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मेरा नाम राकेश है.. मेरी उम्र 20 साल है और मैं राजस्थान के बाड़मेर जिले के पचपदरा गाँव में रहता हूँ। मैं गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज का स्टूडेंट हूँ.. मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है और मैं दिखने में गोरा और स्मार्ट बन्दा हूँ। मैं एक शर्मीला टाईप का इन्सान हूँ.. मुझे शुरू-शुरू में लड़कियों को पटाना तथा उनकी तरफ देखने में झिझक होती थी।
लेकिन कहते हैं ना.. कि वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है.. और मेरे साथ भी यही हुआ। सायरा नाम था उसका.. जो मेरी जिन्दगी में आई और मेरी पूरी जिन्दगी ही बदल डाली।
यह बात कुछ साल पहले की है.. एक बार मैं घरेलू काम से कोई सामान लेने के लिए बालोतरा गया था.. सामान लेने के बाद मैं वापस बस से बालोतरा से पचपदरा आ रहा था.. तभी वहीं पर मेरे बगल में एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी.. उसके पास में मैं भी खड़ा था..
बस में ज्यादा भीड़-भड़ाका होने के कारण मेरा शरीर और उसका शरीर आपस में छू रहे थे.. उसकी गाण्ड मेरे लंड से स्पर्श होने से मेरा लन्ड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते मेरा लन्ड लोहे के जैसा एकदम सख्त हो गया। मेरा लन्ड खड़ा होने के कारण उसकी गाण्ड में चुभने लगा तो वो मेरे सामने देखने लगी और फ़िर उसने हल्की सी मुस्कुराहट दी।
उसकी मुस्कुराहट ने तो जैसे मुझे नया जीवन ही दे दिया हो.. मेरा जोश बढ़ गया और मैं धीरे-धीरे उसकी गान्ड में धक्का लगाने लगा।
ज्यादा भीड़ होने के कारण मैं कुछ अधिक तो नहीं कर सका.. पर तभी किसी ने मुझे पीछे से किसी ने धक्का दिया और अचानक सायरा का पाँव फिसल गया और वो मेरे ऊपर आकर गिर गई।
नीचे गिरते समय वो हड़बड़ा गई और इसी वजह से उसके हाथ में मेरा सख्त लन्ड आ गया।
लन्ड हाथ में आते ही उसने हल्के से मेरे लन्ड को मसला.. फिर वो थोड़ा सा मुस्कुराई।
मैंने उसे उठाया.. तो उसने एकदम से मेरे लन्ड को अपने हाथ से हटा दिया और उसने मेरे हाथ में अपना हाथ दे दिया.. तब जाकर मैंने उसे उठाया.. बाद में वो मुझे बस में देखती रही.. फिर 2-3 मिनट बाद में हम दोनों को बैठने के लिए सीट मिल गई और वो भी मेरे ही बगल में बैठ गई। उधर ही मुझे उसका नाम मालूम हुआ था।
उसके मेरे पास में बैठने के बाद मैंने अपना एक पैर का जूता उतार दिया और मैंने अपने पैर को उसके पैर के ऊपर ले जाकर उसके पैर को मसलना शुरू कर दिया।
मुझे ये बहुत अच्छा लग रहा था और शायद उसे भी मजा आ रहा था।
फिर मैंने लोगों की तरफ देखा और सबसे आँख बचा कर उसके बोबों को भी दबा दिया.. वो कुछ नहीं बोली बस मजा लेती रही.. मैं उसके साथ मजा लेता रहा।
तभी पचपदरा आ गया और मुझे और उसे उतरना पड़ा.. बस से उतरते ही मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके घर तक गया। उसका घर आते ही वो घर में जाने से पहले मुड़ी और उसने मेरी तरफ हल्की सी मुस्कुराहट दी और वो अपने घर के अन्दर चली गई। फ़िर मैं भी अपने घर चला गया..
कुछ दिनों बाद में कोई काम से मुझे बाजार से जाना था.. घर से बाजार जाते वक्त रास्ते में वो लड़की मुझे दिखाई दी।
वो मुझे देखती रही और मेरे सामने मुस्कुराने लगी… मैंने भी अब बस मन में उस लड़की को चोदने की ठान ली।
अब रोज मैं उसके घर के आगे चक्कर लगाने लगा। ये सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा.. फ़िर वो दिन आ ही गया और जिस दिन का मुझे बेसब्री से इन्तजार था।
मैं सुबह पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए जाता था और सायरा का घर भी उसी तरफ था।
उस दिन भी मैं सुबह की सैर पर जा रहा था.. रास्ते मैं वो सुबह करीब पांच बजे मुझे दिखाई दी। उसके पास कोई नहीं था.. वो अकेली थी.. मैंने हिम्मत करके उसे अपने पास बुलाया और पास आते ही मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया। इस समय भोर का उजाला हो चुका था.. क्योंकि गर्मी के समय में पांच अक्सर जल्दी बज जाते हैं.. तो मैंने उसको कल सुबह चार बजे मिलने को कहा। फिर मैं वॉक पर चला गया। वॉक से वापस आने के बाद जब मैं घर आया तो मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।
मैं तो बस कल सुबह चार बजने का इन्तजार करने लगा। मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। मैं बिस्तर में सायरा के बारे में सोचने लगा और सोचते-सोचते ही बिस्तर में ही मैंने उसके नाम की मुठ मार ली।
करीब साढ़े तीन बजे मैं बिस्तर से उठा और फ्रेश होकर 15-20 मिनट बाद मैं सायरा के घर की तरफ निकल गया। दस मिनट बाद ही उसका घर आ ही गया। वो शायद मेरा ही इन्तजार कर रही थी क्योंकि जब मैं वहाँ पहुँचा.. तो वो दरवाजे के बाहर ही मेरा ही इन्तजार कर रही थी।
मैं उसके पास गया.. फिर पहले मैंने आसपास देखा.. तो गली में एकदम अन्धेरा था। तो मैंने फटाफट उसको अपने पास बुलाया व सायरा के पास आते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठों पर एक लम्बी सी पप्पी दी। फिर उसको गले से लगा कर बाँहों में उठा कर गर्ल्स स्कूल लेकर चला गया। स्कूल के एक कमरे का दरवाजा खुला था.. मैं उसे कमरे में लेकर गया.. वहाँ मैंने उसे फर्श पर लिटा दिया। कमरे में एकदम अन्धेरा था। मुझे और उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने जैसे-तैसे अपना मोबाईल निकाला और मोबाईल की टॉर्च से रोशनी की.. तो कमरे में थोड़ा सा उज़ाला हो गया।
फिर मैंने उसके मम्मों को दबाया.. उसका जिस्म एकदम मस्त था। फिर मैं उसकी साड़ी को धीरे-धीरे खोलने लगा.. तो वो बोली- इतना भी क्या बेसबर हो रहे हो? तो मैंने कहा- तेरी जवानी को चखने में मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों पर अपने होंठों से चुम्बन किया। हम दोनों के होंठ चिपके ही रहे.. फिर मैंने उसको पांव से चूमना शुरू किया.. उसके शरीर की चमड़ी एकदम मुलायम थी।
मैंने उसके पाँव से चूमते-चूमते उसकी जाँघें.. फ़िर मैंने पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर.. चुम्बन करना शुरू कर दिया। इतना करने से ही सायरा एकदम गरम हो गई थी। मैंने थोड़ा ऊपर उसके पेट पर चुम्बन किया.. फ़िर धीरे-धीरे मैंने उसके मम्मों को सहलाया। उसका जिस्म एकदम मस्त हो उठा था।
उसने मेरे पैन्ट की जिप खोल कर लंड को हिलाना चालू कर दिया। मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया। उसका ब्लाउज खोलते ही उसके मम्मे स्प्रिंग की तरह पर उचक कर बाहर आ गए और उसके आम देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और उसकी चूत को सहलाया। फ़िर धीरे-धीरे मैं उसके ऊपर आ गया। ऊपर आने के बाद मेरा लण्ड एकदम सख्त हो गया.. मैं खुद पर कन्ट्रोल नहीं कर सका। मैंने उसके पेटीकोट को भी खोल दिया फ़िर उसके ब्लाऊज व पेटीकोट को उतारने के बाद अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में रह गई थी.. वो ब्रा-पैन्टी में बड़ी सी शानदार लग रही थी। उसने सफेद रंग की पैन्टी पहन रखी थी। मैंने उसकी पैन्टी को भी उतार दिया और उसकी चूत को एकदम नंगा कर दिया।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के से झांट के बाल थे। फ़िर मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया, अब वो आदमजात नंगी पड़ी थी।
फ़िर उसने मेरे लन्ड को पैन्ट के ऊपर से सहलाया.. उसके बाद उसने मेरे अन्डरवियर में हाथ डालकर मेरा लन्ड बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले लिया, उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.. मैं भी उत्तेजना में आकर उसके मम्मों पर हाथ रख कर उसके उठे हुए मम्मों को मसलने लगा।
हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। वो भी अब पूरे जोश में मेरा लंड चूसने लगी। फिर मैंने उसको लिटा दिया.. उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी।
अब मैं उसकी चूत चाटने लगा। काफ़ी देर चूसने के बाद मैं भी उसकी चूत में अन्दर तक जीभ डालकर चूत चूसने लगा व अपने होंठों से उसकी चूत के दाने को खींचने लगा.. दाने के खिंचते ही वो चिल्लाने लगी- ओहई आह.. अहह. .यआह.. बेबी.. ओह.. ऐसे मत चाटो.. मैं अभी ही झड़ जाऊँगी.. थोड़ा धीरे से.. आवहह.. या..
ऐसा करने से वो एकदम गरम होने लगी और उसकी ‘आह आह’ की आवाज पूरे कमरे में गूँजने लगी। फ़िर हम दोनों एक साथ झड़ गए।
हम दोनों कुछ देर बाँहों में बाँहें डालकर लेट गए। फ़िर कुछ देर बाद मेरा लन्ड वापस खड़ा होने लगा, कुछ ही पलों में मेरा लन्ड लोहे के जैसा सख्त हो गया। मैंने उसे चित्त लिटाया और उसकी चूत में अपना लन्ड डालने लगा।
उसकी चूत एकदम कसी हुई थी। मैंने उसकी चूत पर थूक मारा और अपना 5″ का लवड़ा चूत पर टिका कर अन्दर ठेल दिया। उसकी चूत की सील खुली नहीं थी.. तो मुझको ऐसा लगा कि मेरा लंड छिल जाएगा.. इतनी टाइट चूत थी वो.. मैं धीरे-धीरे अपना लन्ड उसकी चूत में डालने लगा..
मेरा लन्ड उसकी चूत में थोड़ा ही गया था.. कि वो चिल्लाने लगी। मैं कुछ देर रुका.. फ़िर एकदम से झटका मारा और पूरा लन्ड उसकी चूत में पेल दिया।
उसकी चूत की सील खुल गई और फिर मैंने उसकी चुदाई चालू कर दी। वो चिल्लाने लगी- आअहा.. साले फाड़ दी..
तो मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया और दस मिनट तक उसकी चूत की तक नॉन-स्टॉप चुदाई की। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वो लण्ड चाटने लगी। इस बार मैंने उसको 69 की अवस्था में कर लिया था। मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और वो मेरा लंड चूस रही थी.. जिससे हम दोनों ही बहुत मज़े ले रहे थे..
फ़िर वापस मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में डाला और अब मैं फुल-स्पीड में धकापेल चुदाई करने लगा। जबरदस्त चुदाई से ‘ठप.. ठप..’ की आवाजें पूरे कमरे मे आने लगीं.. जैसे कि कोई तालियां बजा रहा हो.. वो बार-बार लौड़े को बाहर निकालने का कहने लगी। मैं धीरे-धीरे धक्का दे रहा था.. कुछ देर बाद उसको भी मजा आने लगा।
अब सायरा का शरीर अकड़ने लगा.. उसने मुझे बाँहों में भर लिया और हम दोनों एक साथ झड़ गए।
उसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा.. उसकी कुछ अन्य रोचक चुदाइयों की कहानियाँ फिर कभी बताऊँगा। [email protected]
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