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मेरा नाम आशीष जोशी है और मैं पुणे का रहने वाला हूँ। जैसे कि आप जानते हैं और मेरी पहली कहानी भी पढ़ चुके हैं
चार लड़कियों के सामने नंगा होकर मुट्ठ मारी
यह कहानी भी उसी कहानी से जुड़ी हुई है.. अस्तु कहानी का पिछला भाग भी पढ़ कर कहानी का आनन्द लें। कहते हैं कि कभी-कभी आपके किए की सज़ा वक़्त आने पर मिल जाती है.. वैसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। आप तो जानते ही हैं मुझे खुद को नंगा दिखाने की आदत है और आदतें जल्दी छूटती नहीं हैं। पिछले 2 सालों में मैं यही करता आया हूँ.. गौर करने की बात ये है कि इन 2 सालों में मैंने अनुभव करके अपना जिस्म भी कुछ अच्छा ख़ासा बना लिया है। मैं रोज़ तिल की तेल से मेरे लंड (नुन्नू) की मालिश करता हूँ.. इससे उसका मोटापा थोड़ा बढ़ गया है। वर्ज़िश का परिणाम देखो कि मेरे नितंब (गाण्ड) अब औरतों जैसे गोल-गोल और भरे हुए हो गए हैं। इसलिए मैं ज़्यादातर उन्हें चिकना ही बनाए रखता हूँ।
अब चलिए घटना-क्रम शुरू करते हैं…
बात पिछले हफ्ते की है.. जब मुझे ऑफिस में ज़्यादा काम नहीं था.. तो मैं दोपहर में घर आ गया और रोज़ की तरह घर आते ही पूरे कपड़े उतार कर टाइम पास करने लगा। टाइम पास.. यानि मैं अपनी खिड़की से देखता हूँ कि बगल वाली छत या बाल्कनी में कोई लड़की या औरत है कि नहीं.. ताकि मैं उन्हें मेरा नंगा बदन दिखा सकूँ।
थोड़ी देर बाद जब मैं पानी लेने रसोई में गया तो मुझे सामने वाली छत पर जहाँ 2 साल पहले 4 लड़कियाँ खड़ी थीं.. वहाँ एक औरत साड़ी के साथ स्लीवलैस और बैकलैस ब्लाउस पहने मेरी विंडो की तरफ पीठ किए हुए खड़ी दिखी। ।मैंने तुरंत मन बना लिया कि आज इसे कुछ दिखाना ही है। मैं मुंडेर की वजह से सिर्फ़ उसका पिछला उपरी हिस्सा ही देख पा रहा था.. पर क्या बताऊँ.. उसकी पीठ धूप में ऐसी चमक रही थी कि पूछो मत..
तभी उसके हाथ उठाते ही मुझे उसके बगलें दिखीं.. जो पूरी तरह से हेयरलैस थीं। मेरी नुन्नू में हरकत होना शुरू हुई और उसका रूपांतर होके वो लंड हो गया। मैं मौका गंवाना नहीं चाहता था.. इसलिए ऊपर जाने के लिए सीधा मैं दरवाजे की तरफ भागा.. जैसा कि आप जानते हैं मैं सबसे ऊपर वाली मंज़िल पर रहता हूँ.. तो मेरे फ्लैट के ऊपर छत ही है।
मैंने सोचा अब कपड़े पहन कर जाऊँगा और तब तक वो चली गई तो मेरा चान्स समझो गया… इसलिए मैंने सीधा घर की चाभी उठाई और गले में डाल कर दरवाजा में ताला लगा कर घर के बाहर आ गया।
हालांकि मुझे डर लग रहा था कि कोई देख न ले.. पर ये भी पता था कि दोपहर का वक़्त और वर्किंग डे होने के कारण मेरे पड़ोसी अपने-अपने काम पर होंगे.. सो मैं नंगा ही सीढ़ियाँ चढ़कर छत पर पहुँच गया। मेरी धड़कनें तेज़ हो गई थीं कि उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी…
मैं ठीक उसके पीछे.. अपनी बिल्डिंग की छत पर जाकर खड़ा हो गया.. ये सोचकर कि जैसे ही वो मुड़ेगी तो मुझे नंगा देखेगी।
करीब 2-3 मिनट तक उसने मुड़ने की राह देखने के बाद मुझे लगा कि उसका ध्यान पीछे की तरफ खींचना चाहिए तब ही वो मुड़ेगी.. इस वक्त मेरे पास मोबाइल नहीं था.. तो बात करने की एक्टिंग भी नहीं हो सकती थी.. फिर मुझे लगा ज़ोर-ज़ोर से ताली बजाई जाए और खांसा जाए..
दोनों छतों में ज़्यादा अंतर ना होने के कारण (लगभग 20-25 फीट) मेरी ताली की गूँज उसके कानों में पड़ी और उसने पीछे मुड़कर देखा..
आअहह.. दोस्तों उसके एक्सप्रेशन्स.. वो पूरी तरह से चौंक गई थी शायद… होंठ खुले रह गए थे.. नज़र मेरे क्लीन शेव्ड लंड से हट ही नहीं रही थी.. मैं जानबूझ कर अपने हाथ कमर पर टिकाए खड़ा था।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि इसे अपनी गाण्ड के दर्शन भी दे दूँ.. कहीं वो चली ना जाए.. इसलिए मैं मुड़ गया। जैसे ही उसने मेरी गाण्ड देखी. उसके मुँह से ‘वाउ’ शब्द निकला.. जो मुझे हल्के से सुनने में आया।
कहानी में ट्विस्ट..
‘वाउ’ सुनते ही मैंने पीछे देखा.. तो उसने मेरी गाण्ड बहुत मस्त है.. ऐसा इशारे से कह दिया..
मुझे अच्छा लगा और मैं वैसे ही खड़ा रहा.. पर शायद अब मेरी बारी थी चौंक जाने की.. जैसे ही उसने एक ताली बजाई.. दो साल पुराना वक़्त मेरे सामने खड़ा हो गया..
वो ही 4 लड़कियाँ उनकी मम्मियाँ के साथ मुंडेर के नीचे से उठकर खड़ी हो गईं.. और मैं अभी कुछ संभल पाता.. तब तक उन्होंने मुझे कैमरे में क़ैद कर लिया।
मेरे पास कुछ ढकने के लिए नहीं था.. तो जाहिर था मैं अपने हाथों से लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था.. पर उससे मेरा नंगापन थोड़े ही ढकने वाला था। मेरा चेहरा सफेद हो गया और मैं उनसे ‘सॉरी’ कहकर मिन्नतें करने लगा- प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. पर ये पिक्स किसी को मत दिखाना..
इस अचानक से हुए हमले की वजह से मेरा लंड फिर से नुन्नू बन गया था और भी सब लोग मेरी तरफ देखकर हँस रही थीं। वे कह रही थीं- अब क्या करेगा.. 2 साल पहले तो तू बच निकला था.. पर अब क्या होगा तेरा? मैंने कहा- आप जो कहेंगी.. वो मैं करूँगा पर मेरी कहीं कंप्लेंट मत कीजिए.. मेरे घर पता चला.. तो मुझे घर से निकाल दिया जाएगा..
जो मम्मी 2 साल पहले मेरी कंप्लेंट लेकर गई थीं.. वो बोली- भुगतना तो तुझे पड़ेगा ही.. ऐसे नहीं तो वैसे.. तूने सबके सामने मुझे झूठा ठहराया था… अब अगर अपनी सलामती चाहता है तो.. चुपचाप फ्लैट नंबर 502 में आ जा…
मैं तुरन्त मान गया.. पर एक बात मैंने नोटिस की.. कि इन सबके बीच वो जो नई औरत थी.. वो बिल्कुल चुपचाप खड़ी थी.. शायद उसे सिर्फ़ मुझे फंसाने के लिए ही लाया गया था और उस चाल में मैं पूरी तरह से फंस गया था। इस बीच एक सवाल मेरे मन में खड़ा था कि आख़िर वो है कौन..?
मैं मुंडी नीचे डाल कर सीढ़ियों की तरफ बढ़ा और सीढ़ियाँ उतरने लगा.. जैसे ही मैंने सीढ़ियों का एक हिस्सा खत्म किया कि मुझे उस दिन का दूसरा झटका लग गया।
मैं आगे बढ़ने से पहले कुछ बताना चाहता हूँ.. मेरा एक जिगरी यार है.. जिसके पास मेरे फ्लैट की एक चाभी हमेशा होती है.. वर्किंग डेज़ पर वो अपनी गर्ल-फ्रेंड को लेकर मेरे फ्लैट पर सेक्स के लिए आता है। आज शायद उसका ये प्लान था और हम दोनों की कुछ भी बात ना होने के कारण उसे पता नहीं था कि मैं घर पर हूँ.. जैसे ही मैंने सीढ़ियों का एक हिस्सा खत्म किया.. मैंने मेरे फ्रेंड को और उसकी गर्ल-फ्रेंड को मेरे दरवाजे के सामने पाया।
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दोस्त मेरे दरवाजे को खोल रहा था और तभी उन दोनों का ध्यान मेरी तरफ गया। दोनों चौंक गए थे और मैं तो ठगा सा खड़ा रह गया.. जिगरी दोस्त था पर हमने आज तक कभी एक-दूसरे को ऐसा नहीं देखा था। पहले से नर्वस होने के कारण मेरी नुन्नू बहुत छोटी हो गई थी।
दोस्त- अबे साले ये क्या है..? और आज तू घर पर कैसे..? और वो भी नंगा.. बिना कुछ पहने छत पर?
उसकी गर्ल-फ्रेंड चुपचाप खड़ी देख रही थी पर मन ही मन मुस्कुरा रही थी.. शायद क्योंकि उसकी हल्की मुस्कान और नज़र मुझे बोल रही थी कि वो मेरी छोटी सी नुन्नू को देख कर हँस रही है। मेरी अजीब हालत हो गई थी। आगे क्या हुआ ये जानने के लिए अन्तर्वासना पढ़ते रहिए। मुझे ईमेल करने के लिए जरूर लिखें।
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