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मैं अक्की, उम्र 28 और जबलपुर में रहता हूँ। मैं स्कूल में पढ़ने के समय से ही हस्तमैथुन करने लगा था। मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत पढ़ी, अब आपकी बारी पढ़ने की.. हा हा हा हा !!! मैंने आज तक कई लड़कियों और महिलाओं को खुश किया है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ… जब मैं 19 साल का था तब मैं अपनी दीदी के घर पर गया हुआ था। उस समय मैं वहाँ करीब पच्चीस दिन तक रुका था, दीदी की डिलीवरी जो होनी थी। वहाँ दीदी, जीजा और दीदी की ननद रहते थे, असली नाम नहीं बताऊँगा तो चलो उसका नाम सविता रख लेते हैं। दीदी की ननद सविता उस समय 18 साल की हुई ही थी, बहुत ही सुंदर चेहरा, लगभग गोरा रंग, 34-28-32 का फिगर होगा। मैं तो उसके नाम की मुठ तो दीदी की शादी, जिस दिन तय हुई थी, तभी से मार रहा था।
एकाएक एक दिन सुबह दीदी की तबियत खराब हो गई तो दीदी को आनन फानन में अस्पाताल में भरती कराना पड़ा। मुझे और सविता को घर पर रुकना पड़ा।
हुआ यह कि करीब दोपहर के 2 बजे थे, हम दोनों टी.वी. देख रहे थे, पर टी. वी. पर कुछ मजेदार नहीं आ रहा था, तब सविता ने टी.वी. बंद कर दी और मेरे से पढ़ाई की बात करने लगी लेकिन मेरी नजर तो उसके शरीर के अंदर झाक रही थी व मेरा मन कुछ और ही सोच रहा था, शायद वो यह समझ रही थी।
इसलिये उसने टापिक बदला और कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? मैं आश्चर्य से- क्या? सविता- सुना नहीं क्या? मैं सीधेपन बताते हुये- सुना… पर तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी! सविता- इसमें गलत क्या पूछा? मैं- नहीं बस… अब सोच रहा हूँ सच कैसे कहूँ और मैं झूठ बोलता ही नहीं? सविता- नहीं यार, मेरे साथ तो फ्रेंक रहो। मैं- हाँ मेरी 2 गर्लफ्रेंड है ओर दोनों को दोनों के बारे में पता है !
सविता- क्या बात है ? मैं- पहले ने ही तो दूसरी को पटवाया है! सविता- वाह… !! तुम तीनों किस तरह के दोस्त हो? मैं- मतलब?
सविता थोड़ी देर सोचकर- मेरा मतलब उनसे संबंध कहाँ तक हैं? मैं- क्या? सविता- फ्रेंक यार… मैं थोड़ा सोचकर- काफी हद तक… सविता- हूँम्म… तो क्या सब कुछ हो गया? मैं थोड़ा सामान्य होकर- हाँ…
सविता- छुपे रुस्तमहो तुम तो! मैं- तो क्या करता ऑफर तो वहीं से था, मना करने पर वो बहुत रोई ! सविता- करते समय भी तो बहुत रोई होगी!! हा हा हा… मुझ पर ताना मारते हुये…
मैं अब निःसंकोच हो गया- यह जरूरी नहीं कि ऐसा हो! सविता- मतलब? मैं- जो तुम कहना पूछना चाहती हो… सविता- ऐसा कैसे हो सकता है, मैंने तो यही सुना है कि पहली बार में बहुत दर्द होता है? मैं- यह तो करने के तरीके पर निर्भर करता है… और हाँ यदि तुम कहो तो मैं इस पर विस्तार मैं समझाऊँ? सविता- क्यों नहीं… मैंने कहा ना, फ्रेंक हो जाओ…
मैं- तो सुनो, पहली बात यदि एक परिपक्व लड़की के साथ सही तरीके से संभोग किया जाये तो जरूरी नहीं कि उसको दर्द हो या खून जरूर निकले! हाँ… हल्का दर्द या दो चार बूंद खून निकल सकता है! सविता- सच्ची?
अब वो कुछ सोच रही थी… थोड़ी देर में वो चली गई और फल व मिठाई ले आई।
हमने मिलकर नाश्ता किया पर वो एकदम शांत थी, फिर वो बोली- एक बात पूछूँ? मैं- हाँ… सविता- क्या तु… तु… तुम मेरे साथ करोगे?
मैं बहुत खुश पर नखरे से- आपको शर्म नहीं आ रही है आप मेरी मानदान है, मैं आपके साथ ऐसा कैसे कर सकता हूँ!
सविता- क्यों नहीं कर सकते? क्या हम भाई-बहन हो गये हैं, और हाँ, जब मुझे कोई ऐतराज नहीं तो तुम्हें क्या दिक्कत है!
मैं- आप समझती क्यों नहीं? मैं आपके पैर छूता हूँ… आपके उन हिस्सों को कैसे छू सकता हूँ… नहीं, मेरे से नहीं होगा… मैं आपके साथ यह सब नहीं कर सकता! प्लीज आप समझो ! अपना मन मारते हुये मैं बोला।
सविता- जब अपने जैसे रिश्तों में शादी तक हो सकती है, तब यह सब क्यों नहीं! प्लीज तुम समझो! आखिर मैं एक लड़की ही हूँ, मेरी भी कुछ इच्छायें है और यदि तुम उन दोनों के साथ हो तो प्लीज मेरे लिये क्यों ना कह रहे हो!
मैं- आप जो भी कहें, पर मैं ओर आप ऐसा काम… न न न… मेरे से नहीं होगा! आप समझो और मुझे जाने दो। दिल पर पत्थर रख कर मैं बोला और खड़ा हुआ जाने को!
सविता दोड़ कर मेरे गले से लग गई व रोते हुये बोली- मत करो ऐसा… तुम्हें मेरी कसम! मैं उसे हटाते हुये- प्लीज! उसने मेरे पैरों को पकड़ कर कहा- तुझे तेरी दीदी की कसम… और मेरे गले से लग गई!
अब मैं अपने आपे से बाहर होने लगा व उसे बाहों में भर लिया! उसकी पीठ व कमर पर हाथों से सहलाये जा रहा था।
वो भी मुझसे चिपकने लगी, हम दस मिन्त तक गले लगे रहे, फिर मैंने उसके ओठों पर किस कर दिया, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने उसे गोद में लिया और उठाकर पलंग पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर था लेकिन हम किस किये जा रहे थे, हमने ओंठों और जीभ का जी भर कर रसपान किया, अब वो उत्तेजित होने लगी थी, उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों से पकड़ कर फटाफट 20-25 चुम्बन कर दिये।
मैंने अपने हाथ उसके कंधों पर रखे और भुजाओं से टेढ़े होकर हाथ की उंगलियों को जकड़ लिया, अब मैं अपने हाथों को उसकी कमर पर ले गया, उसने अपनी कमर को हल्का उठाकर मेरा काम आसान कर दिया।
फिर मैंने पलटकर उसे ऊपर कर दिया, अब वो मुझे बेइन्तहा चूमे जा रही थी, माथे से पैरों तक कभी कभी तो वो अपने हल्के दाँतों से मुझे काट भी देती थी।
वो अब उतावली होने लगी व मेरी टीशर्ट पहले ऊपर की बाद में पूरी निकाल दी, वही हाल मेरी बनियान का हुआ। अब मेरे पैंट की बारी थी, जिसे उसने निकाल कर फेंक दिया और वो मेरी चड्डी के ऊपर से ही अपने हाथों से मेरे महाराज जी को सहलाने लगी। काफ़ी देर सहलाने के बाद उसने मेरी चड्डी की इलास्टिक पकड़ी और नीचे करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे रोक दिया।
अब मैं झटके से ऊठा और उसे खीचकर पलंग पर लिटा दिया, अब किस करने की मेरी बारी थी, सच कहूँ तो मैंने काफ़ी ज्यादा चूमा चाटा था, मैं उसको जहाँ जहाँ चूमता, धीरे धीरे वहाँ के कपड़े भी निकालता जा रहा था, धीरे धीरे उसे सिर्फ ब्रा पेंटी में ला दिया!
अब मैंने उसे खड़ा कर दिया और उसकी पीठ को किस करते हुए उसकी ब्रा निकाल दी, अब दोनों के तन और मन एक थे। समझे… तन पर सिर्फ अंडरवियर ओर मन में जल्दी कर डियर…
मैंने उसकी कच्छी को निकाल दिया अब (क्या बात है!) वो नंगी थी, मैंने उसे पलंग पर बैठाया और उसकी योनि पर टूट पड़ा, कभी चूमा , कभी चाटा तो कभी काटा, पता नहीं मेरी जीभ उसकी योनि में कितनी अंदर तक जा रही थी और वो… हाय हाय… अपनी कमर उठा कर मजे ले रही थी, उसकी योनि से निकला वो नमकीन पानी का स्वाद क्या बताऊँ यारो… और उसका चेहरा तो बस मत पूछ भाई…
अब वो तड़फी और बोली- रहा नहीं जा रहा, यार कुछ करो…
बस यही तो सुनना चाहता था मैं… और मैंने उसकी कुंवारी योनि को चूसते हुये एक उंगली डाल दी। वो हुचक गई। अब मैं उसे अंदर-बाहर कर रहा था तो कभी उसकी योनि के दानों को रगड़ रहा था, वो कामुक होकर मेरे कभी बाल खींचती तो कभी चादर को… सच कहूँ तो वो पलंग रणभूमि बन चुका था, अब मैंने दूसरी उंगली भी उसकी योनि में डाल दी और उसे अंदर बाहर करता रहा।
उसने मुझे पकड़ा और यह कहते हुये अपने ऊपर लिटा लिया- जल्दी करो अब सब्र नहीं होता!
तब मैंने कहा- अभी कहाँ, पहले लॉलीपाप को तो चूसो!
उसने साफ मना कर दिया, बहुत मनाने पर भी वो मुंह में लेने को राजी नहीं हुई, परंतु बार बार मेरे लिंग को पकड़ कर योनि में डाल रही थी। तब मैंने उससे कोई जबरदस्ती नहीं की, मैंने उसको पलंग के साईड में लेकर उसकी दोनों टांगे ऊपर कर दी और अपने महाराज को उसकी योनि के सिरे पर मिलाकर रख दिया, अपने हाथों से ऊपर नीचे करता रहा। वो बड़ी ही कामुक होकर मुझसे इशारो में अंदर करने का आग्रह कर रही थी।
अब उसकी योनि से पुनः रस निकला, अब मैं समझ गया था कि महाराज को अंदर कर सकता हूँ और उसको अब दर्द भी नहीं होगा। तब मैंने हाथों से लिंग को धीरे धीरे अंदर करने लगा।
उसका पहली बार था टाईट तो रहेगा ही… पर मैंने थोड़े समय तक आराम से अपने महाराज को गुफा के अंदर कर ही दिया, न उसको ज्यादा दर्द हुआ और ना ही खून निकला…
मैं धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा, वो भी मजे ले रही थी, रफ्तार बढ़ती जा रही थी और वो एकदम से अकड़ गई, वो संतुष्ट हो गई थी , कहने लगी- बस रुक जाओ, अब मैं आराम करना चाहती हूँ!
मैंने कहा- और मेरा क्या होगा?
वो बोली- मतलब…?
मैं बोला- तुम डिस्चार्ज हो गई, मुझे भी तो होने दो! और मैंने रफ्तार बढ़ा दी, थोड़ी देर से मेरा भी हो गया और मैं उसके ऊपर लेट गया, दोनों की धड़कन बहुत जोर से चल रही थी। करीब दस मिनट बाद हम दोनों उठे और बाथरूम जाकर फ्रेश हुये!
उसने कहा- सच्ची, ज्यादा दर्द नहीं हुआ ऐर न ही खून निकला? मैंने कहा- जबरदस्ती थोड़े ना किया जो ये सब होगा, जबरदस्ती करने पर ही ये सब होता है, चाहे सामने लड़की हो या औरत… क्योंकि वहाँ जबरदस्ती की जाती है। उसने सहमति में सिर हिलाया। हम दोनों ने उस दिन बहुत मजे किये, वो बहुत खुश थी, मैं उसकी उम्मीद पर खरा उतरा था! [email protected]
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