश.. कि तुम्हारे ज़ख्मों का दर्द मुझे मिल जाता.. काश कि.. तुम्हारी हर तकलीफ मैं खुद पर ले पाता। तृषा- मुझे तुम मिल गए.. तो ये सारा जहाँ मिल गया।
उसकी ये लाइनें मेरे ज़ज्बातों को उधेड़ कर रख देती हैं.. पर फिर भी मैं खुद पर काबू करता हूँ। मैं- आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ।
तृषा- मैंने तो अपनी जान भी तुम्हारे नाम कर दी है.. अब और बचा ही क्या है।
मैं अपने घुटनों पर बैठता हुआ बोला- तुम्हारी जिंदगी का हर लम्हा मैं अपना बना कर बिताना चाहता हूँ। तुम में खो कर खुद को पाना चाहता हूँ। बस मैं वो वक़्त चाहता हूँ.. जिसमें बस तुम मेरी बांहों में हो..
तृषा- तुम्हें इजाज़त है… मेरा हर लम्हा चुराने की।
तृषा की आँखों में आंसू थे, मैंने उन आंसुओं को पोंछ कर उसके होंठ चूम लिए।
मैं खो चुका था उसमें… फिर मैंने उसकी आँखें देखीं और हर वो कड़वी यादें.. जो उसके साथ जुड़ी थी’.. ताज़ा हो गईं।
गुस्से से मेरी साँसें फिर तेज़ हो गईं.. मैंने उसे धक्का दिया और चिल्लाने लगा..
मैं- कौन हो तुम? और तुमने इस तरह मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है?
तृषा अब अचम्भे में थी, मैंने अब पूजा को आज़ाद किया, पूजा आज़ाद होते ही मुझे एक जोर का थप्पड़ जड़ देती है।
मैं- मैं नहीं जानता उसे… मैंने तो बस अपने हर ख्वाब में तुम्हें ही सजाया है। मेरे हर सपने में बस तुम ही तुम बसी हो। मैं नहीं जानता कि वो कौन है और मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रही थी।
पूजा- कौन हो तुम?
मैं- तुम आज मुझे नहीं पहचानती हो। जिंदगी की इतनी मुश्किलों के बाद मैंने तो जिंदगी की आस ही छोड़ दी थी। अपने जीने के एहसास को ही खो दिया था मैंने.. अगर आज मैं जी रहा हूँ तो मेरे जीने की वजह तुम ही तो हो और तुम्हीं मुझे ठुकरा रही हो। मैं वही हूँ.. जिसे तुमने और जिसने तुम्हें हमेशा के किए अपना मान लिया था।
मैं ये सब कह ही रहा था कि पीछे से विलन के एक आदमी ने मेरे सर पर रॉड से वार किया और मैं गिर पड़ा।
कट इट.. ज़बरदस्त शॉट.. !! चारों तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। शायद अब मैं एक्टिंग सीख गया था..!
मैं वहाँ से अपनी वैन में आया और आज मैंने आगे के और दो सीन पूरे कर लिए। मेरे हर शॉट के साथ तालियों की गूंज बढ़ती ही चली गई। वहाँ मौजूद हर इंसान को मैंने अपना दीवाना बना लिया था।
मैं अब वापस घर की ओर निकल पड़ा। मैं जब गाड़ी की तरफ बढ़ रहा था.. तब फिर से रिपोर्टरों के हुजूम ने मुझे घेर लिया.. पर मैं अब और कोई सवाल नहीं चाहता था.. सो मैं उनसे खुद को दूर करता हुआ अपनी कार में बैठ गया।
मैं घर पर पहुँचा तो सब लोग टीवी के सामने ही बैठे थे।
कहानी पर आप सभी के विचार आमंत्रित हैं। कहानी जारी है। [email protected]
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