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मेरा नाम वैभव है.. पर मैं खुद को जीनत कहलाना पसन्द करता हूँ। मैं 18 साल का हूँ। अन्तर्वासना पर मैं पहली बार अपनी कहानी लिख रहा हूँ। यदि मुझसे कुछ गलती हो जाए.. तो अपना समझ कर माफ़ कर दीजिएगा।
मैं 12वीं की पढ़ाई के लिए मुंबई गया था। मेरी वहाँ कोई जान-पहचान नहीं थी। मैं अपने कमरे में अकेला ही रहता था। मुझे लड़कियों के कपड़े पहनना अच्छा लगता था.. इसलिए मैं रात को ब्रा.. चड्डी.. मैक्सी पहन कर सोता था। मेरे पास लड़कियों के नकली बाल भी थे और मैंने हारमोंस की गोलियों का सेवन करके अपने मम्मों को भी बड़ा कर लिया था।
रात को सड़क पर घूमते समय मैं लड़की बन कर ही घूमता था। सारे लड़के मुझे ही देखते रहते हैं। मैं एकदम सेक्सी लड़की की तरह चोदने लायक माल जैसा दिखता हूँ।
एक रात मुझे एक लड़के ने लड़की समझ कर प्रपोज किया। उसका नाम तुषार था। मैंने उसे कमरे पर बुलाया और उसने आते ही मुझे चूम लिया और मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
उस वक्त मैंने उसे अपने बारे में सब सच बोला, उसे मुझ पर बहुत गुस्सा आया और उसने मुझे जोर से चांटा मारा और चला गया।
दो दिन बाद वो फिर से वापस आया और मुझे लड़की बना कर अपने साथ अपने घर ले गया।
उसका घर बहुत बड़ा था और उसके दो दोस्त भी वहाँ थे। उसने मुझे उसके साथ बिठाया। उसने दोस्तों से कहा- यह मेरी गर्लफ्रेंड है। उसने दोस्तों के सामने ही मुझे चुम्बन लेना शुरू किया और मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.. मुझे मज़ा रहा था।
फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे चूसने के लिए कहा। मुझे लण्ड चूसना पसंद नहीं है.. इसलिए मैंने मना कर दिया। उसे फिर गुस्सा आ गया और मुझे जोर से चाँटा मारा, फिर मैंने डर के मारे उसका मोटा लण्ड चूसना शुरू कर दिया।
तब उसके दोस्तों ने भी अपने कपड़े उतारे। अब वो एक साथ बैठ गए.. और अब मैं उन तीनों के लण्ड एक साथ चूस रहा था। मुझे उन तीनों के लौड़े चूसना अच्छा लग रहा था।
अपने लौड़े चुसवाते समय बीच-बीच में वो मुझे मार भी रहे थे, मुझे भी गुस्सा के साथ मजा भी आ रहा था लेकिन मैं अकेला था और वो तीन थे। करीब 20 मिनट बाद वो तीनों झड़ गए।
उसके बाद एक ने मेरा टॉप और ब्रा उतार दिया, उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिया, एक ने मुझे चुम्बन लेना शुरू किया और दूसरा दोस्त मेरे मम्मों को चूस रहा था।
अब मुझे भी मज़ा आने लगा था।
थोड़ी देर बाद तुषार ने मेरे बाकी के कपड़े भी उतार दिए, अब हम पूरे नंगे थे, तीनों के लण्ड फिर से खड़े हो गए थे, मेरा भी लण्ड खड़ा था। मैंने उनसे कहा- तुम लोग मेरा भी लण्ड चूसो ना..
तो तुषार ने मेरे चूतड़ों पर जोर से मारा और एक ने मेरे गाल पर चाँटा खींच दिया और दूसरे ने मेरे मम्मों पर मारना शुरू कर दिया। मेरा गोरा बदन उन्होंने अपने थप्पड़ों से लाल कर दिया था।
फिर तुषार अन्दर से तेल की बोतल लाया और मेरी गाण्ड में तेल लगाया, उसने मुझे पोजीशन में लेकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डाला।
मैंने पहले कभी गाण्ड नहीं मरवाई थी इसलिए मुझे दर्द होने लगा और मैं जोर से चिल्लाया। मुझे चिल्लाता देख कर एक ने मेरे ऊपर आकर अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया। दूसरा मेरे मम्मों को किसी लौंडिया के दूध जैसे चूस रहा था। थोड़ी देर बाद तुषार ने मेरी गाण्ड में धक्के देना शुरू कर दिए।
अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं भी उनका साथ दे रहा था। फिर 15-20 मिनट तक तुषार ने मेरी गाण्ड चोदी और मेरी गाण्ड में ही झड़ गया।
कुछ देर बाद उन दोनों ने भी अपने लौड़े मेरी गाण्ड में डाले और तीनों ने मेरी गाण्ड का भुरता बना दिया.. हालांकि मुझे दर्द बहुत हुआ था.. पर आज मेरे मन की इच्छा पूर्ण हो गई थी।
उन तीनों से भरपूर गाण्ड चुदवाने के बाद मैंने अपने लड़कियों वाले कपड़े पहने और अपने कमरे पर चला गया।
उसके बाद कई बार उन्होंने मेरी गाण्ड मारी। अब मुझे गाण्ड मरवाए बिना चैन नहीं आता है.. मैं पक्का गाण्डू बन चुका हूँ। आपको मेरी सच्ची आत्मकथा कैसी लगी आप मुझे अपने कमेन्ट जरूर दें। [email protected]
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