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मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मेरा नाम कुलदीप है, मेरी उमर 27 साल है, मैं जनता फ्लेट अपार्टमेंटस नोएडा (दिल्ली के पास) में अपनी बीवी और बेटी के साथ रहता हूँ। मेरी बीवी एक वर्किंग लेडी है जिस कारण हम अपनी बेटी को रोज़ाना उसी सेक्टर में उसकी नानी के यहाँ छोड़ कर आते है और शाम को वापस ले आते है। हमारे अपार्टमेंट बिल्डिंग में 4 फ्लोर हैं, मैं तीसरे फ्लोर पर रहता हूँ। मेरे फ्लैट के चौथे फ़्लोर पर साइड वाले फ़्लैट में एक परिवार रहता है, परिवार में 3 सदस्य हैं, पति-पत्नी और उसकी बेटी विधा (नाम बदला हुआ)…
पति सेल्स मैनेजर था और वो अधिकतर टूर पर रहता है, उसकी पत्नी स्कूल में टीचर, विधा 19 साल की हैं, बारहवीं में पढ़ती है। विधा हमेशा रिवीलिंग ड्रेस पहनती है, वो बहुत ही सेक्सी है, 34-26-34, हाइट 5 फुट 4 इंच। मैं उसे जब भी देखता, मेरे दिमाग़ खराब हो जाता! वो हमेशा घर में टाइट टॉप और शॉर्ट हाफ पेंट या स्कर्ट पहनती है।
विधा को कंप्यूटर कम आता था तो उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा क्या तुम विधा को कंप्यूटर में एक्सपर्ट कर सकते हो? मैंने कहा- क्यूँ नहीं आंटी जी, मैं उसको कंप्यूटर में एक्सपर्ट कर दूँगा। आंटी ने कहा- तो ठीक है, तुम सुबह रोज़ाना 8 बजे से 9 बजे तक इसको कंप्यूटर सिखाया करो। आंटी सुबह 7 बजे ही स्कूल चली जाती हैं।
अगले दिन से ऑफ़िस जाने से पहले में विधा को पढ़ाने लगा। पहले कुछ दिन ठीक ही रहा लेकिन कुछ दिन बीत जाने के बाद उसके स्वभाव में कुछ बदलाव आने लगा। रविवार को जब मैं घर में रहता हूँ तब वो ऐसे ही आ जाती थी कंप्यूटर सीखने के बहाने और कभी मुझसे अपनी चूचियाँ छुआ दिया करती थी।
एक दिन क्या हुआ… बारिश का मौसम था और उसके पापा टूर पर थे और उसकी मॉम की ड्यूटी परीक्षा की कापी जाँचने में लगी थी। और मेरी बीवी अपनी जॉब पर गई थी, बारिश के कारण मैं ऑफ़िस नहीं जा पाया। विधा ने मुझे घर में देखा तो बोली- आप ऊपर आ जाओ, और जब तक ऑफ़िस जाओ, मुझे कंप्यूटर सिखा दो।
मैंने कहा- ठीक है, मैं आता हूँ।
मेरे दिमाग़ में उसे चोदने का ख्याल आया, मैं उसके घर पर गया और गेट पर बेल बजाई, गेट उसी ने खोला।
मुझे देखकर उसने थोड़ी सी स्माइल दी, वो स्माइल एकदम कातिलाना थी और मेरा दिल धड़क उठा। उस दिन विधा ने गुलाबी टॉप और सफ़ेद टाइट हाफ पहने हुए थी। टॉप एकदम टाइट थी और पारदर्शी थी… उफ़… एकदम चोदने लायक माल लग रही थी, मैं खुद को कंट्रोल कर नहीं पा रहा था।
लेकिन कहते हैं कि सब्र करो सब्र का फल मीठा होता है, उसने मुझसे कहा- आप सोफे पर बैठो, मैं फ्रेश होकर अभी आई। और वो बाथरूम की तरफ चली गई। बाथरूम का दरवाजा उसने ठीक से नहीं लगाया था, यह मैंने देख लिया था, शायद जानबूझ कर उसने बाथरूम लॉक नहीं किया। मुझे लगा कि विधा मुझे खुला न्योता दे रही है।
मैंने हिम्मत करकर बाथरूम की की-होल से झाँका तो अंदर का सीन देखकर में दंग रह गया। मैंने देखा की विधा अपने दाहिने हाथ से अपनी बूब्स को मसल रही है। यह सीन देख कर मेरा दिमाग़ में खून दौड़ गया, लंड खड़ा होने लगा, मैंने कंट्रोल किया खुद को।
अभी 5 मिनट ही हुए थे कि मैंने देखा, वो अपनी चूत को ऊपर से ही खुजा रही है। यह सीन देखकर मेरा दिमाग़ फिर से खराब हो गया। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, मेरा लंड एकदम टन गया और मैंने दरवाजा खोलकर विधा से गुस्से में कहा- क्या कर रही हो विधा?
विधा- सीसी… कुछ नहीं सर ! मैं- यह क्या हो रहा है यहाँ?
विधा- एम्म्म… खुजली हो रही थी सर… मैं- कहा पे? कहा पे खुजली हो रही हैं? विधा- हाफ पेंट की अंदर सर… एमेम… बहुत खुजली हो रही है। मैं- ठीक है, खुजा लो जल्दी से!
विधा- डर लगता है सर! मैं- क्यूँ? क्या हुआ खुजाओ… इसमे डरने की क्या बात है? विधा- सर इतने बड़े-2 नाख़ून हैं मेरे… इधर उधर लग गये तो छिल जाएगी… आप खुजा दो ना… प्लीज़! मैं- मैं कैसे खुजा सकता हूँ… क्या बोल रही हो तुम विधा? विधा- प्लीज़ सर…
यह बोल कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत में लगा दिया। और मैंने उसकी चूत को हाफ़ पैंट के ऊपर से ही रगड़ना चालू कर दिया।
‘एम्म्म… प्सस्स… प्सस्स… प्सस्स… प्सस्स… अया…’ ‘ठीक है विधा? ‘आ…’ ‘खुजली कम हुई? विधा- आ नहीं सर… और बढ़ गई… प्लीज़ अंदर घुसाकर रब करो ना…
यह बोलकर उसने अपनी एलास्टिक वाली हाफ पैंट उतार दी, अब मेरा हाथ उसके पेंटी के उपर था… मैं ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा।
‘आ… सर… उफ्फ़… और रब करो… और… उफ फफ्फ़…’
मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी में घुसा दिया…
‘आह…उफफ्फ़. आहह… उफफ्फ़… रब इट ये… आया… उफफ्फ़…’ उसने मेरा सर पकड़ा और अपने बूब्स में लगा दिया। ‘सक इट… आहह… सक माइ बूब्स… उफफ्फ़…’ मैं ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत मसलने लगा और टॉप के ऊपर से उसके बूब्स चूसने लगा।
‘अहह… उफफ्फ़.. उम्म्म… उफ्फ्फ.. आहह…’ मैं- खुजली कम हुई विधा? ‘अहह… उफफ्फ़.. उम्म्म… उफ्फ्फ्फ.. आह…’ ‘कम हुई? विधा- अहह… उफफ्फ़.. उम्म… उफ्फ्फ.. आहह… और ज़ोर से. आ… आ… रब इट हार्ड ई साइड… उउफ्फ…
मैंने तब अपनी मिडल फिंगर उसकी चूत में घुसा दी और इन आउट करने लगा।
‘ऑफ… आहह…’
विधा की चूत पूरी गीली थी अन्दर से…
विधा– ऊऊओ मम्मी… आहह… स्लो… आहह… प्लीज़ धीरे-धीरे आहह…
मैं लगातार उंगली अंदर बाहर करता रहा…
‘अहह… उफफ्फ़.. उम्म… उफ्फ्फ.. आहह… वो कमरे में आकर बेड पर लेट गई और अपनी टॉप ऊपर कर दी। फ़िर मेरा चेहरा अपनी चूत पर झुका दिया। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया, मैं ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा उसकी गरम गीली चूत को।
विधा- आहह… जानू… ऐसे ही चूसते रहो… आ… ऐसे ही… उफफ्फ़… प्यास मिटाओ मेरी चूत की… उउफ्फ…मम्मी. ऑफ… मा… आह… मर गयी.. आहह.. आहह.. आ…ओ मम्मी आकर देखो कैसे जानू तुम्हारी बेटी की चूत चूस रहा है… आ… माआ.. आहह…आह… ज़ोर-जोर से चूसो मेरी चूत को… आ…ओफफ्फ़… गिव मी प्लीज़ यूअर लंड… आहह…उफफ्फ़!
मेरा सात इंच का लंड जो खड़ा हो चुका था, मैंने 69 का पोज़ बनाया और विधा ने झट से मेरा आधा लंड मुँह में घुसा लिया और ज़ोर से चूसने लगी- …आऊपप अओप्प… गप्प्प…आहह…आह… .गप्प्प.. आह…
मैं पागल हो गया था और ज़ोर ज़ोर से आवाज करने लगा- …आहह… येस… सक इट… आह… सक इट विधा… उऊफ़…! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! बाहर बारिश हो रही थी और अंदर हम लोग चुदाई कर रहे थे।
विधा- अओप्प्प्प.. अओप्प्प.. एम्म अओप्प्प.. आ… ई लव यू यौर्स डिक.. आहह..गप्प्प… मैं- आई… लव…यू… टू… जान… फाड़ दूँगा तेरी चूत को आज… आहह… उफफ्फ़
तभी विधा ने मुझे ज़ोर से पकड़ा और मेरे कान में बोली- फक मी जान… मुझे चोद दो अब! आह… मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे कस के पकड़ कर चूमने लगा। मैंने अपना लंड उसकी चूत में मसलते मसलते पूछा- अभी भी खुजली हो रही है जान…?
‘एम्म्म… फस्स… फ्स… फ्स… अओईंम. मुमाह.. मुह्ह्ह् आहह..ह… हा जान… उफ़फ्फ़… चोदो मुझे… चोदने से यह खुजली मिटेगी… उफफ्फ़! मैंने हल्का सा धक्का दिया और वो चीख उठी- उई… उफफ्फ़… मैंने थोड़ा और धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ आधा घुस गया- आहह… चूत एकदम कसी हुई थी.. उउफ्फ…! विधा- आहह… माआ…उउफ़फ्फ़
मैंने उसके होटों को अपने होटों में भर लिया और पूरी ताक़त से एक धक्का लगाया तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। ‘आहह… एम्म्म…’ विधा चीख पड़ी- …उउईई… मा… आहह!
पर मैं धक्का लगाता रहा उसकी चूत से खून निकल पड़ा, उसकी चूत अभी तक किसी ने नहीं चोदी थी।
कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देनी लगी– आहह… फक मी… चोद साले… जी भर के चोद..आहह! उफ़फ्फ़… आअहह…म्म्मम… फाड़ दे साले इस चूत को… इस चूत ने बहुत परेशान कर रखा है मुझे.. फाड़ दे मेरी चूत को.. उउफ्फ… हय रे… आ..ह.. मर गयी मैं… क्या घुसाया है रे… ऊओफ़… माआ!
कुछ देर बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, मेरा भी गिरने वाला था पर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और उसकी चूत में ही अपना सारा माल निकाल दिया। उस दिन मैंने दो बार उसको चोदा। हम अब भी चुदाई करते हैं जब भी हमें मौका मिलता है। तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह चुदाई की दास्तान… मुझे अपनी राय दें। [email protected]
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