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आप सभी देवियों सज्जनों का धन्यवाद कि मेरी कहानी का पहला भाग इतना पसंद किया आप सबने, आपने पढ़ा कैसे मेरे चचेरे भाई सोनू ने पहली बार मेरी गांड की सील तोड़ी, दर्द भी बहुत दिया और जब मुझे लंड का मज़ा महसूस होना शुरू हुआ तो कैसे तीन धक्कों में झड़कर मुझे प्यासी छोड़कर सो गया।
अब आगे पढ़िए क्या हुआ…!
सोनू जा चुका था मुझसे कोई भी बात किये बिना, मैं कई दिनों तक उस रात की चुदाई याद कर करके रातों को अपना बिस्तर और अंडरवियर खराब करता रहा और कुछ दिनों बाद सब बातें दिल दिमाग से निकल गई और मैं नार्मल हो गया, एग्जाम दिए, 12वीं क्लास भी पास कर ली, कोई बात न तो मेरे दिल में आई, न ही मैंने किसी के साथ सेक्स किया.. मैं बिल्कुल नार्मल रहा इतने समय तक… और हाँ, एक दो लड़कियों से प्यार भी किया सच्चा वाला पर वो सफल नहीं रहा।
मैंने BA दिल्ली विश्वविद्यालय से भर दिया जिसे एस ओ एल भी कहते हैं.. और एक बी पी ओ में जॉब ज्वाइन कर ली। नॉएडा में… कम्पनी का नाम नहीं बताऊँगा माफ़ करना!
मैंने अपनी सेलेरी से नोकिया का फोन लिया, बस यहीं से फिर मेरी लाइफ बदल गई… कैसे? बताता हूँ जी!
फोन में मैंने इन्टरनेट चलाना शुरू कर दिया और इन्टरनेट पर मैंने रातों को जाग जाग कर चैट करना शुरू कर दिया। एक चैटिंग साइट फ्रेन्जो पर मैंने लड़की के नाम से अकाउंट बनाया और खूब चैटिंग करता था लड़की बनकर, मर्दों से लड़की बनकर बात करने में अलग सा ही मज़ा आने लगा था मुझे…
चैटिंग में ही एक वैशाली गाजियाबाद का लड़का मिला.. उसने मुझसे मिलने की रिक्वेस्ट की और कहा कि उसके पास सेफ रूम है वैशाली में ही… हाँ मैं आपको बता दूँ कि मैं जिससे भी चैटिंग करती थी बहुत ही सेक्सी गन्दी वाली करती थी कि मर्दों के लंड चैटिंग में ही झड़ जाते थे। तो जब उसने मुझे मिलने के लिए कहा तो मेरे अन्दर की जो आग सोनू ने इतने सालों पहले लगा कर छोड़ दी थी, वो जाग सी गई, मैंने उसे कहा- ठीक है, मैं मिल लूंगी और सेक्स भी करुँगी पर यह जान लो कि मैं लड़की नहीं बल्कि लड़का हूँ।
तो उसकी तरफ से रिप्लाई आया- कोई बात नहीं, आ जाओ वैशाली..
मैंने कहा- मैं वैशाली नहीं, आनन्द विहार आ सकता हूँ। तो उसने कहा- ठीक है, आनन्द विहार पेसिफिक मॉल के पास आ जाओ। मैंने कहा- ओ के… 2 बजे वहाँ मिलूँगा।
उसने भी डन कर दिया… यह मई की बात है, ठीक ठाक गर्मी थी.. मैं पौने दो बजे वहाँ पहुँच गई और बताई जगह पर खड़ी हो गई, उसे फोन किया तो उसने मेरे कपड़े पूछे.. मैंने बता दिया कि ब्लू जीन्स और ब्लैक टी शर्ट पहनी है।
उसने फोन काट दिया और पांच मिनट में एक छोटे कद का ठीक ठाक उम्र का लड़का मेरे पास आया और पूछा- तुम नीलू हो? नीलू मेरी चैटिंग आईडी वाला नाम था।
मैंने यस कहा, हाथ मिलाया.. उसने कहा- ठीक है, चलो मेरे रूम पर.. पर डरना मत, कई लड़के आते हैं, पर भाग जाते हैं। मैंने कहा- जी मैं नहीं डरूँगा, चलिए…
उसने कहा- तुम लड़कियों के जैसे ही बात करो जैसे चैटिंग में करती हो। मैंने कहा- ठीक है! उसका रियल नाम पूछा मैंने तो उसने रवि बताया, कहा- ऍम.बी.ए कर रहा हूँ।
हम ऑटो में बैठ गए, दस मिनट में पहुँच गए, वहाँ एक ठीक ठाक सा मकान था जिसमें ऊपर जाने की सीढ़ियाँ अलग से बनी थी, ऊपर उसके रूम में गए, छोटा सा रूम था, एक फोल्डिंग था रूम में बस!
वहाँ फोल्डिंग पर वो लेट गया, मैंने दरवाजा बंद किया उसने मुझे इशारा किया… कहा- आ जाओ, जान लंड चूस लो, मेरा कब से पैंट में अकड़ रहा है।
मैं उसके पैरों की तरफ बैठ गई, उसकी बेल्ट खोलने लगी तो मेरे हाथ काँप रहे थे। कांपते हाथों से उसकी बेल्ट खोली और पता है आप लोगों को कि इतने सालों बाद लंड देखने वाली थी, मन में अजीब सी मीठी मीठी हलचल मच रही थी।
खैर मैंने पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ फेरना शुरू किया। लंड को रगड़ा भी फिर रवि भी बेचैन होने लगा। रवि- आ जा, मत तड़पा यार, खोल के चूस ले प्लीज!
मैंने पैंट का बटन खोल कर चैन नीचे खींची और यह क्या… मैं देख कर हैरान रह गई.. इतना छोटा सा लंड.. चार इंच का शायद होगा.. हाँ थोड़ा मोटा था, गोरा था पर छोटा बहुत था।
मैंने फिर भी सोचा कि चलो यह भी ठीक है… मैंने हाथों से लंड सहलाना शुरू किया, पहले जिंदगी में कभी खुलकर ऐसे लंड नहीं पकड़ा था.. न ही चूसा था पर अब मेरी आँखों में वासना आने लगी थी, मैं अपनी नाक लंड के सुपारे पर ले गई और गहरी सांस लेकर लंड की खुशबू ली और सच में लंड की वो मादक खुशबू मेरे दिल दिमाग में उतर गई।
मैंने लंड के सुपारे पर किस किया और धीरे से पूरा सुपारा अपने मुँह में भर लिया… क्या बताऊँ दोस्तो, क्या एहसास था वो… रवि ने अपनी आँखें बंद कर ली और सिसकारियाँ भरने लगा- …आअह्ह्ह्हा… अह्ह जान्न पुराआआ मुँह्ह में लीईई ले प्लीज…
मैंने पूरा लंड गले के अन्दर तक निगल लिया और रवि की सिसकारियाँ सुन कर इतना अच्छा एहसास आ रहा था.. लग रहा था जैसे उसकी जिंदगी की सबसे अहम ख़ुशी मेरे मुँह से मैं दे रही हूँ उसे.. और मैं उसकी हर एक सांस हर एक सिसकारी कण्ट्रोल कर सकती हूँ। यह एहसास मुझे बहुत मज़ा दे रहा था। मैंने लंड को जी-जान से चुसना शुरू कर दिया, पूरा अन्दर बाहर जड़ तक निगल निगल कर मैं लंड चूस रही थी, उसके दोनों हाथ मेरे सर में बालों में घूम रहे थे, साथ ही वो बड़बड़ा रहा था- जान ले पूरा अन्दर गले तक… आह्ह चूस रानी चूस…
मैं भी आँख बंद किये चूसे जा रही थी, वो मेरी तारीफें कर रहा था कि बहुतों से चुसवाया, हय्ये हाई आह… पर तू अलग ही चूस रही है रानी.. तेरे में तो चुसाई का हुनर है मेरी रंडी!
मुझे अपनी तारीफ सुनकर लग रहा था कि मैं ही प्रिंसेस हूँ उसकी, मैंने आँखें बंद करके खूब जोर जोर से लंड चूसना ज़ारी रखा।
करीब पांच से सात मिनट में चूसते चूसते मेरे मुँह में जीभ में नमकीन नमकीन सा स्वाद घुल सा गया जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं चूसती रही और रवि भी कुछ ज्यादा ही तेज़ी से मेरे बाल खींच रहा था- बस रण्डी बस… हो गया… निकाल दे अब… खाएगी क्या मेरा लंड.. पर मेरा मुँह से निकालने का मन नहीं कर रहा था, मैं चूसती रही तभी उसने झटके से निकाल लिया और मुझे गुस्से में बोला- साली सचमुच की रण्डी है क्या? खा ही गई मेरा लंड.. पूरा माल भी पी गई अब क्या मूत भी पीयेगी?
मैंने उसकी तरफ गुस्से से देखा और कहा- यार अभी से झड़ गया तुम्हारा? मैं तो दोबारा खड़ा कर रही थी चूस चूस कर.. रवि बोला- क्यूँ खड़ा कर रही थी भेन की लोड़ी.. आदमी हूँ मशीन थोड़ी ना हूँ। मैं बोली- अभी पीछे से भी तो करवाना है मुझे तुमसे… इसलिए खड़ा कर रही थी।
वो गुस्से में आँखे चुराता हुआ बोला- नहीं बस हो गया… वैसे भी मैं लंच में आया हूँ, मुझे फिर से ऑफिस जाना है पेसिफिक मॉल में ही जॉब है मेरी।
मेरा मूड ख़राब हो गया.. मैं बोली- यार, तुम ठीक हो? अपना तो करवा लिया और मेरा क्या.. मेरा भी तो बहुत मन है करवाने का.. मैंने उससे प्यार से विनती की- ..यार प्लीज एक बार कर दो, बहुत मन है।
वो जनाब बोले- नहीं यार, अभी नहीं कर सकता, लेट हो रहा हूँ, जाना है लंच में आया हूँ, समझा कर.. कल आ जइयो, कल करवा दूंगा और अपने एक दोस्त को भी बुला लूँगा… पक्का!
मैंने कहा- ठीक है, मैं जाता हूँ फ़िलहाल।
और मैं वहाँ से निकल गया पर मुझे उस हरामजादे पर गुस्सा बहुत आ रहा था, इतने सालों बाद लंड देखा पर उसने भी प्यासा ही छोड़ दिया मुझे!
मैंने घर आकर उसे मैसेज कर दिया कि अब आगे से कभी कॉल मत करना और उसका नंबर डिलीट कर दिया।
बाद में तीन से चार दिन तक मेरा मुँह दुखता रहा क्योंकि लंड पहली बार चूसा था और बहुत अच्छे से देर तक चूसा था… और हाँ दोस्तो, मेरे मुँह वीर्य भी लग चुका था।
अब मैंने एक और नया लंड लिया जो लगभग एक साल के अंतराल के बाद मुझे मिला और वो कैसे मिला, यह आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।
यकीन मानो दोस्तो, बिल्कुल सच कहानी है मेरे जीवन की… और यह तो शुरुआत है, आगे आगे बहुत हसीन चुदाई है जो आपको एक एक पार्ट में मिलती जाएगी। आपको मैं और मेरी कहानी कैसी लगी… प्लीज मेल करके बतायें! आपकी सोनिया रानी [email protected]
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