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सभी पाठकों को प्रणाम.. मैं अतिरेक सेन.. मेरी उम्र 28 साल है.. मैं शादी-शुदा हूँ और मेरे 2 बच्चे भी हैं, अपनी ज़िंदगी की वास्ताविक कहानी ले कर आया हूँ। इस सत्य घटना पर आधारित कहानी में सभी पात्रों के नाम गोपनीयता हेतु बदले हुए हैं।
कहानी शुरू होती है.. 4 साल पीछे से.. यानि तब मेरी उम्र 24 साल थी। मैं एक प्राइवेट जॉब में था। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ.. मुझसे बड़े 2 भाई और 1 बहन है। मेरे दूसरे नंबर वाले भाई की शादी हो चुकी थी.. घर में नई भाभी आई थीं।
सारे रिश्तेदार भैया की शादी के बाद अब मेरी शादी की बातें करने लगे थे। लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता था। भाभी का पग-फेरा होना था.. उनका कोई भाई नहीं है.. तो मुझे ही कह दिया गया था कि जब उनके पापा फोन करें.. तो उनको उनके मायके के घर छोड़ आना।
मैंने उनको उनके घर छोड़ा.. लेकिन वापिस आते-आते थोड़ी रात हो गई थी और काफ़ी बारिश होने लगी थी। ना जाने क्यूँ.. मुझे ऐसा लग रहा था.. कि कोई मेरी बाइक का पीछा कर रहा था। उस गाड़ी की रफ्तार मेरी बाइक से कम थी.. वो चाहता तो आगे निकल सकता था.. रास्ता भी सुनसान था और बारिश भी हो रही थी।
खैर.. मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.. करीब 2-3 किलोमीटर चलने के बाद सिटी बस स्टॉप दिखाई दिया। बारिश अब भी तेज़ थी और मैं भी थका हुआ था.. तो मैं वहीं रुक गया। मैं पूरा भीगा हुआ था.. मैंने नीले रंग की नैरो-फिट जीन्स और एक काली हाफ टी-शर्ट पहन रखी थी.. जो बारिश के कारण मेरे पूरे बदन से चिपकी हुई थी।
अभी मुझे रुके हुए एक मिनट भी नहीं हुआ था कि कोई लड़की भागती सी आई और एकदम मेरे ऊपर गिर सी गई।
मैं हड़बड़ा सा गया।
वो गहरे नीले रंग की साड़ी में थी उसके खुले बाल भीग चुके थे। वो मुझसे कुछ इस तरह से टकराई कि उसके नितम्ब सीधे मेरे लंड से जा टकराए और मेरा हाल थोड़ा बुरा सा हो गया। चूत चुदाई के मामले में मैं कुँवारा तो नहीं था.. इसलिए कुछ ज़्यादा ही भड़कने लगा था।
उसने खुद को संभाला और ‘सॉरी’ कहने लगी.. इसी बीच वो गाड़ी मेरे सामने से गुज़र गई.. जो मेरे पीछे-पीछे आ रही थी। लेकिन उसकी हेड लाइट्स सीधा मेरे या कहो कि हम दोनों के चेहरे पर थी। मुझे कुछ अजीब सा लगा.. लेकिन वो बाइक आगे निकल गई।
अब वो लड़की बोली- छोड़िए प्लीज़! मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कब मेरा एक हाथ उसकी कमर के चारों ओर पहुँच कर लिपट चुका था और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था। शायद मैंने उसकी पकड़ने की कोशिश की थी.. जब वो गिर रही थी, लेकिन उसके मादक एहसास के चलते खुद को उससे अलग करना ही भूल गया था।
मैंने उसको छोड़ दिया.. उससे बातचीत में मालूम हुआ कि उसका नाम अनामिका रॉय था और वो किसी पार्टी से लौट रही थी.. रात में ऑटो वाले से किसी ग़लत मोड़ पर रुकवा लिया था और रास्ता भूल कर यहाँ आ गई थी। वो एक स्टूडेंट थी और फ्रेंड्स के साथ फ्लैट ले कर रहती थी।
मैंने उसका पता पूछा और उसको छोड़ने की पेशकश की.. जिसे उसने हंसते हुए स्वीकार कर लिया। मैं पूरी तरह से वासना के अधीन हो चुका था.. उसके उन्नत वक्ष.. भरे हुए नितंब और सुडौल शरीर.. पूर्ण यौवन.. जिसका हर अंग मदन-राग गा रहा था।
उसके ऊपर से बारिश.. मेरा मन हुआ कि अभी इसको मैं विक्टोरिया मेमोरियल हॉल ले चलूँ.. कम से कम कुछ तो शांति मिलेगी ही.. लेकिन थोड़ा सा डर भी था.. अंजान लड़की ही तो है.. कहीं कुछ लोचा न हो जाए। खैर.. मैं उसके बताए हुए पते की तरफ चल पड़ा। मुझे महसूस हुआ.. कि वो गाड़ी फिर से मेरे पीछे आने लगी है।
पर इस वक्त मेरा दिमाग़ तो पूरी तरह से अनामिका के उठे हुए मम्मों की नोकों पर था.. जो हर बार मेरी मांसल पीठ से रगड़ खा रहे थे.. और रगड़ने से और नुकीले व कठोर होते जा रहे थे।
मेरा लण्ड अपने पूर्ण स्वरूप में आ चुका था.. इसको मात्र अवलोकन ही समझा जा सकता था कि मेरे कपड़ों की दीवार अब बेमानी सी हो रही है.. मेरा मदन अंग अब अभिसार-रास की कामना में था।
उसने बताया कि वो अपनी एक दोस्त के साथ रहती है।
मैंने पूछा- आपका कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड नहीं है? वो हंसते हुए बोली- क्यूँ.. ब्वॉय-फ्रेण्ड होना ज़रूरी है.. कोलकाता में रहने की कोई ख़ास कंडीशन है.. ब्वॉय-फ्रेण्ड? मैंने भी हँसते हुए कहा- नहीं.. नहीं.. लेकिन पर्सनल ज़रूरतों के लिए कभी-कभी ब्वॉय-फ्रेण्ड का होना ज़रूरी होता है। ‘पर्सनल जरूरत.. हा हा हा..’ वो यह शब्द दोहरा कर हंस दी.. उसकी हंसी बहुत ही मादक थी.. जो मेरी उत्तेजना को और बढ़ा देती थी।
मैंने महसूस किया कि उसका हाथ कभी मेरी भरी हुई टाँगों को नाप रहा था.. तो कभी मेरी पीठ को सहला सा रहा था। मैं समझ गया कि आज यह भी यौवन की अग्नि में डूब चुकी है। मैंने तय किया कि इसको आज अपना कामरस पिला कर ही जाऊँगा।
उसके फ्लैट पर पहुँच कर मैंने एक तेज ब्रेक मारा.. ताकि वो पूर्ण स्पर्श महसूस कर सकूं.. जिसने रास्ते भर मेरा ध्यान भंग किया था।
मैंने ब्रेक मारा तो उसकी भी जैसे तंद्रा भंग हुई और उसने अपने हाथों को काबू में कर लिया। मैं बाइक से नीचे उतरा.. मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरे मदनअंग का पूरा अंदाज़ा वो भी लगा चुकी थी। वैसे भी मेरा लण्ड पूरे परवाज़ पर था.. अनामिका मुझे ऊपर से नीचे तक देख रही थी और अपने दोनों पैरों को मिलाने की कोशिश में थी.. जैसे कि टाँगों के बीच में कुछ छुपा रही हो।
वो बोली- अन्दर आइए ना.. आप पूरी तरह भीग चुके हैं.. आपको ठंड लग सकती है.. मैं कुछ कॉफी या चाय बना देती हूँ.. थोड़ी गर्मी आ जाएगी। अब मैं उसको कैसे समझाता कि गर्मी तो बहुत है मेरे अन्दर.. बस उसको निकालने की लिए तुम्हारी ‘हां’ की ज़रूरत है।
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- सोचते ही रहोगे कि अन्दर भी चलोगे.. लेकिन मेरी आँखें फिर चुंधिया गईं.. ये वही गाड़ी थी.. जो तीसरी बार मेरी आँखों पर हेड लाइट मार कर निकली थी।
मैंने पलट कर उसको देखा.. लेकिन अनामिका मेरा हाथ सहलाने लगी थी.. तो कुछ नहीं सूझा.. मैं बस एक काम-आतुर की तरह उसके सम्मोहन में गिरफ्तार हुआ उस कामिनी के पीछे चल पड़ा।
हम लोग अन्दर गए तो मालूम हुआ कि उसकी दोस्त एक नोट छोड़ गई थी कि वो अपने रिश्तेदार के घर जा रही है और रात को वहीं रुकेगी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.. मैंने देर ना करते हुए खुद पहल करने की सोची और उससे बोला- एक तौलिया ला दो।
वो जैसे ही मुड़ी मैंने उसकी साड़ी का सिरा पकड़ लिया.. वो मेरी तरफ पलटी तो मैंने एक कातिलाना मुस्कान दी.. जिसका जवाब मुझे उसकी कातिलाना मुस्कान से मिला और वो अपने होंठों को दबाने लगी।
मैं समझ गया कि साली रंडी है।
उसकी साड़ी का सिरा धीरे-धीरे खींचते हुए मैंने उसका चीर-हरण शुरू कर दिया.. लेकिन मेरी इस छमिया का मैं ही रस-चूसक कामाधीर था.. उसे अपनी और खींचते हुए मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ा और उसके गले पर अपने होंठों की मुँहर लगा दी.. उसकी सिसकारी सी छूट गई और वो मुझसे लिपटने की कोशिश करने लगी।
फिर मैंने उसके होंठों को अपना निशाना बनाया और वहां भी एक सील लगा दी। अब उसका खुद की साँसों पर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था.. मैंने उसके मम्मों में अपना सिर घुसा दिया और चटकनी बटनों को चटकाते हुए उसके ब्लाउज को पल भर में हटा दिया।
मैं उसके गले पर चुम्बन करता रहा और अपने एक हाथ को नीचे ले जाते हुए उसके पेटिकोट के अन्दर डाल दिया। लेकिन अभी उसके रजस्वला अंग को नहीं छुआ था.. शनै: शनै: वो टूटने सी लगी.. और कामाग्नि में पूरी तरह डूब कर मेरे वशीभूत हो चुकी थी।
कुछ ही पलों के बाद वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में बची थी और उसके बालों से गिरता पानी.. उसको और ज़्यादा कामुक बना रहा था। वो भी मेरे करीब आई और मुझे निर्वस्त्र करने लगी।
हम दोनों इस वक़्त सिर्फ़ अंतः:वस्त्रों में खड़े थे.. दोनों ही मानव जीवन के सबसे हसीन काम को पूरा करने के लिए.. मदन-मिलन के लिए तैयार थे..
आगे क्या हुआ? कौन था वो गाड़ी वाला? क्यूँ बार बार वो मेरे पीछे आ रहा था? जानने के लिए पढ़िए.. दूसरा भाग! [email protected]
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